मूली बहुत गुणकारी और सरलता से मिलने वाली सब्जी है। ठंड में रोजाना थोड़ी मूली को सलाद के रूप में लेना चाहिए क्योंकि इसमें प्रोटीन, कैल्शियम, गन्धक, आयोडीन तथा लौह तत्व पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होते हैं। इसमें सोडियम, फॉस्फोरस, क्लोरीन तथा मैग्नीशियम भी होता है। मूली में विटामिन ए भी होता है। इसके अलावा भी ठंड के मौसम में सलाद के रूप में मूली खाने के अनेक फायदे आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ फायदों के बारे मे
- पेशाब के समय जलन व दर्द-के लिए उपयोगी-आधा गिलास मूली के रस का सेवन करने से पेशाब के साथ होने वाली जलन और दर्द मिट जाता है।
- पेशाब कम बनना गुर्दे की खराबी से यदि पेशाब का बनना बंद हो जाए तो मूली का रस 50 मिलीलीटर रोजाना पीने से, पेशाब फिर बनने लगता है।
- पेट में दर्द के लिए उपयोगी-1 कप मूली के रस में नमक और मिर्च डालकर सेवन करने से पेट साफ हो जाता है और पेट का दर्द भी दूर हो जाता है।मूली का लगभग 1 ग्राम के चौथे भाग के रस में आवश्यकतानुसार नमक और 3-4 कालीमिर्च का चूर्ण डालकर 3-4 बार रोगी को पिलाने से पेट के दर्द में लाभ मिलता है।
- 10 मिलीलीटर मूली का रस, 10 ग्राम यवक्षार, 50 ग्राम हिंग्वाष्टक चूर्ण, 50 ग्राम सोडा बाइकार्बोनेट, 2 ग्राम नौसादर, 10 ग्राम टार्टरी को मिलाकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण 3 ग्राम पानी के साथ खाने से हरप्रकार का पेट का दर्द दूर हो जाता है।
- 100 मिलीलीटर मूली का रस, 200 ग्राम घीकुंवार का रस, 50 मिलीलीटर अदरक का रस, 20 ग्राम सुहागे का फूल, 20 ग्राम नौसादर ठीकरी, 20 ग्राम पांचों नमक, 10-10 ग्राम चित्रकमूल, भुनी हींग, पीपल मूल, सोंठ, कालीमिर्च, पीपल, भुना जीरा, अजवाइन, लौह भस्म और 150 ग्राम पुराना गुड़। सभी औषधियों को पीसकर चूर्ण बनाकर मूली, घीकुंवार और अदरक के रस में मिलाकर, अमृतबान (एक बर्तन) में भरकर, अमृतबान का मुंह बंद करके 15 दिन धूप में रखें। 15 दिन बाद इसे छानकर बोतल में भर लें,
- आवश्यकतानुसार इस मिश्रण को 6-10 ग्राम तक लगभग 30 मिलीलीटर पानी में मिलाकर भोजन के बाद सेवन करने से पाण्डु (पीलिया), मंदाग्नि (पाचन क्रिया खराब होना), अजीर्ण (भूख न लगना), आध्यमान, कब्ज और पेट में दर्द आदि पेट से सम्बंधित रोग दूर हो जाते हैं। मासिक-धर्म के कष्ट के साथ आता हो या अनियमित हो तो इस मिश्रण को 2 चाय वाले चम्मच-भर सुबह-शाम 3 सप्ताह तक नियमित रूप से सेवन करना लाभदायक है।
- मूली के रस में कालीमिर्च और 1 चुटकी काला नमक मिलाकर खाने से लाभ होता है।
- मूली के रस में काला या सेंधानमक मिलाकर प्रयोग करने से पेट की पीड़ा में राहत मिलती है।
- मूली की राख, करेला का रस, साण्डे की जड़ का रस, गडतूम्बा का रस को 10-10 ग्राम की मात्रा में मिलाकर रख लें। इस मिश्रण को दिन में 3 बार पीने से पीलिया, मधुमेह (डाइबिटीज), पेट का दर्द, पथरी, औरतों के वायु गोला (औरतों के पेट में गैस का गोला होना), शरीर का मोटापा, गुल्म वायु (पेट में कब्ज के कारण रूकी हुई वायु या गैस) तथा अजीर्ण आदि रोग ठीक हो जाते हैं।
- 20 से 40 मिलीलीटर मूली के पत्तों का रस सुबह-शाम सेवन करने से पेट के दर्द में आराम होता है।
- मूली के रस में नींबू का रस और सेंधानमक मिलाकर सेवन करने से वायु विकार (गैस रोग) से उत्पन्न पेट दर्द समाप्त हो जाता है।
- हिचकी के लिए उपयोगी
- मूली का जूस पीयें। सूखी मूली का काढ़ा 50 से 100 मिलीलीटर तक 1-1 घंटे पर पिलायें।
- मूली के कोमल पत्ते चबाकर रस चूसने से हिचकी तुरन्त बंद हो जाती है। मूली का रस हल्का-सा गर्म करके पीने से भी हिचकी बंद हो जाती है।
- मधुमेह (डायबिटिज के लिए उपयोगी
- मूली खाने से या इसका रस पीने से मधुमेह (डायबिटीज) में लाभ होता है।
- आधी मूली का रस दोपहर के समय मधुमेह (डायबिटीज) के रोगी को देने से लाभ होता है।
- पीलिया-के लिए उपयोगी
- एक कच्ची मूली रोजाना सुबह सोकर उठने के बाद ही खाते रहने से कुछ ही दिनों में ही पीलिया रोग ठीक हो जाता है।125 मिलीलीटर मूली के पत्तों के रस में 30 ग्राम चीनी मिलाकर सुबह के समय रोगी को पिलाएं, इसे पीते ही लाभ होगा और 1 सप्ताह में रोगी को आराम मिल जाएगा।
- मूली में विटामिन `सी´, लौह, कैल्शियम, सोडियम, मैग्नेशियम और क्लोरीन आदि कई खनिज लवण होते हैं, जो लीवर (जिगर) की क्रिया को ठीक करते हैं। अत: पाण्डु (पीलिया) रोग में मूली का रस 100 से 150 मिलीलीटर की मात्रा में गुड़ के साथ दिन में 3 से 4 बार पीने से लाभ होता है।
- मूली का रस 10-15 मिलीलीटर 1 उबाल आने तक पकाएं। बाद में उतारकर 25 ग्राम खांड या मिश्री मिलाकर पिलाएं, साथ ही मूली और मूली का साग खिलाते रहने से पीलिया ठीक हो जाता है।
- सिरके में बने मूली के अचार के सेवन से पीलिया रोग ठीक हो जाता है।
- लगभग आधा से 1 ग्राम मण्डूरभस्म, लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग लौह भस्म को शहद के साथ रोगी को चटायें। फिर ऊपर से 100 मिलीलीटर मूली के रस में चीनी मिलाकर पिलायें। इसे रोजाना सुबह-शाम पिलाने से 15-20 दिनों में पीलिया रोग ठीक हो जाता है।
- मूली के ताजे पत्तों को पानी के साथ पीसकर उबाल लें इसमें दूध की भांति झाग ऊपर आ जाता है, इसको छानकर दिन में 3 बार पीने से कामला (पीलिया) रोग मिट जाता है।
- पत्तों सहित मूली का रस निकाल लें, फिर दिन में 3 बार 20-20 ग्राम की मात्रा में पीने से पीलिया रोग में लाभ होता हैं।
- 70 मिलीलीटर मूली के रस में 40 ग्राम शक्कर (चीनी) मिलाकर पीने से पीलिया रोग ठीक हो जाता है।
- 60 मिलीलीटर मूली के पत्ते का रस व 15 ग्राम खांड मिलाकर पीने से पीलिया रोग में आराम आता है। मूली की सब्जी का सेवन करने से पीलिया रोग मिट जाता है।
- मूली के 100 मिलीलीटर रस में 20 ग्राम शक्कर मिलाकर पीने से पीलिया रोग मिट जाता है। रोगी को मूली, संतरा पपीता, खरबूज, अंगूर और गन्ना आदि खाने को देना चाहिए।
- मूली के पत्तों का 80 मिलीलीटर रस निकालकर किसी बर्तन में आग पर चढ़ा दें, जब पानी उबल जाए, तब उसे छानकर उसमें शक्कर मिलाकर खाली पेट पीने से पीलिया रोग मिट जाता है।
- 25 मिलीलीटर मूली के रस में लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग पिसा हुआ नौसादर मिलाकर सुबह-शाम लेने से पीलिया रोग दूर हो जाता है।
- 1 चम्मच कच्ची मूली का रस तथा उसमें 1 चुटकी जवाखार मिलाकर सेवन करें। कुछ दिनों तक सुबह, दोपहर और शाम को लगातार पीने से पीलिया रोग ठीक हो जाता है।
- मूली के पत्तों के 100 मिलीलीटर रस में शर्करा मिलाकर सुबह के समय पीने से पीलिया रोग में लाभ होता है। सुबह मूली खाने या इसका रस पीने से भी पीलिया रोग नष्ट होता है।
- पीलिया के रोगी को गन्ने के रस के साथ मूली के रस का भी सेवन करना चाहिए, मूली के पत्तों की बिना चिकनाई वाली भुजिया खानी चाहिए।
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