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Saturday, July 13, 2019

कोलोरेक्टल कैंसर के लक्षण-What is The Colon Cancer in Hindi

 
कोलोरेक्टल कैंसर के लक्षण-What is the colon cancer,

कोलोरेक्टल कैंसर-Colorectal Cancer in Hindi,

आइये जानते है कैंसर के बारे में,लक्षण-What is Colorectal cancer,

कोलोरेक्टल कैंसर जिसे आमतौर पर बड़ी आंत का कैंसर भी कहते है। ये कैंसर बडी आंत (कोलन) में या फिर रेक्टम में होता है।  कोलोरेक्टल कैंसर (कोलो से आशय बड़ी आंत और रेक्टल से आशय मलाशय रेक्टम से है) को पेट का कैंसर या बड़ी आंत का कैंसर भी कहा जाता है।

कोलो और रेक्टल, हमारे पाचन तंत्र के सबसे से निचले हिस्से में पाया जाता है। आमतौर पर 50 साल से ज्यादा उम्र के लोग इस कैंसर का शिकार होते हैं। समय रहते अगर इस कैंसर के लक्षणों को पहचान लिया जाएं तो रोगी की जान को बचाया जा सकता है

शुरूआत में इसके लक्षणों में कमजोरी, थकान, सांस लेने में तकलीफ, आंतों में परेशानी, दस्त या कब्ज की समस्या, मल में लाल या गहरा रक्त आना, वजन सामान्य से कम होना, पेट दर्द, ऐंठन या सूजन शामिल है। वैसे तो कोलोरेक्टल कैंसर होने के कई कारण है लेकिन आज की अनियमित जीवनशैली और खाने की आदतें इसके होने की मुख्य वजह है।
ज्यादा रेड मीट (5 आउसं से ज्यादा प्रतिदिन ), धूम्रपान, खानपान में फल और सब्जियों को कम शामिल करना, फाइबर युक्त आहार न लेने जैसे कई कारक कोलोरेक्टल कैंसर को बढ़ा रहे है।

कोलोरक्टेल कैंसर के लक्षण चरण

कोलोरक्टेल कैंसर का टयूमर 4 चरणों से गुजरता है। जिसमें ये बाउल की अदंरूनी लाइनिगं में शुरू होता है और अगर समय पर इलाज न किया जाये तो ये कोलन के मसल वॉल से होते हुये लिम्फ नोडस तक चला जाता है। और आखिरी स्टेज में यें रक्त में मिलकर दूसरे अंगो जैसे कि फेफेड़ो, लीवर में फैल जाता है और इस स्टेज को मटेास्टेटक कोलोरेक्टल कैंसर (एम सीआरसी) कहते है। जितनी जल्दी कैंसर की पहचान हो जायें उतना ही उपचार आसान हो जाता है।

अगर कैंसर का पहले ही स्टोज में पता चल जाये तो 90 प्रतिशत तक इसका उपचार संभव है और दूसरे स्टेज में 70-80 प्रतिशत तक, तीसरे स्टेज में 50-60 प्रतिशत आरै चौथे स्टजे में 30-50 प्रतिशत तक सभंवना होती है। लेकिन भारत में लोगों को इस कैंसर के बारें में जानकारी बहुत कम है जिसके कारण कैंसर के शुरूआत में ही इसका पता चलना काफी मुश्किल हो जाता है।

हालंकि दवाइयों के नये प्रयागों के साथ मरीज की जरूरत आरै बीमारी को देखाते हुए कैंसर के नये इलाज ढुंढे जा रहे है। जिसमें व्यक्तिगत रूप से मरीज के कैंसर के जैविक लक्षणों की पहचान की जाती है और फिर उसी के अनुसार इलाज की थेरेपी इस्तेमाल की जाती है और इस तरह की व्यक्तिगत पद्वति कोलेकर विशेषज्ञ भी एकमत है कि इससे भविष्य में कैंसर के इलाज को नई दिशा मिलेगी।

नई दिल्ली स्थित सर गगंराम अस्पताल के सीनियर कंस्लटेंट और मेडिकल कॉलेज के चेयरपर्सन डा. श्याम अग्रवाल के मुताबिक, टार्गेट थेरेपी में बॉयामेककर टेस्टिंग जैसे कि ओरएएस का भविष्य बहुत अच्छा है क्योकि इसमें केवल कैसंर प्रभावित कोशिकाओं का इलाज किया जाता है जो बहुत बहे तरीन तरीका है जबकि पारपं रिक थेरेपियों में उन सभी की शंकाओं को नष्ट कर दिया जाता है जो तेजी से बढ़ती है। पारम्परिक कैं सर इलाज में कीमोथेरेपी दवाइयों के जरिये शरीर से उन सभी शंकाओं को खत्म किया जाता है जो तेजी से विभाजित हो रही होती है।

कीमोथेरेपी दवाइयां सामान्य कोशिकाओं और कैंसर की शंकाओं में अतंर नहीं कर पाती इसलिए इसके कई साइड इफैक्टस देखने को मिलते है। इसके विपरीत टार्गेट थेरेपी में टयूमर कोशिकाओं को टार्गेट करके उन्हें खत्म किया जाता है। 8 टार्गेट थेरेपी में व्यक्तिगत रूप से बॉयामे वर्कर के जरिये मरीज की पहचान कर उसे दवाइयां दी जाती है।

इससे दवाइयां काफी प्रभावकारी काम करती है। ब्रेस्ट कैंसर, कोलोरक्ेटल कैसंर, फेफेडों के कैंसर जैसी बीमारियों में टार्गेट थेरेपी काफी कारगर साबित हुई है।

कोलोरेक्टल कैंसर का निदान

डा.अग्रवाल के मुताबिक, जिन मरीजों को कोलोरक्टल कैंसर के साथ के आर ए एस जीन युटटिड होते है उनमें टार्गेट थेरेपी काम नहीं करती। इसलिये इी जी एफ आर पॉजिटव मरीजों की के आर ए एस जीन का भी टेस्ट किया जाना चाहिये ताकि ये पता चल सकें कि इ जी एफ आर ब्लॉकर काम करेंगे या नही। काले न कैंसर में के आर ए एस जीन के टेस्ट सेे कंसै र का इलाज जीन पर आधारित हो जायेगा जिससे मरीज का उसी के अनुकलू इलाज करने में मदद मिलगी और इससेे मरीज का व्यक्तिगत रूप से कैंसर का इलाज सभंव हो पायगा।

टार्गेट थेरपी

टार्गेट थेरपी में मरीज को चुनना सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। 50 से 70 प्रतिशत कालोरक्टल कैंसर में के आर ए एस जीन की म्यटू श्न नही होता है। ऐसे मरीजों में ई जी एफ आर ब्लाकॅर इलाज अच्छी प्रतिक्रिया दिखाते है। 

अगर इलाज से पहले के आर ए एस की जाचं कर ली जाय तो यें पता चल जायेगा कि टार्गेट थेरेपी कितनी सफल रहेगी। टार्गेट थेरपी अकेले या पारंपरिक थेरेपियों का मिश्रण कैंसर के इलाज में उभरकर आ रहा है। इस तरह की टार्गेट थेरेपी ज्यादा प्रभावी होने के साथ कम साइड इफैक्स और मरीज का जीवन सुनिश्चित करती है।

जीन टेस्ट करने से कैसंर का इलाज सही मायनें में व्यक्तिगत रूप से होता है। डा. अग्रवाल का कहना है, ऐसा समय जल्द ही आने वाला है जब हम टार्गेट थेरेपी को मौलिक इलाज के तौर तरीकों में शामिल करेंगे अनुवांशिक टेस्ट करने से कैंसर जैसे रागे का इलाज करने में टार्गेट थेरपी मे और अधिक मदद मिलेगी।

Wednesday, August 16, 2017

त्वचा कैंसर,Melanoma Symptoms In Hindi,

 
त्वचा कैंसर तब होता है जब त्वचा की असामान्य कोशिकाएं अनियंत्रित ढंग से विकसित होने लगती हैं त्वचा शरीर का सबसे बड़ा अंग है। यह दो प्रमुख परतों से बनी है: बाह्य त्वचा या बाहरी परत, और आंतरिक त्वचा या अंदरूनी परत मेलेनोमा एक ऐसा कैंसर है जो मेलोनोसाईट्स में होता है और जो त्वचा के रंग का निर्माण करता है, इसे मिलेनिन के नाम से जानते हैं। मिलेनिन सूर्य की खतरनाक प्रभाव से त्वचा की गहराई से रक्षा करता है। शुरुआती अवस्था में पता चलने पर मेलेनोमा का ईलाज संभव है। मेलेनोमा त्वचा कैंसर एक गंभीर स्किन कैंसर है जो अन्य त्वचा कैंसर की अपेक्षा काफी खतरनाक होता है

त्वचा कैंसर के प्रकार,Types of skin cancer

त्वचा कैंसर, त्वचा की मिलानोसाइट्स नामक कोशिकाओं का कैंसर है। ये कोशिकाएं त्वचा को उसका रंग प्रदान करती है त्वचा कैंसर, त्वचा (cutaneous melanoma), श्लेष्मा झिल्ली (mucous membranes) पर (जैसे होंठ) या आँख में (अंतः नेत्र (intra-ocular) या नेत्र (ocular) त्वचा कैंसर) विकसित हो सकता है
  • बेसल सेल कार्सिनोमा-यह कैंसर सबसे आम होता है। यह त्वचा की निचली परत की मूल कोशिकाओं में धीरे-धीरे बढ़ता है और शरीर के अन्य भागों में फैलता है। शुरुआती लक्षण मिलते ही इसका इलाज कराना जरुरी है। यह शरीर के उस भागों में होता है जहां सूर्य की पराबैंगनी किरणें सीधे पड़ती है जैसे चेहरा, कान, खोपड़ी।
  • सैक्वमस सेल कार्सिनोमा-यह स्किन कैंसर त्वचा की ऊपरी परत को प्रभावित करता है। ज्यादातर मामलों में सैक्वमस सेल कार्सिनोमा सूर्य की पराबैंगनी किरणों के संपर्क में आने से होता है। ये आम तौर पर उन लोगों में पाया जाता है जो लोग ज्यादा समय धूप में बिताते हैं, खासकर उजली और नीली आंखों वाले लोग।
  • मेलानोमा-यह सबसे घातक होता है। इस कैंसर में गले में सूजन या खुजली महसूस कर सकते हैं, यह शरीर पर कहीं भी हो सकता है। इसमें तेजी से घाव बढ़ जाते हैं जो अक्सर कई रंगों जैसे काले और गुलाबी रंग के होते हैं। जब मेलेनोमा का उपचार नहीं किया जाता, तो यह त्वचा के अलावा शरीर के अन्य भागों में भी फैलने लगता है, जिससे हालत बहुत गंभीर हो जाती है।

त्वचा कैंसर के लक्षण ,Skin cancer symptoms,

  • मौजूदा मस्से के आकार, आकृति या रंग में परिवर्तन 
  • अनियमित किनारों या सीमाओं वाले मस्से का विकसित होना 
  • एक से अधिक रंग वाले मस्से का विकास 
  • खुजली वाला मस्सा 
  • शरीर में गांठ का होना या उसकी संख्या की बढ़त होना।
  • किसी प्रकार का घाव निर्मित होना व ठीक होने पर पुनः तकलीफ देना।
  • गांठ जो मुख्यतः गुलाबी या हल्के तौर पर बाहर की ओर उभरी हो।
  • शरीर मे मोम जैसे धब्बा का निर्माण होना।टेड) त्वचा में परिवर्तन
एक नया मस्सा जो किसी मौजूदा मस्से के निकट विकसित होता है – यह अनुचर मस्सा (satellite mole) कहलाता है न सिर्फ त्वचा कैंसर बल्कि ऐसी अनेक स्थितियाँ हो सकती हैं जिनके कारण ये लक्षण हो सकते हैं। यदि आपको इनमें से किसी एक लक्षण का अनुभव हुआ है, तो यह महत्वपूर्ण है कि आप डॉक्टर के साथ इसकी चर्चा करें।

त्वचा कैंसर के कारण ,reason

खतरे का एक कारण, ऐसा कोई भी कारण होता है जो स्वास्थ्य संबंधी किसी विशेष स्थिति (बीमारी) जैसे कि त्वचा कैंसर के होने की अधिक संभावना से जुड़ा हुआ होता है। खतरे के कारण विभिन्न प्रकार के होते हें, इनमें से कुछ में सुधार या परिवर्तन लाया जा सकता है कुछ में नहीं।

इस पर ध्यान देना चाहिए कि खतरे के एक या अधिक कारण होने का अर्थ यह नहीं कि व्यक्ति को त्वचा कैंसर हो जाएगा। अनेक लोगों में खतरे का कम से कम एक कारण होता है लेकिन उन्हें कभी त्वचा कैंसर नहीं होता, जबकि हो सकता है कि त्वचा कैंसर से पीड़ित अन्य लोगों में खतरे का कोई भी ज्ञात कारण नहीं रहा हो। बावजूद इसके कि त्वचा कैंसर से पीड़ित किसी व्यक्ति में खतरे का कोई कारण हो, यह जानना सामान्यतः मुश्किल होता है कि उस खतरे के कारण ने उनकी बीमारी के विकास में कितना योगदान दिया।
यद्यपि त्वचा कैंसर के कारणों को अच्छी तरह नहीं समझा जा सका है, बीमारी विकसित होने के जोख़िम से संबद्ध अनेक कारण हैं। इन कारणों में निम्न शामिल है:
  • मेलानोमा या त्वचा कैंसर का इतिहास
  • Freckles के साथ हल्की त्वचा;
  • सुरक्षात्मक कपड़े या सनस्क्रीन बिना सूरज को अत्यधिक जोखिम;
  • धूपघड़ी के लगातार उपयोग;
  • आर्सेनिक के संपर्क में, औद्योगिक रेजिन, कोयला, आयल तेलों और कुछ (ploskokletochnыy कैंसर);
  • प्रकाश के साथ सोरायसिस का उपचार, विशेष रूप से PUVA;
  • जीर्ण, घाव nonhealing (ploskokletochnыy कैंसर);
  • कुछ आनुवंशिक रोगों, इस तरह के बेसल सेल नेवस या Xeroderma pigmentosum के रूप में.
  • त्वचा (मिलेनोसाइटिक नैवी) पर कई छोटे या बड़े मस्से (नैवी नामक) होना
  • गोरा रंग होना, जिसमें हल्के रंग का, सुनहरा या लाल, बाल तथा हल्के रंगों की आँखें और/या गोरी त्वचा जिस पर आसानी से चकत्ते बन जाए
  • सूर्य और सनबेड जैसे पराबैंगनी (अल्ट्रावायलेट) विकिरणों के स्रोतों का एक्सपोज़र
  • त्वचा कैंसर का पारिवारिक इतिहास होना

त्वचा कैंसर से बचाव,Skin Cancer Prevention,

  • सूरज की तेज किरणों से बचना चाहिए यह शरीर के भीतर जाकर त्वचा कैंसर का खतरा बढ़ा सकती है।धूप में निकलने से पहले सनस्क्रीन लोशन का इस्तेमाल करें जो हमारी त्वचा को कई रोगों से राहत दिलवाने में मदद करता है।
  • चिकित्सकों का कहना है कि टैटू बनवाने से भी त्वचा कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।इसलिए त्वचा पर टैटू न बनवाए।
  • अपने भोजन में भी बदलाव लाकर हम त्वचा कैंसर के खतरे को कम कर सकते है।अपने भोजन में विटामिन डी की मात्रा शामिल करें जिससे त्वचा कैंसर के खतरे को कम किया जा सकता है।यह हमारे शरीर में मौजूद हडि्डयों को मजबूत बनाता है और सूरज की अल्ट्रावायलेट किरणों से भी त्वचा की रक्षा करता है।
  • शरीर पर तेल की मालिश करने से भी त्वचा कैंसर का खतरा कम हो सकता है।जिस तेल में एसपीएफ की मात्रा होती है उसी तेल से शरीर पर मालिश करें।मालिश करने के लिए बादाम का तेल, नारियल का तेल इस्तेमाल कर सकते है।यह तेल हमारी त्वचा का सूरज की तेज किरणों से भी बचाव करते है और त्वचा कैंसर के खतरे को कम करते है।
  • अपने भोजन में फल शामिल करके भी हम त्वचा कैंसर के खतरे से बचाव कर सकते है।अंगूर का सेवन करके भी स्किन कैंसर का खतरा कम हो जाता है।

त्वचा कैंसर की पहचान 

त्वचा कैंसर के लक्ष्णों की पड़ताल करने और पहचान की पुष्टि के लिए अनेक परीक्षण (जाँच) किए जाएँगे। कुछ आम परीक्षणों में निम्न शामिल हैं:
मस्से, जन्मचिन्ह और अन्य त्वचा रंजकता (पिग्मेंटेशन) देखने के लिए त्वचा की जाँच, जिसमें निम्न शामिल हो सकते हैं
  • डर्मोस्कोपी – हस्त आवर्धक उपकरण के द्वारा त्वचा को देखना
  • आनुक्रमिक डिजीटल इमेजिंग (sequential digital imaging) – परिवर्तन का पता लगाने के लिए एक समयावधि के दौरान मस्से की छवियाँ लेना शामिल है
  • माइक्रोस्कोप के द्वारा जाँच के लिए मस्से या त्वचा के असामान्य क्षेत्र को निकालना (बायोप्सी या उच्छेदन

उपचार विकल्प,Treatment Options,

कैंसर से पीड़ित लोगों के उपचार और देखभाल आमतौर पर बहु-विषयक टीम के नाम से जानी जाने वाली स्वास्थ्य पेशेवरों की एक टीम, द्वारा की जाती है।  त्वचा कैंसर का उपचार बीमारी के चरण, लक्षणों की गंभीरता और व्यक्ति के सामान्य स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। आमतौर पर उपचार में मेलानोमा निकालने हेतु सर्जरी शामिल होती है। कभी-कभी रेडियोथेरेपी और/या कीमोथेरेपी का भी उपयोग किया जा सकता है।
विभिन्न प्रकार के कैंसरों की पहचान और उपचार के नए तरीकों को खोजने के लिए शोध कार्य जारी है। त्वचा कैंसर के इलाज के नए तरीकों को जाँचने के लिए कुछ लोगों को चिकित्सकीय जाँच में भागीदारी का प्रस्ताव दिया जा सकता है।

त्वचा कैंसर के लिए लेजर थेरेपी

लेजर थेरेपी प्रकाश की एक संकीर्ण बीम का उपयोग करता है, अनुमति देता है जो आप हटाने या कैंसर की कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए. इस विधि कभी कभी कैंसर के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जो त्वचा की बाहरी परत पर विकसित.

विकिरण चिकित्सा (रेडियोथेरेपी) त्वचा कैंसर

विकिरण चिकित्सा यह विकिरण उत्सर्जन का उपयोग करता है, कैंसर कोशिकाओं को मारने और ट्यूमर हटना करने के लिए.

त्वचा के कैंसर के लिए कीमोथेरेपी

त्वचा कैंसर के इलाज के लिए कीमोथेरेपी एक क्रीम या लोशन के रूप में दवाओं का इस्तेमाल शामिल, कैंसर की कोशिकाओं को मारने के लिए. इस विधि precancerous घावों और त्वचा की सतह के कैंसर के इलाज में सफलतापूर्वक इस्तेमाल किया गया है. त्वचा कैंसर के कीमोथेरेपी के लिए सबसे आम दवाओं 5 fluorouracil हैं (5-फू) या Imiquimod.

Tuesday, March 07, 2017

पेशाब में खून आना,Blood in Urine,Hematuria Causes in Hindi,

 
पेशाब में खून आना,हीमेचुरिया,मूत्र में रक्त,लक्षण और कारण,Blood in Urine,Hematuria Causes in Hindi
अगर कभी लगे कि पेशाब का रंग लाल है, तो इसे हल्के में न लें। लाल रंग का पेशाब आने का मतलब है कि इसके साथ खून आ रहा है। यानी किडनी, पेशाब की थैली, प्रोस्टेट ग्लैंड, यूरेटर या यूरेथरा में कोई गंभीर बीमारी है। यह यूरीनरी ब्लैडर या किडनी में कैंसर, यूरीनरी पैसेज के रास्ते में पत्थरी, संक्रमण या टीबी, इंजरी या ट्रॉमा व ग्लोमेरुलोनफ्राइट्स (बच्चों में) हो सकता है। मेडिकल टर्म के मुताबिक इसे हेमाटूरिया कहा जाता है।
पेशाब में खून आने के बाद कई लोग तो डॉक्टरी सलाह ले लेते हैं, लेकिन कुछ इसे अधिक गर्मी या तला-भूना और मसालेदार भोजन लेने की वजह से हुआ असर मान लेते हैं। ऐसा कभी भी हो तो सीधे डॉक्टर के पास पहुंच जाएं वरना लेने के देने पड़ सकते हैं। अचानक खून आना बंद भी हो जाता है, जिससे व्यक्ति लापरवाह भी हो जाता है। इस वजह से अंदर के अंगों में पनप रही बीमारी और गंभीर रूप धारण कर लेती है और जान पर बन सकती है।

'कैंसर के लक्षण'

कैंसर के संभावित संकेत
  • पेशाब में खून
  • अचानक या बार-बार पेशाब जाना
  • पेशाब करते हुए दर्द
  • पसलियों के नीचे दर्द
  • पेट में गांठ
गुर्दों के कैंसर के बारे में शुरुआती चरण में पता चलने पर बचने की दर करीब 97% होती है, जबकि बाद में पता चलने पर ये दर करीब 32% होती है.
पेशाब में खून दिखाई देना मूत्राशय कैंसर के 80% से ज़्यादा मामलों में एक लक्षण होता है और गुर्दों के कैंसर में तो ज़्यादातर मामलों में ये लक्षण होता है.

पेशाब में खून आना का कारण

पेशाब में खून आने के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन आपको डॉक्‍टर से परामर्श लेने के बाद उस कारण को जानने के बाद सही इलाज करवाना आवश्‍यक होता है।
  • गुर्दे में पथरी होना-अगर किसी भी व्‍यक्ति को गुर्दे में पथरी होती है तो पेशाब में खून आने लगता है क्‍योंकि पेशाब की प्राकृतिक प्रक्रिया में रूकावट आती है। इसका उपचार संभव होता है, इसलिए समय रहते डॉक्‍टर से सम्‍पर्क करें। सर्जरी की आवश्‍यकता पड़ने पर शीघ्र ही उसे करवा लें।
  • ग्‍लोमेरूलर नेफीरिटिस -पेशाब में खून आने का यह सबसे आम कारण होता है। बढ़ते बच्‍चों और छोटे बच्‍चों में यह समस्‍या सबसे ज्‍यादा देखने को मिलती है। लेकिन कई बार बड़े लोग भी इस समस्‍या का शिकार हो जाते हैं।
  • यूरिन इंफेक्‍शन-महिलाओं में ये समस्‍या बहुत आम होती है। मूत्र मार्ग में संक्रमण होने के कारण महिलाओं को काफी दिक्‍कत होती है, जलन के साथ-साथ कई बार खून भी आने लगता है।
  • गुर्दे या पित्‍ताशय में ट्यूमर होना-गुर्दे या पित्‍ताश्य में ट्यूमर होने पर भी पेशाब में खून आने लगता है। ऐसे में डॉक्‍टरों द्वारा सर्जरी की मदद से इलाज किया जाता है।
  • सिस्टिक ग्रोथ-महिलाओं में सिस्‍ट की वृद्धि होना आम बात है और यह दर्दनाक बीमारी होती है, जिसके कारण पेशाब में खून आने लगता है। सामान्‍यत: सिस्‍ट, गुर्दे में बढ़ता है जिसके कारण पेशाब करने में दर्द औश्र जलन होती है और एक समय के बाद खून आना शुरू हो जाता है।

परीक्षण और उपचार 

सबसे पहले मरीज का अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन और यूरिन टेस्ट किया जाता है। अगर इन रिपोर्ट में कैंसर की पुष्टि हो जाती है, तो इसके बाद कैंसर के ट्यूमर के आकार की जांच की जाती है। अगर यह ट्यूमर अपनी प्रारंभिक अवस्‍था में है, तो पेशाब के रास्ते दूरबीन डालकर एक खास चिकित्सक यंत्र से कैंसर के हिस्से को काट कर बाहर निकाल दिया जाता है। 

कई बार जब ट्यूमर बहुत ज्यादा बढ़ जाता है, तो मरीज की मूत्र की थैली को ही बाहर निकाल दिया जाता है। ऐसे में मरीज की आंत का एक हिस्सा निकाल कर उसे यूरिन थैली की जगह लगाया जाता है और फिर एक खास प्रकार की कैन मरीज के शरीर के बाहर लगाई जाती है, जिसमें मूत्र इकट्ठा होता रहता है।

Friday, January 06, 2017

Anti Cancer Foods in Hindi

 

आज के भाग दौड़  जिंदगी में कैंसर के खतरे से बचने के लिए सबसे आसान और सबसे प्रभावी तरीके से अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए और कैंसर के खिलाफ की रक्षा में मदद करने के लिए हमे  Anti Cancer Foods आहार की आवश्यकता है जो आने वाले खतरे से हमे बचा सकता है और इन अहरो अपने नित्य भोजन में जरूर शामिल करे।

कैंसर या द्रोह कोशिकाओं की असामान्य वृद्धि है। कैंसर एक बहुत डर शब्द है और कैंसर के साथ दोनों रोगियों और उनके परिवारों के बीच चिंता और भय का कारण बनता है

कैंसर के प्रकार -Types of cancer in Hindi 

Tuesday, November 29, 2016

आंखों के कैंसर,Symptoms Of Eye Cancer ,आंखों के कैंसर के लक्षण,

 
आंखों के कैंसर,Symptoms Of Eye Cancer ,आंखों के कैंसर के लक्षण,
मनुष्य के शरीर में आंखें वह अंग हैं जिसका सबसे अधिक उपयोग किया जाता है। आंखें वह इन्द्रियां होती हैं जिसके कारण ही हम वस्तुओं को देख सकते हैं। हमारे शरीर की समस्त ज्ञानेन्द्रियों में आंखें सबसे प्रमुख ज्ञानेन्द्रियां हैं। आंखों के बिना किसी कार्य को करने में हम असमर्थ हो जाते हैं।


नेत्र कैंसर प्राथमिक (जो आंख के भीतर शुरू होता है) और स्थलांतरणीय कैंसर (जो किसी अन्य अंग से आँखों में प्रसार के कारण होता है) हो सकता है स्तन कैंसर और फेफड़ों का कैंसर दो सबसे आम कैंसर हैं जिसका (अन्य अंगों से) आँखों में प्रसार होता है। रक्त का कैंसर प्रोस्टेट, गुर्दे, थाइरोइड, त्वचा, बृहदान्त्र लेकिमिया और लिंफोमा मूल के अन्य स्थान हैं रेटिनोब्लासटोमा आंख मे होने वाला कैंसर है जो बच्चों मे आम है| विकसित देशों की तुलना मे विकासशील देशों के बच्चों मे ये रोग ज्यादा पाया जाता है

आँख के कैंसर के लक्षण,Symptoms Of Eye Cancer

  •  रेतिनोब्लास्तोमा -तिर्यकदृष्टि (तिरछी ऑंखें), पुतली के माध्यम से एक सफेद या पीले रंग की चमक, दृष्टि का कमजोर होना और कभी कभी आँख लाल और दर्द होना . रेतिनोब्लास्तोमा एक या दोनों आँखों में हो सकता है। यह ट्यूमर शिशुओं और छोटे बच्चों में होता है। 
  • इसे लघु रूप में RB कहा जाता है। कृपया अपने बच्चे या बच्चों की तस्वीरों को जांचे, सामान्य स्वस्थ आंखों में लाल छाया होती है, लेकिन लाल के बजाय एक सफेद या पीली डॉट एक ट्यूमर या अन्य नेत्र रोग का संकेत है जिन बच्चों की किसी भी तस्वीर में आँखों में लाल छाया के बजाय जो एक सफेद या पीली छाया हो, उनकी जाँच की जानी चाहिए.बच्चे/बच्चों की तस्वीरें बहुत अच्छा सुराग हैं क्यूंकि वे उनकी ऑंखें, दूरदृष्टि और जीवन बचा सकती हैं। नेत्रदर्शी भी एक लक्ष्य है।
  • धुंधला दृष्टि का-प्रारंभिक की दृष्टि धुंधला कर सकते हैं अक्सर हो पर ध्यान नहीं दिया या चश्मे की जरूरत महसूस दुर्दम्य त्रुटियों को दोषी ठहराया। इस अहानिकर प्रतीत होता है लक्षण आँख के कैंसर के लिए जोखिम वाले कारकों के साथ उन लोगों के बीच विशेष रूप से एक आँख के कैंसर का पता लगाने के जल्दी करने के लिए नेत्र रोग विशेषज्ञ द्वारा फ़ॉलो अप की जरूरत है।
  • चमक या visual फ़ील्ड्स में स्पॉट। रोगियों लाइनों, अस्थायी अंक, wiggly लाइनों, या अपनी आँखों के सामने धब्बे देख सकते हैं। यह लक्षण एक नेत्र विकारों मोतियाबिंद आदि की तरह के असंख्य के साथ आम है। वे सावधानी से मूल्यांकन आँख के कैंसर के जोखिम पर उन लोगों के बीच विशेष रूप से बाहर निकालने के लिए की जरूरत है।
  • नेत्र दृष्टि-का पूरा या आंशिक नुकसान वहाँ कभी कभी "blinkering किया जा सकता"-परिधि के आसपास दृष्टि खो दिया है। दृष्टि अक्सर बिलकुल के साथ एक घोड़े करने जैसा है। ये कुछ रोगियों को जो एक सुरंग के माध्यम से देखते हैं की तरह हो सकता है। यह सुरंग दृष्टि कहा जाता है। उत्तरोत्तर पूर्ण दृष्टि खो दिया है।
  • दर्द या आँख के आसपास। यह मुख्य रूप से आंख पर ट्यूमर द्वारा exerted दबाव के कारण होता है। दर्द सबसे आँख के कैंसर में दुर्लभ है। यह तब होता है जब कैंसर adnexal संरचनाओं, नसों को प्रभावित करता है या अन्य भागों के लिए फैल। आँख की उभड़ा हुआ। यह retinoblastoma के साथ बच्चों में देखा जा सकता है। में प्रभावित नज़र का प्रकटन परिवर्तित करें आँख पर एक जगह या एक तिल आईरिस पर आकार में बड़े हो या प्रकटन में बदल गया है के लिए दिख सकता है
  • रंजितपटल संबंधी, सिलिअरी शरीर और uveal melanomas -प्रारंभिक अवस्था में वहाँ नहीं (लक्षण व्यक्ति नहीं पता है वहाँ एक ट्यूमर तक एक नेत्र रोग विशेषज्ञ या ऑप्टोमीट्रिस्ट एक ophthalmoscope के साथ आंखों में एक नियमित जाँच के दौरान लग रहा है हो सकता है). ट्यूमर के रूप में बढ़ती है, लक्षण दृष्टि blurred जा सकता है, दृष्टि, डबल दृष्टि, अंतिम दृष्टि हानि और कम अगर वे रेटिना रेटिना टुकड़ी के कारण पिछले तोड़ सकता है ट्यूमर वृद्धि जारी है कभी कभी ट्यूमर शिष्य के माध्यम से दिखाई देता है
  • जन्मचिह्न - आंखों में सौम्य झाई हैं। इनकी जाँच की जानी चाहिए और यह सुनिश्चित करने के लिए की यह मेलेनोमा में परिवर्तित न हो, आँख को नियमित रूप से जांचते रहना चाहिए
    आईरिस और कांजुक्टिवल ट्यूमर (मेलानोमस) - एक गहरे दाग के रूप में प्रस्तुत होता है। कोई भी दाग जो परितारिका और कंजाक्तिवा पर निरंतर बढ़ रहा हो, उसकी जाँच की जानी चाहिए
कैंसर एक बहुत ज्यादा खतरनाक बीमारी है। यह शरीर के किसी भी भाग में एक गांठ के रूप में दिन-प्रतिदिन बढ़ने वाली बीमारी है। जब तक इस रोग के होने का लक्षण पता चलता है तब तक तो यह बीमारी शरीर में बहुत ज्यादा फैल चुकी होती है। यदि कैंसर रोग शरीर के किसी भी अंग में दिखाई देता है तो भी यह पूरे शरीर का रोग है इसलिए इसका उपचार करते समय यह ध्यान देना जरूरी है कि इसका इलाज स्थानीय उपचार करने के साथ-साथ पूरे शरीर को दोषमुक्त बनाने के लिए करना चाहिए। इस रोग से बचने के लिए जैसे ही इसके लक्षण पता चले तुरन्त ही इसका इलाज शुरू कर देना चाहिए।

कैंसर के प्रकार -Types of cancer in Hindi

Friday, November 25, 2016

अंडकोश के कैंसर ,टेस्टिक्यूलर कैंसर,Testicular Cancer in Hindi,What is Testicular Cancer in Hindi,

 

टेस्टिकुलर कैंसर क्या होता है

टेस्टिक्यूलर कैंसर तब होता है जब वृषण (टेस्टिस) की असामान्य कोशिकाएं अनियंत्रित ढंग से विकसित होने लगती हैं। वृषण पुरूष प्रजनन प्रणाली का हिस्सा है। वे शिश्न के पीछे अंडकोष नामक त्वचा की थैली में पाए जाते हैं वीर्यकोष की कोशिकाओं में अनियंत्रित तरीके से वृद्धि के कारण ही मूत्राशय कैंसर या वृषण कैंसर होता है।यह अंडकोश में होनेवाला एक विषैला, कष्टदायक फोड़ा है | परन्तु बहुत कम पुरुष इस रोग का शिकार होते हैं l यह पुरुषों की सेक्‍स ग्रंथियां हैं जो अंडकोष की थैली में होती हैं और टेस्‍टोस्‍टेरॉन और अन्‍य हार्मोन का उत्‍पादन करती हैं। यह थैली प्रजनन कोशिकाओं के लिए भी जिम्‍मेदार है।

टेस्टिक्यूलर कैंसर के प्रकार

टेस्टिक्यूलर कैंसर के मुख्यतः पाँच प्रकार हैं? इनका नाम उस कोशिका प्रकार पर रखा गया है जिसमें कैंसर सबसे पहले विकसित होता है।
•    सेमीनोमास
•    कॉरियोकार्सिनोमा
•    भ्रूणीय कार्सिनोमा
•    टेराटोमा
•    यॉक सैक ट्यूमर
कॉरियोकार्सिनोमा, भ्रूणीय कार्सिनोमा (embryonal carcinoma), टेराटोमा और यॉक सैक ट्यूमर को गैर सेमिनोमा कैंसर कहा जाता है।
टेस्टिक्यूलर कैंसर में सेमिनोमा और गैर सेमिनोमा दोनों कैंसर कोशिकाओं का मिश्रण शामिल हो सकता है।2
टेस्टिक्यूलर कैंसर के क्या-क्या लक्षण होते हैं

टेस्टिक्यूलर कैंसर के लक्षण

•    दोनों अंडकोष में पीड़ाहीन गांठ या सूजन
•    अंडकोष में होने वाली अनुभूति में परिवर्तन
•    निचले उदर या उरुसंधि में दर्द
•    अंडकोष में अचानक तरल पदार्थ का जमाव
•    वृषण या अंडकोष में पीड़ा या कष्ट

टेस्टिक्यूलर कैंसर बल्कि ऐसी अनेक स्थितियाँ हो सकती हैं जिनके कारण ये लक्षण हो सकते हैं। यदि आपको इनमें से किसी एक लक्षण का अनुभव हुआ है, तो यह महत्वपूर्ण है कि आप डॉक्टर के साथ इसकी चर्चा करें।
टेस्टिक्यूलर कैंसर के लक्ष्णों की पड़ताल करने और पहचान की पुष्टि के लिए अनेक जाँच किए जाएँगे। कुछ आम परीक्षणों में निम्न शामिल हैं:
•    शारीरिक जाँच
•    खून के नमूने की जाँच
•    अंडकोष और आसपास के अंगों की इमेजिंग, जिसमें अल्ट्रासाउंड, कंप्यूटेड टोमोग्राफ़ी (computed tomography (CT)) स्कैन या मैग्नेटिक रेज़ॉनेन्स इमेजिंग (magnetic resonance imaging (MRI)) शामिल हो सकती है।
•    माइक्रोस्कोप के द्वारा परीक्षण करने के लिए अंडकोष से ऊतकों का नमूना लेना (बायोप्सी)।
उपचार विकल्प
कैंसर से पीड़ित लोगों के उपचार और देखभाल आमतौर पर बहु-विषयक टीम के नाम से जानी जाने वाली स्वास्थ्य पेशेवरों की एक टीम, द्वारा की जाती है।

टेस्टिक्यूलर कैंसर का उपचार बीमारी के चरण, लक्षणों की गंभीरता और व्यक्ति के सामान्य स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। उपचार विकल्पों में अंडकोष निकालने के लिए सर्जरी, तथा कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए रेडियोथेरेपी और/या कीमोथेरेपी शामिल हो सकती है।
विभिन्न प्रकार के कैंसरों के निदान और उपचार के नए तरीकों को खोजने के लिए शोध कार्य जारी है। टेस्टिक्यूलर कैंसर के इलाज के नए तरीकों को जाँचने के लिए कुछ लोगों को चिकित्सकीय जाँच में भागीदारी का प्रस्ताव दिया जा सकता है।

टेस्टिकुलर कैंसर के कारण

टेस्टिक्यूलर कैंसर खतरे का कारण, जो स्वास्थ्य संबंधी किसी विशेष स्थिति (बीमारी) जैसे कि टेस्टिक्यूलर कैंसर के होने की अधिक संभावना से जुड़ा हुआ होता है। खतरे के कारण विभिन्न प्रकार के होते हें, इनमें से कुछ में सुधार या परिवर्तन लाया जा सकता है कुछ में नहीं।इस पर ध्यान देना चाहिए कि खतरे के एक या अधिक कारण होने का अर्थ यह नहीं कि व्यक्ति को टेस्टिक्यूलर कैंसर हो जाएगा। अनेक लोगों में खतरे का कम से कम एक कारण होता है लेकिन उन्हें कभी टेस्टिक्यूलर कैंसर नहीं होता, जबकि हो सकता है कि टेस्टिक्यूलर कैंसर से पीड़ित अन्य लोगों में खतरे का कोई भी ज्ञात कारण नहीं रहा हो। बावजूद इसके कि टेस्टिक्यूलर कैंसर से पीड़ित किसी व्यक्ति में खतरे का कोई कारण हो, यह जानना सामान्यतः मुश्किल होता है कि उस खतरे के कारण ने उनकी बीमारी के विकास में कितना योगदान दिया।
  • अगर घर में किसी को यह कैंसर हो चुका है तो परिवार के अन्‍य लोग इसकी गिरफ्त में आ सकते हैं। यह एक आनुवांशिक बीमारी है।
  • जिनके गुप्‍तांगों का विकास नही हो पाता उनको भी टेस्टिकुलर कैंसर का खतरा होता है।
  • एचआईवी पॉजिटिव मरीजों को भी कैंसर का यह प्रकार हो सकता है।
  • डाउन सिंड्रोम या क्लिनफेल्‍टर सिंड्रोम ग्रस्‍त महिलाओं को भी हो सकता है।
  • यद्यपि टेस्टिक्यूलर कैंसर के कारणों को अच्छी तरह नहीं समझा जा सका है, बीमारी विकसित होने के जोख़िम से संबद्ध अनेक कारण हैं। इन कारणों में निम्न शामिल है:
कुछ ख़ास बचपन की बीमारियाँ जैसे अनवत्तीर्ण वृषण (undescended testicle) या शैशवकालीन हर्निया (infantile hernia)1,3टेस्टिक्यूलर कैंसर का पारिवारिक इतिहास होनाटेस्टिक्यूलर कैंसर का व्यक्तिगत इतिहास होना

Saturday, November 19, 2016

कैंसर क्या है ?, कैंसर के प्रकार -Types of cancer in Hindi,कैंसर कितने प्रकार का होता है,

 

कैंसर क्या है ?

कैंसर मानवीय सेलों की असामान्य बढ़त का परिणाम है। कैंसर के सेल सतत प्रक्रिया के अनुसार बढ़त करते रहते है। इन सेलों का आकार सामान्य सेलों से भिन्न होता है। ये ठीक से कार्य भी नहीं करते है। ये शरीर के विभिन्न अंगों में फैलने की प्रवृत रखते है।

जब कैंसर फैलता है तो उसे शरीर के उस भाग का नाम दिया जाता है जहां से वह प्रारंभ होता है उदाहरणार्थ यदि किडनी का कैंसर लंग्ज से फैलता है तो उसे किडनी कैंसर ही कहा जावेगा लंग्स कैंसर नहीं। सभी प्रकार के कैंसर शरीर में सेलों के द्वारा ही फैलाये जाते है। हर कैंसर में कैंसर सेलों की बढ़त की गति अनियंत्रित व तेज रफ्तार वाली होती है।

कैंसर एक ऐसा रोग है जो जवान बूढ़े व बच्चे सभी को अपनी गिरफ्त में ले लेता है। वह ना तो अमीरी देखता है न गरीबी, न आदमी देखता है न औरत। यह रोग मरीज पर और उसके परिवार पर मौत का साया लेकर आता है।

तम्बाकू का उपयोग विश्व स्तर पर कैंसर का एक बहुत बड़ा कारक है जिसके कारण विश्वभर में होने वाली मौतों में से 22% मौतें कैंसर से होती है

कैंसर के कारण:-

वैज्ञानिकों का मानना है कि कैंसर के लिये मात्र कोई एक कारण जिम्मेदार नहीं होता है। यह कई तत्वों के मिश्रण का परिणाम है जो कैंसर के रूप में उभरकर सामने आता है। इसके लिये जेनेटिक तत्व, वातावरणीय तत्व या संविधानात्मक विशेषताएँ या व्यक्तिगत कारण भी जिम्मेदार हो सकते है। यह रोग कई बीमारियों के समूह के रूप में होता है जिसके कई संभावित कारण हो सकते है जैसे लाईफ स्टाईल फेक्टर जैसे तम्बाकू का उपयोग, डाईट एवं फिजीकल क्रियाएँ कुछ प्रकार के इन्फेक्शन, विभिन्न प्रकार के रसायन और रेडिएशन भी इस रोग के महत्वपूर्ण कारणों में हो सकते है।
    • जेनेटिक्स एवं कैंसर:-कुछ प्रकार के कैंसर कुछ विशेष परिवारों में ही होते है किंतु कई कैंसर विरासत में माता-पिता या परिवार से नहीं मिलते है। 
    • तम्बाकू और कैंसर:-सिगरेट, सिगार या धुंआ रहित तम्बाकू का उपयोग जो विभिन्न समूहों के लोगों को प्रभावित करता है। 
    • डाईट एवं शारीरिक क्रियाएँ:-ये भी आपके शरीर में कैंसर को प्रश्रय प्रदान करती है। सूर्य की रोशनी:-अति सूर्य धूप का व उसकी किरणों का प्रभाव भी कैंसर का कारक हो सकता है। 
    • रेडिएशन के कारण कैंसर:-विभिन्न प्रकार के रेडिएशनों के कारण भी कैंसर का प्रार्दुभाव हमारे शरीर में हो सकता है जैसे बार-बार एक्सरे करवाना। 
    • पर्यावरणीय कारण:-जैसे प्रदूषण, मेडिकल टेस्ट व उपचार कई प्रकार के इन्फेक्शन व दुर्घटनाएँ भी कैंसर का कारण हो सकती है। 
    • भोजनगत कारण:-कैंसर के कारणों में हाॅट डाॅग्स, प्रोसेस्ड मीट, डाग हन्ट, फ्रेंच फ्राईज, चिप्स क्रेकर व कुकीज का अति सेवन भी कैंसर का कारण हो सकता है।
    विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि 70% कैंसर से बचाव का तरीका है अपने खानपान में परिवर्तन और जीवन शैली में परिवर्तन। रसायन, कास्मेटिक, दवाईयाँ आदि:-समय तो अच्छे लगते है किंतु दीर्घावधि तक उपयोग किये जाने के पश्चात ये कैंसर के रूप में अपना प्रभाव हम पर छोड़ जाते है। ये भी कैंसर के कारण हो सकते है।

    कैंसर के लक्षण 

    आवश्यक है कि हम अपने आप में आने वाले अवांछित बदलावों के प्रति जागरूक रहे। जैसे शरीर पर एकाएक किसी गठान का या फोड़े का होना, आपकी पेशाब में रक्त आना या आपकी आंतों की आदतों में परिवर्तन आदि। ये लक्षण बगैर कैंसर वाली बीमारियों के भी हो सकते है किंतु आवश्यक है कि आप अपने पारिवारिक डाॅक्टर को इन परिवर्तनों के बारे में बतलाएँ वे आपको सही जाँच के पश्चात सही राय व अपने विचार प्रदान कर सकेंगे।
    • आपकी छाती या स्तन भाग में आकृतिहीन पिण्ड का होना:-यदि आपने अपने वक्षस्थल पर ऐसी कोई आकृति देखी है या महसूस की है तो त्वरित रूप से बगैर शर्माये अपने पारिवारिक डाॅक्टर को दिखाएँ या आप अपने शरीर के किसी भाग में इस प्रकार की आकृति को शीघ्रता के साथ बढ़ते हुए महसूस कर रहे है तो अपने पारिवारिक डाॅक्टर को दिखाकर आवश्यक जाँचें करायें। यदि आवश्यक होगा या वे आप में कैंसर की संभावनाएँ देखते है तो विशेषज्ञों को दिखाने की राय देंगे।
    • कफ होना, सीने में दर्द होना और सांस लेने में कठिनाई होना:-यदि आप कफ जैसा लगभग तीन सप्ताह से महसूस कर रहे है या आपको ऐसे लक्षण प्रतीत हो रहे है जिससे आपको सांस लेने में कमी आ रही है या कठिनाई हो रही है या आपको सीने (छाती) में दर्द हो रहा है तो ये आपके लिये गंभीर स्थितियाँ पैदा कर सकती है। ऐसा होने पर सीधे अपने पारिवारिक डाॅक्टर के पास जाएँ, देर न कर
    • यदि कुछ दिनों या सप्ताह से आपकी आंतों की आदतों में परिवर्तन नजर आ रहा है 
    • जैसे:- आपके शौच के साथ रक्त का आना। 
    • डायरिया या कब्जियत जैसा अनुभव होना जो कि बिना किसी कारण के। 
    • या टायलेट जाने के बाद भी ऐसा महसूस होना कि आपको दस्त साफ नहीं हुआ है 
    • या पेट भरा-भरा सा है। आपके पेट में दर्द होना। गुदा में दर्द होना।
    तो आप तत्काल अपने पारिवारिक डाॅक्टर से संपर्क करें जो जाँच के पश्चात कैंसर होने की संभावना नजर आने पर विशेषज्ञों से जाँच की सलाह दे सकते है।

    रक्त का स्त्रावित होना:-

    यदि आपके शरीर से अचानक रक्त प्रवाह होना प्रारंभ हो जाए जैसे:-
    • आपकी पेशाब में रक्त आने लगे।
    • मासिक धर्म के दो पीरियड्स के मध्य में रक्त स्त्राव होेने लगे।
    • आपके पिछले गुदा द्वार से रक्त स्त्रावित होने लगे।
    • जब आप खांसते है तो कफ के साथ रक्त का आना।
    यदि आपको उल्टियाँ हो रही है व उसME  रक्त का आना आदि पर अपने निजी चिकित्सक को दिखाएँ व सलाह लें कि कहीं कैंसर तो नहीं यदि संभावना नजर आए तो विशेषज्ञ से जाँच कराएँ व उपचार लें।

    मस्से (Moles) यदि आपके शरीर पर अनियमित रूप से मस्से हो रहे है।

    • एक ही रंग के मस्सों का होना जैसे भूरे, काले, लाल, गुलाबी या सफेद हो सकते है। जो 7 mmसे बड़े हो (परिधि में)। उनमें खुजली चल रही हो या उनसे रक्त स्त्रावित हो रहा हो।
    • इनमें से यदि आप कोई भी परिवर्तन महसूस करते है तो निश्चय समझिये कि आपको मेलिगनेंट मेलानोमा या त्वचा कैंसर होने के आसार नजर आ रहे है। 
    • ऐसी दशा में तुरंत त्वचा संबंधी चिकित्सक से संपर्क कर मशविरा व उपचार लें।

    असंभावित रूप से वजन घटना:-

    यदि आप सप्ताह भर में अपना वजन कम होना महसूस करे या आपको कमजोरी जैसा अनुभव हो। यह वजन आपकी डाईट से कमी या तनाव के कारण कम नहीं होना चाहिये। ऐसी दशा में अपने चिकित्सक से तत्काल सलाह व उपचार लें। यह भी कैंसर का संकेत हो सकता है।

    कैंसर के प्रकार -Types of cancer in Hindi

    • ब्लड़ कैंसर –पेशाब में खून आना, पेशाब के बाद दर्द या जलन होना, बार-बार पेशाब आना या क्लाउज यूरिन होना आदि लक्षण यदि आप में है तो समझिये आपको ब्लड़र कैंसर की संभावना हो सकती है। विशेषज्ञ कुछ विशेष जाँचों के बाद आपको बता सकता है कि आपको उक्त कैंसर है या नहीं।
    • बोन कैंसर:-हड्डी में दर्द होना या प्रभावित साईड के आसपास सूजन होना, हड्डी में फ्रेक्चर या टूट-फूट, कमजोरी महसूस होना, मोटापा होना, वजन कम होना, बार-बार संक्रमणों का होना, कमजोरी उल्टी, कब्जियत, पेशाब की समस्या होना, कमजोरी या पैरों में दर्द या ऐंठन आदि लक्षण महसूस होने पर व्यक्ति को हड्डियों का (बोन कैंसर) होने की संभावना होती है।
    • ब्रेन कैंसर:-सुस्ती, आलस्य, असामान्य आँखों की गतिविधियाँ, दिखने में अंतर, कमजोरी महसूस होना, पैरों व हाथों के संचालन में कठिनाई, फिट्स आना, व्यक्तित्व में परिवर्तन, याददाश्त में परिवर्तन, सिरदर्द, नोसिया व उल्टी जैसा महसूस होना आदि लक्षण यदि मरीज महसूस करता है तो ये ब्रेन कैंसर के लक्षण हो सकते है।
    • ब्रेस्ट कैंसर:-छाती पर एक आकारहीन उभार, निप्पल के आकार में परिवर्तन, निप्पल से द्रव का रिसना, बे्रस्ट या स्तन की त्वचा में परिवर्तन गर्मी महसूस होना, बड़े हुए लिम्पथ नोड, भुजा के नीचे होना आदि लक्षणों के आधार पर कहा जा सकता है कि मरीज को ब्रेस्ट कैंसर की संभावना है।
    • कोलेरेक्टल कैंसर:-रेक्टल ब्लीडिंग दस्त में लाल खून आना या काले रंग के दस्त होना, पेट में दर्द होना, कब्जियत, अपच, डायरिया की दशाएँ बनना, वजन कम होना, भूख में कमी होना, काम्प्लेक्शन का होना आदि लक्षण आंत के कैंसर के हो सकते है जो विशेषज्ञों की जाँच के बाद स्पष्ट कर देगा कि कैंसर है अथवा नहीं।
    • किडनी कैंसर:-पेशाब में रक्त आना, साईड या पीछे की ओर दर्द या किडनी के क्षेत्र में गठान या फोड़ा या आकारहीन आकृतिहीन आकृति का बढ़ना, कभी-कभी उच्च रक्तचाप का होना या रेड ब्लड़ कार्पोसिल में असामान्यता आना है। इन लक्षणों के आधार पर जाँच के बाद कहा जा सकता है कि मरीज को किडनी कैंसर की संभावना हो सकती है।
    • ल्यूकेमिया:-कमजोरी, पीलापन, बुखार व फ्लू के समान लक्षण, रक्तस्त्राव, बड़े हुए लेम्प्थ नोड्स, लीवर व हड्डियों में दर्द, जोड़ों में दर्द, बार-बार संक्रमण का होना वेटलाॅस नाईट स्वेट्स आदि लक्षणों के आधार पर चिकित्सक ल्यूकेमिया होने की संभावना से इंकार नहीं कर सकता है।
    • लंग कैंसर:-महीनों से कफ रोग से पीडि़त होना, रक्त के रेशे वाला कफ निकलना, छाती या सीने में दर्द, लंग्स में काग्नेशन होना। गले में लिम्प्थ नोड्स का इलाज होना आदि लक्षण लंग कैंसर की संभावनाओं को दर्शाते है।
    • ओरल कैंसर:-मुँह में आकारहीन मांसल आकृति का उभरना, होंठ, जीभ या मुँह के अंदर के भाग में घाव का होना जो कई दिनों तक भरता नहीं, मुँह में दर्द, रक्तस्त्राव, सांस का गतिरोध, दाँतों का ढ़ीला होना या गिरना और बोलने में अंतर आना आदि लक्षण मुँह के या ओरल कैंसर के है। इनके होने पर ओरल कैंसर की संभावना हो सकती है।
    • आवेरियन कैंसर:-एव्डोमीनल स्वेलिग अर्थात पेट पर सूजन असामान्य रूप से योनि से स्त्राव, हाजमें में तकलीफ होना आदि लक्षणों से ओवेरियन कैंसर की संभावना हो सकती है।
    • पेनक्रिएटिक कैंसर:-एव्डोमिनल के ऊपरी भाग में दर्द, बेतहाशा भार में कमी, पीठ के मध्य में दर्द, फेटी फूड्स का मोह न छोड़ना, त्वचा का पीला होना, पेट में दर्द होना, लीवर का बढ़ना और तिल्ली का बढ़ना आदि लक्षण पेनक्रिएटिक कैंसर के है जिनके परिलक्षित होने पर इस कैंसर के होने की संभावना बढ़ जाती है।
    • प्रोस्टेट कैंसर:-पेशाब में तकलीफ जो कि यूरेथ्रा के छिद्र बन्द होने से होती है। ब्लड़र में पेशाब जमा होना, बार-बार पेशाब आने की अनुभूति होना, विशेषकर रात्रि में, ब्लड़र का पूर्णतः खाली न होना, पेशाब के समय जलन या दर्द। यूरिन के साथ रक्त आना, ब्लड़र पर सूजन होना पोल्वेस व पिछले भाग में धीमा-धीमा दर्द होना आदि लक्षणों के अवगत होने पर प्रोस्टेट कैंसर हो सकता है।
    • स्टमक कैंसर या पेट का कैंसर:-अपच, हृदय में जलन, पेट में दर्द, आरामहीन अवस्था या बैचेनी, घबराहट व उल्टी होना डायरिया या कब्जियत की शिकायत होना भोजन के पश्चात पेट में दर्द होना, भूख में कमी, कमजोरी, मोटापा, उल्टी जो खून के साथ होना, दस्त के साथ खून आना आदि लक्षणों के परिलक्षित होने पर पेट के कैंसर की संभावना बढ़ जाती है।
    • यूट्रायीन कैंसर:-असामान्य रूप से वेजायनल से रक्त स्त्राव होना, पानी मिले रक्त का बहना, यह लक्षण पोस्ट मेनोपाजुअल महिला में देखने को मिलता है, दर्द के साथ पेशाब का होना, संभोग के समय दर्द होना और पोल्वेक क्षेत्र में दर्द होना आदि लक्षण होने पर यूट्रायीन कैंसर की संभावना बढ़ जाती है।
    हर प्रकार का कैंसर अपने आप में अलग विशेषता लिये होता है जिसके कारण, लक्षण और उपचार के तरीके भी भिन्न होते है।

    B.D. Singh Cancer Advice Center
    215 B, Husenabad,Jaunpur, Uttar Pradesh 222002
    094506 22699


    Thursday, November 10, 2016

    रक्त का कैंसर (ल्यूकेमिया) Leukemia in Hindi,Blood Cancer in Hindi

     
    रक्त का कैंसर (ल्यूकेमिया) Leukemia in Hindi,Blood Cancer in Hindi
    ब्लड कैंसर में सामान्‍यत: रक्‍त सेल्‍स असामान्‍य तौर पर विकसित होते हैं , रक्‍त का कैंसर किसी भी उम्र में हो सकता है और इससे बचने के लिए आपको खून के कैंसर के बारे में जानकारी होनी चहिए। ब्‍लड कैंसर कई प्रकार का है और इसका ईलाज संभव है रक्‍त का कैंसर होने के बाद भी व्‍यक्‍ति सही चिकित्‍सा से सामान्‍य जीवन जी सकता है।
    श्वेतरक्तता है रक्त या अस्थि मज्जा का कर्कट रोग है। इसकी विशेषता रक्त कोशिकाओं, सामान्य रूप से श्वेत रक्त कोशिकाओं (श्वेत कोशिकाओं), का असामान्य बहुजनन (प्रजनन द्वारा उत्पादन) है। श्वेतरक्तता एक व्यापक शब्द है जिसमें रोगों की एक विस्तृत श्रेणी शामिल है। अन्य रूप में, यह रुधिरविज्ञान संबंधी अर्बुद के नाम से ज्ञात रोगों के समूह का भी एक व्यापक हिस्सा है।

    रक्त कैंसर के लक्षण 

    सामान्य अस्थि मज्जा कोशिकाओं को उच्च संख्याओं वाली अपरिपक्व श्वेत रक्त कोशिकाओं के द्वारा विस्थापित करने पर अस्थि मज्जा को होने वाले नुकसान से रक्त के थक्का बनने की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण रक्त बिम्बाणु में कमी आती है। इसका अर्थ है कि श्वेतरक्तता से पीड़ित लोगों को आसानी से खरोंच आ सकती है, उनका अत्यधिक रक्त स्राव हो सकता, या उन्हें पिन चुभने से भी रक्त स्राव हो सकता है।
    ब्लड कैंसर कोशिकाओं में उत्पवरिवर्तन के कारण शुरू होता है जो कि खून या अस्थि मज्जा (बोन मैरो) में होता है। यह खून में धीरे-धीरे फैलती है। रक्त कैंसर की ये कोशिकाएं समाप्त नहीं होती हैं, बल्कि और गंभीर हो जाती हैं। रक्त कैंसर के तीन प्रमुख रूप होते हैं : ल्यूकेमिया, लिम्फोमा और मल्टीपल मायलोमा। रक्त कैंसर किसी भी उम्र में हो सकता है लेकिन 30 साल के बाद रक्त कैंसर होने का खतरा ज्यादा होता है। ब्लड कैंसर होने पर हड्डियों और जोडों में दर्द होने लगता है। बुखार आना, चक्कार आना, बार-बार संक्रमण, रात को पसीना और वजन कम होना रक्त कैंसर के प्रमुख लक्षण हैं।

    रोगाणुओं के साथ लड़ने वाली श्वेत रक्त कोशिकाओं को दबाया जा सकता है या वे दुष्क्रियाशील बनाया जा सकता है। यह मरीज की प्रतिरक्षा प्रणाली को साधारण संक्रमण से लड़ने में असमर्थ कर सकता है या शारीर की अन्य कोशिकाओं पर हमला शुरू कर सकता है। चूंकि श्वेतरक्तता प्रतिरक्षा प्रणाली को सामान्य रूप से कम करने नहीं देता है, इसके कुछ मरीजों को अक्सर संक्रमण का सामना करना पड़ता है। यह गलतुण्डिका (टांसिल) संक्रमण, मुख में घाव या दस्त होने से लेकर प्राणघातक निमोनिया और समय-समय पर होने वाले संक्रमणों के रूप में हो सकता है।
    • बड़ों के मुकाबले बच्चों में यह बीमारी ज़्यादा दिखाई देती है। 
    • बीमारी के शुरुआती लक्षण तरह तरह की संक्रमण जैसे बुखार, खॉँसी, खून निकलना (नाक से खून निकलना बहुत आम है) और गिल्टियॉं हैं। 
    • बीमारी धीरे धीरे या तेज़ी से बढ़ सकती है। खून की जांच से इसका निदान हो सकता है।
    • खून की कोशिकाओं के तेज़ी से नष्ट होते जाने के कारण गंभीर अनीमिया भी हो जाता है। 
    • तिल्ली और लिवर सूज जाते हैं। रोगी के वजन घटता है। इस बीमारी का तुरंत अस्पताल में इलाज करवाया जाना ज़रूरी है। 
    • अगर समय से इलाज हो जाए तो कुछ रोगी ठीक भी हो जाते हैं। खून के कैंसर की इलाज के लिए कुछ दवाएं और खास तरह की किरणें उपयोगी होती हैं। 
    • जब किसी व्यक्ति को कैंसर रोग हो जाता है तो उस व्यक्ति के मलमूत्र की आदत में काफी अन्तर आ जाता है।
    • इस रोग के होने पर व्यक्ति को खांसी या गले में बार-बार घरघराहट होती रहती है।
    • इस रोग में रोगी के शरीर का वजन दिन-प्रतिदिन गिरने लगता है।
    • कैंसर रोग में स्त्रियों को मासिकधर्म में काफी अन्तर दिखाई देने लगता है तथा मासिकधर्म के बीच-बीच में रक्तस्राव भी होता है। वैसे देखा जाए तो हर बार मासिकधर्म में कुछ न कुछ रक्त जरूर ही निकलता है लेकिन कैंसर रोग होने पर रक्तस्राव तेज होने लगता है।
    • कैंसर रोग से पीड़ित रोगी को भूख कम लगने लगती है।
    • कैंसर के रोगी के शरीर में कहीं घाव हो जाता है तो उसका घाव जल्दी ठीक नहीं होता है।
    • कैंसर रोग में रोगी के स्तन या शरीर के किसी भाग में एक गांठ सी बन जाती है और यह गांठ दिन प्रतिदिन बढ़ने लगती है।
    • रोगी व्यक्ति जब मलत्याग (शौच करना) करता है तो उसके मल से कुछ मात्रा में खून  तथा मवाद भी निकलने लगता है।
    • कैंसर रोग से पीड़ित रोगी की त्वचा के रंग में कुछ परिवर्तन होने लगता है।
    • कैंसर रोग से पीड़ित रोगी को अपच की समस्या रहती है तथा उसे खाने को निगलने में कठिनाई होती है।

    कैंसर रोग होने का कारण

    • कैंसर रोग होने का सबसे प्रमुख कारण दूषित भोजन का सेवन करना है।
    • धूम्रपान करने से या धूम्रपान करने वाले के संग रहने से कैंसर रोग हो सकता है।
    • गुटका, पान मसाला, गुटका, शराब तथा तम्बाकू का सेवन करने से कैंसर रोग हो सकता है।
    • अधिक (श्रम) कार्य करना तथा आराम की कमी के कारण भी कैंसर रोग हो सकता है।
    • बासी भोजन, सड़ी-गली चीजें तथा बहुत समय से फ्रिज में रखे भोजन को खाने से कैंसर रोग हो सकता है
    • तेल, घी को कई बार गर्म करके सेवन करने से भी कैंसर रोग हो सकता है।
    • दांत, कान, आंख, मलद्वार, मूत्रद्वार तथा त्वचा की सफाई ठीक तरह से न करने के कारण भी कैंसर रोग हो सकता है
    • बारीक आटा, चावल, मैदा तथा रिफाइंड का अधिक सेवन करने के कारण भी कैंसर रोग हो सकता है।
    • गंदे पानी का सेवन करने के कारण भी कैंसर रोग हो सकता है।
    • एल्युमिनियम तथा प्लास्टिक के बर्तनों में अधिक भोजन करने के कारण कैंसर रोग हो सकता है।

    कैंसर रोग का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार

    कैंसर रोग से पीड़ित रोगी का उपचार करने के लिए सबसे पहले उसके शरीर पर स्थानीय उपचार करने के साथ-साथ पूरे शरीर का उपचार करना चाहिए ताकि उसका शरीर दोषमुक्त हो सके।
    • कैंसर रोग का उपचार करने के लिए रोगी व्यक्ति को नींबू के रस का पानी पीकर उपवास रखना चाहिए और इसके बाद कुछ दिनों तक केवल अंगूर का रस पीना चाहिए।
    • कैंसर रोग से पीड़ित रोगी यदि 6 महीने तक अंगूर का रस लगतार पीए तो उसे बहुत अधिक लाभ होता है।
    • इस रोग को ठीक करने के लिए कई प्रकार के फलों के रस हैं जिसे पीकर कुछ दिनों तक उपवास रखे तो कैंसर रोग ठीक हो सकता है ये रस इस प्रकार हैं- संतरे का रस, नारियल पानी, अनन्नास का रस, गाजर का रस, तुलसी के पत्तों का रस, दूब का रस, गेहूं के ज्वारे का रस, पालक का रस, टमाटर का रस, पत्तागोभी का रस, पुदीने का रस, खीरे का रस, लौकी का रस, पेठे का रस तथा हरी सब्जियों का रस।
    • इस रोग से पीड़ित रोगी को भोजन में बिना पके हुए खाद्य-पदार्थों का सेवन करना चाहिए जैसे-हरी सब्जियां, कच्चा नारियल पानी, अंकुरित अन्न, भीगी हुई किशमिश, मुनक्का, अंजीर तथा सभी प्रकार के मौसम के ताजा फल आदि।
    • कैंसर रोग से पीड़ित रोगी यदि प्रतिदिन 1 ग्राम हल्दी खाए तो उसका यह रोग ठीक हो जाता है।
    • 1 चम्मच तुलसी का रस तथा 1 चम्मच शहद को सुबह के समय चाटने से कैंसर रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।
    • नीम तथा तुलसी के 5-5 पत्ते प्रतिदिन खाने से कैंसर रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
    • गले के कैंसर को ठीक करने के लिए छोटी हरड़ का टुकड़ा दिन में 2 बार भोजन करने के बाद चूसने से बहुत अधिक लाभ मिलता है।
    • पेट पर गर्म ठण्डा सेंक करने के बाद मिट्टी की पट्टी करें तथा इसके बाद एनिमा क्रिया करें इससे कैंसर रोग में बहुत अधिक लाभ मिलता है। इस प्रकार से रोगी का उपचार करने के बाद रोगी को 5-10 मिनट तक कटिस्नान करना चाहिए। फिर सप्ताह में 2 बार शरीर की चादर लपेट तथा सप्ताह में एक बार पूरे शरीर पर भाप से स्नान करना चाहिए। इस प्रकार से रोगी व्यक्ति यदि अपना उपचार कुछ दिनों तक करता है तो कैंसर रोग ठीक होने लगता है।
    • कैंसर रोग से पीड़ित रोगी को थोड़े समय के लिए प्रतिदिन नंगे बदन धूप में अपने शरीर की सिंकाई करनी चाहिए। इससे रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है और उसका रोग ठीक होने लगता है।
    • रोगी के जिस अंग पर सूजन तथा दर्द हो रहा हो उस पर बर्फ के पानी की ठंडी पट्टी रखने से बहुत अधिक लाभ मिलता है।
    • कैंसर रोग से पीड़ित रोगी को खुली हवा में विश्राम करना चाहिए तथा मानसिक चिंता-फिक्र को दूर करना चाहिए।
    • कैंसर रोग का इलाज कराते समय रोगी व्यक्ति को मानसिक रूप से मजबूत होना चाहिए और फिर प्राकृतिक चिकित्सा से अपना उपचार कराना चाहिए।
    • गो-मूत्र का सेवन करने से कैंसर रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।

    कैंसर रोग से पीड़ित रोगी के लिए कुछ परहेज

    • इस रोग से पीड़ित रोगी को भूख से अधिक और गरम खाना नहीं खाना चाहिए।
    • इस रोग से पीड़ित रोगी को मांस नहीं खाना चाहिए।
    • भोजन को अधिक स्वादिष्ट बनाने के लिए उसमें तेज मसालों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
    • भोजन में सुगन्ध वाले पदार्थों का अधिक सेवन नहीं करना चाहिए।
    • इस रोग से पीड़ित रोगी को बहुत कम पानी पीना चाहिए।
    • रोगी व्यक्ति को चीनी अधिक का सेवन नहीं करना चाहिए।
    • कैंसर के रोगी को तम्बाकू, शराब, धूम्रपान तथा नशीली चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।
    • रोगी को चाय, कॉफी का सेवन बहुत ही कम मात्रा में करना चाहिए।
    • पेशाब तथा मल के वेग को नहीं रोकना चाहिए।
    • कैंसर रोग से पीड़ित रोगी के सम्पर्क में तारकोल, पिच, बैंजाइन, पाराफिन, कार्बोलिक एसिड तथा एनिलाइन और कजली को नहीं लाना चाहिए, क्योंकि ये पदार्थ रोगी के मुंह के रास्ते शरीर में प्रवेश कर जाते हैं जिसके कारण उसकी अवस्था और खराब हो सकती है

    Monday, September 05, 2016

    मेसोथेलियोमा कैंसर क्या है,? What is Mesothelioma Cancer in Hindi,

     
    मेसोथेलियोमा कैंसर क्या है। What is Mesothelioma Cancer
    मेसोथेलियोमा कैंसर क्या है। What is Mesothelioma Cancer

    Mesothelioma कैंसर है कि फेफड़े या पेट को कवर करने के ऊतकों में विकसित कर सकते हैं का एक प्रकार है। यह मेसोथेलियल कोशिकाओं का एक कैंसर है। इन कोशिकाओं को हमारे शरीर के आंतरिक अंगों के अधिकांश की बाहरी सतह को कवर, एक अस्तर कि mesothelium कहा जाता है

    मेसोथेलियोमा, अधिक स्पष्ट रूप से असाध्य मेसोथेलियोमा (Malignant Mesothelioma), एक दुर्लभ प्रकार का कैंसर है, जो शरीर के अनेक आंतरिक अंगों को ढंककर रखनेवाली सुरक्षात्मक परत, मेसोथेलियम, से उत्पन्न होता है। सामान्यतः यह बीमारी एस्बेस्टस के संपर्क से होती है।

    प्लुरा (फेफड़ों और सीने के आंतरिक भाग का बाह्य-आवरण) इस बीमारी का सबसे आम स्थान है, लेकिन यह पेरिटोनियम (पेट का आवरण), हृदय, पेरिकार्डियम (हृदय को घेरकर रखने वाला कवच) या ट्युनिका वेजाइनलिस (Tunica Vaginalis) में भी हो सकती है।

    मेसोथेलियोमा से ग्रस्त अधिकांश व्यक्ति या तो ऐसे स्थानों पर कार्यरत थे जहां श्वसन के दौरान एस्बेस्टस और कांच के कण उनके शरीर में प्रवेश कर गये या फिर वे अन्य तरीकों से एस्बेस्टस कणों और रेशों के संपर्क में आए. यह संभावना भी व्यक्त की जाती रही है कि एस्बेस्टस या कांच के साथ कार्य करने वाले किसी पारिवारिक सदस्य के कपड़े धोने के कारण भी किसी व्यक्ति में मेसोथेलियोमा विकसित होने का जोखिम उत्पन्न हो सकता है

    मेसोथेलियोमा होने के कारण

    क्या घातक फुफ्फुस Mesothelioma कारण हैं  अध्ययनों से पता चला है कि ज्यादातर लोगों को अनुबंध रोग जो नौकरियों में पिछले कार्य अनुभव किया है कि लगातार साँस लेना या अदह फाइबर या धूल के लिए जोखिम शामिल है. ऐसी नौकरी कर उन जोखिम पर भी रहे हैं,
    • महामारी-संबंधी अनेक अध्ययनों ने एस्बेस्टस के व्यावसायिक संपर्क को फेफड़ों के आवरण पर जमने वाले प्लाक, फेफड़ों के स्थूलन के बहाव, एस्बेस्टॉसिस, फेफड़ों और कंठनली के कैंसर, जठरांत्रीय ट्युमर और फेफड़ों के आवरण तथा उदरावरण के असाध्य मेसोथेलियोमा से जोड़ा है। एस्बेस्टस का प्रयोग अनेक औद्योगिक उत्पादों में बड़े पैमाने पर किया जाता रहा है, जिनमें सीमेंट ब्रेक लाइनिंग, गैस्केट, छतों के तख्ते, फर्श से जुड़े उत्पाद, टेक्सटाइल और इन्सुलेशन शामिल हैं।
    • मेसोथेलियोमा के विकास से जुड़ा हुआ माना जाता है। वस्तुतः एस्बेस्टस और मेसोथेलियोमा के बीच संबंध इतना अधिक गहरा है कि कई लोग मेसोथेलियोमा को एक "संकेत (singal)" या "पहरेदार (sentinel)" ट्युमर ही मानते हैं
    • अधिकांश मामलों में, एस्बेस्टस से संपर्क का इतिहास पाया जाता है। हालांकि, कुछ लोगों में एस्बेस्टस से किसी ज्ञात संपर्क के बिना भी मेसोथेलियोमा होने की जानकारी मिली है। दुर्लभ मामलों में, मेसोथेलियोमा को विकिरण चिकित्सा, इन्ट्राप्लुरल थोरियम डाइऑक्साइड (थोरोट्रास्ट) और अन्य रेशेदार सिलिकेट, जैसे एरियोनाइट, के अंतःश्वसन से जोड़कर भी देखा जाता रहा है। 
    • कुछ अध्ययन दर्शाते हैं कि सिमियन वाइरस एसवी40 (SV40) मेसोथेलियोमा के विकास में एक सहायक कारक के रूप में कार्य कर रहा हो सकता है।
    • यह पाया गया है कि जिन स्थानों पर एस्बेस्टस प्राकृतिक रूप से पाया जाता है, उनके आस-पास रहने वाले लोगों में मेसोथेलियोमा के मामले अधिक देखे जाते हैं

    सीने में Mesothelioma

    मेसोथेलियोमा में से लगभग तीन-चौथाई छाती (75%) में होते हैं। वे ऊतक के दो चादरें फुफ्फुस झिल्ली (या फुस्फुस) के रूप में जाना जाता है कि फेफड़ों को कवर में शुरू करते हैं। फुस्फुस के बीच की खाई को फुफ्फुस अंतरिक्ष कहा जाता है। फुस्फुस रेशेदार चादरों कि फेफड़ों की रक्षा करने में मदद कर रहे हैं। उन्होंने यह भी एक स्नेहन तरल पदार्थ को आसानी से एक दूसरे पर स्लाइड करने के लिए फुफ्फुस झिल्ली जब फेफड़ों का विस्तार और खंडन के रूप में हम सांस में मदद करता है कि उत्पादन। फुस्फुस का Mesothelioma फुफ्फुस mesothelioma कहा जाता है।

    फेफड़ों का आरेख फुस्फुस दिखा

    दिल (पेरीकार्डियम) को कवर करने के ऊतकों की चादर बहुत फुस्फुस के करीब है। तो कुछ लोगों में फुफ्फुस mesothelioma भी पेरीकार्डियम में फैल सकता है। चित्र के नीचे मेसोथेलियोमा के कारण और अधिक मोटा होना फुफ्फुस झिल्ली से पता चलता है।

    मेसोथेलियोमा के लक्षण

    मेसोथेलियोमा के लक्षण जहां कैंसर तब होता है के आधार पर बदलती फुफ्फुस मेसोथेलियोमा जो ऊतक है कि फेफड़े के चारों ओर प्रभावित करता है, संकेत और लक्षण है कि शामिल हो सकते हैं कारण बनता है।
    • सीने में दर्द
    • फेफड़ों से रिसाव, या फेफड़ों के चारों ओर द्रव जमना
    • सांस लेने में तकलीफ
    • थकान या रक्ताल्पता
    • घरघराहट, स्वर बैठना, या खांसी
    • खांसी के कारण निकलने वाले बलगम (द्रव) में रक्त आना (हीमोप्टाइसिस)
    गंभीर मामलों में, व्यक्ति के शरीर में ट्युमर भी बन सकता है। व्यक्ति में न्यूमोथोरैक्स, या फेफड़े द्वारा कार्य बंद कर देने, की स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है। रोग बढ़ सकता है और शरीर के अन्य भागों तक फैल सकता है।
    पेट को प्रभावित करने वाले ट्युमर सामान्यतः तब तक कोई लक्षण उत्पन्न नहीं करते, जब तक कि वे बहुत बाद वाले चरण तक न पहुंच जाएं. लक्षणों में शामिल हैं:

  • पेट दर्द
  • जलोदर या पेट में द्रव का असामान्य जमाव
  • पेट में कोई ढेर जमना
  • आंत के कार्यों में समस्या
  • वज़न घटाना
  • रोग के गंभीर मामलों में, निम्नलिखित संकेत व लक्षण मौजूद हो सकते हैं:
  • नसों में रक्त के थक्के जमना, जिनके कारण थ्रोम्बोफ्लेबाइटिस हो सकता है
  • डिसेमिनेटेड इन्ट्रावैस्क्युलर कोएग्युलेशन, एक समस्या जिसके कारण शरीर के अनेक अंगों में भीषण रक्त-स्राव होता है
  • पीलिया, अथवा आंखों और त्वचा में पीलापन
  • रक्त शर्करा के स्तर में कमी
  • फेफड़ों में रिसाव
  • पल्मनरी एम्बोली, या फेफड़ों की धमनियों में रक्त के थक्के बनना
  • गंभीर जलोदर
  • क्या घातक फुफ्फुस म Mesothelioma के लक्षण हैं  सांस की कमी, खाँसी और सीने में दर्द सबसे प्रमुख लक्षण हैं. फेफड़ों में द्रव का निर्माण है जो इस तरह के लक्षण पैदा करता है. वहाँ भी थकान, एनीमिया हो सकता है, घरघराहट, थूक में स्वर बैठना, या रक्त या तरल पदार्थ coughed आउट हो सकता है. अगर यह एक चरम मामले के लिए हो जाता है, ट्यूमर उपस्थित हो सकता है, और फेफड़ों के पतन के लिए या हालत के लिए शरीर के अन्य भागों में फैल कारण. संकेत और लक्षण आमतौर पर पचास साल के बाद से बीस एस्बेस्टोस करने के लिए जोखिम दिखाई देते हैं.

    मेसोथेलियोमा कैंसर का निदान

    एक निदान कैसे किया जाता है घातक फुफ्फुस mesothelioma जल्दी एक सीटी के माध्यम से देखा जा सकता है स्कैन या छाती का एक्सरे. एक बायोप्सी या सूक्ष्म परीक्षा सामान्य रूप से एक अनुवर्ती पुष्टि करने के लिए है कि स्थिति मौजूद है के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं.
    क्या उपचार के विकल्प क्या हैं  आप सर्जरी है, जो कैंसर हिस्सा है, रसायन चिकित्सा, जो दवाओं का उपयोग करने के लिए कैंसर से निपटने के काम को हटाने के द्वारा संचालित के लिए विकल्प चुन सकते हैं, और विकिरण चिकित्सा, जो उच्च ऊर्जा के साथ किरणों का उपयोग करता है लक्ष्य और कैंसर कोशिकाओं को मार. जब यह सर्जरी करने के लिए आता है,
    • शल्य-चिकित्सा
    • विकिरण
    • कीमोथेरपी
    • प्रतिरक्षा चिकित्सा
    • तापीय इंट्राऑपरेटिव इंट्रापेरिटोनियल कीमोथेरपी

    Monday, June 13, 2016

    अविश्‍वसनीय खोज! यह फल कुछ मिनट में ही ठीक कर देता है कैंसर,Fruit That Cures Cancer,

     
    कैंसर जैसी भयानक बीमारी की चपेट में आकर अब तक बहुत सारे लोग मौत की नींद सो चुके हैं। जागरूकता और सही समय पर इलाज की कमी के चलते लोग इस बीमारी को मात नहीं दे पा रहे लेकिन इन दिनों इंटरनेट पर एक खबर तेजी से वायरल हो रही है कि एक ऐसा फल खोजा गया है जो मिनटों में ही कैंसर का इलाज करने में सक्षम है। जंगली फल के बीज का सारा कमाल वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि उन्होंने कैंसर की प्राकृतिक दवा खोज ली है, जिसे मिनटों में इस बीमारी को मात मिलेंगी। 

    सोशल मीडिया में भी इस बात को लेकर काफी चर्चा हो रही है। कहा जा रहा है कि एक जंगली फल के बीजों में यह जादुई इलाज छिपा है। दरअसल, कैंसर की दवाइएं बनाने में जिस चीज का इस्तेमाल होता हैं, वह इस फल के बीजों में भरपूर मात्रा में पाई जाती है। आस्ट्रेलिया के जंगलों में है यह वृक्ष उत्तरी आस्ट्रेलिया के जंगलों में पाए जाने वाला यह पेड़ दुर्लभ वनस्पति हैं जो कुछ खास इलाकों में ही पाई जाती हैं। 

    दरअसल, वैज्ञानिकों को भी यह कैंसर की दवा इत्तेफाक से मिल गई है। आस्ट्रेलिया में किसी चीज का शोध करते वैज्ञानिकों ने देखा कि आस्ट्रेलियन ब्लशवुड नाम के एक जंगली पेड़ पर कुछ फल लगे हुए थे, जैसे ही जंगली जानवर इन फलों को खाते तो बीजों को तुरंत थूक देते थे। जानवरों के इन अजीब व्यवहार की जांच करने के लिए वैज्ञानिकों ने इन बीजो की जांच की और पाया कि इनमें कैंसर नष्ट करने वाले तत्व इतनी ज्यादा मात्रा में हैं कि इन्हें खाने से कैंसर कुछ ही मिनटों में ठीक हो सकता है

    एक जंगली फल के बीज का है ये कमाल 
    वैज्ञानिकों ने दावा किया है उन्‍होंने कैंसर की एक प्राकृतिक और जादुई दवा खोज ली है जिससे की ये रोग मिनटों में दूर हो जायेगा। इस बारे में सोशल नेटवर्किंग साइटस पर काफी चर्चा हो रही है।  कहा जा रहाहै कि ये चमत्‍कारी असर एक जंगली फल के बीजों में छुपा है। दरसल कैंसर दूर करने की दवाइयों में EVS-46 का इस्‍तेमाल होता है जो इस फल के बीजों में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
    इत्‍तेफाक से मिली दवा 
    सबसे खास बात ये है कि ये दवा कैंसर पर शोध कर रहे वैज्ञानिकों बिलकुल इत्‍तेफाक से मिल गयी। एक बार ऑस्‍ट्रेलिया में काम कर रहे शोध कर्ताओं ने देखा कि वहां एक ऑस्‍ट्रेलियन ब्‍लशवुड नाम के एक जंगली पेड़ पर कुछ फल लगे हैं और जंगली जानवर जैसे ही इस फल को खाते हैं बीजों को तुरंत थूक देते हैं। जानवरों के इस अजीब व्‍यवहार की जांच करने के लिए वैज्ञाानिकों ने इन बीजों की जांच की और पाया कि इन में कैंसर नष्‍ट करने वाले तत्‍व इतनी ज्‍यादा मात्रा में हैं कि इन्‍हें खाने से कैंसर कुछ मिनटों में ठीक हो सकता है। 

    ऑस्‍ट्रेलिया के जंगलों में होता है ये वृक्ष 
    कैंसर की इस रामबाण दवा के फलों वाला ये पेड़ उत्‍तरी ऑस्‍ट्रेलिया के जंगलों में होता है। ये एक रेयर वनस्‍पति है और वहां पर कुछ खाज इलाकों में ही पायी जाती है। यदि इसकी ये चमत्‍कारिक योग्‍यता प्रमाणित हो गयी तो निसंदेह ये अमूल्‍य हो जायेंगे।


    देखें वीडियो में .





    Monday, April 18, 2016

    मस्तिष्क कैंसर-Brain Tumor In Hindi,Metastatic Cancer,ब्रेन कैंसर के लक्षण,

     

    क्या है ब्रेन ट्यूमर

    मस्तिष्क कैंसर तब होता है जब मस्तिष्क की असामान्य कोशिकाएं अनियंत्रित ढंग से विकसित होने लगती हैं। मस्तिष्क शरीर की केंद्रीय तंत्रिका प्रणाली का हिस्सा है मस्तिष्क कैंसर जहाँ मस्तिष्क के ऊतकों में कैंसर कोशिकाओं (घातक) बड़े मस्तिष्क का एक रोग है। 

    कैंसर कोशिकाओं के कैंसर ऊतकों (ट्यूमर) कि मस्तिष्क ऊतक कार्यों जैसे मांसपेशी नियंत्रण, सनसनी, स्मृति, और अन्य सामान्य शरीर के कार्यों के साथ हस्तक्षेप के एक बड़े पैमाने पर के रूप में हो जाना। कैंसर कोशिकाओं का बना ट्यूमर घातक ट्यूमर कहा जाता हैं, और उन के noncancerous कोशिकाओं से बना सौम्य ट्यूमर कहा जाता है। कैंसर कोशिकाओं है कि मस्तिष्क के ऊतकों से विकसित प्राथमिक ब्रेन ट्यूमर कहा जाता है। सांख्यिकी सुझाव है कि मस्तिष्क कैंसर दुर्लभ नहीं है और प्रति वर्ष लगभग 20000 लोगों में विकसित होने की संभावना है.
      मस्तिष्क कैंसर के दो मुख्य प्रकार हैं। प्राथमिक मस्तिष्क कैंसर मस्तिष्क में शुरू होता है। Metastatic मस्तिष्क कैंसर शरीर में कहीं और शुरू होता है और मस्तिष्क को ले जाता है। ब्रेन ट्यूमर हो सकता है कोई कैंसर कोशिकाओं के साथ सौम्य या घातक, कि जल्दी से बढ़ती कैंसर कोशिकाओं के साथ. हालांकि ऐसी वृद्धि लोकप्रिय मस्तिष्क ट्यूमर कहा जाता है, नहीं सभी मस्तिष्क ट्यूमर कैंसर हैं। कैंसर के घातक ट्यूमर के लिए आरक्षित पद है. घातक ट्यूमर हो जाना और आक्रामक तरीके, उनके स्थान, रक्त और पोषक तत्व लेने के द्वारा स्वस्थ कोशिकाओं जोरदार फैल गया। (शरीर के सभी कोशिकाओं की तरह, ट्यूमर कोशिकाओं रक्त और जीवित रहने के लिए पोषक तत्वों की जरूरत है.

      शरीर में बननेवाले सेल्स कुछ समय बाद नष्ट हो जाते हैं और उनकी जगह नये सेल्स बन जाते हैं. यह एक साधारण प्रक्रिया है. जब यह प्रक्रिया बाधित हो जाती है, तो ट्यूमर सेल्स बनने लगते हैं. ट्यूमर कई कारणों से बन सकते हैं, जैसे- विशेष प्रकार के विषाणु के संक्रमण से, प्रदूषित पदार्थो का श्वसन के साथ शरीर में प्रवेश कर जाने से आदि. ये सेल्स इकट्ठे होकर टिश्यू बनाते हैं. ये सेल्स मरते नहीं हैं. समय के साथ ट्यूमर भी बढ़ता रहता है. ट्यूमर मस्तिष्क के जिस क्षेत्र में बनता है, उस क्षेत्र के कार्य करने की प्रक्रिया बाधित हो जाती है. यह किसी भी उम्र में हो सकता है. तीन से 15 वर्ष के बच्चों को हो सकता है. ज्यादातर 50 वर्ष के बाद होता है.

      मस्तिष्क कैंसर कितने प्रकार के होते हैं,

      ब्रेन ट्यूमर मामूली या घातक हो सकते हैं। उनका नाम उन कोशिकाओं पर रखा गया है जिनमें कैंसर सबसे पहले विकसित होता है। मामूली ब्रेन ट्यूमर का एक उदाहरण मेनिनजियोमा है
      सबसे आम घातक ब्रेन ट्यूमर ग्लियोमास कहलाता है
      इसमें एस्ट्रोसाइटोमा, ग्लियोब्लास्टोमा मल्टीफ़ॉर्म और ओलिगोडेंड्रोग्लियोमा शामिल हैं।

      मेलिग्नेंट ट्यूमर : इनमें कैंसर कोशिकाएं होती हैं. ये काफी संवेदनशील होते हैं. ये मस्तिष्क में काफी तेजी से बढते हैं. ये कोशिकाएं दिमाग के दूसरे हिस्सों और रीढ़ में भी फैल सकती हैं.

      बिनाइन ट्यूमर : ये नॉन कैंसरस होते हैं. इन्हें आसानी से निकाला जा सकता है, लेकिन इनके दोबारा होने का खतरा भी बना रहता है. बिनाइन ट्यूमर मस्तिष्क के दूसरे हिस्सों में नही फैलते हैं. कुछ मामले में बाद में यह मेलिग्नेंट ट्यूमर भी बन सकते हैं.

      मस्तिष्क कैंसर के क्या-क्या लक्षण होते हैं,Symptoms of Brain Tumor in Hindi,

      ब्रेन ट्यूमर किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन बढ़ते उम्र के साथ इसका जोखिम भी बढ़ जाता है. कई मामलों में तो यह आनुवांशिक कारण हो सकता है और कई बार किसी केमिकल के ज्यादा इस्तेमाल या रेडिएशन से हो सकता है. बहुत से लोगों को पता ही नहीं चलता है कि उन्हें ब्रेन ट्यूमर है
      मस्तिष्क कैंसर के लक्षण इस पर निर्भर करते हैं कि मस्तिष्क में ट्यूमर (गांठ) कहाँ स्थित है, ट्यूमर का आकार क्या है और यह कितनी तेज़ी से बढ़ रहा है। मस्तिष्क कैंसर के कुछ आम लक्षणों में निम्न शामिल हैं:
      • गंभीर सिरदर्द, जिसके साथ मितली और उल्टी हो सकती है या शायद न भी हो
      • शरीर के एक हिस्से में कमजोरी (हेमिपेरेसिस)
      • दौरे
      • सोच या व्यक्तित्व में परिवर्तन
      • अशांत दृष्टि या बोली
      • गतिविधि नियंत्रित करने में परेशानी (गतिविभ्रम
      • चक्कर आना
      • मानसिक व व्यक्तित्व बदलाव- मरीजों के स्वभाव संबंधी व्यवहार व व्यक्तित्व में बदलाव पाया जाता है। मरीज को बोलने में तकलीफ महसूस होती है व स्मरण शक्ति भी कम हो जाती है।
      • मास इफेक्ट- यह इंट्राक्रेनियल दबाव के बढऩे से होता है जिसके लक्षण हैं- उल्टी व जी मचलाना, चक्कर आना, दृष्टि, संबंधी तकलीफें, धुंधला दिखाई देना, नेत्रों संबंधी नस (पापिलेडेमा) में सूजन। 
      • यह लक्षण छोटे बच्चों में, उम्रदराज लोगों में व जिनमें धीरे-धीरे ट्यूमर बढ़ता है, आदि लोगों में पाए जाते हैं।
      न सिर्फ मस्तिष्क कैंसर बल्कि ऐसी अनेक स्थितियाँ हो सकती हैं जिनके कारण ये लक्षण हो सकते हैं। यदि आपको इनमें से किसी एक लक्षण का अनुभव हुआ है, तो यह महत्वपूर्ण है कि आप डॉक्टर के साथ इसकी चर्चा करें।

      मस्तिष्क कैंसर के खतरे के कारण क्या-क्या होते हैं

      सुबह-सुबह सिरदर्द होना एक महत्वपूर्ण चेतावनी संकेत है और इसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।  इंटराक्रेनियनल प्रेशर (आईआईसीपी) के लगातार बढ़ने से मस्तिष्क पर दबाव की मात्रा काफी बढ़ जाती है और इससे अत्यधिक तरल पैदा होता है, मस्तिष्क में सूजन आती है या एक गांठ बन जाती है, जो ब्रेन ट्यूमर का कारण हो सकता है।
      • खतरे का एक कारण, ऐसा कोई भी कारण होता है जो स्वास्थ्य संबंधी किसी विशेष स्थिति (बीमारी) जैसे कि मस्तिष्क कैंसर के होने की अधिक संभावना से जुड़ा हुआ होता है। 
      • खतरे के कारण विभिन्न प्रकार के होते हैं, इनमें से कुछ में सुधार या परिवर्तन लाया जा सकता है कुछ में नहीं। इस पर ध्यान देना चाहिए कि खतरे के एक या अधिक कारण होने का अर्थ यह नहीं कि व्यक्ति को मस्तिष्क कैंसर हो जाएगा। 
      • अनेक लोगों में खतरे का कम से कम एक कारण होता है लेकिन उन्हें कभी मस्तिष्क कैंसर नहीं होता, जबकि हो सकता है कि मस्तिष्क कैंसर से पीड़ित अन्य लोगों में खतरे का कोई भी ज्ञात कारण नहीं रहा हो। बावजूद इसके कि मस्तिष्क कैंसर से पीड़ित किसी व्यक्ति में खतरे का कोई कारण हो, यह जानना 
      • सामान्यतः मुश्किल होता है कि उस खतरे के कारण ने उनकी बीमारी के विकास में कितना योगदान दिया। यद्यपि मस्तिष्क कैंसर के कारणों को अच्छी तरह नहीं समझा जा सका है, 
      • बीमारी विकसित होने के जोख़िम से संबद्ध अनेक कारण हैं। इन कारणों में निम्न शामिल है: बढ़ती आयु
      • मस्तिष्क कैंसर का पारिवारिक इतिहास होना

      मस्तिष्क कैंसर की पहचान किस प्रकार की जाती है

      मस्तिष्क कैंसर के लक्ष्णों की पड़ताल करने और पहचान की पुष्टि के लिए अनेक परीक्षण (जाँच) किए जाएँगे। कुछ आम परीक्षणों में निम्न शामिल हैं:
      • शारीरिक जाँच
      • इमेजिंग जाँच जैसे कि कंप्यूटेड टोमोग्राफ़ी (computed tomography) (CT) स्कैन या मैग्नेटिक रेज़ॉनेन्स इमेजिंग (magnetic resonance imaging) (MRI)
      • माइक्रोस्कोप के द्वारा परीक्षण करने के लिए मस्तिष्क से ऊतकों का नमूना लेना (बायोप्सी)
      • ब्रेन कैंसर होने का अर्थ है कि आपके दिमाग में ट्यूमर लगातार बढ़ रहा है। ट्यूमर यानी दिमाग में बहुत सारी कोशिकाओं का अनियंत्रि‍त होना। ऐसे में कोशिकाओं को नियंत्रण लगातार बिगड़ता रहता है और कोशिकाओं का विभाजन असमान्य रूप से ब्रेन में होता रहता है। जो कि ब्रेन सेल्स को घातक नुकसान पहुंचा सकते हैं।
      • ब्रेन में अनियं‍त्रि‍त कोशिकाएं ब्रेन सेल्स के आसपास तेजी से फैलती है जो कि कैंसर का रूप धारण करती रहती हैं। जिसे शल्यि चिकित्सा द्वारा हटाना भी मुश्किल होता है।
      • कैंसर का पता लगाना बहुत मुश्किल होता है लेकिन ब्रेन कैंसर कई तरह का पाया गया है। इनमें से सबसे खतरनाक ब्रेन कैंसर ग्लिसयोमास पाया गया है।

      ब्रेन कैंसर को रोकने के उपाय

      • नींद पूरी लें। 
      • तनाव से दूर रहें। 
      • नशा, एल्कोहल इत्यादि ड्रग्स ना लें। 
      • नियमित रूप से व्या्याम करें। 
      • पौष्टिक और संतुलित आहार लें। 
      • जंकफूड से दूर रहें। 
      • पानी अधिक मात्रा में लें। 
      • अधिक से अधिक सक्रिय रहें।

      उपचार विकल्प,Treatment Brain

      कैंसर से पीड़ित लोगों के उपचार और देखभाल आमतौर पर बहु-विषयक टीम के नाम से जानी जाने वाली स्वास्थ्य पेशेवरों की एक टीम, द्वारा की जाती है।  मस्तिष्क कैंसर का उपचार बीमारी के चरण, लक्षणों की गंभीरता और व्यक्ति के सामान्य स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। उपचार में मस्तिष्क के प्रभावित हिस्से को निकालने हेतु सर्जरी शामिल हो सकती है, और कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए रेडियोथेरेपी और/या कीमोथेरेपी भी शामिल हो सकता है।
      मस्तिष्क कैंसर के लिए इलाज रोगी की आयु, रोग, प्रकार और ट्यूमर के स्थान की अवस्था पर निर्भर करता है और कि कैंसर है एक प्राथमिक ट्यूमर या मस्तिष्क metastases. ऑन्कोलॉजी टीम और रोगी द्वारा उपचार योजना विकसित की है। उपचार शल्य चिकित्सा, विकिरण और कीमोथेरेपी के किसी भी संयोजन शामिल है। कुछ ट्यूमर कई अलग शल्यचिकित्सा की प्रक्रियाओं की आवश्यकता होती है, और कुछ अकेले विकिरण के साथ इलाज किया जा सकता.

      इलाज शुरू होने से पहले, अधिकांश रोगी स्टेरॉयड, दवाओं है कि सूजन या सूजन को राहत दी जाती है। अपने को रोकने या दौरे का नियंत्रण करने के लिए anticonvulsant दवा प्राप्त हो सकता है। यदि जलशीर्ष मौजूद है, तो आप मस्तिष्कमेरु तरल निकास के लिए एक अलग धकेलना की आवश्यकता हो सकती। एक अलग धकेलना एक लंबी, पतली ट्यूब मस्तिष्क के निलय में रखा गया और फिर शरीर, आमतौर पर पेट के किसी अन्य भाग से त्वचा के नीचे पिरोया है। यह एक drainpipe की तरह काम करता है। अतिरिक्त तरल पदार्थ मस्तिष्क से दूर किया जाता है और पेट में लीन है। कुछ मामलों में, दिल में द्रव सूखा है.
      विभिन्न प्रकार के कैंसरों की पहचान और उपचार के नए तरीकों को खोजने के लिए शोध कार्य जारी है। मस्तिष्क कैंसर के इलाज के नए तरीकों को जाँचने के लिए कुछ लोगों को चिकित्सकीय जाँच में भागीदारी का प्रस्ताव दिया जा सकता है।

      Tuesday, March 29, 2016

      फेफड़े का कैंसर,Lung cancer in hindi,lung cancer stages,

       
      फेफड़े का कैंसर तब होता है जब एक या दोनों फेफड़ों में असामान्य कोशिकाएं अनियंत्रित ढंग से विकसित होने लगती हैं। फेफड़े शरीर की श्वसन प्रणाली का हिस्सा हैं। वे, श्वासनलियाँ और सूक्ष्मश्वासनलियाँ नामक वायुमार्ग की श्रृंखला से बने होते हैं जो वायुकोष्ठिका नामक छोटी-छोटी वायु थैलियों में समाप्त होते हैं

      फेफड़े के कैंसर कैंसर किस-किस प्रकार के होते हैं,types of lung cancer ,lung cancer types

      फेफड़े के कैंसर कई प्रकार के होते हैं, इनमें से प्रत्येक, फेफड़े की अलग कोशिका में प्रारंभ होता है।
      • लघु कोशिका कैंसर (Small cell carcinoma) (फेफड़े के कैंसर का 12% प्रतिशत) आमतौर पर केंद्रीय रूप से अवस्थित श्वासनलियों के सतह को ढकने वाली उपकला कोशिकाओं (epithelial cells) से प्रारंभ होता है
      • गैर-लघु कोशिका कैंसर (Non-small cell carcinoma) (फेफड़े के कैंसर का 60% से अधिक) में विभिन्न वर्गों के कैंसर होते हैं जो लघु कोशिका कैंसर (small cell carcinoma) के मुकाबले धीरे-धीरे विकसित होते और फैलते हैं। यह मुख्यतः श्वासनलियों और छोटे वायुमार्गों को ढकने वाली कोशिकाओं को प्रभावित करता है 
      • अन्य प्रकार, फेफड़े के कैंसर का लगभग 25% होते हैं

      फेफड़े के कैंसर के क्या-क्या लक्षण,lung cancer symptoms,smoking lung cancer

      • फेफड़े के कैंसर का हमेशा कोई लक्ष्ण नहीं होता है, और यह किसी अन्य बीमारी के लिए छाती के एक्स-रे के दौरान आकस्मिक रूप से पाया जा सकता है
      • फेफड़े के कैंसर के कुछ आम लक्षणों में निम्न शामिल हैं
      • खाँसी के दौरान बलगम में खून – यह हीमोप्टाइसिस कहलाता है
      • नई या परिवर्तित खाँसी
      • छाती और/या कंधे का दर्द या पीड़ा
      • हाँफना
      • कर्कशता
      • बिना किसी स्पष्टता के वजन में कमी/भूख में कमी
      • सीने में संक्रमण जो ख़त्म न हो रहा हो
      • फेफड़ों के कैंसर का सबसे महत्वपूर्ण लक्षणों में शामिल हैं: 
      • लगातार खांसी लाल या थूक के साथ रक्त अधिक से अधिक 3 सप्ताह की अवधि 
      • सीने में दर्द 
      • शारीरिक व्यायाम के साथ सांस और अक्सर घरघराहट 
      • छाती का आवर्तक संक्रमण 
      • रक्त वाहिकाओं पर ट्यूमर के दबाव के असर से चेहरे और गर्दन की सूजन, नसों में दर्द या उस तरफ हाथ में कमजोरी का कारणहो सकता है
      • कैंसर के प्रणालीगत प्रभाव से फेफड़ों के कैंसर के उन्नत रूपों के साथ वजन में कमी, थकान, भूख में कमी
      • फेफड़ों के एक विशेष समूह के लक्षण को "नियोप्लास्टिक सिन्ड्रोम" बुलाया जाता है, जिसमें कैंसर के साथ हो सकता है सोडियम असंतुलन और कभी कभी भी कोमा की विशेषता होती है। 
      इसी प्रकार अन्य लक्षणों में महिला सेक्स हार्मोन के असामान्य स्राव के कारण गायनिकोमेस्टिया का विकास, हड्डियों से कैल्शियम की हानि, आदि हार्मोन के असामान्य स्राव, शामिल हो सकते हैं।न सिर्फ फेफड़े का कैंसर बल्कि अनेक स्थितियाँ हो सकती हैं जिनके कारण ये लक्षण हो सकते हैं। यदि आपको इनमें से किसी एक लक्षण का अनुभव हुआ है, तो यह महत्वपूर्ण है कि आप डॉक्टर के साथ इसकी चर्चा करें।

      फेफड़े के कैंसर के खतरे के कारण,causes of lung cancer,what causes lung cancer

      खतरे का एक कारण, ऐसा कोई भी कारण होता है जो स्वास्थ्य संबंधी किसी विशेष स्थिति (बीमारी) जैसे कि फेफड़े का कैंसर आदि के, होने की अधिक संभावना से जुड़ा हुआ होता है। खतरे के कारण विभिन्न प्रकार के होते हें, इनमें से कुछ में सुधार या परिवर्तन लाया जा सकता है कुछ में नहीं

      इस पर ध्यान देना चाहिए कि खतरे के एक या अधिक कारण होने का अर्थ यह नहीं कि व्यक्ति को फेफड़े का कैंसर हो जाएगा। अनेक लोगों में खतरे का कम से कम एक कारण होता है लेकिन उन्हें कभी फेफड़े का कैंसर नहीं होता, जबकि हो सकता है कि फेफड़े के कैंसर से पीड़ित अन्य लोगों में खतरे का कोई भी ज्ञात कारण नहीं रहा हो। बावजूद इसके कि फेफड़े के कैंसर से पीड़ित किसी व्यक्ति में खतरे का कोई कारण हो, यह जानना सामान्यतः मुश्किल होता है कि उस खतरे के कारण ने उनकी बीमारी के विकास में कितना योगदान दिया।

      फेफड़े के कैंसर के कारणों को अच्छी तरह नहीं समझा जा सका है, बीमारी विकसित होने के जोख़िम से संबद्ध अनेक कारण हैं। इन कारणों में निम्न शामिल है:
      • तंबाकू का सेवन -ज्यादातर फेफड़ों का कैंसर उन लोगों को होता हैं जो तंबाकू का सेवन करते हैं। ये फेफड़ों के सैल को तोड़ देता हैं जिससे सैल असाधारण रूप से बढ़ने लगते हैं जो कैंसर की वजह बनते हैं।
      • एस्बेस्टोस  (asbestos)-एस्बेस्टोस एक पत्थर हैं जो इमारतों के लिए इस्तेमाल की जाती है। इससे निकलने वाले धुएं को अगर व्यक्ति सांस के दौरान अंदर ले जाता हैं तो फेफड़ों को प्रभावित करता है। इस लंग कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है। 
      • राडोन (radon)-यह मिट्टी से पैदा होने वाली बदबूदार गैसें हैं। इसके संपर्क में आने से लंग कैंसर होेने का खतरा बढ़ जाता है।
      • परिवेशी कारण जैसे कि निष्क्रिय (passive) धूम्रपान, रेडॉन एक्सपोज़र और व्यावसायिक एक्सपोज़र, जैसे कि एस्बेस्टस और डीज़ल एग्ज़्हौस्ट।
      • फेफड़े के कैंसर का पारिवारिक इतिहास होना
      • पूर्व में हुईं फेफड़े की बीमारियाँ जैसे कि लंग फ़ाइब्रोसिस, क्रॉनिक ब्रॉन्काइटिस, एम्फ़िसेमा, और पल्मोनरी ट्यूबरक्लोसिस।

      फेफड़े के कैंसर की पहचान,Signs Of Lung,signs of lung cancer,

      • फेफड़े के कैंसर के लक्ष्णों की पड़ताल करने और पहचान की पुष्टि के लिए अनेक परीक्षण (जाँच) किए जाएँगे। कुछ आम परीक्षणों में निम्न शामिल हैं:
      • शारीरिक जाँच
      • सीने का एक्स-रे
      • थूक नमूने की जाँच
      • फेफड़े और आसपास के अंगों की इमेजिंग, जिसमें सीने का एक्स-रे, कंप्यूटेड टोमोग्राफ़ी (computed tomography) (CT) स्कैन या मैग्नेटिक रेज़ॉनेन्स इमेजिंग (magnetic resonance imaging) (MRI) शामिल हो सकते हैं।4
      • ब्रोंकोस्कोपी का उपयोग करके फेफड़े के अंदर के हिस्सों की जाँच4
      • माइक्रोस्कोप के द्वारा परीक्षण करने के लिए फेफड़े से ऊतकों का नमूना लेना (बायोप्सी)4

      उपचार विकल्प,lung cancer treatment,lung cancer treatments,

      कैंसर से पीड़ित लोगों के उपचार और देखभाल आमतौर पर बहु-विषयक टीम के नाम से जानी जाने वाली स्वास्थ्य पेशेवरों की एक टीम, द्वारा की जाती है।

      फेफड़े के कैंसर का उपचार बीमारी के चरण और प्रकार, लक्षणों की गंभीरता और व्यक्ति के सामान्य स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। उपचार में फेफड़े के प्रभावित हिस्से को निकालने हेतु सर्जरी शामिल है। कभी-कभी रेडियोथेरेपी, कीमोथेरेपी या टार्गेटेड थेरेपीज़ का उपयोग कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए किया जा सकता है।

      विभिन्न प्रकार के कैंसरों के निदान और उपचार के नए तरीकों को खोजने के लिए शोध कार्य जारी है। फेफड़े के कैंसर के इलाज के नए तरीकों को जाँचने के लिए कुछ लोगों को चिकित्सकीय जाँच में भागदारी का प्रस्ताव दिया जा सकता है।

      Saturday, March 12, 2016

      कैंसर के लक्षण Cancer Symptoms in Hindi,

       

      कैंसर के लक्षण,कैंसर के प्रकार,Cancer Symptoms,cancer symptoms and treatment information in hindi,

      कैंसर एक घातक बीमारी है। लेकिनजीवनशैली में थोडी सी सावधानी बरती जाये तो इससे दूर भी रहा जा सकता है। अगर कैंसर के लक्षण समय रहते दिखने लगे तो जरूरी उपाय करके इससे बचा जा सकता है। कैंसर अपने पहले स्टेज में है तो आसानी से कीमोथेरेपी, लेजर थेरेपी और रेडियोथेरेपी द्वारा इसका इलाज कराया जा सकता है।

      कैंसर के प्रकार,Types of Cancer

      जैसे- मुंह का कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर, सर्वाइकल कैंसर, पेट का कैंसर, ब्रेन कैंसर आदि। लेकिन अगर इसके लक्षणों का पता नहीं चल पाता है तो आपके लिए कैंसर जानलेवा साबित हो सकता है। 

      कैंसर के बडे लक्षण,Large signs of cancer

      • पेशाब और शौच के समय आने वाला खून।
      • खून की कमी जिससे एनीमिया हो जाता है, थकान और कमजोरी महसूस करना, तेज बुखार आना और बुखार का ठीक न होना।
      • खांसी के दौरान खून का आना, लंबे समय तक कफ आना, कफ के साथ म्यूकस आना।
      • स्तन में गांठ, माहवारी के दौरान अधिक स्राव होना।
      • कुछ निगलने में दिक्कत होना, गले में किसी प्रकार का गांठ होना, शरीर के किसी भी भाग में गांठ
      • या सूजन होना।
      जीभ‬ के कैंसर के लक्षण

      जीभ के कैंसर आम तौर पर काफी आंदोलन की जीभ की कमी के लक्षण दिखाने से पहले होते हैं। वे स्पष्ट रूप से परिभाषित कर रहे हैं और आसानी से फैल गया वे सामान्यतः की जीभ के पक्षों पर पाए जाते हैं और leukoplakia नामक whitish पैच के रूप में प्रकट होते हैं। इन घावों आम तौर पर बड़े प्रस्तुति में 2 सेमी से कर रहे हैं। चोट भी करने के लिए एक मोटा साथ greenish-लाल और झबरा सलेटी सतह दिखाई दे सकते हैं।
      वहाँ साइट पर या कान में दर्द हो सकता है। जब तक वे आसपास के ढांचे को फैला है कि जीभ के आधार पर पाए जाते हैं वे आमतौर पर चुप हैं। जीभ के कैंसर आमतौर पर Squamous सेल कैंसर के प्रकार के हैं।

      Tonsillar‬ कैंसर के लक्षण

      Tonsillar के कैंसर भी कर रहे हैं आमतौर पर कैंसर के प्रकार के Squamous सेल। ये आमतौर पर lymphomas कर रहे हैं। ये गर्दन पर एक ट्यूमर के रूप में उपस्थित कर सकते हैं। वहाँ कान और कुछ गले में अटक की भावनाओं को खत्म की तरह गले में खराश, दर्द लक्षण हैं। वहाँ रक्तस्राव हो सकते हैं।

      ‪‎Buccal‬ mucous कैंसर के लक्षण

      गाल के अंदर की mucosal अस्तर के कैंसर, या buccal mucosal कैंसर, शुरू में आम तौर पर दर्द रहित होती है। जब यह ulcerated हो जाता है और आगे संक्रमित यह दर्दनाक बन जाता है। खून बह रहा है और चबाने में कठिनाई हो सकती है। वृद्धि अक्सर देखा जाता है।

      स्तन कैंसर के लक्षण,Breast Cancer Signs

      स्तन कैंसर-अधिक प्रसव व शिशु को स्तनपान न कराने से स्तन कैंसर होता है। डिंबग्रंथि (ओवरी) से

      उत्सर्जित हार्मोन भी इसको पैदा करते हैं।

      गर्भाशय का कैंसर के लक्षण,Symptoms of cervical cancer

      गर्भाशय का कैंसर छोटी उम्र में विवाह,अधिक प्रसव, संसर्ग के दौरान रोग, प्रसव के दौरान गर्भाशय में

      किसी प्रकार का घाव होना और वह ठीक होने से पहले गर्भधारण हो जाए तो 40 की उम्र के बाद गर्भाशय का कैंसर होने का खतरा रहता है। मीनोपॉज के बाद रक्तस्राव होना, और दुर्गंध आना, पैरों व कमर में दर्द रहना इसके लक्षण हैं।

      रक्त कैंसर के लक्षण,Blood Cancer Symptoms

      रक्त कैंसर (ल्यूकेमिआ) एक्सरे और विकिरण  प्रणाली से किरणें यदि शरीर के अन्दर प्रवेश कर जाएं

      तो अस्थियों को प्रभावित करती हैं, जिससे उसके अन्दर खून के सेल्स भी प्रभावित होते हैं। मुख से खून निकलना, जोड़ों व हडि्डयों में दर्द, बुखारा का लगातार कई दिनों तक बना रहना, डायरिया होना, प्लीहा व लसिका ग्रंथियों के आकार में वृद्धि होना, सांस लेने में दिक्कत होना इसके प्रमुख लक्षण हैं।

      मुख कैंसर के लक्षण,Symptoms of oral cancer


      मुख का कैंसर तंबाकू सेवन मुख व गले के कैंसर का मुख्य कारण है। मुख के भीतर कोई गांठ, घाव या पित्त बन जाना, मुंह में सफेद दाग, लार टपकना, बदबू आना, मुंह खोलने, बोलने व निगलने में

      दिक्कत होना इसके लक्षण हैं।

      लंग कैंसर के लक्षण,Lung Cancer Symptoms,what is lung cancer,lung cancer

      लंग कैंसर :हल्की निरंतर खांसी आना, खांसी के साथ खून आना, आवाज में बदलाव आना, सांस लेने में दिक्कत होना इसके लक्षण हैं। 

      आमाशय कैंसर के लक्षण,Stomach cancer symptoms

      आमाशय का कैंसर पेट में दर्द, भूख बहुत कम आना, कभी-कभी खून की उल्टी होना, खून की कमी। पतले दस्त, शौच के समय केवल खून निकलना, आंतों में गांठ की वजह से शौच न होना इसके प्रमुख

      लक्षण हैं।

      सर्वाइकल कैंसर के लक्षण,Cervical cancer symptoms

      सर्वाइकल कैंसर इसके फैलने के बाद रक्त-सामान या मलिन योनिक स्राव उत्पन्न करता है जो कि संभोग या असामान्य रक्त स्राव के बाद नजर आता है। सर्वाइकल कैंसर की प्रारंभिक अवस्थाएं पीडा, भूख की कमी, वजन का गिरना और अनीमिया उत्पन्न करती हैं।

      ब्रेन कैंसर के लक्षण,Brain Cancer Symptoms

      ब्रेन कैंसर ब्रेन कैंसर में मस्तिष्क या स्पाइनल कॉर्ड में गांठ होती है जिससे चक्कार आना, उल्टी होना, भूलना, सांस लेने में दिक्कत होना इसके प्रमुख लक्षण हैं।

      कैंसर और ट्यूमर शरीर के किसी भी भाग में सेल्स का लगातार बढ़ना ट्यूमर होता है  ट्यूमर दो तरीके के होते हैं बेनाइन और मैलिग्नेंट: बेनाइन ट्यूमर तबतक नहीं फैलता है जबतक कि यह किसी वाइटल

      आर्गन जैसे की दिमाग में ना हो मैलिगनैंट ट्यूमर कैंसर होते हैं मैलिगनैंट ट्यूमर जहां होता है वहां के

      आसपास या वहां से दूर भी फैल सकता है जैसे दिमाग में, हड्डियों में ,लिवर या फेफड़ों में ा कैंसर चाहे

      किसी भी प्रकार का हो वो जानलेवा भी हो सकता है

      cancer symptoms and treatment information in hindi

      कैंसर पुरूषों और स्त्रियों दोनों में ही हो सकता है कैंसर होने की अधिक सम्भावना 40 वर्ष से ऊपर के लोगोें में होती है और अकसर सिग्रेट, तम्बाकू या गुटका खाने वालों में होती है  कैंसर के लक्षण कैंसर के लक्षण इस बात पर भी निर्भर करते हैं कि कैंसर शरीर के किस भाग में हुआ है

      जैसे सर का या गले का कैंसर कैंसर के लक्षण मुंह का अल्सर गले में लगातार दर्द आवाज़ में बदलाव

      गले में सूजन निगलने में परेशानी होना कैंसर का पता करने के लिए क्लीनिकल टेस्ट होते हैं

      जैसे सी टी स्कैन ,एम आर आई , मैमोग्राफी  एक्स रे से भी कैंसर का पता लगााने में मदद मिलती है कैंसर का पता लगाने की एक नयी तकनीक है पीइटी स्कैन कैंसर को कन्फर्म करने के लिए शरीर का वो भाग जो प्रभावित होता है वहां से सूई की मदद से थोड़ा सा टिश्यू लिया जाता है और इस टेस्ट को बायोप्सी कहते हैं 

      कैंसर का इलाज कैसे करे,How to cure cancer


      कैंसर के इलाज को 3 भागों में बांटा गया है ,
      1-सर्जरी ,
      2-रेडियोथेरेपी
      3-कीमोथेरेपी
      तरह तरह के ट्यूमर की चिकित्सा के लिए तरह तरह की थेरेपी का प्रयोग होता है सर्जरी ,रेडियोथेरेपी और कीमोथेरेपी की मदद से कैंसर ठीक हो सकता है थेरेपी किस प्रकार की होनी चाहिए यह बात कैंसर की स्थिति पर निर्भर करती है.कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसका मरीज के सामान्य स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पडता है। इतना ही नहीं, कैंसर के इलाज के चलते मरीज के आहार पर भी बुरा असर पडता है। इलाज पूरी तरह असरदार हो, इसके लिए जरूरी है कि आहार में कुछ सावधानियां बरती जाएं।


      कैंसर के रोगियों की डाइट उनके स्वास्थ्य के हिसाब से कैसी होनी चाहिए, आइए जानिये। पोषण की कमी कैंसर कई तरह से मरीज के आहार पर बुरा प्रभाव डालती है। आम तौर पर कैंसर के मरीजों की भूख मिट जाती है।