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Saturday, July 13, 2019

मन्मथ रस के फायदे,Health Benefits of Manmath Ras in Hindi,

यौन दौर्बल्य और यौन व्याधियों दूर करने के लिए पौष्टिक पदार्थों का सेवन करने के साथ किसी भी उत्तम आयुर्वेदिक योग का सेवन अवश्य करना चाहिये एसे बहुत से नवविवाहित युवकों कीसंख्या बहुत अधिक है जो इसके लिए इलाज पूछते हैं  यह योग उन्हीं रोगियों के लिए है 
मन्मथ रस के सेवन से नपुंसकता, नामर्दी, शीघ्रपतन आदि नष्ट होकर काम-शक्ति की वृद्धि होती है। विलासी परूषों के लिए हमेशा स्तम्भक (बाजीकरण) संबंधी औषधीयों की तलाश में घूमते रहते हैं, उनके लिए यह बहुत काम की चीज है। बलवर्द्धक और रसायन भी है। शीघ्रपतन में यह रस उत्तम लाभ करता है। यह शुक्र विकार (वीय्र का पतलापन) दूर कर वीर्य को गाढ़ा कर देता है तथा बीजवाहिनी नाड़ियों में खून का संचार कर उसमे दृढ़ता उत्पन्न करता है। स्नायु दुर्बलता के कारण मानसिक अवसाद के कारण हुए ध्वजभंग दोष को मिटाने में भी यह अत्यन्त गुणकारी है।

मन्मथ रस के घटक द्रव्य :-
  • शुद्ध पारद व् शुद्ध गन्धक , चालीस -चालीस ग्राम , अभ्रक भस्म बीस ग्राम l शुद्ध कपूर , 
  • बंग भस्म और लौह भस्म -दस दस ग्राम l ताम्र भस्म पांच ग्राम l विधारा की जड़ , जीरा , विदारी कंद , 
  • शतावरी , ताल मखाना , बला की जड़ , कौंच के बीज शुद्ध किये हुए छिलका रहित बीज , 
  • अतीस , जावित्री , जायफल , लोंग , भांग के बीज , अजवायन , और 
  • सफ़ेद राल --ये सब तीन - तीन ग्राम
मन्मथ रस के निर्माण विधि :
भस्मों के साथ पारद व् गन्धक को खरल में डालकर इतनी देर तक घुटाई करें कि सब मिल कर एक जान हो जाएँ  विधारा की जड़ आदि सभी द्रव्यों को अलग - अलग कूट पीस छान कर खूब महीन चूर्ण कर लें और घुटी हुई भस्मों वाले मिश्रण में मिलाकर थोड़ी देर तक घुटाई करके सब द्रव्यों को एक जान कर लें और अंत में जल का छींटा मार कर फिर घुटाई करें और फिर दो - रत्ती वजन की गोलियां बना कर खूब अच्छी तरह सुखा कर शीशी में भर कर रख लें

मन्मथ रस के मात्रा और सेवन विधि :
एक गिलास दूध उबाल कर ,उतार कर हल्का ठण्डा करके इस मन्मथ रस की एक गोली सुबह खाली पेट लें इसी प्रकार एक गोली दूध के साथ रात को भोजन करने के दो घंटे बाद सोते समय लें
यदि रोगी मधुमेह का रोगी है तो वह इसे फीके दूध के साथ लें

मन्मथ रस का उपयोग
इस योग के सेवन से नपुंसकता ( नामर्दी ) यौनांग की शिथिलता , शीघ्रपतन , आदि व्याधियाँ दूर होती हैं पर्याप्त यौन शक्ति , वीर्य स्तम्भन शक्ति और यौनांग की कठोरता वाली स्थिति पुन: प्राप्त हो जाती है जो विलासी लोग अविवाहित जीवन में यौन क्रीडा करके और विवाहित जीवन में अति सहवास कर अपनी यौन शक्ति नष्ट कर चुके है उन्हें इस मन्मथ रस का सेवन तीन या चार महीने तक लगातार करना चाहिए 
विलासी पुरूष इस रस का सेवन नियमपूर्वक रात को सोने से एक घण्टा पहले दूध के साथ करके, स्त्री-प्रसंग करने से अपूर्व आन्नद मालूम होता है और किसी प्रकार का नुकसान भी नही होता। इसका नियमित लगातार कुछ अधिक समय तक सेवन करने से इन्द्रियों की शक्ति बढ़ती है।
  •  यौन ताकत की कमी
  • वीर्यवाहिनी नाड़ियों की कमजोरी
  • नपुंसकता (Impotence)
  • नामर्दी (Erectile Dysfunction)
  • शीघ्र पतन (Premature ejaculation/Early Discharge)
  • वीर्य का पतला होना
  • शरीर को पुष्ट बनाने तथा शक्ति बढ़ाने के लिए इस रसायन का प्रयोग किया जाता है। इसके सेवन से शुक्र बहुत जल्दी बनता है
  • शरीर में रक्त की वृद्धि हो, शरीर कान्तिवान और पुष्ट हो जाता है। 
  • स्त्रियों के श्वेत प्रदर, गर्भाशय की कमजोरी, बीज कोषों की स्थिलता आदि नष्ट होकर उन्हे स्वस्थ एवं गर्भ धारण योग्य बना देता है।

सेवन विधि और मात्रा Dosage of Manmath Ras

  • 1 गोली, दिन में दो बार, सुबह और शाम लें। इसे गाढ़े किये हुए दूध के साथ लें। इसे भोजन करने के बाद लें।

मन्मथ रस का महिलाओं को लाभ

महिलाओं के लिए भी यह समान उपयोगी है  इसके सेवन से श्वेत प्रदर रोग , गर्भाशय की कमजोरी , बीज कोशों ( ओवरीज ) की शिथिलता आदि नारी रोग दूर होते हैं और वें स्वस्थ बनी रहती है

यह दवा किसी आयुर्वेदिक स्टोर से भी खरीद सकते है 

NOTE-किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने चिकित्सक से अवश्य संपर्क करें

कामदेव घृत,Kamdev Ghrita in Hindi,

कामदेव घृत एक आयुर्वेदिक घृत या घी है। यह घी पुरुषों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है। इसके सेवन से शरीर में ताकत आती है। यह वाजीकारक है और यौन इच्छा को बढ़ाता है। इसका नियमित सेवन नाड़ियों की कमजोरी के कारण होने वाली नपुंसकता को दूर करता है। यह घी, स्पर्म संख्या की बढ़ोतरी में भी

सहयोग करता है। इसी प्रकार महिलाओं द्वारा इसका सेवन फर्टिलिटी को बढ़ाता है। यह घी पौष्टिक होने के साथ-साथ शरीर के भीतर की रूक्षता को दूर करता है और कब्ज़ से राहत देता है। यह पाचक और बस्ती को शुद्ध करता है। यह धातुक्षीणता को दूर करता है और शरीर को सबल बनता है। यह वज़न को बढ़ाता है और शरीर में शक्ति और कांति देता है।

कामदेव घृत के घटक 
  • अश्वगंधा, गोखरू, बरियार, गिलोय, सरिबन, विदारीकन्द, शतावर, सोंठ, गदहपूर्ण, पीपल की कोपल, गंभारी के फूल, कमलगट्टा, उडद, गाय का घी, गन्ने का रस, मेदा, महामेदा, जीवक, ऋषभक, काकोली, क्षीरकाकोली, ऋद्धि, वृद्धि कूठ, पद्माख, लाल चन्दन, तेजपात, छोटी पीपल, मुनक्का, केवांच बीज, नील कमल, नागकेशर, अनन्तमूल, बरियार, मिश्री

कामदेव घृत के लाभ

  • इसके सेवन से नसों की कमजोरी के कारण होने वाली नपुंसकता दूर होती है।
  • यह कम वज़न या दुबलेपन की समस्या को दूर करता है।  यह अत्यंत पौष्टिक है।
  • यह स्निग्ध है और आन्तरिक रूक्षता दूर करता है।
  • यह वज़न, कान्ति, और पाचन को बढ़ाता है।
  • यह कब्ज़ से राहत देता है।
  • यह दिमाग, नसों, मांस, आँखों, मलाशय आदि को शक्ति प्रदान करता है।
  • यह धातुओं को पुष्ट करता है।
  • यह पित्त विकार को दूर करता है।

कामदेव घृत के चिकित्सीय उपयोग 

कामदेव घी, पौष्टिक, बलवर्धक, रसायन है। यह उत्तम वाजीकारक है और यौन क्षमता में सुधार लाता है। यह शरीर में बढ़े पित्त को भी कम करता है। कमजोरी, कम वज़न, यौन इच्छा की कमी नसों की कमजोरी, नपुंसकता रक्त पित्त, वातरक्त वीर्य क्षय खून की कमी मूत्रकृच्छ पसली में दर्द

सेवन विधि और मात्रा

  • 6-12 gram दिन में दो बार, सुबह और शाम लें।
  • घी को बराबर मात्रा में मिश्री के साथ मिलाकर लें।
  • इसे दूध अथवा गर्म पानी के साथ लें। या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।


कृपया ध्यान दें, आयुर्वेदिक दवाओं की सटीक खुराक आयु, ताकत, पाचन शक्ति का रोगी, बीमारी और व्यक्तिगत दवाओं के गुणों की प्रकृति पर निर्भर करता है।

मोटापा, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, उच्च कोलेस्ट्रॉल में एहतियात के साथ इस दवा का उपयोग करना चाहिए।

यह दवा किसी आयुर्वेदिक स्टोर से भी खरीद सकते है 

NOTE-किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने चिकित्सक से अवश्य संपर्क करें

Thursday, May 11, 2017

स्तम्भन वटी,स्तम्भन शक्ति बढ़ाने के उपाय,Virya Stambhan Vati in Hindi,

विवाहित पुरुषों के लिए पलंग तोड़ घरेलू इलाज
व्यक्ति यौन शक्ति में कमी महशूश करते है फिर चाहे वो युवा हो या फिर प्रौढ़ या ये व्यक्ति जो अपनी आत्म शक्ति नहीं रखते हो , या अपनी योनांग में ठीठीलता की कमी मह्सुश करते हो और साथ ही साथ ज्यादातर उत्साह में कमी मह्सुश करते हों ऐसे व्यक्तियों को अपने समय का कुछ भाग बचा कर अपना ध्यान यौन के विषय से हटाकर मानसिक रूप से इस विषय में तटस्थं के साथ नियंत्रण में रह कर स्तम्भ वीर्य वटी के नुश्खे का इस्तेमाल करें
यौन शक्ति का कम होना भी एक मानसिक बिमारी ही है इसमे कई कारण हो सकते है,जिस प्रकार से आजकल वातावरण बन रहा है जिसमे ये कारण विशेष है जैसे- अनियमित दिनचर्या, अनुचित आहार-विहार, कामुक मानसिकता, अप्राकृतिक यौनक्रिडा, हस्त मैथून, पोषक आहार का अभाव, अश्लील वातावरण, आदि कारणो और मानसिक रुग्णता के कारण युवक अपनी यौनशक्ति को खो बैठते है

इस नुस्खे की जो बड़ी विशेषता है इसमें किसी भी तरह के मादक द्रव्य की मिलावट नही होने के कारणः यह शीघ्र पतन रोग नष्ट करके ज्यादा से ज्यादा यौन क्षमता को उभारता है

स्तम्भन वटी द्रव्य -
  • कस्तूरी व् सोने के वर्क १-१ ग्राम
  • चांदी के वर्क, इलायची, जुन्दे बेदस्तर १० -१० ग्राम
  • नरकचूर, दुरुनाज अकबरी, बहमन सफेद जटामांसी, लौंग, तेजपात ६-६ ग्राम, पीपल और सोंठ ३-३ ग्राम

स्तम्भन वटी निर्माण विधि
  • जुन्देबेदस्तर को शहद मे घोंट ले, फिर क्रमश तीनो वर्क और शेष द्रव्यों का कुटा- पीसा महीन चूर्ण मिला ले तथा शहद मिलते हुए तीन घंटे तक खरल में अच्छी तरह घोटे लगाये, 
  • फिर इन सबको मिलाकर आधा - आधा ग्राम की गोलियाँ बनाकर छाया में सुखा ले, सुबह- शाम २ - २ गोलियाँ शहद के साथ ले व् ऊपर से दूध पी लें |

 स्तम्भन वटी के लाभ
  • यह वटी बाजीकारक नुस्खों में उत्तम और संतोष व लाभ करने वाली औषधि है 
  • यह पाचन - क्रिया को बलवान बनाती है और जहाँ हमारे शरीर के रस आदि सातों धातुओं को पुष्ट करके शरीर को शक्ति शाली बनाता है और 
  • जो हमारी यौनांग की कमजोरी को भी शक्तिशाली बनाता है और शरीर को कठोरता प्रदान करता है निर्बलता को नष्ट करता है यौन शक्ति प्रदान करता है सबसे अच्छी बात तो ये है 
  • जो विवाहित पौरुष होते है अपनी इच्छा शक्ति को खो बैठे है उनके लिए ये बड़ा ही खुश होने वाली बात है की उनको उचित पौरुष बल पर्याप्त हो सकता है साथ ही साथ उचित आहार - विहार पर ध्यान दे , ज्यादा से ज्यादा फल और दूध का सेवन करे। 
  • और कम से कम ४० दिनों तक शोधन वटी ' १ - १ गोली के साथ इस 'वीर्य स्तम्भ वटी' का सेवन करना चाहिए ये दोनों दवाइयाँ हम बनी हुई बाजार से ले सकते है
  • इसके अलावा आप सफ़ेद मुस्ली , अश्वगंधा और फिर सतावर से तैयार मिश्रण का भी सहारा ले सकते है औषधि की मात्रा किसी चिकित्सक से सलाह लेकर ही करे क्योकि दवा की कम और अधिक मात्रा दोनों ही लाभ नहीं पहुँचाती है. 
 व्यास विर्या स्तम्भन वाटी: विरस्थंभान वाटी अकालीपूर्व एजेक्यूलेशन के लिए एक अद्वितीय आयुर्वेदिक अवधारणा है। यह समय से पहले स्खलन, बढ़ाने में उपयोगी है।

मात्रा एवम सेवन विधि
 
                         1-- 1 गोली सुबह शाम मीठे गुनगुने दुध के साथ सेवन करे

यह दवा विवाहित युवको के लिये ही है, जिनका विवाह नही हुआ है ऐसे नवयुवको को यौनवर्धक औषधियो का सेवन नही करना चाहिये


यह दवा किसी आयुर्वेदिक स्टोर से भी खरीद सकते है 

NOTE-किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने चिकित्सक से अवश्य संपर्क करें

Friday, January 22, 2016

आयुर्वेदिक दवाइयाँ और उनका उपयोग

1. चंद्रप्रभा वटी 

यह मूत्र रोगों पर और यौन रोगों पर विशेष असर दिखाती है.
बार बार पेशाब को जाना, पेशाब में शक्कर का जाना,
स्त्री को सफ़ेद पानी का जाना, मासिक धर्म की अनियमितताए,
पुरुषो को पेशाब में धातु जाने की समस्या,
पेशाब में जलन होना ऐसे अनेक विकारो पर यह दवा काम करती है.

यह स्नायु और हड्डी को भी मजबूती प्रदान करती है. इसलिए इसका प्रयोग कमजोरी में भी करते है.

इसकी १-१ गोली सुबह शाम नाश्ते या भोजन के बाद पानीसे ले. इसे शहद से या दूध से भी ले सकते है. गोली को दात से तोड़े फिर निगले या पहले ही तोड़कर फिर निगले.
2. योगराज गुग्गुलु

इस दवा का प्रयोग स्नायुओ को मजबूती प्रदान करता है. बुढ़ापे की व्याधियो जैसे पैर की पिंडलियों में दर्द होना, घुटनों में दर्द होना वगैराह उसमे यह दवा अच्छा असर दिखाती है.
इसकी १-१ गोली सुबह शाम नाश्ते या भोजन के बाद पानीसे ले. इसे शहद से या दूध से भी ले सकते है. गोली को दात से तोड़े फिर निगले या पहले ही तोड़कर फिर निगले.

3. त्रयोदशांग गुग्गुलु 

यह वात विकारो की एक जबरदस्त दवा है. इसके प्रयोग से लकवे (पक्षाघात) में अद्भुत लाभ होता है. लकवा होने के बाद जितने जल्दी इसे प्रयोग में लाया जायेगा लाभ उतना ही जल्द होंगा. यदि लकवा होने के बाद बहोत समय बीत गया है तो एक लम्बे काल के लिए इस दवा का नियमित सेवन करना होगा.सर्वाइकल स्पोंडीलायटिस में भी यह अच्छा काम करती है.

इसकी १-१ गोली सुबह शाम नाश्ते या भोजन के बाद पानीसे ले. इसे शहद से या दूध से भी ले सकते है. गोली को दात से तोड़े फिर निगले या पहले ही तोड़कर फिर निगले.

4. सितोपलादी चूर्ण
यह खासी की एक जबरदस्त दवा है. सूखी खासी पर इसे जादू की तरह काम करते हुए देखा गया है. एक चौथाई चम्मच चूर्ण शहद के साथ एक दिन में ३-४ बार ले सकते है.

5. हरिद्रा खंड

यह खुजली की एक जबरदस्त दवा है. शीत पित्त में भी इसे किसी जादू की तरह काम करते हुए देखा है. इसे आधा चम्मच रोजाना पानीसे तीन बार ले सकते है.

यह दवा किसी आयुर्वेदिक स्टोर से भी खरीद सकते है 

NOTE-किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने चिकित्सक से अवश्य संपर्क करें

Wednesday, January 20, 2016

आयुर्वेदिक दवाइयाँ ,आयुर्वेदिक औषधियां के नाम,

यह दवा किसी आयुर्वेदिक स्टोर से भी खरीद सकते है 

NOTE-किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने चिकित्सक से अवश्य संपर्क करें
क्र. नाम उपयोग खुराक कितने दिनों तक
आंनद - भैरव रस तीन दोषों को शांत करता है, दस्त रोकता है १ गोली २ दिन
आरोग्य - वर्धिनी पाचक, भूख बढ़ाने वाला, लिवर का टॉनिक २५० मि.ग्रा. की २ गोली १-२ हफ्ते २ दिन
आर्शोघन वटी बवासीर २ गोली २ दिन; २ हफ्ते
आविपात्तिकर चूर्ण अम्लता ०.५ ग्राम २ दिन ; जैसी ज़रूरत हो
आमला चूर्ण वटी अम्लता, भूख बढ़ाने के लिए, पाचक ०.५ ग्राम २ दिन
अर्जुन वटी दिल को मजबूत करने के लिए ०.५ ग्राम २ दिन
बला तेल योनिशोथ में लगाने के लिए और मालिश के लिए
बाल - चतुर - भद्र बच्चों में खॉंसी, जुकाम, बुखार ०.५ ग्राम २ दिन
गंधर्व हरितकी चूर्ण विरेचक ०.५ ग्राम सोने से पहले
१० चंद्र प्रभा वटी
११ डाबुराहर लेप त्वचा पर फंफूद की छूत के लिए
१२ एकांगा - वीर वात की बीमारियों के लिए १ गोली २ दिन
१३ गैरिक घी मुँह में छालों के लिए छालों पर लगाएं
१४ गंधर्व - हरितकी विरेचक ०.५ ग्राम सोने से पहले
१५ हींगुआ - आष्टक चूर्ण प्रति आध्मान, पाचक ०.५ ग्राम खाना खाते समय
१६ इरिमेदादी थैला दांत के दर्द और मुँह में छालों के लिए छालों पर लगाएं
१७ कांचनार गुगुल सूजन और ग्रंथी में उपयोगी ०.५ ग्राम २ दिन
१८ खादिरादी वटी मुँह में छाले होने पर १ गोली दिन (चबाएं)
१९ कृमि कुठार कीड़े मार देता है
२० कुमारी आसव पाचक और लिवर का टॉनिक १० से २० मिली लीटर २ दिन
२१ कुरंज -घन वटी / अरिष्ठा / आवलेहा पेचिश १ गोली २ दिन 
१० से २० मिली लीटर २ दिन
२२ लवणभास्कर चूर्ण आधमान, अपचन ०.५ ग्राम २ दिन
२३ लवंगादी वटी खॉंसी और जुकाम १ गोली २ दिन
२४ महा - मरिचयादी थैला पामा, शीतपित्त या पित्त बाह्य उपयोग के लिए
२५ महा - योगाराज गुगुल जोड़ों के दर्द और गठिया के लिए २ गोली
२६ नागकेशर वटी खून बहने की प्रवृति ०.५ ग्राम २ दिन
२७ नवायास चूर्ण अनीमिया ०.५ ग्राम २ दिन
२८ परवल भस्म अम्लता १२५ मिलीग्राम २ दिन
२९ पुनर्नवा - मंडूर / पुनर्नवा - आसव प्रतिशोथ, खून का टॉनिक, द्रवीय एडीमा १ गोली २ दिन
३० राला मल्हम तलवों के फटने पर
३१ सहाचर थैला वात बीमारियों के लिए लगाएं
३२ राज: - प्रवर्तीनी कृच्छार्तव १ गोली २ दिन
३३ संशमनी वटी चिरकारी बुखार २ गोली २ दिन
३४ स्वास - कुठार दमा, खासकर कफ वाला ०.५ ग्राम २ दिन
३५ सुधा गुगुल वटी जोड़ों के दर्द, वात बीमारियों के लिए २ गोली २ दिन
३६ सुदर्शन घन वटी मलेरिया और अन्य बुखार २ गोली २ दिन
३७ सूथ शेखर अम्लता, पेट में जलन १ गोली २ दिन
३८ तिक्तक घी पेट साफ करने के लिए और त्वचा के रोगों के लिए १ चम्मच २ दिन
३९ त्रिभुवन - कीर्ति बुखार, जुकाम १ गोली २ दिन
४० त्रिकटू चूर्ण खॉंसी और जुकाम खॉंसी, जुकाम १ गोली २ दिन
४१ वसा आवालेहा खॉंसी की तकलीफ ५ ग्राम २ दिन
४२ विडंगारिष्ट कीड़ों के लिए १० मिली लीटर २ दिन
४३ वोमिताब मिचली और उल्टी १ गोली
२ दिन