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Sunday, January 22, 2023

दाद और खुजली का घरेलु उपचार,Fungal Infection In Hindi

Fungal Infection In Hindi,Ayurvedic Treatment for Fungal infection of skin in hindi

अगर आपको शरीर पर लाल धब्बे दीखते हैं और खुजली होती है तो सावधान हो जाइए ये दाद है अगर ये आपके नाख़ून पर हुआ तो आपका नाख़ून जड़ से निकल सकता है बालों की जड़ो मे हुआ तो आपके बाल उस जगह से झड़ सकते हैं।
    • टमाटर खट्टा होता है। इसकी खटाई खून को साफ करती है। नींबू में इसी तरह के गुण होते हैं। रक्तशोधन (खून साफ करना) के लिए टमाटर को अकेले ही खाना चाहिए। रक्तदोष (खून की खराबी) से त्वचा पर जब लाल चकत्ते उठे हों, मुंह की हडि्डयां सूज गई हो, दांतों से खून निकल रहा हो, दाद या बेरी-बेरी रोग हो तो टमाटर का रस दिन में 3-4 बार पीने से लाभ होता है। कुछ सप्ताह तक रोजाना टमाटर का रस पीने से चर्मरोग (त्वचा के रोग) ठीक हो जाते हैं।
    • अंजीर का दूध लगाने से दाद मिट जाते हैं। पके केले के गूदे में नींबू का रस मिलाकर लगाने से दाद, खाज, खुजली और छाजन आदि रोगों में लाभ होता है। इन्फेक्शन हुआ हो तो ये एक बहुत बेहतरीन तरीका है। छोटे छोटे राई के दाने दाद को ठीक करने में सहायक है। राई को 30 मिनट तक पानी में भिगो कर रख दें। फिर उसका पेस्ट बनाकर दाद की जगह पर लगा लें।
    • एलो वेरा का अर्क हर तरह के फंगल इन्फेक्शन को ठीक कर देता हैं । इसे तोड़कर सीधे दाद पर लगा लीजिये ठंडक मिलेगी। हो सके तो रात भर लगा कर रखें । एलो वेरा का नियमित सेवन करने और प्रभावित स्थान पर लगाने से दाद और खुजली में बहुत आराम मिलता हैं।
        • नीम के पत्तों को पानी में उबालकर स्नान करना चाहिये। काले चनों को पानी में पीस कर दाद पर लगायें। दाद में आराम आएगा। शरीर के जिन स्थानों पर दाद हों, वहां बड़ी हरड़ को सिरके में घिसकर लगाएं। छिलकेवाली मूंग की दाल को पीसकर इसका लेप दाद पर लगाएं।
        • दाद होने पर हींग को पानी में घिस कर नियमित प्रभावित स्थान पर लगाये। इस से दाद में आशातीत आराम मिलता हैं। नौसादर को नींबू के रस में पीसकर दाद में कुछ दिनों तक लगाने से दाद दूर हो जाता है। नाइलान व सिंथेटिक वस्त्रों की जगह सूती वस्त्रों का प्रयोग करें तथा अधोवस्त्र को हमेशा साफ सुथरा रखें।
        • खुजली एक विशेष प्रकार के सूक्ष्म परजीवी के त्वचा पर चिपक कर खून चूसने से उस जगह पर छाले व फुंसियां निकल आती है। इससे अत्यधिक खुजली पैदा होती है। खुजली एक ऐसा चर्म रोग है जो आनंद देता है खुजाने में। जब तब त्वचा जलने न लगे तब तक खुजलाहट शांत नहीं होती। इस रोग में सबसे अधिक शरीर की सफाई पर ध्यान देना चाहिये। चूंकि यह रोग एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक शीघ्र पहुंचाता है इसलिय संक्रमित के कपड़े अलग रखकर उनकी गरम पानी से धुलाई करनी चाहिये। इसके उपचार हैं
        • आंवले की गुठली जलाकर उसकी भस्म में नारियल का तेल मिलाकर मलहम बनायें और खुजली वाले स्थान पर लगाने से खुजली दूर होती है। नीम की पत्तियों को गरम पानी में उबालकर खुजली वाले स्थान पर लगायें। काली मिर्च एवं गंधक को घी में मिलाकर शरीर पर लगाने से खुजली दूर होती है।
        • टमाटर का रस एक चम्मच, नारियल का तेल दो चम्मच मिलाकर मालिश करें और उसके आधे घंटे बाद स्नान करें। खुजली में राहत मिलेगी। स्वमूत्र चिकित्सा से भी इसका लाभप्रद इलाज होता है। छ: दिन का पुराना स्वमूत्र दाद खुजली पर लगाने से और स्वमूत्र की पट्टी रखने से चमत्कारी लाभ मिलता है।
        • उपरोक्त दाद वाले इलाज खुजली में भी उतनी ही उपयोगी हैं जितने दाद में। बच्चो को पहनाये जाने वाले डाइपर बहुत हानिकारक होते हैं, जहाँ तक हो सके उन से परहेज करे। दाद खाज-त्वचा के ऐसे रोग हैं कि लापरवाही बरतने से हमेशा के मेहमान बन जाते हैं। दाद, खाज और खुजली में मूंगफली का असली तेल लगाने से आराम आता है।
        • 1 कप गाजर का रस रोजाना पीने से त्वचा के रोग ठीक हो जाते हैं। त्वचा के किसी भी तरह के रोगों में मूली के पत्तों का रस लगाने से लाभ होता है। नीम्बू के रस में इमली के बीज पीसकर लगाने से दाद में लाभ होता हैं।
        • शरीर की त्वचा पर कहीं भी चकत्ते हो तो उस पर नींबू के टुकड़े काटकर फिटकरी भरकर रगड़ने से चकत्ते हल्के पड़ जाते हैं और त्वचा निखर उठती है। लहसुन में प्राकृतिक रूप से एंटी फंगल तत्व होते हैं। जो की कई तरीके के फंगल इन्फेक्शन को ठीक करने में सहायक है। जिसमे से दाद भी एक है। लहसुन को छिल कर उसके छोटे छोटे टुकड़े कर दाद पर रख दीजिये जल्दी आराम मिलेगा। नारियल का तेल दाद को ठीक करने में बहुत उपयोगी है। ख़ास कर जब आपके सर की जड़ो में शरीर की त्वचा पर कहीं भी चकत्ते हो तो उस पर नींबू के टुकड़े काटकर फिटकरी भरकर रगड़ने से चकत्ते हल्के पड़ जाते हैं और त्वचा निखर उठती है।
            • नींबू के टुकड़े को काटकर दाद पर मलने से दाद की खुजली कम हो जाती है और थोड़े ही दिनों में दाद बिल्कुल मिट जाता है। इसको शुरूआत में दाद पर लगाने से कुछ जलन सी महसूस होती है। टमाटर खट्टा होता है। इसकी खटाई खून को साफ करती है। नींबू में इसी तरह के गुण होते हैं। रक्तशोधन (खून साफ करना) के लिए टमाटर को अकेले ही खाना चाहिए। रक्तदोष (खून की खराबी) से त्वचा पर जब
            • लाल चकत्ते उठे हों, मुंह की हडि्डयां सूज गई हो, दांतों से खून निकल रहा हो, दाद या बेरी-बेरी रोग हो तो टमाटर का रस दिन में 3-4 बार पीने से लाभ होता है। कुछ सप्ताह तक रोजाना टमाटर का रस पीने से चर्मरोग (त्वचा के रोग) ठीक हो जाते हैं।
            • अंजीर का दूध लगाने से दाद मिट जाते हैं। पके केले के गूदे में नींबू का रस मिलाकर लगाने से दाद, खाज, खुजली और छाजन आदि रोगों में लाभ होता है।
            • दाद, खाज और खुजली में मूंगफली का असली तेल लगाने से आराम आता है। सुपारी को पानी के साथ घिसकर लेप करने से उकवत, और चकत्ते आदि रोग दूर हो जाते हैं। त्वचा के किसी भी तरह के रोगों में मूली के पत्तों का रस लगाने से लाभ होता है।

              Monday, August 12, 2019

              सफ़ेद दाग का लक्षण और उपचार -White Spot on Skin Treatment in Hindi,


              सफ़ेद दाग रोग ऐसा हैं कि जिसको एक बार हो जाए तो वो व्यक्ति हीनभावना से तो ग्रसित हो जाता हैं परंतु इलाज के नाम से बहुत ठगा जाता हैं। लोग बढ़ चढ़ कर सही करने का दावा तो करते हैं। परंतु हासिल कुछ नहीं होता। सफ़ेद दाग का उपचार कुछ सालो पहले आयुर्वेद में बहुत आसान था, जब कुछ भस्मों से इसका उपचार योग्य वैद कर दिया करते थे, आज कल भस्मो का सही मिश्रण, सही अनुपात व जानकारी ना होने के कारण इस रोग का सही उपचार नहीं हो पाता। आयुर्वेद में जो उपचार हैं वह थोड़े लम्बे हैं । इसलिए मरीज को धैर्यपूर्वक इसको लगातार जारी रखना पड़ता हैं। हम यहाँ आपको कुछ विशेष उपचार बता रहे हैं, जो बहुत से रोगियों पर सफलता से प्रयोग किया गए हैं।

              सफ़ेद दाग  का उपचार Spots On The Skin,vitiligo cure,vitiligo causes,what causes vitiligo,

              • बावची का तेल और नीम का तेल सामान मात्रा में मिला कर रोग वाली जगह दिन में २ बार लगाना चाहिए और इसके साथ बावची का चूर्ण, तुलसी के पत्तों को सुखा कर बनाया गया चूर्ण और चोपचीनी का चूर्ण समान मात्रा में मिला कर हर रोज़ 3 ग्राम सुबह शाम सादा पानी के साथ ले। और ये चूर्ण लेने के दो घंटे पहले और बाद में कुछ ना खाए। साथ में रात को सोते समय एक चम्मच त्रिफला गुनगुने पाने के साथ ले।
              • सुबह खाली पेट गेंहू के जवारे का रस ज़रूर पिए। आपका ये चर्म रोग कुछ दिनों में गायब हो जायेगा। इसके साथ लौकी का जूस भी सुबह खाली पेट पिए, और इस जूस को बनाते समय इसमें 5-5 पत्ते तुलसी और पुदीने के भी डाल ले।
              • बावची एक ऐसी औषधि है, जिस से आजकल की आधुनिक सफ़ेद दाग की औषधियां भी बनायीं जाती हैं।
              • आठ लीटर पानी में आधा किलो हल्दी का पावडर मिलाकर तेज आंच पर उबालें। जब 4 लीटर के करीब रह जाय तब उतारकर ठंडा करलें । फ़िर इसमें आधा किलो सरसों का तेल मिलाकर पुन: आंच पर रखें। जब केवल तैलीय मिश्रण ही बचा रहे, इसको आंच से उतारकर बडी शीशी में भरले। यह दवा सफ़ेद दाग पर दिन में दो बार लगावें। 4-5 माह तक ईलाज चलाने पर आश्चर्यजनक अनुकूल परिणाम प्राप्त होते हैं।
              • बावची के बीज इस बीमारी की प्रभावी औषधि मानी गई है। 50 ग्राम बीज पानी में 3 दिन तक भिगोवें। पानी रोज बदलते रहें। बीजों को मसलकर छिलका उतारकर छाया में सूखा कर पीस कर पावडर बनालें। यह दवा डेढ ग्राम प्रतिदिन पाव भर दूध के साथ पियें। इसी चूर्ण को पानी में मिलकर पेस्ट बना लें। यह पेस्ट सफ़ेद दाग पर दिन में दो बार लगावें। अवश्य लाभ होगा। दो माह तक ईलाज चलावें।
              • बावची के बीज और ईमली के बीज बराबर मात्रा में लेकर चार दिन तक पानी में भिगोवें। बाद में बीजों को मसलकर छिलका उतारकर सूखा लें। पीसकर महीन पावडर बनावें। इस पावडर की थोडी सी मात्रा लेकर पानी के साथ पेस्ट बनावें। यह पेस्ट सफ़ेद दाग पर एक सप्ताह तक लगाते रहें। बहुत ही कारगर उपचार है।लेकिन यदि इस पेस्ट के इस्तेमाल करने से सफ़ेद दाग की जगह लाल हो जाय और उसमें से तरल द्रव निकलने लगे तो ईलाज कुछ रोज के लिये रोक देना उचित रहेगा।
              • लाल मिट्टी बरडे- ठरडे और पहाडियों के ढलान पर अक्सर मिल जाती है। लाल मिट्टी और अदरख का रस बराबर मात्रा में लेकर घोटकर पेस्ट बनालें। यह दवा प्रतिदिन सफ़ेद दाग के पेचेज पर लगावें। लाल मिट्टी में तांबे का अंश होता है जो चमडी के स्वाभाविक रंग को लौटाने में सहायता करता है और अदरख का रस सफ़ेद दाग की चमडी में खून का प्रवाह बढा देता है।
              • श्वेत कुष्ठ रोगी के लिये रात भर तांबे के पात्र में रखा पानी प्रात:काल पीना भी काफी फ़ायदेमंद होता है।
              • मूली के बीज करीब 30 ग्राम सिरके में घोटकर पेस्ट बनावें और दाग पर लगाते रहने से लाभ होता है।
              • एक मुट्ठी काले चने, 125 मिली पानी में डाल दे सुबह, उसमे 10 गरम त्रिफला चूर्ण डाल दे, 24 घंटे वो पड़ा रहे …ढक के रह दे … 24 घंटे बाद वो चने जितना खा सके चबाकर के खाये…. सफ़ेद दाग जल्दी मिटते है |
              • रोज बथुये की सब्जी खायें। बथुआ उबाल कर उसके पानी से सफेद दाग को धोयें। कच्चे बथुआ का रस दो कप निकाल कर आधा कप तिल का तेल मिलाकर धीमी आंच पर पकायें । जब सिर्फ तेल रह जाये तब उतार कर शीशी में भर लें। इसे लगातार लगाते रहें। ठीक होगा परंतु धैर्य की जरूरत है।
              • अखरोट खूब खायें। इसके खाने से शरीर के विषैले तत्वों का नाश होता है। अखरोट का पेड़ अपने आसपास की जमीन को काली कर देती है ये तो त्वचा है। अखरोट खाते रहिये लाभ होगा।
              • लहसुन के रस में हरड घिसकर लेप करें तथा लहसुन का सेवन भी करते रहने से दाग मिट जाता है।
              • तुलसी का तेल सफेद दाग पर लगायें।
              • नीम की पत्ती, फूल, निंबोली सबको सुखाकर पीस लें । प्रतिदिन एक चम्मच ताजा पानी के साथ लें। कोई भी कुष्ठ रोग का इलाज नीम से सर्व सुलभ है। सफेद दाग वाला व्यक्ति नीम तले जितना रहेगा उतना ही फायदा होगा नीम खायें, नीम लगायें ,नीम के नीचे सोये ,नीम को बिछाकर सोयें, पत्ते सूखने पर बदल दें।
              • पत्ते,निम्बोली, छाल किसी का भी रस लगायें व एक चम्मच पियें। इसकी पत्तियों को जलाकर पीस कर उसकी राख इसी नीम के तेल में मिलाकर घाव पर लेप करते रहें। नीम की पत्ती, निम्बोली ,फूल पीसकर चालीस दिन तक शरबत पियें तो सफेद दाग से मुक्ति मिल जायेगी। नीम की गोंद को नीम के ही रस में पीस कर मिलाकर पियें तो गलने वाला कुष्ठ रोग भी ठीक हो सकता है।
              • चेहरे के सफ़ेद दाग जल्दी ठीक हो जाते हैं। हाथ और पैरो के सफ़ेद दाग ठीक होने में ज्यादा समय लेते है। ईलाज की अवधि 6 माह से 2 वर्ष तक की हो सकती है।
              • मांस, मछ्ली अंडा, डालडा घी या वनस्पति तेल, लाल मिर्च, शराब, नशीली चीजे, अचार, खटाई, अरबी-भिन्डी, चावल आदि का परहेज करे। नमक कम खाएं।

              Saturday, February 09, 2019

              एलर्जी को दूर करने के आसान उपाय ,Allergies Treatment in Hindi,

              त्वचा की एलर्जी -त्वचा की एलर्जी काफी कॉमन है और बारिश का मौसम त्वचा की एलर्जी के लिए बहुत ज्यादा मुफीद है त्वचा की एलर्जी में त्वचा पर खुजली होना ,दाने निकलना ,एक्जिमा ,पित्ती उछलना आदि होता है lखान पान से एलर्जी -बहुत से लोगों को खाने पीने की चीजों जैसे दूध ,अंडे ,मछली ,चॉकलेट आदि से एलर्जी होती है

              एलर्जी से बचाव ही एलर्जी का सर्वोत्तम इलाज है जिन खाद्य पदार्थों से एलर्जी है उन्हें न खाएं lएकदम गरम से ठन्डे और ठन्डे से गरम वातावरण में ना जाएं धूल मिटटी से बचें ,यदि धूल मिटटी भरे वातावरण में काम करना ही पड़ जाये तो फेस मास्क पहन कर काम करेंl

                एलर्जी के लक्षण

                • आँख की एलर्जी - आँखों में लालिमा , पानी आना , जलन होना खुजली आदि।
                • नाक की एलर्जी - नाक में खुजली होना , छींके आना , नाक बहना , नाक बंद होना या बार - बार जुकाम होना आदि।
                • श्वसन संस्थान की एलर्जी - इसमें खांसी , सांस लेने में तकलीफ एवं अस्थमा जैसी गंभीर समस्या हो सकती हैं।
                • त्वचा की एलर्जी - त्वचा की एलर्जी काफी कॉमन है और बारिश का मौसम त्वचा की एलर्जी के लिए बहुत ज्यादा ख़राब है , त्वचा की एलर्जी में त्वचा पर खुजली होना , दाने निकलना , एक्जिमा , पित्ती उछलना आदि होते हैं।
                • खान - पान से एलर्जी - बहुत से लोगों को खाने पीने की चीजों जैसे दूध , अंडे , मछली , चॉकलेट आदि से एलर्जी होती हैं। 

                 एलर्जी को दूर करने के आसान उपाय

                • जिन लोगों को नाक की एलर्जी बार बार होती है उन्हें सुबह भूखे पेट 1 चम्मच गिलोय और 2 चम्मच आंवले के रस में 1चम्मच शहद मिला कर कुछ समय तक लगातार लेना चाहिए इससे नाक की एलर्जी में आराम आता है
                • मुलेठी, सोंठ / अदरक (sonth), और काली मिर्च इन तीनो को कूट पीस ले और इस मिश्रण के एक ग्राम पाउडर को पानी में उबाले और चाय की तरह हर रोज़ पिए। ये एलर्जी का रामबाण इलाज हैं।
                • सर्दी में घर पर बनाया हुआ या किसी अच्छी कंपनी का च्यवनप्राश खाना भी नासिका एवं साँस की एलर्जी से बचने में सहायता करता है
                • आयुर्वेद की दवा सितोपलादि पाउडर एवं गिलोय पाउडर को 1-1 ग्राम की मात्रा में सुबह शाम भूखे पेट शहद के साथ कुछ समय तक लगातार लेना भी नाक एवं श्वसन संस्थान की एलर्जी में बहुत आराम देता है
                • जिन्हे बार बार त्वचा की एलर्जी होती है उन्हें मार्च अप्रेल के महीने में जब नीम के पेड़ पर कच्ची कोंपलें आ रही हों उस समय 5-7 कोंपलें 2-3 कालीमिर्च के साथ अच्छी तरह चबा चबा कर 15-20 रोज तक खाना त्वचा के रोगों से बचाता है,
                • हल्दी से बनी आयुर्वेद की दवा हरिद्रा खंड भी त्वचा के एलर्जी जन्य रोगों सहित सभी प्रकार की एलर्जी में बहुत गुणकारी है इसे किसी आयुर्वेद चिकित्सक की राय से सेवन कर सकते हैं l
                • एक अंजीर और एक छुहारा रात में दूध में उबालकर खाए।
                • 100 मिली खीरे का रस , 100 मिली चुकुन्दर का रस , और 300 मिली गाजर का रस मिलाकर पीने से एलर्जी में फायदा मिलता हैं।
                • चार पत्ते तुलसी , अदरक , मिश्री , लौंग और काली मिर्च मिलाकर बनाई हुई हर्बल चाय पीने से एलर्जी में आराम मिलता हैं।
                • चार से पांच बूंदे कैस्टर आयल फलों या सब्जियों के रस में मिलाकर सुबह खाली पेट लें। जूस के अलावा आप पानी का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। इस नुस्खे से स्किन और नाक की एलर्जी में आराम मिलेगा।
                • एक चम्मच शहद और आधा नींबू का रस हलके गरम पानी में मिलाकर सेवन करने से एलर्जी ठीक होती हैं।
                • सर्दियों में चवण्यप्राश खाने से नाक और सांस की एलर्जी दूर होती हैं।
                • स्किन की एलर्जी से राहत पाने के लिए थोड़ा नींबू का रस नारियल के तेल में मिलाकर रात में लगाएं और अगले दिन सुबह नीम के पानी से धो लें।
                • स्किन की एलर्जी को दूर करने के लिए नीम की पत्तियों को 6 - 8 घंटे पानी में भिगोकर पीस लें। इसको 30 मिनिट त्वचा पर लगाकर धो लें।
                • कुछ पत्ते तुलसी के लेकर उन्हें पीस लें। अब इसमें एक चम्मच जैतून का तेल , लहसुन की दो कलियाँ , एक चुटकी नमक और एक चुटकी काली मिर्च मिलाकर एलर्जी वाले स्किन पर लगाएं। कुछ देर लगा रहने के बाद धो लें फायदा होगा। एलोवेरा जैल में गुलाबजल मिलाकर लगाने से एलर्जी जल्द ही दूर होती हैं। स्किन एलर्जी पर ऑलिव ऑइल लगाने से तुरंत आराम मिलता हैं।
                • स्किन एलर्जी होने पर नारियल के तेल को हल्का गरम करके रात को सोने से पहले अपनी त्वचा पर लगाएं। और रात भर ऐसा ही फायदा होगा।
                • सम्पूर्ण शरीर की एलर्जी - कभी - कभी कुछ लोगों में एलर्जी से गंभीर स्थिति उत्पन्न हो जाती है और सारे शरीर में एक साथ गंभीर लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं , ऐसी स्थिति में तुरंत हॉस्पिटल लेकर जाना चाहिए।

                बचाव,Prevention and treatment

                  • इन्फेक्शन से बचने का प्रयास करें।
                  • ठंडी हवा, धूल और नमी से बचें।
                  • घर से बाहर निकलने पर कोशिश करें कि धूल के कण नाक में कम से कम जाएं।
                  • अगर धूल वाले स्थान पर जाना पड़े तो मुंह पर मास्क या रूमाल रखकर जाएं।
                  • घर में पालतू जानवरों कुत्ते, बिल्लियों आदि के बहुत अधिक नजदीक न जाएं।
                  • घर या कार्यालय में जहां सीलन हो, वहां जाने से बचें।
                  • धूम्रपान न करें।अगर आपके आसपास किसी को सिगरेट के धुएं से एलर्जी है तो उसके सामने स्मोकिंग भी न करें।
                  • कुछ खाने से अगर नाक में एलर्जी हो तो उससे बचना चाहिए।
                  • ज्यादा तकलीफ होने पर नेजल स्प्रे का प्रयोग कर सकते हैं।
                  • जिस चीज से त्वचा पर एलर्जी होती है, उस चीज को नोट करें और उस चीज का इस्तेमाल करना ही बंद कर दें।त्वचा के जिस भाग पर एलर्जी हो, वहां किसी भी तरह का कास्मेटिक प्रयोग न करें।

                    Monday, July 31, 2017

                    शीतपित्त का घरेलू इलाज,Home Remedies for Urticaria, Symptoms, Causes, Treatment in Hindi

                    आयुर्वेद के अनुसार शीतपित्‍त जिसे अंग्रेजी में अर्टिकेरिया भी बोलते है, वात या कफ दोष की गड़बड़ी की वजह से होता है। यह एक प्रकार की एलर्जी है, जिसकी वजह से त्‍वचा पर लाल रंग के चकत्‍ते पड़ जाते हैं, जिसे पित्‍ती कहते हैं Urticaria- शीतपित्त को छपाकी या पित्ती उछालना भी कहा जाता है शीतपित्त रोग में Hives (तीव्र खुजली ) के साथ उत्पन्न होने वाले दादोड़े समस्त शरीर में विभिन्न आकार में भी हो सकते है रोग की chronic urticaria (तीव्र-अवस्था ) में हल्का बुखार तथा वमन भी हो सकती है इसकी उत्पत्ति किसी एलर्जिक प्रतिक्रिया के परिणाम स्वरूप भी मानी जाती है 

                    शीतपित्त पेट की गड़बड़ी तथा खून में गरमी बढ़ जाने के कारण होता है| वैसे साधारणतया यह रोग पाचन क्रिया की खराबी, शरीर को ठंड के बाद गरमी लगने, पित्त न निकलने, अजीर्ण, कब्ज, भोजन ठीक से न पचने, गैस और डकारें बनने तथा एलोपैथी की दवाएं अधिक मात्रा में सेवन करने से भी हो जाता है| कई बार अधिक क्रोध, चिन्ता, भय, बर्रै या मधुमक्खी के डंक मारने, जरायु रोग (स्त्रियों को), खटमल या किसी जहरीले कीड़े के काटने से भी इसकी उत्पत्ति हो जाती है|

                    शीत पित्त होने के लक्षण,Symptoms,

                    • शरीर पर एकाएक चकत्ते से उभर आते है और इन चकत्तों में stress hives(तेज खुजली) होती है और फिर इससे शरीर लाल हो जाता है
                    • चकत्ते उभरते ही माथा,सिर,कान,नाक,और चेहरे का जादातर हिस्सा कुछ सूज जाता है
                    • वमन और मितली भी हो सकती है
                    • चकत्तों के किनारे लाल रंग के होते है
                    • आमतौर पर ये पित्ती छाती और पेट पर निकलते है
                    • बच्चो में चकत्तों के अतिरिक्त ये पीडिकाये और फफोले के रूप में हो सकते है

                    शीत पित्त का घरेलू इलाज,Home Remedies for Urticaria, Symptoms, Causes, Treatment in Hindi

                      शीतपित्त के चकत्ते निकलने पर गर्म जल पिलाकर रोगी को कम्बल ओढ़ाकर सुला दे-इससे पसीना आएगा और रोगी को आराम होगा
                      • गेरू का लेप करे या फिर सरसों के तेल में गेरू को पीस कर मिला कर उसकी रोगी के शरीर पे मालिस करे तथा कम्बल ओढ़ाकर सुला दे चक्रमर्दमूल का चूर्ण घी में मिलाकर दे
                      • त्रिफला चूर्ण दो ग्राम,पिप्पली आधा ग्राम,दिन में दो बार शहद से दे
                      • गाय का घी 20 ग्राम,काली मिर्च का चूर्ण 10 ग्राम को आपस में मिला ले रोगी को 1 ग्राम से 3 ग्राम दे
                      • गंधक रसायन 250 mg ,गिलोय सत्व500 mg,शहद और कच्ची हल्दी के स्वरस से सेवन कराये-
                      • तुलसी की पत्‍ती की चाय बना कर पीने से खून शुद्ध होता है और शरीर से गंदगी निकलती है।
                      • सेब का सिरका एप्पल साइडर सिरका पित्ती के लिए एक और अच्छा उपाय है। इसके antihistamine गुण में मदद मिलेगी जल्दी से सूजन को राहत देने और शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली की प्रतिक्रिया को विनियमित। यह भी अपने समग्र त्वचा के स्वास्थ्य को बहाल करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है
                      • अदरक एक 'आश्चर्य दवा' के रूप में जाना जाता है, अदरक अपनी मजबूत विरोधी भड़काऊ और antihistamine गुणों के कारण पित्ती के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। असल में, अदरक जीन और एंजाइमों कि सूजन ट्रिगर, बारी में, त्वचा के लिए रक्त परिसंचरण में सुधार सूजन और खुजली को कम से राहत निशाना बनाता है।
                      • पित्ती रोगियों को हल्दी , मिश्री और शहद इन तीनों को मिलाकर रात को खाने से पित्ती की शिकायत दूर हो जाती है । और खाने के बाद रोगी को हवा नही लगनी चाहिए । बेसन के लड्डू बनाकर या बाजार से खरीद कर इसमें काली मिर्च मिलाकर खाने से पित्ती की बीमारी दूर हो जाती है ।
                      • पित्ती की बीमारी को जड़ से नष्ट करने के लिए रोगी गेहूँ के आटा दो चम्मच , एक चम्मच हल्दी और थोड़ा सा घी मिलाकर इसका हलुआ तैयार कर ले । इस तैयार हलुए को ठंडा करने के बाद खाए और इसके बाद गर्म दूध पी ले ।
                      • पित्ती दूर करने के और भी कई उपाय है जैसे:- थोड़ी - थोड़ी मात्र में गुड और अजवाइन मिलाकर इसका चूर्ण बना ले और इसकी 6-6 ग्राम की गोलियाँ तैयार कर ले । रोजाना एक- एक गोली शाम को पानी से खाने से आशातीत लाभ मिलता है । देसी घी में थोड़ा- सा सेंधा नमक डालकर रोग वाले स्थान पर मसलने से पित्ती ठीक हो जाती है
                      • पित्ती वाले रोगी के शरीर में गेरू पीसकर मलें तथा गेरू के परांठे या पुए खिलाएं| गाय के घी में दो
                      • चुटकी गेरू मिलाकर खिलाने से भी लाभ होता है |
                      • शीतपित्त में चिरौंजी का सेवन करें
                      • इस रोग को ठीक करने का एक सरल उपाय है हल्दी जो हर घर में उपलब्ध है । हल्दी
                      • को पीसकर या बाजारसे हल्दी का पाउडर खरीद कर यह पाउडर पानी में मिलाकर इसका पेस्ट
                      • तैयार कर ले । इस पेस्ट को दो छोटे चम्मच रोगी को एक दिन में सुबह दोपहर शाम खिलाने
                      • से पित्ती के रोगियों को काफी आराम मिलता है । इस बीमारी में रोगी को लाल गेरू या गैरिक का
                      • तेल उपयोग करने से भी लाभ मिलता है ।
                      • 2 ग्राम नागकेसर को शहद में मिलाकर चाटें
                      • एक चम्मच हल्दी, एक चम्मच गेरू तथा दो चम्मच शक्कर सबको सूजी में मिलाकर हलवा बनाकर खाएं

                        Wednesday, April 27, 2016

                        एक्जिमा के उपचार,Home Remedies for Eczema in Hindi,baby eczema,

                        एक्जिमा के उपचार,Home Remedies for Eczema in Hindi,baby eczema,
                        एक्जिमा के उपचार,
                        एक्जिमा रोग शरीर की त्वचा को प्रभावित करता है और यह एक बहुत ही कष्टदायक रोग है। यह रोग स्थानीय ही नहीं बल्कि पूरे शरीर में हो सकता है।एक्जिमा रोग शरीर की त्वचा को प्रभावित करता है और यह एक बहुत ही कष्टदायक रोग है। यह रोग स्थानीय ही नहीं बल्कि पूरे शरीर में हो सकता है।

                        एक्जिमा रोग होने के लक्षण

                        जब यह रोग किसी व्यक्ति को हो जाता है तो उसके शरीर पर जलन तथा खुजली होने लगती है। रात के समय इस रोग का प्रकोप और भी अधिक हो जाता है।
                        एक्जिमा रोग से प्रभावित भाग में से कभी-कभी पानी अधिक बहने लगता है और त्वचा भी सख्त होकर फटने लगती है। कभी-कभी तो त्वचा पर फुंसियां तथा छोटे-छोटे अनेक दाने निकल आते हैं।
                        एक्जिमा रोग खुश्क होता है जिसके कारण शरीर की त्वचा खुरदरी तथा मोटी हो जाती है और त्वचा पर खुजली अधिक तेज होने लगती है।

                        एक्जिमा रोग होने के कारण

                        जब यह रोग किसी व्यक्ति को हो जाता है तो उसके शरीर पर जलन तथा खुजली होने लगती है। रात के समय इस रोग का प्रकोप और भी अधिक हो जाता है। एक्जिमा रोग से प्रभावित भाग में से कभी-कभी पानी अधिक बहने लगता है और त्वचा भी सख्त होकर फटने लगती है। कभी-कभी तो त्वचा पर फुंसिया तथा छोटे-छोटे अनेक दाने निकल आते हैं। एक्जिमा रोग खुश्क होता है जिसके कारण शरीर की त्वचा खुरदरी तथा मोटी हो जाती है और त्वचा पर खुजली अधिक तेज होने लगती है।
                        • एक्जिमा रोग अधिकतर गलत तरीके के खान-पान के कारण होता है। गलत खान-पान की वजह से शरीर में विजातीय द्रव्य बहुत अधिक मात्रा में जमा हो जाते हैं।
                        • कब्ज रहने के कारण भी एक्जिमा रोग हो जाता है।
                        • दमा रोग को ठीक करने के लिए कई प्रकार की औषधियां प्रयोग करने के कारण भी एक्जिमा रोग हो जाता है।शरीर के अन्य रोगों को दवाइयों के द्वारा दबाना, एलर्जी, निष्कासन के कारण त्वचा निष्क्रिय हो जाती है जिसके कारण एक्जिमा रोग हो जाता है।
                        • एक्जिमा रोग अधिकतर गलत तरीके के खान-पान के कारण होता है। गलत खान-पान की वजह से शरीर में विजातीय द्रव्य बहुत अधिक मात्रा में जमा हो जाते हैं।
                        • कब्ज रहने के कारण भी एक्जिमा रोग हो जाता है।
                        • दमा रोग को ठीक करने के लिए कई प्रकार की औषधियां प्रयोग करने के कारण भी एक्जिमा रोग हो जाता है।
                        • शरीर के अन्य रोगों को दवाइयों के द्वारा दबाना, एलर्जी, निष्कासन के कारण त्वचा निष्क्रिय हो जाती है जिसके कारण एक्जिमा रोग हो जाता है।

                        त्वचा के रोग,Skin diseases

                        • मोल्स
                        • मुँहासे
                        • हीव्स
                        • चेचक
                        • खुजली
                        • rosacea
                        • सीबमयुक्त त्वचाशोथ
                        • सोरायसिस
                        • विटिलिगो
                        • रोड़ा
                        • मौसा
                        • त्वचा कैंसर

                        Most common types,A general term that describes inflammation of the skin.

                        • Contact dermatitis-A skin rash caused by contact with a certain substance.
                        • Seborrheic dermatitis-A skin condition that causes scaly patches and red skin, mainly on the scalp.
                        • Nummular dermatitis-Coin-shaped rashes or sores.
                        • Stasis dermatitis-Skin inflammation in the lower legs caused by fluid build-up.
                        • Dermatitis herpetiformis-A chronic, very itchy skin rash made up of bumps and blisters.
                        • Atopic dermatitis-An itchy inflammation of the skin.

                        एक्जिमा रोग का घरेलु उपचार

                        • औषधियों के द्वारा एक्जिमा रोग का कोई स्थायी इलाज नहीं हैं, लेकिन प्राकृतिक चिकित्सा के द्वारा एक्जिमा रोग पूरी तरह से ठीक हो सकता है।
                        • चंदन पाउडर में दूध और गुलाब जल मिलाकर पेस्ट बनाएं। एक्जिमा के स्थान पर लगाएं। सूखने पर गुनगुने पानी से नहाएं। कुछ दिनों में एक्जिमा ठीक होगा
                        • एक्जिमा रोग में सबसे पहले रोगी व्यक्ति को गाजर का रस, सब्जी का सूप, पालक का रस तथा अन्य रसाहार या पानी पीकर 3-10 दिन तक उपवास रखना चाहिए। फिर इसके बाद 15 दिनों तक फलों का सेवन करना चाहिए और इसके बाद 2 सप्ताह तक साधारण भोजन करना चाहिए। इस प्रकार से भोजन का सेवन करने की क्रिया उस समय तक दोहराते रहना चाहिए जब तक कि एक्जिमा रोग पूरी तरह से ठीक न हो जाए।
                        • इस रोग से पीड़ित रोगी को फल, हरी सब्जी तथा सलाद पर्याप्त मात्रा में सेवन करना चाहिए तथा 2-3 लीटर पानी प्रतिदिन पीना चाहिए।
                        • एक्जिमा रोग से पीड़ित रोगी को नमक, चीनी, चाय, कॉफी, साफ्ट-ड्रिंक, शराब आदि पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
                        • प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार एक्जिमा रोग से पीड़ित रोगी को शाम के समय में लगभग 15 मिनट तक कटिस्नान करना चाहिए। इसके बाद पीड़ित रोगी को नीम की पत्ती के उबाले हुए पानी से स्नान करना चाहिए। इस पानी से रोगी को एनिमा क्रिया भी करनी चाहिए जिससे एक्जिमा रोग ठीक होने लगता है।
                        • सुबह के समय में रोगी व्यक्ति को खुली हवा में धूप लेकर शरीर की सिंकाई करनी चाहिए तथा शरीर के एक्जिमा ग्रस्त भाग पर कम से कम 2-3 बार स्थानीय मिट्टी की पट्टी का लेप करना चाहिए। जब रोगी के रोग ग्रस्त भाग पर अधिक तनाव या दर्द हो रहा हो तो उस भाग पर भाप तथा गर्म-ठंडा सेंक करना चाहिए।
                        • प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार एक्जिमा रोग से पीड़ित रोगी को सप्ताह में 1-2 दिन भापस्नान तथा गीली चादर लपेट स्नान करना चाहिए। स्नान करने के बाद रोगग्रस्त भाग की कपूर को नारियल के तेल में मिलाकर मालिश करनी चाहिए या फिर सूर्य की किरणों के द्वारा तैयार हरा तेल लगाना चाहिए। रोगी व्यक्ति को इस उपचार के साथ-साथ सूर्यतप्त हरी बोतल का पानी भी पीना चाहिए।
                        • नीम की पत्तियों को पीसकर फिर पानी में मिलाकर सुबह के समय में खाली पेट पीना चाहिए जिसके फलस्वरूप एक्जिमा रोग धीरे-धीरे ठीक होने लगता है।
                        • प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार सूत्रनेति, कुंजल तथा जलनेति करना भी ज्यादा लाभदायक है। इन क्रियाओं को करने के फलस्वरूप एक्जिमा रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
                        • रोगी व्यक्ति को प्रतिदिन सुबह के समय में उपचार करने के साथ-साथ हलासन, मत्स्यासन, धनुरासन, मण्डूकासन, पश्चिमोत्तानासन तथा जानुशीर्षसन क्रिया करनी चाहिए। इससे उसका एक्जिमा रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।
                        • एक्जिमा रोग को ठीक करने के लिए नाड़ी शोधन, भस्त्रिका, प्राणायाम क्रिया करना भी लाभदायक है। लेकिन इस क्रिया को करने के साथ-साथ रोगी व्यक्ति को प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार भी करना चाहिए तभी एक्जिमा रोग पूरी तरह से ठीक हो सकता है।
                        • एक्जिमा रोग से पीड़ित रोगी को प्राकृतिक चिकित्सा से इलाज कराने के साथ-साथ कुछ खाने पीने की चीजों जैसे- चाय, कॉफी तथा उत्तेजक पदार्थों का परहेज भी करना चाहिए तभी यह रोग पूरी तरह से ठीक हो सकता है।
                        • एक्जिमा रोग को ठीक करने के लिए हरे रंग की बोतल के सर्यूतप्त नारियल के तेल से पूरे शरीर की मालिश करनी चाहिए और धूप में बैठकर या लेटकर शरीर की सिंकाई करनी चाहिए। इससे एक्जिमा रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
                        • इस रोग से पीड़ित रोगी को आसमानी रंग की बोतल का सूर्यतप्त जल 28 मिलीलीटर की मात्रा में प्रतिदिन कम से कम 8 बार पीना चाहिए तथा रोगग्रस्त भाग पर हरे रंग का प्रकाश कम से कम 25 मिनट तक डालना चाहिए। इस प्रकार से कुछ दिनों तक उपचार करने से एक्जिमा रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है

                        Monday, March 28, 2016

                        सोरायसिस का इलाज,White Spot on Skin ,Psoriasis Treatment in Hindi,

                        सोरायसिस त्वचा की ऊपरी सतह का एक चर्म रोग है ये वंशानुगत है लेकिन ये और भी कई कारणों से भी हो सकता है। आनु्‌वंशिकता के अलावा इसके लिए पर्यावरण भी एक बड़ा कारण माना जाता है। यह असाध्य बीमारी कभी भी किसी को भी हो सकती है। कई बार इलाज के बाद इसे ठीक हुआ समझ लिया जाता है जबकि यह रह-रहकर सिर उठा लेता है। शीत ऋतु में यह बीमारी प्रमुखता से प्रकट होती है।


                        सोरायसिस एक त्वचा रोग है जिसमें सफेद या सिल्वर खुरदरे और मोटे चकते उभर आते हैं। त्वचा में सेल्स की तादाद बढने लगती है।चमडी मोटी होने लगती है और उस पर खुरंड और पपडियां उत्पन्न हो जाती हैं। ये पपड़ियाँ सफ़ेद चमकीली हो सकती हैं। इस रोग के भयानक रुप में पूरा शरीर मोटी लाल रंग की पपडीदार चमडी से ढक जाता है। जिसे यूनानी चिकित्सा पद्धति में \"दाउस सदफ\" कहते हैं। वात और पित्त की गड़बड़ी से होने वाला यह रोग किसी भी उम्र में हो सकता है। यह रोग छूने से नहीं फैलता। खुश्की की वजह से यह रोग गर्मी की तुलना में सर्दी के दिनों में ज्यादा होता है।
                        सोरयासिस एक प्रकार का चर्म रोग है जिसम त्वचा में cells की तादाद बढने लगती है।चमडी मोटी होने लगती है और उस पर खुरंड और पपडीयां उत्पन हो जाती हैं। ये पपडीया ं सफेद चमकीली हो सकती है।इस रोग के भयानक रूप में पूरा शारीर मोट लाल रंग का पपडीदार चमडी से ढक जाता है।यह रोग अधिकतर के कोहनी,घुटना और खोपडी पर होता है।अच्छी बात ये है की यह रोग छू तहा याने संक्रमक नही है। रोगी के संपर्क से अन्य लोगो को कोई खतरा नहीं है।

                        सोरायसिस चमड़ी की एक ऐसी बीमारी है जिसके ऊपर मोटी परत जम जाती है। दरअसल चमड़ी की सतही परत का अधिक बनना ही सोरायसिस है। त्वचा पर भारी सोरायसिस की बीमारी सामान्यतः हमारी त्वचा पर लाल रंग की सतह के रूप में उभरकर आती है और स्केल्प (सिर के बालों के पीछे) हाथ-पाँव अथवा हाथ की हथेलियों, पाँव के तलवों, कोहनी, घुटनों और पीठ पर अधिक होती है। 1-2 प्रतिशत जनता में यह रोग पाया जाता है।
                        • अंत स्रावी ग्रन्थियों में कोई रोग होने के कारण सोरायसिस रोग हो सकता है
                        • पाचन-संस्थान में कोई खराबी आने के कारण भी यह रोग हो सकता है
                        • बहुत अधिक संवेदनशीलता तथा स्नायु-दुर्बलता होने के कारण भी सोरायसिस रोग हो सकता है।
                        • खान-पान के गलत तरीकों तथा असन्तुलित भोजन और दूषित भोजन का सेवन करने के कारण भी सोरायसिस रोग हो सकता है।
                        • असंयमित जीवन जीने, जीवन की विफलताएं, परेशानी, चिंता तथा एलर्जी के कारण भी यह रोग हो सकता है।

                        लक्षण, Psoriasis Symptoms,

                        • जब किसी व्यक्ति को सोरायसिस हो जाता है तो उसके शरीर के किसी भाग पर गहरे लाल या भूरे रंग के दाने निकल आते है। कभी-कभी तो इसके दाने केवल पिन के बराबर होते हैं। ये दाने अधिकतर कोहनी, पिंडली, कमर, कान, घुटने के पिछले भाग एवं खोपड़ी पर होते हैं। 
                        • कभी-कभी यह रोग नाम मात्र का होता है और कभी-कभी इस रोग का प्रभाव पूरे शरीर पर होता है। कई बार तो रोगी व्यक्ति को इस रोग के होने का अनुमान भी नहीं होता है।
                        • शरीर के जिस भाग में इस रोग का दाना निकलता है उस भाग में खुजली होती है और व्यक्ति को बहुत अधिक परेशान भी करती है। 
                        • खुजली के कारण सोरायसिस में वृद्धि भी बहुत तेज होती है। कई बार खुजली नहीं भी होती है। जब इस रोग का पता रोगी व्यक्ति को चलता है तो रोगी को चिंता तथा डिप्रेशन भी हो जाता है और मानसिक कारणों से इसकी खुजली और भी तेज हो जाती है। 
                        • सोरायसिस रोग के हो जाने के कारण और भी रोग हो सकते हैं जैसे- जुकाम, नजला, पाचन-संस्थान के रोग, टान्सिल आदि। यदि यह रोग 5-7 वर्ष पुराना हो जाए तो संधिवात का रोग हो सकता है।
                        • रोग से ग्रसित (आक्रांत) स्थान की त्वचा चमकविहीन, रुखी-सूखी, फटी हुई और मोटी दिखाई देती है तथा वहाँ खुजली भी चलती है। सोरायसिस के क्रॉनिक और गंभीर होने पर 5 से 40 प्रतिशत रोगियों में जोड़ों का दर्द और सूजन जैसे लक्षण भी पाए जाते हैं एवं कुछ रोगियों के नाखून भी प्रभावित हो जाते हैं और उन पर रोग के चिह्न (पीटिंग) दिखाई देते हैं।
                        • सोरायसिस होने पर विशेषज्ञ चिकित्सक के बताए अनुसार निर्देशों का पालन करते हुए पर्याप्त उपचार कराएँ ताकि रोग नियंत्रण में रहे। थ्रोट इंफेक्शन से बचें और तनाव रहित रहें, क्योंकि थ्रोट इंफेक्शन और स्ट्रेस सीधे-सीधे सोरायसिस को प्रभावित कर रोग के लक्षणों में वृद्धि करता है। त्वचा को अधिक खुश्क होने से भी बचाएँ ताकि खुजली उत्पन्न न हो

                        सोरायसिस में क्या खाना चाहिए,What Food of Psoriasis

                          • व्यक्ति को जो आहार अच्छा लगे, वही उसके लिए उत्तम आहार है क्योंकि छाल रोग से पीड़ित व्यक्ति खान-पान की आदतों से उसी प्रकार लाभान्वित होता है जैसे हम सभी होते हैं। कई लोगों ने यह कहा है कि कुछ खाद्य पदार्थों से उनकी त्वचा में निखार आया है या त्वचा बेरंग हो गई है।
                          • सोरायसिस रोग से पीड़ित रोगी को दूध या उससे निर्मित खाद्य पदार्थ, मांस, अंडा, चाय, काफी, शराब, कोला, चीनी, मैदा, तली भुनी चीजें, खट्टे पदार्थ, डिब्बा बंद पदार्थ, मूली तथा प्याज का सेवन नहीं करना चाहिए।
                          • जौ, बाजरा तथा ज्वार की रोटी इस रोग से पीड़ित रोगी के लिए बहुत अधिक लाभदायक है।
                          • नारियल, तिल तथा सोयाबीन को पीसकर दूध में मिलाकर प्रतिदिन पीने से रोगी व्यक्ति को बहुत अधिक लाभ मिलता है।
                          • आंवले का प्रतिदिन सेवन करने से रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है।
                          • इस रोग को ठीक करने के लिए रोगी व्यक्ति को 1 सप्ताह तक फलों का रस (गाजर, खीरा, चुकन्दर, सफेद पेठा, पत्तागोभी, लौकी, अंगूर आदि फलों का रस) पीना चाहिए। इसके बाद कुछ सप्ताह तक रोगी व्यक्ति को बिना पका हुआ भोजन खाना चाहिए जैसे- फल, सलाद, अंकुरित दाल आदि और इसके बाद संतुलित भोजन करना चाहिए।

                            उपचार-,Home remedies for psoriasis,

                            सोरायसिस के उपचार में बाह्य प्रयोग के लिए एंटिसोरियेटिक क्रीम/ लोशन/ ऑइंटमेंट की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। रोग की तीव्रता न होने पर साधारणतः मॉइस्चराइजिंग क्रीम इत्यादि से ही रोग नियंत्रण में रहता है। लेकिन जब बाह्योपचार से लाभ न हो तो मुँह से ली जाने वाली एंटीसोरिक और सिमटोमेटिक औषधियों का प्रयोग आवश्यक हो जाता है। आजकल अल्ट्रावायलेट लाइट से उपचार की विधि भी अत्यधिक उपयोगी और लाभदायक हो रही है।

                              • यह रोग अधिकतर केहुनी,घुटनों और खोपडी पर होता है। अच्छी बात ये कि यह रोग संक्रामक किस्म का नहीं है। रोगी के संपर्क से अन्य लोगों को कोई खतरा नहीं है।
                              • बादाम 10 नग का पावडर बनाले। इसे पानी में उबालें। यह दवा सोरियासिस रोग की जगह पर लगावें। रात भर लगी रहने के बाद सुबह मे पानी से धो डालें। यह उपचार अच्छे परिणाम प्रदर्शित करता है।
                              • एक चम्मच चंदन का पावडर लें। इसे आधा लिटर में पानी मे उबालें। तीसरा हिस्सा रहने पर उतार लें। अब इसमें थोडा गुलाब जल और शक्कर मिला दें। यह दवा दिन में तीन बार पियें।
                              • पत्ता गोभी सोरियासिस में अच्छा प्रभाव दिखाता है। उपर का पत्ता लें। इसे पानी से धोलें।हथेली से दबाकर सपाट कर लें। इसे थोडा सा गरम करके प्रभावित हिस्से पर रखकर उपर सूती कपडा लपेट दें। यह उपचार लम्बे समय तक दिन में दो बार करने से जबर्दस्त फ़ायदा होता है।
                              • पत्ता गोभी का सूप भी सुबह शाम पीने से सोरियासिस में लाभ होते देखा गया है। प्रयोग करने योग्य है।
                              • नींबू के रस में थोडा पानी मिलाकर रोग स्थल पर लगाने से सुकून मिलता है।
                              • नींबू का रस तीन घंटे के अंतर से दिन में 4-5 बार पीते रहने से छाल रोग ठीक होने लगता है।
                              • सर्दी के दिनों में 3 लीटर और गर्मी के मौसम मे 6 से 7 लीटर पानी पीने की आदत बनावें। इससे विजातीय पदार्थ शरीर से बाहर निकलेंगे।
                              • सोरियासिस चिकित्सा का एक नियम यह है कि रोगी को 10 से 15 दिन तक सिर्फ़ फ़लाहार पर रखना चाहिये। उसके बाद दूध और फ़लों का रस चालू करना चाहिये।
                              • रोगी के कब्ज निवारण के लिये गुन गुने पानी का एनीमा देना चाहिये। इससे रोग की तीव्रता घट जाती है।
                              • अपरस वाले भाग को नमक मिले पानी से धोना चाहिये फ़िर उस भाग पर जेतुन का तेल लगाना चाहिए।
                              • खाने में नमक वर्जित है। धूम्रपान करना और अधिक शराब पीना विशेष रूप से हानि कारक है। ज्यादा मिर्च मसालेदार चीजें न खाएं
                              • रात में 1 चमच तिल भिंगो कर रखे सुबह खाली पेट पि लिया करे
                              • इस रोग को ठक करने के लिए जीवन शैली में बदलाव करना जरूरी है। सर्दियों में ३ लीटर और गर्मियों में 5 से 6 लीटर पानी पीने की आदत बना ले। इससे वर्जतीय पदार्थ शारीर से बाहर निकलेगे
                              • सोरयासिस चिकित्सा का एक नियम यह है की रोगी को १० से १५ दिन तक सिर्फ फ़लाहार पर रखना चाहिये। उसके बाद दूध और फ़ल का रस चालू करना चाहये।
                              • रोगी के कब्ज़ निवारण के लिये गुन गुने पानी का एनीमा देना चाहिये। इससे रोग की तीव्रता घट जाती है।
                              • अपरस वाले भाग को नमक मले पानी से धोना चाहये फिर उस भाग पर जेतुन का तेल लगाना चाहिए खाने में नमक बिलकुल ही वर्जित है। पीडित भाग को नमक मिले पानी से धोना चाहये।
                              • धुम्रपान करना और अधिक शराब पीना तो विशेष रूप से हानिकारक है। ज्यादा मिर्च मसालेदार चीज़े भी न खाएं।

                                रोक थाम- Prevention Of Psoriasis

                                • धूप तीव्रता सहित त्वचा को चोट न पहुंचने दें। धूप में जाना इतना सीमित रखें कि धूप से जलन न होने पाएं।
                                • मद्यपान और धूम्रपान न करें।
                                • स्थिति को और बिगाड़ने वाली औषधी का सेवन न करें।
                                • तनाव पर नियंत्रण रखें।
                                • त्वचा का पानी से संपर्क सीमित रखें।
                                • फुहारा और स्नान को सीमित करें, तैरना सीमित करें।
                                • त्वचा को खरोंचे नहीं।
                                • ऐसे कपड़े पहने जो त्वचा के संपर्क में आकर उसे नुकसान न पहुंचाएँ।
                                • संक्रमण और अन्य बीमारियाँ हो तो डाक्टर को दिखाएं।
                                • ज़्यादा मिर्च मसालेदार चीज़ें न खाएं।