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Monday, August 05, 2019

गर्भवती महिला को क्या नहीं खाना चाहिए,What to not eat in Pregnancy in Hindi

गर्भवती महिला को क्या नहीं खाना चाहिए।,WHAT TO NOT EAT IN PREGNANCY IN HINDI !

किसी महिला को मां के दर्जे तक पहुंचाने वाले नौ महीने बेशकीमती होते हैं। इन नौ महीनों में वह क्या सोचती है, क्या खाती है, क्या करती है, क्या पढ़ती है, ये तमाम चीजें मिलकर आनेवाले बच्चे की सेहत और पर्सनैलिटी तय करती हैं। इन नौ महीनों को अच्छी तरह प्लान करके कैसे मां एक सेहतमंद जिंदगी को जीवन दे सकती है

गर्भावस्‍था में क्‍या खाए जाए से जरूरी यह जानना है कि क्‍या न खाया जाए। घर-परिवार की बुजुर्ग महिलाएं अपने अनुभव के आधार पर यह राय देती रहती हैं। चलिए जानते हैं कि गर्भावस्‍था में कौन सी सब्‍जियों और फलों से परहेज करना चाहिए। आइये जानें, गर्भवस्‍था के दौरान कौन-कौन से फल और सब्जियां ना खाएं।
  • गर्भावस्था के दौरान इन चीजों के सेवन बचें :-बिना धुले हुए फल और सब्जियां ना खाये :- गर्भावस्था के दौरान पके हुए खाद्य पदार्थ खाएं। कच्चे और बिना पके खाद्य पदार्थ न खाएं। फल और सब्जियां तथा ऐसे खाद्य पदार्थ जिन्हें खाने से पहले धोने की आवश्यकता होती है, उन्हें बिना धोएं न खाएं।
  • कॉफ़ी, चाय और शराब से दूर रहे :- प्रसव के दौरान जटिलताओं से तथा भ्रूण में जन्म दोष से बचने के लिए गर्भावस्था के दौरान चाय, कॉफ़ी और शराब के सेवन से बचें। इन तीन पेय पदार्थों के अत्याधिक सेवन से गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है।
  • पपीता ना खाये :- कोशिश करें कि गर्भावस्था के दौरान पपीता ना खाए। पपीता खाने से प्रसव जल्दी होने की संभावना बनती है। पपीता, विशेष रूप से अपरिपक्व और अर्द्ध परिपक्व लेटेक्स जो गर्भाशय के संकुचन को ट्रिगर करने के लिए जाना जाता है को बढ़ावा देता है। गर्भावस्था के तीसरे और अंतिम तिमाही के दौरान पका हुआ पपीता खाना अच्छा होता हैं। पके हुए पपीते में विटामिन सी और अन्य पौष्टिक तत्वों की प्रचुरता होती है, जो गर्भावस्था के शुरूआती लक्षणों जैसे कब्ज को रोकने में मदद करता है। शहद और दूध के साथ मिश्रित पपीता गर्भवती महिलाओं के लिए और विशेष रूप से स्तनपान करा रही महिलाओं के लिए एक उत्कृष्ट टॉनिक होता है।
  • अनानास ना खाये :- गर्भावस्था के दौरान अनानस खाना गर्भवती महिला के स्‍वास्‍थ्‍ा के लिए हानिकारक हो सकता है। अनानास में प्रचुर मात्रा में ब्रोमेलिन पाया जाता है, जो गर्भाशय ग्रीवा की नरमी का कारण बन सकती हैं, जिसके कारण जल्‍दी प्रसव होने की सभांवना बढ़ जाती है। हालांकि, एक गर्भवती महिला अगर दस्त होने पर थोड़ी मात्रा में अनानास का रस पीती है तो इससे उसे किसी प्रकार का नुकसान नहीं होगा। वैसे पहली तिमाही के दौरान इसका सेवन ना करना ही सही रहेगा, इससे किसी भी प्रकार के गर्भाशय के अप्रत्याशित घटना से बचा जा सकता है।
  • अंगूर का सेवन ना करे :- डॉक्‍टर गर्भवती महिलाओं को उसके गर्भवस्‍था के अंतिम तिमाही में अंगूर खाने से मना करते है। क्‍योंकि इसकी तासिर गरम होती है। इसलिए बहुत ज्‍यादा अंगूर खाने से असमय प्रसव हो सकता हैं। कोशिश करें कि गर्भावस्था के दौरान अंगूर ना खाए।
  • पारा यानी कि मरक्युरी बच्चे के मस्तिष्क के विकास में विलंब पैदा करता है। इसलिए गर्भावस्था के दौरान पारा युक्त मछली के सेवन से बचना चाहिए।
  • गर्भावस्था के दौरान भारतीय महिलाओं को पपीता का सेवन करने से मना किया जाता है, खासकर के अगर पपीता कच्चा या अधपका हो।
  • बैंगन, मिर्ची, प्याज, लहसुन, हिंग, बाजरा, गुड़ का सेवन कम से कम मात्रा में करना चाहिए, खासकर के उनको जिनका किसी न किसी कारण से पहले गर्भपात हो चुका है।
  • पिसे हुए मसालेदार मांस का सेवन करने से भी बचना चाहिए, क्योंकि उसमे हानिकारक जीवाणुओं का समावेश हो सकमीट
  • कच्‍चा या अधपका मीट खाने से गर्भावस्‍था के शुरूआती दिनों में बचना चाहिये। बेहतर होगा कि गर्भावस्‍था के दिनों में आप मीट को अच्‍छी तरह पकाकर खाएं। गर्भावस्‍था में प्रॉन मीट खाने से बचना चाहिये।
  • डिब्बा बंद भोजन और अचार के रूप में, लंबी अवधि के भंडारण के लिए करना है कि खाना नहीं खाते।डिब्बाबंद।स्टू, मछली और सब्जी के विभिन्न प्रकार इसकी संरचना में बरकरार रखता सिरका या अन्य परिरक्षकों है।भ्रूण के विकास पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है गर्भवस्था के समय हर महिला को अपने खानपान से लेकर हर छोटी सी बड़ी चीजों का बड़ा ध्यान रखना होता है इसके लिए जरूरी होता है कि क्या खाएं और क्या न खाएं इसका भी बहुत ही खास ध्यान रखना होता है।
  • जी हां एक शोध के अनुसार पता चला है कि जो महिलाएं प्रेग्नेंसी के दौरान आलू का सेवन ज्यादा करती है उनको मधुमेह होने की संभावना बढ़ जाती है। तो ऐसे समय आप आलू की जगह और दूसरी सब्जियों का सेवन करना शुरू कर दें।

Wednesday, September 26, 2018

पीरियड के कितने दिन बाद प्रेग्नेंट होते है,? Period Ke Kitne Din Baad Pregnancy Hoti Hai in Hindi,


ओवुलेशन चक्र को समझ लेने से आपके गर्भवती होने की समभावना बढ़ जाती हैं। जितने भी लोग बच्चा पैदा करना चाहते हैं , उनमे से लगभग 85% लोग एक साल के अन्दर ऐसा करने में सफल हो जाते हैं. जिसमे से 22 % लोग तो पहले महीने के अन्दर ही सफल हो जाते हैं. यदि एक साल तक प्रयास करने पर भी बच्चा ना हो तो यह समस्य का विषय हो सकता है , और ऐसे जोड़ों को बांझ समझा जाता हैं.

बच्चा पैदा होने के लिए couples के बीच सेक्स का होना अनिवार्य है. और इसके दौरान पुरुष का penis (लिंग) इस्त्री के vagina (योनी) में जाना चाहिए और उसे इस्त्री के vagina में sperm ( शुक्राणु ) छोड़ने होंगे , जिससे sperm ,uterus(गर्भाशय) के मुख के पास इकठ्ठा हो जायेगा

इसके आलावा सम्भोग ovaluation के समय के आस-पास होना चाहिए. Ovaluation एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमे महिलाओं के Ovary (अंडाशय ) से egg ( अंडे) निकलते हैं. बच्चा पैदा करने के लिए महिलाओं में सेक्स के दौरान orgasm होना अनिवार्य नहीं है. Doctors का कहना है कि दरअसल fallopian tube जो कि अंडे को ovary से uterus तक ले जाता है , sperm को अपने अन्दर खींच ले जाता है और उसे egg से मिलाने की कोशिश करता है. और इसके लिए महिलाओं में orgasm का आना जरूरी नहीं है.

पीरियड के कितने दिन बाद प्रेग्नेंट होते है,

Ovulation का समय पता करने का अर्थ है उस समय का पता करना जब ovaries से fertilization के लिए तैयार egg निकले. इसे जानने के लिए आपको अपने period-cycle (मासिक-धर्म) का अंदाजा होना चाहिए. यह 24 से 40 दिन के बीच हो सकता है. अब यदि आप को अपने next period के आने का अंदाजा है तो आप उससे 12 से 16 दिन पहले का समय पता कर लीजिये , यही आपका ovulation का समय होगा .
For Example: यदि period की शुरुआत 30 तारीख को होनी है तो 14 से 18 तारिख का समय ovulation का समय होगा.
 सही समय पर सेक्स न करना। अधिकतर जोड़े इस बात से अंजान होते हैं कि गर्भधारण में सेक्स की 'टाइमिंग' बहत मायने रखती है। समय पर सहवास-गर्भवती होने के लिए सिर्फ सहवास करना जरूरी नहीं होता बल्कि सही समय पर सहवास करना भी मायने रखता है। यह बात ध्यान देने योग्य है कि पुरुष के शुक्राणु हमेशा लगभग एक जैसे ही होते हैं, जो महिला को गर्भवती कर सकते हैं। लेकिन महिला का शरीर ऐसा नहीं होता जो कभी भी गर्भवती हो सके। उसका एक निश्चित समय होता है, एक छोटी सी अवधि होती है।  
Ovulation के समय के आस-पास sex करें Gynecologists का मानना है कि बच्चा पैदा करने के लिए इस्त्री के eggs ovary से निकलने के 24 घंटे के अन्दर ही fertilize होने चाहियें. आदमी के sperms औरत के reproductive tract (प्रजनन पथ) में 48 से 72 घंटे तक ही जीवित रह सकते हैं. चूँकि बच्चा पैदा करने के लिए आवश्यक embryo (भ्रूण ) egg और sperm के मिलन से ही बनता है , इसलिए couples को ovulation के दौरान कम से कम 72 घंटे में एक बार ज़रूर sex करना चाहिए और इस दौरान पुरुष को इस्त्री के ऊपर होना चाहिए ताकि sperms के leakage की सम्भावना कम हो. साथ ही पुरुषों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वो 48 घंटे में एक बार से ज्यादा ना ejaculate करें वरना उनका sperm count काफी नीचे जा सकता है , जो हो सकता है कि egg जो fertilize करने में पर्याप्त ना हो.
  • एक healthy lifestyle बनाए रखें.बच्चा पैदा करने के chances बढ़ाने के लिए बेहद आवश्यक है कि पति-पत्नी एक स्वस्थ्य- जीवनशैली बनाये रखें. इससे होने वाली संतान भी अच्छी होगी. खाने – पीने में पर्याप्त भोजन और फल की मात्रा रखें . Vitamins कि सही मात्र से पुरुष-स्त्री दोनों की fertility rate बढती है .रोजाना व्यायाम करने से भी फायदा होता है.
  • सिगरेट पीने वाली महिलाओं में conceive करने के chances 40 % तक घट जाते हैं Stress-free (तनाव-मुक्त) रहने का प्रयास करें:इसमें कोई शक नहीं है कि अत्यधिक तनाव आपके reproductive function में बाधा डालेगा. तनाव से कामेक्षा ख़तम हो सकती है , और extreme conditions में स्त्रियों में menstruation कि प्रक्रिया को रोक सकती है. एक शांत मन आपके शरीर पर अच्छा प्रभाव डालता है और आपके pregnant होने की सम्भावना को बढ़ता है. इसके लिए आप regularly breathing- exercises और relaxation techniques का प्रयोग कर सकती हैं.
  • Testicles (अंडकोष)को ज्यादा heat से बचाएँ :यदि sperms ज्यादा तापमान में expose हो जायें तो वो मृत हो सकते हैं. इसीलिए Testicles (जहाँ sperms का निर्माण होता है) body के बहार होते हैं ताकि वो ठंढे रह सकें. गाड़ी चलते समय ऐसे beaded सीट का प्रयोग करें जिसमे से थोड़ी हवा पास हो सके. और बहुत ज्यादा गरम पानी से इस अंग को ना धोएं .
  • सेक्स के बाद थोड़ी देर आराम करें-सेक्स के बाद थोड़ी देर लेटे रहने से महिलाओं कि योनी से sperms के निकलने के chances नहीं रहते. इसलिए सेक्स के बाद 15-20 मिनट लेटे रहना ठीक रहता है.
  • किसी तरह का नशा ना करे:ड्रग्स , नशीली दवाओं, सिगरेट या शराब के सेवन आदमी-औरत , दोनों के hormones का संतुलन बिगड़ सकता है. और आपकी प्रजनन क्षमता को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है.
  • दवाओं का प्रयोग कम से कम करें-कई दवाइयां , यहाँ तक कि आराम से मिल जाने वाली आम दवाइयां भी आपकी fertility पर बुरा प्रभाव डाल सकती हैं.कई चीजें ovulation को रोक सकती हैं , इसलिए दवाओं का उपयोग कम से कम करें. बेहतर होगा कि आप किसी भी दावा को लेने या छोड़ने से पहले डॉक्टर से सलाह ले लें.
  • Lubricants को avoid करें-Vagina को lubricate में प्रयोग होने वाले कुछ ज़ेल्स, तरल पदार्थ , इत्यादि sperms को महिलाओं की reproductive tract में travel करने में बाधक हो सकते हैं. इसलिए इनका प्रयोग अपने डाक्टर से पूछ कर ही करें

Monday, May 22, 2017

प्रेग्नेंसी टेस्ट के घरेलु उपाय,Pregnancy Test at Home in Hindi,

Pregnancy Check Karne ke Gharelu Nuskhe,

प्रेग्नेंट होना किसी भी महिला और उसके परिवार वालों खासकर उसके पार्टनर के लिए बहुत ख़ुशी की बात होती है। सबसे बड़ी बात कि प्रेग्नेंट होने के बाद, बिना प्रेग्नेंसी टेस्ट के, ज्यादातर महिलाओं इस बात की जानकारी खुद भी नहीं हो पाती कि वह प्रेग्नेंट है। 

मां बनना औरत की जिदंगी का सबसे हसीन पल होता है। शादी के बाद जब औरत के मां बनने की उम्मीद जागती है तो वह अपनी खुशी परिवार के बाकी सदस्यों से बांटने की बजाए पहले खुद इस बात की तसल्ली कर लेना चाहती है कि वह सच में प्रैग्नेंट है या नहीं। वैसे तो मार्किट में कई तरह की प्रैग्नेंसी टैस्ट किट आसानी से मिल जाती हैं लेकिन कई बार शर्माते हुए लड़की अपने दिल की बात किसी से कह नहीं पाती। ऐसे में कुछ आसान से घरेलू उपायों से घर पर ही यह पता लगाया जा सकता है कि आप गर्भवती हैं या नहीं। वैसे तो आपने कई बार टूथपेस्ट से प्रैग्नेंसी की जांच के बारे में सुना होगा लेकिन इसके अलावा और भी बहुत से तरीके हैं, जिनसे आप इसकी जांच कर सकती हैं। गर्भावस्था की जांच करने के लिए सुबह का पहला यूरिन इस्तेमाल करना चाहिए।

आइये जाने प्रेग्नेंसी टेस्ट के घरेलु उपाय,

डेटॉल से कैसे करें प्रेगनेंसी टेस्ट-यह टेस्ट आपको सुबह करना है। सुबह सबसे पहले जब आप यूरिन के लिए जाएं, तो कम से कम 15 एमएल यूरिन को किसी शीशी में ले लीजिये। अब यूरिन में इतनी ही मात्रा में डेटोल लेकर उसमें मिला लीजिये। इसके बाद कुछ देर तक इस मिश्रण पर नजर रखिये। थोड़ी देर बाद यदि, डेटॉल और यूरिन जो आपस में मिक्स हो गया था, अलग-अलग हो जाते हैं और यूरिन, डेटॉल पर तेल की तरह तैरने लगता है तो समझ लीजिये कि आप प्रेग्नेंट हैं। लेकिन इसके बजाय यदि यूरिन और डेटॉल आपस में अच्छे से घुल जाते हैं और दूध सी सफेदी जैसा एक पदार्थ बन जाता है तो समझ लीजिये कि आप प्रेग्नेंट नहीं हैं।

चीनी  डिस्पोजल गिलास में चीनी के कुछ दानें और यूरिन इसमें डाल दें। चीनी घुलने की बजाए अगर गुच्छों में बदल जाए तो समझ लें कि आप गर्भवती हैं।

ब्लीच से प्रेगनेंसी टेस्ट का तरीका :- डिसपोजल या किसी पात्र में थोड़ी मात्रा में ब्लीच पाउडर लें और उसमे पेशाब के सैंपल को मिक्स कर लें। अगर मिक्स करने के बाद बुलबुले दिखाई देते हैं तो यह पॉजीटिव प्रेगनेंसी के संकेत हो सकते हैं ।

सिरका  पारदर्शी प्लास्टिक के गिलास में यूरिन और विनेगर मिलाएं। थोड़ी देर इसे पड़ा रहने दें। सिरके का रंग अगर बदल जाए तो समझ लें कि आप प्रैग्नेंट हैं। 

साबुन भी प्रैग्नेंसी टैस्ट करने के लिए अच्छा उपाय है। इसके लिए 1 गिलास में साबुन और यूरिन डाल लें। इनको मिलाएं और कुछ देर बाद इसमें बुलबुले जैसा कुछ उठे तो समझ ले कि घर नन्हा मेहमान आने वाला है। कांच का गिलास यह प्रैग्नेंसी टैस्ट का सबसे आसान उपाय है। एक कांच का गिलास लेकर इसमें सुबह का पहला यूरिन डालें। थोड़ी देर इसे बिना हिलाए इसी तरह पड़ा रहने दें। इसमें कुछ सफेद सा नजर आना शुरू हो जाए तो समझ लें कि आप गर्भवती हैं। कुछ बदलाव दिखाई न दे तो टैस्ट नैगटिव है।

टूथपेस्‍ट से प्रेगनेंसी टेस्‍ट -टूथपेस्ट के माध्‍यम से प्रेगनेंसी टेस्‍ट करने के लिए आपको सफेद रंग के टूथपेस्ट, सुबह के समय का पहला यूरिन, और एक ग्लास की जरूरत होती है। एक डिस्पोजेबल ग्लास में अपने पहले यूरिन का सैंपल लें। अब उस यूरिन में एक चम्मच टूथपेस्ट मिला दें।

टूथपेस्ट टेस्‍ट का परिणाम यूरिन में टूथपेस्‍ट मिलाने के बाद अगर उसका रंग बदलकर नीला हो जाता है, तो यह आपके प्रेगनेंट होने का संकेत देता है। इसके अलावा झाग का एक साथ इकठ्ठा होना भी पॉजीटिव प्रेगनेंसी का संकेत है। लेकिन अगर आपको इस उपाय को करने के दौरान कोई भी बदलाव दिखाई नहीं देते तो इससे स्पस्ट होता है कि आप प्रेगनेंट नहीं हैं।

Monday, May 15, 2017

रूसी दूर करने के उपाय,Home Remedies for Dandruff in Hindi,

रुसी का उपचार-Home Remedies for Dandruff in Hindi,How to cure dandruff ,itchy scalp,
रूसी सिर में मरी हुई त्वचा के कण होते हैं, जो नई त्वचा के आने से हटते रहते हैं। इन्हीं कणों को रूसी कहते हैं। यह रोग स्त्री और पुरुष दोनों में ही पाया जाता है। ज्यादातर लोगों को यह पता नहीं होता कि उनके बालों में होने वाली रूसी तैलीय है या रूखी। रूखी रूसी के कण बहुत ही छोटे होते हैं, जो सिर की त्वचा से चिपके या बालों में फैले रहते हैं। ऐसी रूसी में बहुत खुजली होती है। जबकि तैलीय रूसी छोटे कणों के साथ सीबम से मिली होती है। कई बार रूसी ज्यादा हो जाने से बालों का गिरना भी शुरू हो जाता है।

रूसी बालों की सबसे बड़ी दुश्मन है। इसके कारण बाल अपना आकर्षण खो देते हैं। इस रोग के कारण सिर पर खुश्की होकर सफेद-सफेद रूसी बालों में हो जाती है। जब बालों में ब्रश या कंघा करते हैं या बालों को रगड़ते हैं तो यह बालों से निकलकर बाहर गिरने लगती है। यह खोपड़ी पर दाने या पपड़ी के रूप में भी निकल सकती है। यदि इन्हें बालों से बाहर न निकाला जाए तो यह वहां के रोमकूपों को बंद कर देती है।

अगर बालों को साफ न रखा जाए तो उनमें रूसी पैदा हो सकती है और यह फैलने वाली होती है। इसलिए अपने कंघे, ब्रश, साबुन और तौलिए को अलग रखना चाहिए। बालों को सप्ताह में जितनी बार ज्यादा से ज्यादा हो धोना चाहिए।

रूसी होने का कारण

  • यह शरीर में दूषित द्रव्य के जमा हो जाने तथा गलत तरीके के खान-पान और दूषित भोजन का सेवन करने के कारण होती है।
  • सिर की ठीक तरीके से सफाई न करने के कारण भी सिर में रूसी हो सकती है।
  • जिस व्यक्ति के बालों में रूसी हो उसके द्वारा इस्तेमाल किये गये कंघी, तौलिये, ब्रश आदि दूसरे व्यक्तियों को इस्तेमाल नहीं करने चाहिए नहीं तो दूसरे व्यक्ति के बालों में भी रूसी हो सकती है।
  • शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता (रोगों से लड़ने की शक्ति) कम होने के कारण तथा भावनात्मक तनाव के कारण भी हो रूसी का रोग हो सकता है।

बालों से रूसी को खत्म करने के लिए उपचार,Remedies For Dandruff,dandruff remedies,

  • पानी में नींबू का रस मिलाकर 1 सप्ताह तक प्रतिदिन बालों की जड़ों में अंगुलियों से अच्छी तरह से मसल लें। फिर थोड़ी देर बाद बालों को धो दें। इससे बालों में से रूसी खत्म हो जाती है।
  • 3 भाग जैतून के तेल में 1 भाग शहद घोल लें। इस मिश्रण को सिर और बालों पर लगाकर सिर पर गर्म तौलिया लपेट लें। इसके बाद सिर को अच्छी तरह से धोने से बालों की रूसी खत्म हो जाती है।
  • नारियल के तेल में चार प्रतिशत कपूर मिलाकर रख लें। फिर अपने बालों को अच्छी तरह से धोकर बालों को सुखा लें। इसके बाद इस तेल को बालों में लगाकर सिर की अच्छी तरह से मालिश करें। इससे रूसी खत्म हो जाती है।
  • आंवला, शिकाकाई तथा रीठा को एक साथ पानी में भिगोकर उस पानी से सिर को धोयें। इस क्रिया को 2-3 दिन तक करने से बालों में से रूसी खत्म हो जाती है।
  • रोजाना जैतून के गुनगुने तेल से सिर की मालिश करें। फिर गर्म पानी में तौलिया भिगोकर अच्छी तरह से निचोड़कर पूरे सिर में बांध लें। इससे तेल और भाप बालों की जड़ों तक पहुंच जाता है। 3 घंटे के बाद गुनगुने पानी से बालों को अच्छी तरह से धोने से बालों मे से सारा शैंपू निकल जाता है।
  • दही या मट्ठे से सिर धोने से भी लाभ होता है।
  • सरसों के तेल में नींबू मिलाकर या सिरके में बहुत सारा पानी मिलाकर बालों की जड़ों में लगाकर लगभग 2 घंटे के बाद सिर को धोएं। इससे बालों में से रूसी कम हो जाती है।
  • बालों में रूसी होने पर प्रतिदिन सुबह के समय में अपने सिर की सूखी मालिश करने से बालों में से रूसी खत्म हो जाती है।
  • दही में थोड़े से सरसो के तेल को मिलाकर प्रतिदिन इस दही को सिर पर कुछ समय के लिए लगाकर फिर बालों को अच्छी तरह से धोने से रूसी खत्म हो जाती है।
  • रोजाना आधे घंटे तक सिर पर दही की मालिश करके सिर को धोने से रूसी खत्म हो जाती है।
  • मेथी के बीजों को रात के समय में पानी में भिगोने के लिए रख दें। सुबह के समय में इसे पीसकर लेप बनाकर सिर पर लगाएं और आधे घंटे के बाद सिर को धो लें।
  • बालों को ब्रश, शैंपू और कंघी से साफ-सुथरा रखें। संतुलित तथा सही से पचने वाला भोजन लें। पूरे सप्ताह में 2 बार गर्म तेल से सिर की मालिश करनी चाहिए। रोजाना रोजमेरी के काढ़े से सिर की मालिश करने से लाभ मिलता है।
  • गर्म पानी में 1 नींबू का रस मिलाकर बालों में लगाकर फिर सिर को धोने से रूसी में लाभ होता है। बालों को धोने से पहले सिर की त्वचा में तेल की मालिश के बाद गर्म या ठंडे पानी में भीगा हुआ तौलिया लपेट लें। इससे त्वचा के रोम-छिद्र खुल जाते हैं, खून का बहाव तेज होता है और रूसी भी दूर होती है।
  • सुबह के समय में जब धूप निकल जाए तब कम से कम आधे घंटे तक सूर्य का प्रकाश अपने सिर पर लगने दें। इसके बाद मुलतानी मिट्टी का लेप बनाकर सिर पर लगा लें और कुछ देर बाद सिर को धो लें इससे रूसी खत्म हो जाती है।
  • 1 अंडे की सफेदी और 1 नींबू के रस को मिलाकर सिर पर आधे घंटे के लिए लगाएं। फिर इसे सादे पानी से धो लें। अंत में सिरका सादे पानी में मिलाकर बालों को धोने से लाभ मिलता है।
  • सूर्यतप्त नीले तेल की मालिश सिर पर कुछ दिनों तक करने से रूसी खत्म हो जाती है।
  • शरीर में से दूषित द्रव्यों को बाहर करने के लिए व्यक्ति को सप्ताह में एक बार उपवास रखना चाहिए तथा पत्ता गोभी का रस, पालक का रस, अन्ननास का रस सेवन करना चाहिए। एक सप्ताह तक बिना पका हुआ भोजन करना चाहिए। इसके बाद सामान्य भोजन करना चाहिए और भोजन में फल, अंकुरित दालें तथा सलाद अधिक लेने चाहिए।
  • चाय, मिर्च-मसालेदार, कॉफी, रिफाइंड वाले पदार्थ तथा मैदा से बनी चीजों का सेवन न करें। पेट को साफ करने के लिए एनिमा क्रिया की आवश्यकता पड़े तो यह क्रिया जरूर करनी चाहिए।

Saturday, May 13, 2017

ब्रेस्ट पेन,स्तनों में दर्द ,Breast Pain in Hindi, Stano Mai Dard Ke Uapay

महिलाओं में कई तरह की प्रतिक्रिया होती हैं जिनकी वजह से उन्हे कई बार दर्द का सामना भी करना पड़ता है ऐसे मे जब उन्हे मासिक धर्म आने पर रहता है तो उनके स्तन में दर्द होने लगता है। और इस प्रकार के दर्द को साइक्लिकल मास्टालजिया कहते हैं। यह दर्द आमतौर पर स्तनों के ऊपर या फिर बाहरी क्षेत्र में उठता है। ऐसे समय स्तनों मे सूजन के साथ कड़कपन भी देखने को मिलता है।
महिलाओं को अक्सर ब्रेस्ट में दर्द की शिकायत रहती है. कई बार ये किसी गंभीर बीमारी की वजह से भी हो सकता है. ऐसा भी होता है कि पीरियड्स के दौरान या किसी और वजह से हार्मोन्स में बदलाव हो तो ब्रेस्ट में दर्द होने लगता है. अगर आप चाहें तो इन घरेलू नुस्खों को अपनाकर इस दर्द से मुक्ति पा सकती हैं.

स्तनों में दर्द होने का कारण

  • दुगध नलिकओ मे बदलओ - दुगध नलिकओ मे बदलओ के कारण भी स्तन मे दर्द होता है !faty acid मे असन्तुलन के कारण - शरीर मे कोशिकओ मे जो faty acid होता है उसके असन्तुलन के कारण भी स्तन मे दर्द की समस्या होती है
  • मानसिक तनाव के कारण - महिलाओ मे मानसिक तनाव के कारण भी स्तन दर्द होता है
  • सर्जरी - कभी स्तनो मे गाठ या किसी और वजह से कराइ गई सर्जरी की वजह से भी स्तन मे दर्द होता है 
  • पसलियो मे किसी समस्या की वजह से - पसलियो मे फेक्चर या किसी और समस्या की वजह से भी स्तन मे दर्द की शिकायत होती है
  • हर्मोन्स परिवर्तन ,महिलाओ मे जब किशोरा अवस्था आती है तो हर्मोन्स परिवर्तित होते है ! हर्मोन्स परिवर्तन होता है तो स्तन मे दर्द होता है !
  •  माहावरी के कारण - माहवरी के कारण भी स्तन मे दर्द होता है ! जब माहवरी आती है उसके 1-2 सप्ताह पहले से स्तन मे दर्द शुरू हो जाता है और माहवरी आने पर बंद हो जाता है !
  • स्तनो का आकार बडा होने के कारण - जिन महिलाओ के स्तनो का आकार बडा होता है उनमे अक्सर स्तन मे दर्द की शिकायत होती है 
  • दवाओ के सेवन के कारण - जो माहिलये बांजपन की दवाइ या गर्भ निरोधक दवाइयो का सेवन करती है उनमे भी अक्सर स्तन दर्द की शिकायत होती है

स्तनों में दर्द का उपचार

  • आइस पैक-ब्रेस्ट पेन से छुटकारा पाने के लिए आप आइस पैक का इस्तेमाल कर सकती हैं. इस आइस पैक से ब्रेस्ट का दर्द कम होने के साथ ही सूजन भी कम हो जाएगी. ऐसा दिन में दो से तीन बार करने से जल्दी फायदा होगा.
  • एप्‍पल साइडर वेनिगर 1 या 2 चम्‍मच एप्‍पल साइडर वेनिगर एक गिलास गरम पानी में मिक्‍स करें। फिर उसमें थोड़ी सी शुद्ध शहद मिक्‍स करें। इसे दिन में रोजाना दो बार पियें। यह आपके हार्मोन को बैलेंस करेगा और सूजन को कम करेगा।
  • मसाज-ब्रेस्ट मसाज करना भी एक अच्छा उपाय है. इससे जहां ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है वहीं ऊतकों को
  • भी फायदा हेाता है. नहाने के दौरान आप किसी अच्छे साबुन या लिक्विड सोप से ब्रेस्ट मसाज कर सकती हैं. इसके अलावा हल्के गर्म ऑलिव ऑयल में कुछ मात्रा कपूर की मिलाकर मसाज करने से भी फायदा होगा
  •  रेंड़ी का तेल-चम्‍मच रेंड़ी के तेल को 2 चम्‍मच जैतून तेल के साथ मिक्‍स कर के ब्रेस्‍ट की मसाज करें। इसे पीरियड्स आने के एक हफ्ते पहले से प्रयोग करें। इस तेल से ब्रेस्‍ट की सूजन कम होगी और उस तक ढेर सारे पोषण पहुंचेगें
  • कैस्टर ऑयल से करें मसाज-कैस्टर ऑयल में रिसिनोलेइक एसिड पाया जाता है, जो ब्रेस्ट पेन दूर
  • करने में बहुत असरदायक है. केवल कैस्टर ऑयल से मसाज नहीं करनी चाहिए. एक चम्मच कैस्टर
  • ऑयल के साथ दो चम्मच कोई भी साधारण तेल मिलाकर मसाज करने से जल्दी फायदा होता है.
  • विटामिन ई का सेवन करें-विटामिन ई और विटामिन बी-6 के सेवन से भी ब्रेस्ट पेन में आराम मिलता है. घर में ऐसी कई चीजें होती है जिनमें विटामिन ई प्रचुर मात्रा में मिलता है. आप चाहें तो विटामिन ई
  • की कैप्सूल भी ले सकती हैं.
  • मैग्निशियम-पीरियड्स के दौरान ब्रेस्ट की मांस-पेशियों में खिंचाव आ जाता है. इस वजह से ब्रेस्ट पेन होता है. ऐसे समय में मैग्निशियम का सेवन आपको इस दर्द से दूर रख सकता है. हरी पत्तियों, बीजों, केले और डार्क चॉकलेट में ये भरपूर मात्रा में मौजूद होता है.
  • सही ब्रा का चुनाव करना बेहद जरूरी है. हो सके तो वायर वाली ब्रा पहनने से परहेज करें व्यायाम करने के दौरान स्पोर्ट्स ब्रा ही पहनें. कैफीन का सीमित इस्तेमाल करें. जितना अधिक हो सके अपने भोजन में फाइबर की मात्रा लें.
  • अधिक से अधिक पानी पिएं. अपने ब्रेस्ट को नजरअंदाज न करें. महीने में दो से तीन बार इसका परीक्षण करें.
  •  साइकलिकल मैस्टेल्जिया (हार्मोनल बदलाव की वजह से स्तन में दर्द) की शिकार हैं। करीब 60 से 70 फीसदी महिलाएं अपने जीवन में अलग-अलग समय पर स्तन में किसी न किसी तरह के दर्द से जूझती हैं। जहां तक स्तन कैंसर की आपकी चिंता है, 
  • आपको मासिक धर्म खत्म होने के बाद अपने स्तनों की जांच करनी चाहिए कि कहीं उनमें कोई गांठ तो नहीं है या किसी प्रकार का बदलाव तो नहीं दिख रहा, जैसे त्वचा में लाली, निप्पल मुडऩा वगैरह। साथ ही, आपको ब्रैस्ट एक्सपर्ट से भी सलाह लेनी चाहिए जो आपके स्तनों की जांच कर यह तय करेंगे कि कहीं कोई गंभीर समस्या तो नहीं है। 
  • यदि आप मोटापे की शिकार हैं तो वज़न कम करने और ब्रैस्ट को सपोर्ट करने वाली ब्रा पहनने से दर्द कम हो सकता है। इसी तरह, एक्सपर्ट की सलाह से दवाएं जैसे लोकल जैल आदि प्रयोग करने से भी आराम मिल सकता है।

Friday, April 14, 2017

जानें, 1 से 9 महीने तक कैसे मां के गर्भ में होता है बच्चे का विकास,गर्भ में भ्रूण का विकास,Learn Child Development in The Womb of The Mother During 1 To 9 Months in Hindi

गर्भवती होने का एहसास सिर्फ एक गर्भवती स्त्री ही समझ सकती है। ऐसे बहुत से काम होते होंगे जो आप पहले भी करती होंगी। एक नई जिंदगी गर्भ में जब सांस लेती है तो उसका अनुभव ही अलग होता है। उसका एहसास बहुत कोमल होता है। एक तरफ खुशी, हजार सपने और दूसरी तरफ जिम्मेदारी।
मां बनना हर स्त्री के लिए एक ख़ूबसूरत एहसास होता है। इन दिनों वह अपने गर्भ में पल रहे बच्चे की कुछ हरकतों से भी वाकिफ होती है
गर्भावस्था अपने आप में महत्वपूर्ण समय में से एक है। गर्भधारण के पश्चात गर्भवती महिला के शरीर में हलचल होनी शुरू हो जाती है, जिसके परिणाम शरीर में बाहरी रूप से दिखाई पड़ने लगते है। विकास की प्रांरभिक अवस्था के लक्षण शुरूआत में निरंतर बदलते रहते हैं। गर्भावस्था के दौरान गर्भवती स्त्री के हार्मोंस में तेजी से बदलाव आता है। प्रत्येक महीने में ये बदलाव और भी अधिक तेज हो जाते है। एक महीने के गर्भ में भी बच्चे के विकास को देखा जा सकता है। आइए जानते हैं भ्रूण महीने से विकास महीने के बारे में।

जानें, 1 से 9 महीने तक कैसे मां के गर्भ में होता है बच्चे का विकास,Learn Child Development in The Womb of The Mother During 1 To 9 Months in Hindi

  • पहला महीना : गर्भधारण के पहले महीने में आमतौर पर सेहत संबंधी समस्याएं अधिक नहीं होतीं। पीरियड्स आने बंद हो जाते हैं। बार-बार यूरिन जाना पड सकता है। इस समय भ्रूण का आकार चावल के दाने के बराबर होता है।
  • दूसरा महीना : यह समय थोडा जटिल होता है। इस महीने शिशु के हृदय का विकास होता है। इस महीने के बाद अल्ट्रासाउंड के सहारे यह बताना आसान हो जाता है कि बच्चे का सिर किस तरफ और पैर किस तरफ है
  • तीसरा महीना: इस महीने में शिशु की हड्डियों का निर्माण होता है। उसके हाथ और पैर बनना शुरू होते हैं। बच्चे के कान और बाहरी अंग बनने लगते हैं। इस समय बच्चे का सिर शरीर का सबसे बडा भाग होता है।
  • चौथा महीना : इस माह हॉर्मोन का निर्माण होने लगता है। बच्चे के शरीर से एमनियोटिक द्रव भी निकलने लगता है।
  • पांचवां महीना : बच्चे की लंबाई लगभग 25 सेंटीमीटर होती है। इस माह बच्चा जम्हाई और फेशियल एक्सप्रेशन देने लगता है। अब आप होने वाले बच्चे की गति को महसूस कर सकती हैं।
  • छठा महीना : इस माह बच्चे की आंखें खुलने और बंद होने लगती है।
  • सातवां महीना : बच्चे की किक महसूस करने का समय यही है। आपका होने वाला शिशु आपके पाचन तंत्र और आपकी सांसों की गति को महसूस कर सकता है। उसके सिर पर बाल मोटे होने लगते हैं।
  • आठवां महीना : आपका शिशु इस समय पूरी तरह विकसित हो चुका है। उसका मूवमेंट थोडा कम हो सकता है।
  • नौवां महीना : आपका शिशु अब किसी भी समय इस दुनिया में कदम रख सकता है।

Thursday, April 13, 2017

गर्भनिरोधक घरेलू उपाय,Birth Control Home Remedies in Hindi,

गर्भनिरोधक घरेलू उपाय,Birth Control Home Remedies in Hindi,

अक्सर लोग सेक्स के लिए प्रोटेक्शन इस्तेमाल नहीं करते, जिसकी वजह से उन्हें बाद में अनचाही प्रेगनेंसी का सामना करना पड़ता है। सेक्स में गलती की वजह से कई महिलाओं को गर्भनिरोधक लेने की ज़रुरत पड़ती है, जिसका बुरा असर उनकी सेहत पर भी पड़ता है। तो आइये आज आपको बताते हैं कुछ ऐसे घरेलू नुस्खों के बारे में, जिसे इस्तेमाल कर आप अनचाहे गर्भ को रोक सकते हैं।
  • पुदीने के पत्ते : गर्भ धारण से बचने के लिए आप पुदीने के पत्तो को सुखा कर उसका पाउडर बना लें और इन्हें किसी बर्तन में संचित कर लें. जब भी आपका अपने साथी के साथ भोग करने का मन हो तो आप इसकी एक चम्मच को 5 मिनट पहले गुनगुने पानी के साथ लें. निश्चित रूप से आपको लाभ प्राप्त होगा
  • केले का पेड़ जिस पर फल न लगा हो। या फलहीन पेड़ हो, उसकी जड़ उखाड़कर सुखा लें। उसका चूर्णं बनाकर रख लें। मासिक के समय 4-5 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से गर्भ नहीं ठहरता।
  • माहवारी खत्‍म होने के बाद तुलसी के पत्‍तों का काढ़ा चार दिन तक लगातार पीने से भी गर्भ ठहरने की संभावना कम हो जाती है।
  • सुबह उठने के बाद बासी मुंह (बिना कुल्‍ला किए) एक दो लौंग चबाने से भी गर्भ नहीं ठहरता है।
  • मासिक धर्म के समय चंपा के फूलों को पीस कर पीने से गर्भधारण की संभावना नहीं रहती। जब तक बच्‍चा न चाहें, तब तक इसे प्रयोग कर सकती हैं।
  • संभोग करने से पहले योनि में शहद लगाने से भी गर्भधारण नहीं होता है।
  • संभोग से पहले योनि में नीम का तेल लगाने से गर्भ नहीं ठहरता है।
  • पपीता: अनप्रोटेक्टेड सेक्स के बाद पपीता ज़रूर खाएं, इससे गर्भधारण नहीं होगा और आपको बाद में गर्भपात कराने की ज़रुरत नहीं होगी। इसे सेक्स के बाद २ से 3 दिनों तक दिन में २ बार खाने की सलाह दी जाती है।
  • अदरक: अदरक भी एक गर्भ निरोधक के रूप में काम करती है। यदि आप अनचाहा गर्भधारण नहीं चाहती, तो सेक्स के बाद अदरक को गर्म पानी में गर्म कर पीयें। इससे आप निश्चिन्त हो सकती हैं

गर्भपात के घरेलू नुस्खे,Home Remedies for Abortion in Hindi,

गर्भपात के घरेलू नुस्खे,Home Remedies for Abortion in Hindi,

गर्भ धारण करना जहाँ एक सुखद एहसास होता है, वहीं कई बार Abortion ( गर्भपात ) करना भी जरूरी हो जाता है. असुरक्षित सम्भोग के बाद Abortion ( गर्भपात ) घर में भी किया जा सकता है, लेकिन कुछ Precautions ( सावधानियों ) के साथ.
अगर प्राकृतिक गर्भपात 1 महीने के अंदर ही करवाया जाए तो यह ज्‍यादा असरदार होगा नहीं तो ज्‍यादा चांस नहीं है। मेडिकल टर्मिनल ऑफ प्रेग्नेसी एक्ट की तो इसके तहत 20 हफ्ते के बाद एबार्शन नहीं हो सकता है। बेहतर है कि आप घर पर ही प्राकृतिक गर्भपात कर लें। अगर किसी वजह से गर्भ 9 सप्ताह से अधिक समय का हो गया है तो इस से छुटकारा पाने के लिए सर्जिकल गर्भपात सुरक्षित होगा।

 अनचाहे गर्भ के घरेलू उपाय,Gharelu Nuskhe for Abortion in Hindi

  • इसके लिए स्त्रियों को विटामिन सी से युक्त खाना जैसेकि निम्बू, संतरा, हरी सब्जी, गोभी और खीर इत्यादि खाना चाहियें, शरीर की मालिश और भरी कार्य करने चाहियें, गर्म पानी पीना और उससे नहाना चाहियें 
  •  गर्भपात का एक और तरीका होता है गर्भरोधक गोलियों का सेवन करना. ये गोलियां किसी भी दवाई की दुकान में आसानी से उपलब्ध होती हैं.
  • अनार अगर आप अनार को उसके बीज के साथ ही खाएं तो आपके मिसकैरेज होने के चांस काफी ज्‍यादा बढ़ जाते हैं। पुराने जमाने से ही अनार के दानों को प्राकृतिक गर्भपात के लिये प्रयोग किया जाता था।
  • भूने हुए तिल के दाने को honey ( शहद ) के साथ खाएँ, यह भी आपके लिए मददगार साबित होगा.
  • सीता फल के बीज को पीसकर अपनी योनी में अच्छी तरह से मलें, इससे अनचाहा गर्भ नहीं ठहरेगा. ऐसा कुछ दिनों तक लगातार करें.
  • लहसून की 2 कली खाएँ, यह गर्भपात में मदद करेगा. Eating garlic helps in abortion.
  • असुरक्षित सेक्स करने के तुरंत बाद स्त्री का खड़ा हो जाना तथा अपनी योनी की तुरंत अच्छे से सफाई करने से भी बच्चा होने का खतरा कम हो जाता है.
  •  ग्रीन टी ( Green Tea ) : ग्रीन टी या हरी चाय के स्वास्थ्य को बहुत फायदे होते है जैसेकि वजन कम करना, शरीर को चुस्त रखना, हृदय को स्वस्थ रखना इत्यादि. किन्तु अगर इसका अधिक सेवन कर लिए जाये तो ये शरीर के लिए समस्या भी उत्पन्न कर सकता है खासतौर पर गर्भवती स्त्रियों के लिए. इसीलिए इसके पैकेट पर भी लिखा होता है कि गर्भवती स्त्री इसका सेवन न करें. किन्तु गर्भपात के लिए आप इसका सेवन जरुर करें.
  • तुलसी के पत्ते ( Basil leaves ) का काढ़ा ( Brew ) 2-4 दिन पिएँ.
  •  सूखे मेवे- सूखे मेवे जो सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं, यह शुरुआती गर्भ को खत्म कर सकते हैं।
  • अंडे- गर्भवती महिलाएं जो हाल ही में गर्भवती हुई हो अण्डों के सेवन से बचती है, क्योंकि इससे गर्भपात होने का डर होता है।
  • ज्यादा उछल-कूद और व्यायाम गर्भ गिराने में मददगार होते हैं
  • तिल और शहद  ( Sesame and Honey ) : जिन स्त्री को अनचाहा गर्भ है उन्हें माहवारी के दौरान हर रोज सुबह खली पेट एक चम्मच सीके हुए तिल में शहद मिलाकर लेना चाहियें. इससे उन्हें अधिक खून आता है और उनके गर्भपात की संभावना बढ़ जाती है. तिल के तेल की मालिश भी आपके लिए बहुत लाभदायक होती है
  • पपीता और अनानास ( Papaya and Pineapple ) : गर्भपात के लिए पपीते के बारे में सबने जरुर सुना होगा. क्योकि हर गर्भवती स्त्री को ये सलाह दी जाती है कि वो पपीते से दूर रहे वर्ना उन्हें गर्भ से जुडी समस्या हो सकती है किन्तु आपको तो गर्भपात करना है न तो आप जितना हो सके पपीता और
  • अनानास खायें. इसका एक फायदा ये भी है कि इससे पीरियड्स भी जल्दी आते है. इन दोनों में पाया जाना वाला रसायन जिसे पपेन कहा जाता है वो गर्भपात को बढ़ावा देता है.
  • 3- 2 ग्राम बबूल के नर्म पत्ते लें, और उन्हें 2 कप पानी में उबालें जब तक कि यह उबलकर एक कप नहीं हो जाता. नियमित रूप से इसका सेवन करें जब तक गर्भ गिर नहीं जाता.
  •  इसके साथ साथ आप अनानाश का भी लगातार सेवन करते रहे. अनानाश से भी आपको विटामिन से मिलती है और कुछ ऐसे कारण उत्तपन करता है जिससे की आपका घर में ही गर्भपात हो सके.
  • आप सोयाबीन के दानो को रात में पानी में भिगो कर रख दे और सुबह खाली पेट उस पानी का सेवन करे, ये तरीका भी आपको आपके घर में ही गर्भपात में सहायक होता है.
 प्राकृतिक रुप से किया जाने वाला ये गर्भपात अगर एक महीने के भीतर ही कर लिया जाए तो ये कुछ असर कर सकता है लेकिन अगर आप इस प्रक्रिया को करने में देरी कर देती तो ये अपना असर नही दिखाएगा। लेकिन अगर गर्भ नौ सप्ताह से ज्यादा समय का हो तो अच्छा होगा कि आप डॉक्टर के पास जा कर ही गर्भपात कराएं। इतना ही नही इस प्रक्रिया से गर्भपात करने के लिए एक ओर बात का ध्यार जरुर रखे अगर आपको किसी भी तरह से हाई ब्लड प्रेशर, मिरगी, मधुमेह, अस्थमा और किडनी से संबंधित रोग है तो आप इस प्रक्रिया से गर्भपात ना करें।

Monday, April 11, 2016

योनि में खुजली,Vaginitis Infection,Veginal Infection Treatment in Hindi,


    नीम की निवोली का रस निकाल कर उसको योनि की दीवारों पर धीरे-2 उंगलियों से मलें।अगर ताजा निबोली न मिल सकें तो सूखी निबोली का चूर्ण बनाकर पानी में मिलाकर निचोड़ कर भी प्रयोग कर सकते है लैकिन सबसे अच्छा यह रहैगा कि आप नीम का तेल लेकर उसे लगा लें यह हर समय उपलब्ध रहेगा औऱ आसानी से मिल भी सकेगा।
      • घर में ताजा दही जमा कर उस दही को योनि में तथा आसपास लगाने से इस रोग में आशातीत लाभ मिलता है।
      • गाय का धारोष्ण दूध एक अच्छा बैक्टीरिया नाशक है।ताजा दूध लैकर योनि को धोएं इससे खुजली के कीटाणु नष्ट होंगे तथा रोग ठीक हो जाएगा।
      • हरड़, बहैड़ा,आँवला,नीम,व जमालगोटा की जड़ सब चीजें 100-100 ग्राम ले करजौ जैसा कूट कर किसी डिब्बे में रख लें तथा प्रतिदिन 1 चम्मच रात को 1 गिलास पानी में डाल दें सुबह रात के पानी सहित को चूल्है पर रख कर उवाले जव इसका काढ़ा 1कप वन जाए तो छान लें इस छने हुए पानी से प्रतिदिन इसी प्रकार वनाकर साफ रुई से या साफ कपड़े से योनि को धोएं लैकिन ध्यान रहै धोकर साफ पानी से धोए विना ही आप 1-2 घण्टा के लिए लेटी रहैं लाभ तभी होगा।इस प्रयोग को रात को सोते समय भी कर सकते है किन्तु ध्यान रहे एसी स्थिति में चूर्ण भीगने के लिए तब सुबह को ही डालें।और इसके बाद ऱात को धातक्यादि तैल का फाहा योनि में रखकर सो जाने से बहुत ही जल्दी फायदा होगा
      • योनि में खुजली होने पर तुलसी के पत्‍तों का लेप लगाएं। खुजली ठीक हो जाएगी।
      • केले के गूदे में आंवले का रस और मिश्री मिलाकर खाने से खुजली ठीक हो जाती है।
      • नारियल के तेल में भीमसेनी कपूर मिलाकर यो‍निमार्ग में लगाने से भी खुजली ठीक हो जाती है।
      • नीम की पत्‍ती, गिलोय, मुलहठी, त्रिफला और शरपुंखा को एक समान मात्रा में लेकर कूट लें। फिर 10 ग्राम चूर्ण को पांच सौ ग्राम पानी में उबालें। जब आधा पानी रह जाए, तो उतार कर छान लें। इस पानी से 2-3 बार नियमित रूप से योनि को धोने से खुजली दूर हो जाएगी।
      • अच्‍छी क्‍वालिटी के अल्‍कोहल से योनिमार्ग को धोने से खुजली से आराम मिलता है।
      • 200 ग्राम गेहूं को रात में पानी में भिगो दें। सुबह इसे पीस कर शुद्ध घी में इसका हलवा बनाकर दिन में 2 3 बार खाएं। खुजली में आराम मिलेगा।
      • योनिमार्ग और उसके आस पास के अंग को हमेशा साफ रखें।
      • योनि की खुजली के कारण अगर योनि में दर्द हो और सूजन आ गई हो या घाव हो गया हो, तो अरंड के तेल को रूई के फाहे में भिगोकर योनि के अंदर रखें। एक सप्‍ताह में संतोष जनक आराम मिलेगा।
      • एक ग्‍लास छाछ में एक नींबू निचोड़कर सुबह खाली पेट पीने से 4-5 दिन में योनि की खुजली दूर हो जाएगी
      • अगर श्‍वेदप्रदर के कारण खुजली हो रही है, तो सुबह शाम पांच पांच ग्राम आंवले का चूर्ण चीनी के साथ लेने से आराम मिलता है।
      • गूलर की ताजी पत्तियां पचास ग्राम ले लेकर आधा लीटर पानी में उबालिए, जब पानी आधा रह जाए तो उतार कर छान लीजिए। फिर इसमें डेढ़ ग्राम सुहागा पीस कर मिला लें। इसके बाद गुनगुने पानी को किसी पिचकारी में भरकर योनि को अच्‍छी तरह साफ करें। गूलर के सत्‍व को गर्म पानी में घोलकर डूश करने से गर्भाशय की खुजली में भी आराम मिलता है।

      Sunday, March 20, 2016

      हमेशा जवान दिखने के बेहतरीन नुस्खे,Skin Care Tips in Hindi,

      उम्र भर त्वचा जवान बनी रहे। इसके लिए खानपान पर ध्यान देना भी बहुत जरूरी है। कुछ चीजें स्वस्थ आहार का एक हिस्सा हैं, जो कि आपकी बढ़ती हुई उम्र को रोक सकती हैं। इन खाद्य पदार्थों में एंटीऑक्सीडेंट्स और फाइटोकेमिकल्स की भरमार होती हैं, जो अपक्षय संबंधी बीमारियों से लड़ने में मदद करते हैं। कुछ ऐसी ही साधारण चीजें जिन्हें खाने पर त्वचा हमेशा जवान बनी रहती है।
      • खट्टे फल-खट्टे फल जैसे संतरा, मौसमी, अंगूर, नींबू आदि। इनमें विटामिन सी, बायोफ्लेवोनॉइड और लाइमोनीन प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। इन फलों में पर्याप्त मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं, जो कि त्वचा को लंबी उम्र तक जवान बनाए रखते हैं।
      • लहसुन में एलीसिन नामक तत्व पाया जाता है। यह ब्लड से बेड कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स को कम करता है। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। साथ ही, इसमें एंटीऑक्सीडेंट भी भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। इसलिए लहसुन के नियमित सेवन त्वचा लंबी उम्र तक जवान बनी रहती हैं। साथ ही दिल से जड़ी बीमारियां पास नहीं आती हैं।
      • सेब और स्ट्रॉबेरी में घुलनशील फाइबर ब्लड शुगर को कम करते हैं। साथ ही, इन फलों में भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं।इसलिए इनके नियमित सेवन से स्किन हमेशा यंग दिखाई देती है। ये कैंसर से लड़ने में भी मदद करते हैं। दरअसल, ये कैंसर कोशिकाओं द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले एंजाइम को अवरुद्ध कर देते हैं।
      • गोभी, पत्ता गोभी, ब्रोकली, ब्रसेल्स स्प्राउट्स व गोभी परिवार के अन्य सदस्य बीमारियों से सुरक्षा प्रदान करते हैं। इन सब्जियों में पाए जाने वाले बीटा-कैरोटीन, इंडोलेसग्ल्यूकोइन्नोलेट्स और आइसोथियोसायनेट्स (जो विशेष रूप से ब्रोकली में पाए जाते हैं) त्वचा को जवान बनाए रखते हैं।
      • जई (ओट्स)-रोज आधा कप सूखा जई का चोकर या एक कप सूखा जई का दलिया कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करता है। जई (ओट्स) के सेवन से ब्लड सर्कुलेशन नियंंत्रित रहता है। साथ ही, त्वचा भी जवान बनी रहती है।
      • हरी सब्जियां-पत्तेदार साग पालक, मेथी, सलाद पत्ता, अजवाइन, आदि में बीटा केरोटीन भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इसके अलावा इसमें कैल्शियम, आयरन, फोलिक एसिड, विटामिन सी और पोषक तत्व भी पाए जाते हैं। हरी सब्जियों के पर्याप्त मात्रा में सेवन से स्किन हमेशा यंग रहती है।
      • जैतून का तेल-जैतून या सरसों तेल चेहरे पर लगाने से व खाने में इनके नियमित उपयोग से त्वचा पर झुर्रियां नहीं पड़ती हैं।
      • टमाटर-टमाटर में लाइकोपिन पाया जाता है, यह एक तरह का कैरीटिनॉइड होता है। साथ ही, एंटीऑक्सीडेंट्स भी मौजूद होते हैं, जो कि त्वचा को जवान बनाए रखते हैं।
      • दही-दही में जीवित बैक्टीरिया होते हैं जो पाचन में मदद करते हैं। कैल्शियम का एक अच्छा स्त्रोत है। यह त्वचा के लिए भी फायदेमंद होता है।
      • पीले रंग के फल-पपीता, गाजर, नारंगी फलों और सब्जियों जैसे कद्दू, आम, खुबानी, शकरकंद, बीटा कैरोटीन और विटामिन सी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इसलिए इन चीजों को अपने भोजन में जरूर शामिल करें। त्वचा जवान बनी रहेगी।

      Friday, March 11, 2016

      कमर दर्द के घरेलू उपचार ,Back Pain Treatment at Home,

      कमर दर्द सुनने में एक सामान्य सी बीमारी लगता है किन्तु इसका अनुभव वह ही बता सकता है जिसको इस समस्या से दो-चार होना पडा हो| पहले यह समस्या मुख्यतः वृद्धावस्था में परेशान करती थी किन्तु पिछले दो दशक में मुख्यतः खानपान में आये परिवर्तन और जीवनशैली के अनियमित हो जाने से अब यह रोग हर तीसरे-चौथे इन्सान को होने लगा है, तो चलिये इस बारे में कुछ बातें करते हैं|

      कमर दर्द होने के कारण,reasons of back Pain,


      कमर दर्द होने के बहुत से कारण आज गिनवाये जा सकते हैं जिनमें से प्रमुख हैं बढती हुई उम्र, पोषण की कमी, रात को देर तक जागना, बैठने की गलत स्थिति, ठण्डी चीजों का अधिक प्रयोग व सेवन,बहुत अधिक वजन, बहुत कम वजन, लम्बी बीमारी के बाद, किसी चीज को झटके से उठा देने आदि कारणों से अल्पकाल अथवा स्थाई रूप से कमर दर्द रहने लगता है| इसके अतिरिक्त पुरुषों में धातरोग एवं महिलाओं में प्रदर रोग में भी कमर दर्द बहुत परेशानी का कारण बन जाता है|  मांसपेशियों पर अत्यधिक तनाव। अधिक वजन। गलत तरीके से बैठना। हमेशा ऊंची एड़ी के जूते या सेंडिल पहनना। गलत तरीके से अधिक वजन उठाना। शरीर में लम्बे समय से बीमारियों का होना। अधिक नर्म गद्दों पर सोना।

      घरेलु उपाय,Back Pain Treatment at Home,back pain treatment ,

      • कमर दर्द के लिये रोज सुबह खाली पेट पाँच ग्राम सौंठ को गुनगुने जल के साथ सेवन करना हबुत लाभदायक होता है| 
      • कमर दर्द में देशी घी से नियमित मालिश करना एक राहत प्रदान करने वाला उपाय है| 
      • कम वजन के कारण कमर दर्द रहता हो तो अश्वगंधा और मेथी को समान मात्रा में लेकर बनाया गया चूर्ण तीन तीन ग्राम रोज दो बार दूध के साथ लेना लाभकारी होता है| 
      • रात को सोते समय सप्ताह में दो बार दो मि०ली० एरण्ड तैल का सेवन करने से, शरीर में खुश्की के कारण होने वाले कमर दर्द से राहत पायी जा सकती है| 
      • ज्यादा वजन अथवा बढी तोंद के कारण होने वाली कमर दर्द में वजन कम करने के उपाय करने चाहिये साथ ही देशी गाय के दूध मे एक-दो दाने काली मिर्च के पकाकर नियमित पीने चाहियें| 
      • जडीबूटी की दुकान से मीठी सुरंजन लाकर उसका चूर्ण बनाकर एक-एक ग्राम दिन में तीन बार गुनगुने पानी से सेवन करना विशेष लाभ देता है| 
      • रोज सुबह सरसों या नारियल के तेल में लहसुन की तीन-चार कलियॉ डालकर (जब तक लहसुन की कलियां काली न हो जायें) गर्म कर लें। ठंडा होने पर इस तेल से कमर की मालिश करें। 
      • नमक मिले गरम पानी में एक तौलिया डालकर निचोड़ लें। इसके बाद पेट के बल लेट जाएं। दर्द के स्थान पर तौलिये से भाप लें। कमर दर्द से राहत पहुंचाने का यह एक अचूक उपाय है। 
      • कढ़ाई में दो-तीन चम्मच नमक डालकर इसे अच्छे से सेक लें। इस नमक को थोड़े मोटे सूती कपड़े में बांधकर पोटली बना लें। कमर पर इस पोटली से सेक करने से भी दर्द से आराम मिलता है। 
      • अजवाइन को तवे के पर थोड़ी धीमी आंच पर सेंक लें। ठंडा होने पर धीरे-धीरे चबाते हुए निगल जाएं। इसके नियमित सेवन से कमर दर्द में लाभ मिलता है। 
      • अधिक देर तक एक ही पोजीशन में बैठकर काम न करें। हर चालीस मिनट में अपनी कुर्सी से उठकर थोड़ी देर टहल लें। 
      • नर्म गद्देदार सीटों से परहेज करना चाहिए। कमर दर्द के रोगियों को थोड़ा सख्ते बिस्तर बिछाकर सोना चाहिए। 
      • योग भी कमर दर्द में लाभ पहुंचाता है। भुन्ज्गासन, शलभासन, हलासन, उत्तानपादासन, आदि कुछ ऐसे योगासन हैं जो की कमर दर्द में काफी लाभ पहुंचाते हैं। कमर दर्द के योगासनों को योगगुरु की देख रेख में ही करने चाहिए। 
      • कैल्शियम की कम मात्रा से भी हड्डियां कमजोर हो जाती हैं, इसलिए कैल्शियमयुक्त चीजों का सेवन करें। 
      • कमर दर्द के लिए व्यायाम भी करना चाहिए। सैर करना, तैरना या साइकिल चलाना सुरक्षित व्यायाम हैं। तैराकी जहां वजन तो कम करती है, वहीं यह कमर के लिए भी लाभकारी है। साइकिल चलाते समय कमर सीधी रखनी चाहिए। व्यायाम करने से मांसपेशियों को ताकत मिलेगी तथा वजन भी नहीं बढ़ेगा। 
      • कमर दर्द में भारी वजन उठाते समय या जमीन से किसी भी चीज को उठाते समय कमर के बल ना झुकें बल्कि पहले घुटने मोड़कर नीचे झुकें और जब हाथ नीचे वस्तु तक पहुंच जाए तो उसे उठाकर घुटने को सीधा करते हुए खड़े हो जाएं। 
      • कार चलाते वक्त सीट सख्त होनी चाहिए, बैठने का पोश्चर भी सही रखें और कार ड्राइव करते समय सीट बेल्ट टाइट कर लें।

      क्या खायें,What to eat back pain

      कमर दर्द के रोगी को सर्वप्रथम पौष्टिक आहार विहार पर ध्यान देना चाहिये| गाय के घी का सेवन करना चाहिये| सौंठ, जीरा, अजवायन, मेथीदाना आदि का अपने भोजन में समावेश करें| चोकरयुक्त आटे की चपातियॉ खायें, कद्दू, परवल, गाजर,लहसुन, सेंधानमक,योग प्राणायाम आदि का सेवन/अभ्यास करना उचित रहता है

      क्या न खायें,Do not eat

      ठण्डे और गुरू आहार जैसे कि, राजमा, उडद, दही, तक्र, बर्फ के बने सामान, ठण्डा दूध, दिन में सोना, रात को देर तक जागना, वजन उठाना, खटाई, फ्रिज में रखा खाना आदि का सेवन नही करना चाहिये|

      Thursday, March 03, 2016

      कापर टी क्या है-What is copper T in Hindi

      गर्भनिरोध के उपाय -How to Birth Control in Hindi कापर टी क्या है-What is copper t in Hindi

      विज्ञान के बढते हुए तेज कदम ने निश्चित रुप से हमारे जीवन को थोड़ा आसान कर दिया है,तब बात चाहे किसी भी क्षेत्र की हीं क्यों ना हो.इसी क्रम में एक उल्लेखनीय सुविधा का नाम कापर टी है. आइए प्रश्न और उत्तर के माध्यम से जानें कि यह क्या है,और कैसे काम करता है. कैसे काम करता है आई यू डी वीर्य को अण्डे से मिलने से रोकती है. ऐसा करने के लिए यह अण्डे को वीर्य तक जाने मंर असमर्थ बनाकर और गर्भाशय के अस्तर को बदल कर करती है.
      यह डिवाइस एक छोटी - सी सर्जरी के जरिए वेजाइना के अंदर यूटरस में फिट की जाती है। ऐसी महिलाएं जो मां बन चुकी हैं और प्रेग्नेंसी रोकने के लिए लॉन्ग टर्म सल्यूशन चाहती हैं , उनके लिए यह तरीका काफी मुफीद है। नॉर्मल हो या सीजेरियन , कैसी भी डिलिवरी के बाद मां बनने वाली महिलाएं इस तरीके को अपना सकती हैं। इसे फिक्स करने के बाद एक निश्चित समय के लिए प्रेग्नेंसी से बचाव हो जाता है। फिर जब दोबारा मां बनने की इच्छा हो , इसे आसानी से हटवाया जा सकता है।

      कॉपर टी कैसे काम करती है? How copper-T works?

      कॉपर (ताँबा) के तार द्वारा कॉपर के आयन निकलना प्रारम्भ हो जाते हैं जो गर्भाशयी वातावरण को प्रभावित करके गर्भधारणा को रोकता हैं। कॉपर के आयन गर्भाशय के तरल तथा गर्भाशयी ग्रीवा के श्लेष्म से मिल जाता है और अपने सम्पर्क में ने वाले शुक्राणु को नष्ट कर देते हैं। कॉपर के आयन शुक्राणुओं की गति को रोकते हैं क्योंकि कॉपर आयन युक्त तरल शुक्राणुओं के लिये विषाक्त होते हैं। अगर कोई संघर्षशील शुक्राणु अण्डाणु को निषेचित भी कर देता है तो कॉपर आयन युक्त वातावारण इस निषेचित अण्डे को गर्भाशय में स्थापित नहीं होने देते हैं और इस प्रकार गर्भधारण को रोकते हैं।

      आई यु डी किस प्रकार की होती है आ यु डी के अलग-अलग प्रकार हैं 

      • कॉपर लगी आई यू डी - इसमें एक प्लास्टिक की ट्यब के अन्दर कॉपर की तार लगी रहती है.
      • नई प्रकार के आई यु डी में हॉरमोन छोड़ने वाला आई यु डी है - जो कि प्लास्टिक से बना होता है और उसमें प्रोजेस्ट्रोन हॉरमोन छोटी मात्रा में भरा रहता है.

      कॉपर की आई यु डी की अपेक्षा हॉरमोन वाले आई यु डी के क्या लाभ हैं

      तांबे की बनी एक पत्ती होती है , जिसके साथ कॉइल लगी होती है। पत्ती टी शेप की होती है , इसीलिए इसे कॉपर टी बोला जाता है। अमूमन जो महिलाएं मां नहीं बनी हैं , उन्हें यह तरीका रिकमंड नहीं किया जाता है।

      हॉरमोन वाले युडी कॉपर वाले आई यु डी से अधिक प्रभावशाली हैं माहवारी को हल्का बनाते हैं. कॉपर की आई यु डी की अपेक्षा हॉरमोन वाले आई डी यु की क्या हानियां हैं? हॉरमोन वाले आई यु डी कापर वाले की अपेक्षा महंगे हैं उपयोग के पहले छह महीनों में अनियमित रक्तस्राव या धब्बे लगने की समस्या हो सकती है

      आई यु डी के लाभ है

      • यह गर्भनिरोध के लिए अत्यन्त प्रभावशाली है.
      • सुविधाजनक है - पिल लेने का कोई झंझट नहीं है. मंहगा नहीं है.
      • डाक्टर किसी समय भी निकाल सकते हैं.
      • तुरन्त काम शुरू कर देता है.
      • सहप्रभावों को आशंका कम रहती है.
      • आई यू डू का उपयोग करने वाली माताएं सुरक्षा पूर्वक स्तनपान करवा सकती हैं.

      गर्भनिरोधक में आई यू डी कितनी प्रभावशाली है

      यह गर्भनिरोध का सबसे प्रभावशाली साधन है. इसे यदि सही ढंग से लगाया जाए तो यह 99 प्रतिशत प्रभावशाली है.आई यू डी कितनी देर तक प्रभावशाली रहता है निर्भर करता है कि आपका डाक्टर आपको कौन सा आई यू डी लगवाने को कहता है. कॉपर आई यू डीः टी यू 380 ए जो कि अब राष्ट्रीय परिवार कल्याण कार्यक्रम के अन्तर्गत उपलब्ध है, वह दस वर्ष के लम्बे समय तक आपके शरीर में रह सकता है. हॉरमोन वाले आई यू डी को हर पांचवे वर्ष में बदलने की जरूरत पड़ती है. इनमें से किसी को भी आपका डाक्टर हटा सकता है. यदि आप गर्भधारण करना चाहें या प्रयोग न करना चाहें तो.

      आई यू डी की हानियां हैं

      • तार चुभ सकते हैं– सेक्स के दौरान पेनिट्रेशन के समय कॉपर टी में लगाया गया तार आपके पार्टनर को चुभ सकता है। दरअसल डॉक्टर को यह तार सीधे-सीधे काटना चाहिए। अगर वो ऐसा नहीं करते, तो आपके पार्टनर की पेनिस को बहुत अधिक तकलीफ हो सकती है, विशेषकर अगर वह काफी डीप जाना चाहते हैं। हालांकि ऐसी स्थिति उत्पन्न होने की संभावना काफी कम है। लेकिन अगर ऐसा होता है तो अपने डॉक्टर से सम्पर्क करें।
      • गर्भाशय मे आई यू डी लगाने के पहले कुछ घन्टों में आपको सिरदर्द और पेट दर्द हो सकता है.
      • कुछ औरतों को यह लगवाने के बाद कुछ हफ्तों तक रक्त स्राव होता रहता है और उसके बाद भारी माहवारी होती है.
      • बहुत कम पर कभी, आई यू डी अन्दर डालते समय गर्भाशय में घाव हो सकता है.
      • यह आपको एड्स या एस टी डी से सुरक्षा प्रदान नहीं करता. वस्तुतः ऐसे संक्रामक रोग आई यू डी वाली औरतों के लिए संघात्मक हो सकते हैं. इसके अलावा, अधिक लोगों के साथ सम्भोग करने पर संक्रमण की आशंकाएं बढ़ सकती हैं.
      • आई यू डी को गर्भनिरोधक के रूप में काम में लाने के लिए कौन उपयुक्त है?
      • एलर्जी यह गिने-चुने लोगों में ही होता है लेकिन जो महिलायें कॉपर के प्रति एलर्जी वाली होती हैं उनके जननाँगों में दाने पड़ना तथा खुजली हो सकती है। इस स्थिति में उपकरण को हटाना ही श्रेयस्कर होता है। 
      • कुछ महिलाओं में कॉपर टी अपने आप बाहर निकल जाती है । यह उपकरण के लगाने के शुरूआती महीनों में अकसर देखा गया है। 
      • उपकरण लगाते समय गर्भाशय मे कटाव या छेद होना अकसर देखा गया है। यह भी देखा गया है कि उपकरण गर्भाशय की दीवार में छेद कर देता है 
      • जिससे आन्तरिक घाव या रक्तस्राव होने लगता है। अगर उपकरण को तुरन्त न निकाला जाये तो इससे संक्रमण का खतरा रहता है।

      किसी भी परिस्थित में वे औरतें आई यू डी का उपयोग कर सकती हैं जो

      • स्तनपान करा रहीं हों
      • उच्च रक्तचाप, ह्रदय रोग, जिगर या गालब्लैडर के रोग, मधुमेह या मिरगी का उपचार करा रही हों.
      • आई यू डी लगवाने वाले का उचित समय कौन सा है?
      • आई यू डी लगवाने का उचित समय निम्न है –माहवासी चक्र के रहते - माहवारी चक्र के दौरान किसी भी समय - माहवारी रक्तस्राव के आरम्भ होने के बाद के पहले 12 दिनों में लगवाएं.
      •  बच्चे के जन्म गर्भपात- बच्चे के जन्म के 24 घन्टे के अन्दर अन्छर लगवायें.

      आई यू डी कैसे लगाई जाती है

      सामान्यतः एक पीरियड की समाप्ति या उसके तुरन्त बाद लगाया जाता है. हालांकि इसे किसी भी समय लगवाया जा सकता है यदि आपको भरोसा हो कि आप गर्भवती नहीं हैं. आपको योनि परीक्षण करवाना होगा. डाक्टर या नर्स गर्भाशय का माप और स्थिति देखने के लिए एक छोटा सा यन्त्र उसमें डालेंगे. तब आई यू डी लगाया जाएगा. आपको सिखाया जाएगा कि उसके धागे को कैसे महसूस किया जाता है ताकि आप उशे ठीक जगह रख सकें सर्वश्रेष्ठ है कि आप उसे नियमित रूप से चक्र करते रहें, हर महीने के पीरियड के बाद कर लेना उत्तम है.
      आई यू डी अपनी ठीक जगह पर हैं या नहीं, यह कब चैक करने का परामर्श दिया जाता है

      • आई यू डी लगवानें के एक महीने के बाद सप्ताह में एक बार उसे चैक करें
      • असामान्य लक्षण दिखने पर चैक करें.
      • माहवारी के बाद चैक करें.
      • आई यू डी अपनी सही जगह पर है यह चैक करने के लिए महिला को क्या सावधानी बरतनी चाहिए आई यू डी चैक करने के लिए महिला को चाहिए कि
      • अपने हाथ धोये
      • पालथी मार कर बैठे
      • योनि में अपनी अक या दो अंगुली डालें और जब तक धागे को छू न ले अन्दर तक ले जायेय़
      • फिर हाथ से धोये.

      आई यू डी लगवाये हुए महिला को कब डाक्टर से परामर्श लेना चाहिए?

      तब डाक्टर से मिलना चाहिए जब
      • उसके साथी को सम्भोग के दौरान वह धागा छूता हो और उससे वह परेशान हो.
      • भारी और लम्बी अवधि तक होने वाले रक्त स्राव से होने वाली परेशानी
      • पेट के निचले भाग में तेज और बढ़ता हुआ दर्द विशेषकर अगर साथ में बुखार भी हो
      • एक बार माहवारी न होना
      • योनि से दुर्गन्ध भरा स्राव
      • परिवार नियोजन की कोई और विधि अपनाना चाहें या आई यू डी निकलवाना चाहें तब.

      Monday, February 01, 2016

      हिस्टीरिया -Hysteria Disorder



      हिस्टीरिया (Hysteria) की कोई निश्चित परिभाषा नहीं है। बहुधा ऐसा कहा जाता है, हिस्टीरिया अवचेतन अभिप्रेरणा का परिणाम है।अवचेतन अंतर्द्वंद्र से चिंता उत्पन्न होती है और यह चिंता विभिन्न शारीरिक, शरीरक्रिया संबंधी एवं मनोवैज्ञानिक लक्षणों में परिवर्तित हो जाती है। रोगलक्षण में बह्य लाक्षणिक अभिव्यक्ति पाई जाती है।तनाव से छुटकारा पाने का हिस्टीरिया एक साधन भी हो सकता है।

      हिस्टीरिया के लक्षण

      • अपनी विकलांग सास की अनिश्चित काल की सेवा से तंग किसी महिला के दाहिने हाथ में पक्षाघात संभव है।अधिक विकसित एवं शिक्षित राष्ट्रों में हिस्टीरिया कम पाया जाता है। हिस्टीरिया भावात्मक रूप से अपरिपक्व एवं संवेदनशील, प्रारंभिक बाल्यकाल से किसी भी आयु के, पुरुषों या महिलाओं में पाया जाता है।दुर्लालित एवं आवश्यकता से अधिक संरक्षित बच्चे इसके अच्छे शिकार होते हैं। किसी दु:खद घटना अथवा तनाव के कारण दौरे पड़ सकते हैं। लक्षणजब हिस्टीरिया होता है, तो इसमें रोगी अचेत अवस्था में पहुंच जाता है। रोग में सिर्फ रोगी को बेहोशी के दौरे ही नहीं पड़ते, बल्कि कभी-कभी दूसरे लक्षण भी सामने आते हैं, 
      • जैसे-हिस्टीरिया का दौरा पड़ने पर कुछ समय के लिए देखना और सुनना बन्द हो जाता है मुंह से आवाज़ निकलनी बंद हो जाती है रोगी के हाथ-पैर काँपने लगते हैं शरीर का कोई भी हिस्सा बिल्कुल सुन्न पड़ जाता है, जैसा कि लकवे में होता है इस रोग में पूरी तरह से बेहोशी नहीं आती है। बेहोशी की हालत समाप्त हो जाने पर स्त्री को खुलकर पेशाब आता है। रोग की उत्पत्ति से पूर्व या आरम्भ में हृदय में पीड़ा, जंभाई, बेचैनी आदि लक्षण भी होते हैं। 
      • पीड़ित स्त्री को सांस लेने में कठिनाई, सिर, पैर, पेट और छाती में दर्द, गले में कुछ फंस जाने का आभास, शरीर को छूने मात्र से ही दर्द महसूस होता है। आलसी स्वभाव, मेहनत करने में बिल्कुल भी मन ना करना, रात में बिना बात के जागना, सुबह देर तक सोते रहना, भ्रम होना, पेट में गोला-सा उठकर गले तक जाना, दम घुटना, थकावट, गर्दन का अकड़ना, पेट में अफारा होना, डकारों का अधिक आना और हृदय की धड़कन बढ़ जाना, साथ ही लकवा और अंधापन हो जाना आदि
      • हिस्टीरिया के लक्षण हैं।इस रोग से पीड़ित स्त्री को प्रकाश की ओर देखने में परेशानी होने लगती है। जब स्त्री को इस रोग का दौरा पड़ता है तो उसका गला सूखने लगता है और वह बेहोश हो जाती है।

      हिस्टीरिया का उपचार 

      संवेदनात्मक व्यवहार, पारिवारिक समायोजन, शामक औषधियों का सेवन, सांत्वना, बहलाने, तथा पुन शिक्षण से किया जात है। समय समय पर पक्षाघातित अंगों के उपचार हेतु शामक ओषधियों तथा विद्युत्‌ उद्दीपनों की भी सहायता ली जाती है। रोग का पुनरावर्तन प्राय: होता रहता है।किसी स्त्री में हिस्टीरिया रोग के लक्षण नज़र आते ही उसे तुरन्त किसी मनोचिकित्सक से इस रोग का इलाज कराना चाहिए।हिस्टीरिया के रोगी को गुस्से में या किसी और कारण से मारना नहीं चाहिए, क्योंकि इससे उसे और ज़्यादा मानसिक और शारीरिक कष्ट हो सकते हैं। एक बात का ख़ासतौर पर ध्यान रखना चाहिए कि हिस्टीरिया रोगी अपने
      आपको किसी तरह का नुकसान ना पहुंचा पाए। 
      • हिस्टीरिया के रोगी को गुस्से में या किसी और कारण से मारना नहीं चाहिए क्योंकि इससे उसे और ज़्यादा मानसिक और शारीरिक कष्ट हो सकते हैं।
      • एक बात का ख़ासतौर पर ध्यान रखना चाहिए कि हिस्टीरिया रोगी अपने आपको किसी तरह का नुकसान ना पहुंचा पाए।
      • इस रोग के रोगी की सबसे अच्छी चिकित्सा उसकी इच्छाओं को पूरा करना तथा उसे संतुष्टि देना है। इसके अलावा रोगी को शांत वातावरण में घूमना चाहिए। रोगी के सामने ऐसी कोई बात न करनी चाहिए जिससें उसे चिन्ता सतायें।
      • इस रोग से पीड़ित स्त्रियों को जब दौरा पड़ता है तो उसके शरीर के सारे कपड़े ढीले कर देने चाहिए तथा उसे खुली जगह पर लिटाना चाहिए और उसके हाथ और तलवों को मसलना चाहिए।
      • जब इस रोग से पीड़ित रोगी बेहोश हो जाए तो उसके अंगूठे के नाखून में अपने नाखून को चुभोकर उसकी बेहोशी को दूर करना चाहिए और फिर उसके चेहरे पर ठंडे पानी के छींटे मारनी चाहिए। इससे रोगी स्त्री को होश आ जाता है और उसका बेहोशीपन दूर हो जाता है। जब रोगी स्त्री बेहोश हो जाती है तो हींग तथा प्याज को काटकर सुंघाने से लाभ मिलता है।
      • बेहोश होने वाली स्त्री को होश में लाने के लिए सबसे पहले रोगी की नाक में नमक मिला हुआ पानी डाल दें। इससे बेहोशी रोग ठीक हो जाएगा, लेकिन यह उपाय शीघ्र ही और कुछ ही समय के लिए है। इसका अच्छी तरह से इलाज तो अपने डाक्टर या अपने वैद्य से ही कराना चाहिए।
      • इस रोग से पीड़ित स्त्री का इलाज करने के लिए कुछ दिनों तक उसे फल तथा बिना पका हुए भोजन खिलाना चाहिए।
      • इस रोग से पीड़ित रोगी के लिए जामुन का सेवन बहुत ही लाभदायक होता है। इसलिए रोगी स्त्री को प्रतिदिन जामुन खिलाना चाहिए।
      • यदि इस रोग से पीड़ित स्त्री प्रतिदिन 1 चम्मच शहद को सुबह-दोपहर-शाम चाटे तो उसका यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
      • सर्वप्रथम एरंड तेल में भुनी हुई छोटी काली हरड़ का चूर्ण 5 ग्राम प्रतिदिन लगातार दे कर उसका उदर शोधन तथा वायु का शमन करें। 
      • सरसों, हींग, बालवच, करजबीज, देवदाख मंजीज, त्रिफला, श्वेत अपराजिता मालकंगुनी, दालचीनी, त्रिकटु, प्रियंगु शिरीष के बीज, हल्दी और दारु हल्दी को बराबर-बराबर ले कर, गाय या बकरी के मूत्र में पीस कर, गोलियां बना कर, छाया में सुखा लें। इसका उपयोग पीने, खाने, या लेप में किया जाता है। इसके सेवन से हिस्टीरिया रोग शांत होता है।
      • लहसुन को छील कर, चार गुना पानी और चार गुना दूध में मिला कर, धीमी आग पर पकाएं। आधा दूध रह जाने पर छान कर रोगी को थोड़ा-थोड़ा पिलाते रहें। ब्रह्मी, जटामांसी शंखपुष्पी, असगंध और बच को समान मात्रा में पीस कर, चूर्ण बना कर, एक छोटा चम्मच दिन में दो बार दूध के साथ सेवन करें। इसके साथ ही सारिस्वतारिष्ट दो चम्मच, दिन में दो बार, पानी मिला कर सेवन करें। 
      • ब्राह्मी वटी और अमर सुंदरी वटी की एक-एक गोली मिला कर सुबह तथा रात में सोते समय दूध के साथ सेवन करने से लाभ मिलता है। जो रोगी बालवच चूर्ण को शहद मिला कर लगातार सवा माह तक खाएं और भोजन में केवल दूध एवं शाश का सेवन करे, उसका हिस्टीरिया शांत हो जाता है। अगर रोगी कुंवारी लड़की है, तो उसकी जल्द शादी करवा देनी चाहिए। रोग अपने आप दूर हो जाएगा।
      • केसर, कज्जली, बहेड़ा, कस्तूरी, छोटी इलायची, जायफल और लौंग को बराबर मात्रा में मिलाकर 7 दिन तक सौंफ के काढ़े में मिलाकर और घोटकर तैयार कर लें। इसके बाद इस मिश्रण को तैयार करके इलायची के दाने के बराबर की गोलियां बना लें। 4-4 ग्राम मूसली सफेद तथा सौंफ के काढ़े से सुबह और शाम सेवन करना चाहिए। अगर मासिकस्राव के समय में कोई कमी हो तो सबसे पहले ऊपर बताई गई दवा से इलाज करें।
      • खुरासानी अजवासय 1 ग्राम, मीठी बच 1 ग्राम दोनों को पीसकर अनार के रस के साथ सेवन करें।
      • नीबू कर रस, सेंधा नमक, जीरा, पोदीना और भुनी हींग, सबको 3-3 ग्राम मात्रा में लेकर, थोडे़ से उष्ण जल में मिलाकर पीने से हिस्टीरिया का प्रकोप नष्ट होता है।
      • ग्वारपाठे का गूदा 10 ग्राम, मिसरी 10 ग्राम मिलाकर त्रिफला जल के साथ पीने से रोग का प्रकोप खत्म होता है।
      • अनार के 10 ग्राम पत्ते और गुलाब के 10 ग्राम फूलों को जल में उबालकर क्वाथ बनाएं। क्वाथ को छानकर, उनमें 10 ग्राम घी मिलाकर सुबह-शाम पीने से रोग नष्ट होता है।
      • मुनक्के के 6 दाने दूध में उबालकर मिसरी मिलाकर पीने से रोग का प्रकोप कम होता है।
      • हिस्टीरिया से बेहोश होने पर रोगी की नाक में लहसुन के रस की एक-एक बूंद डालें। बेहोशी जल्दी नष्ट होगी।
      • सेब, अनार, संतरा, मौसमी व अनन्नास का सेवन करें या रस पिएं।
      • आंवले, गाजर, सेब व हरड़ का मुरब्बा खाएं।
      • हिस्टीरिया से पीड़ित युवतियां सुबह-शाम गाय का दूध अवश्य पिएं

      क्या न खाएं

      • बेहोश युवती को जल व दूध पिलाने की कोशिश करें।
      • रोगी को अधिक मिर्च-मसालों व अम्लीय रसों से बने खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
      • चाय, कॉफी व शराब का सेवन न करें।
      • रोगी युवती को अश्लील फिल्मों और अश्लील बातों से अलग रहना चाहिए।
      • हिस्टीरिया रोगी को मांस, मछली, अंडे व छोले-भठूरे, गोल-गप्पे, समोसे, कचौड़ी आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।
      • दूषित, बासी व देर से बनाकर रखे खाद्य पदार्थो का सेवन न करें।
      • चाइनीज और फास्ट फूड न खाएं

      Friday, January 22, 2016

      गर्भधारण के उपाय, Preventive Measures for Pregnancy in Hindi,

      गर्भवती होने के लिए सिर्फ सेक्स जरूरी नहीं जरूरी है सही समय पर सेक्स गर्भवती होने के लिए सेक्स का कोई निर्धारित समय नहीं है। महिलाएं जब ओर्गास्म प्राप्त कर लेती है तो गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है। गर्भवती होने के लिए सेक्स जितना जरूरी है उतना ही इस बात का ज्ञान होना कि सेक्स कब किया जाए। इस तथ्य को नजरअंदाज करने से कई बार गर्भधारण करने में परेशानी भी आती है। आइए जानें कि माह में किस समय सेक्स करने से गर्भधारण की संभावना काफी अधिक होती है।
      • पुरुष के शुक्राणु का साथी महिला के गर्भ में जाने से गर्भधारण होता है। महिला के अंडाणु से शुक्राणु का मेल होना और निषेचन की क्रिया का होना ही गर्भधारण है। यूं तो गर्भधारण न कर पानेके पीछे कई कारण हो सकते हैं। इनमें शारीरिक और मानसिक दोनों तरह के कारण हो सकते हैं। इन कारणों के पीछे अधिकतर ज्ञान और जानकारी का अभाव होता है। 
      • इन सबकारणों के अतिरिक्त एक अन्य कारण भी होता है जिसका असर महिलाओं की गर्भधारण की क्षमता पर पड़ता है, और वह कारण है सही समय पर सेक्स न करना। अधिकतर जोड़े इस बात से अंजान होते हैं कि गर्भधारण में सेक्स की 'टाइमिंग' बहत मायने रखती है। समय पर सहवास-गर्भवती होने के लिए सिर्फ सहवास करना जरूरी नहीं होता बल्कि सही समय पर सहवास करना भी मायने रखता है। यह बात ध्यान देने योग्य है कि पुरुष के शुक्राणु हमेशा लगभग एक जैसे ही होते हैं, जो महिला को गर्भवती कर सकते हैं। लेकिन महिला का शरीर ऐसा नहीं होता जो कभी भी गर्भवती हो सके। उसका एक निश्चित समय होता है, एक छोटी सी अवधि होतीहै। 
      • यदि आप उस अवधि को पहचान कर उस समय सहवास करते हैं तो गर्भधारण की संभावना आश्चर्यजनक रूप से बढ़ जाती है। एक मत यह है कि 28 दिन के मासिक धर्म के साइकिल में 14वें दिन ओवुलेशन का है जो पीरियड शुरू होनेके बाद से गिना जाता है, इस दौरान 12 से 18 दिन के बीच में सेक्स करने से गर्भ ठहरता है।'प्रेग्नेंट होने के लिए सेक्स का कोई विशेष दिन नहीं होता, नियमित सेक्स लाइफ में भरोसा रखिए और बेबी प्लानिंग के तीन महीने पहले से फोलिक एसिड के टेबलेट जरूर खाती रहें।' 
      • ओवुलेशन साइकिल-ऋतुचक्र या पीरियड्स के सात दिन बाद ओवुलेशन साइकिल शुरू होती है, और यह माहवारी या पीरियड्स के शुरू होने से सात दिन पहले तक रहती है। ओवुलेशन पीरियड ही वह समय होता है, जिसमें कि महिला गर्भधारण कर सकती है और इस स्थिति को फर्टाइल स्टेज भी कहते हैं। गर्भधारण के लिए, जब भी सेक्स करें तो ओवुलेशन पीरियड में ही करें। 
      • अपनी ओवुलेशन साइकिल का पता लगायें। इसके लिए आप चिकित्सक से संपर्क भी कर सकते हैं। ओर्गास्म-पुरुष सिर्फ अपनी संतुष्टि का खयाल रखते हैं और अपनी पत्नी की कमोत्तेजना को तवज्जो नहीं देते। ऐसी स्त्रियों को गर्भधारण करने में मुश्किलें आती हैं। अगर स्त्री सहवास के वक्त ओर्गास्म प्राप्त कर लेती है तो गर्भधारण की संभावना काफी हद तक बढ़ जाती है। क्योंकि तब पुरुष के शुक्राणु को सही जगह जाने का समय और माहौल मिलता है तथा शुक्राणु ज्यादा समय तक जीवित रहते हैं।

      सुबह का समय,Morning time

      • गर्भधारण के लिए सेक्स का समय सुबह का होना चाहिए क्योंकि सुबह के समय आप तरोताजा़ रहते हैं।जिन महिलाओं में रेगुलर पीरियड हो वे प्रेगनेंट होने के लिए पीरियड के बाद दस दिन के अंतराल में सेक्स करें, इससे प्रेगनेंट होने की संभावना ज्यादा होती है औरजिनमें में अनियमित पीरियड हो वे प्रेगनेंसी के लिए पीरियड के साइकिल में नियमित अंतराल  पर सेक्स करें।

      पीरियडस के दौरान सेक्स

      जब आप गर्भधारण करने का सोच रहे है तो इस बात सावधानी बरतें कि कभी भी पीरियडस के दौरान सेक्स ना करें। गर्भ धारण करने या गर्भ की स्थापना के लिए यहाँ हम कुछ आयुर्वेदिक नुस्खे
        • एक चम्मच असगंध का चूर्ण एक चम्मच देशी घी के साथ मिलाकर मिश्री मिले दूध के साथ मासिक धर्म के 6 ठे दिन से पूरे माह पीने से गर्भाशयके दोष दूर होकर स्त्री को गर्भ ठहर जाता है|
        • अशोक के फूल नियमित रूप से दही के साथ मासिक धर्म के 6 ठे दिन से 2 हफ्ते तक लेते रहने से स्त्री को गर्भ स्थापा हो जाता है|
        • अपामार्ग की जड़ का चूर्ण मासिक के बाद 21 दिन तक दूध के साथ लेते रहने से स्त्री के गर्भवती होने के चांस बढ़ जाते हैं|
        • पीपल के सूखे फलों का चूर्ण आधा चम्मच कच्चे दूध से मासिक धर्म शुरू होने के पांचवे दिन से दो हफ्ते तक सुबह शाम लेने से गर्भाधान के अवसर बढ़ते हैं| गर्भ न टिके तो आने वाले महीनों मे भी यही उपाय करें|
        • तीन ग्राम गोरोचन, १० ग्राम असगंध, १० ग्राम गजपीपरी तीनों को बारीक पीसकर चूर्णं बनाएं। फिर पीरिएड के चौथे दिन से निरंतर पांच दिनों तक इसे दूध के साथ पिएं।
        • महिलाओं को शतावरी चूर्णं घी – दूध में मिलाकर खिलाने से गर्भाशय की सारी विकृतियां दूर हो जाएंगीं और वे गर्भधारण के योग्‍य होगी।
        • 10g ग्राम पीपल की ताज़ी कोंपल जटा जौकुट करके ५०० मि.ली. दूध में पकाएं।जब वह मात्र २०० मि.ली. बचे तो उतारकर छान लें। फिर इसमें चीनी और शहद मिलाकर पीरिएड होने के ५वें या ६ठे दिन से खाना शुरू कर दें। यह बहुत अच्‍छी औषधि मानी जाती है।
          • सेमल की जड़ पीसकर ढाई सौ ग्राम पानी में पकाएं और फिर इसे छान लें। मासिक धर्म के बाद चार दिन तक इसका सेवन करें।
          • 50g ग्राम गुलकंद में 20g ग्राम सौंफ मिलाकर चबाकर खाएं और ऊपर से एक ग्‍लास दूध नियमित रूप से पिएं। इससे आपको बांझपन से मुक्ति मिल सकती है।
          • गुप्‍तांगों की साफ सफाई पर विशेष ध्‍यान दें। खाने में जौ, मूंग, घी, करेला,शालि चावल, परवल, मूली, तिल का तेल, सहिजन आदि जरूर शामिल करें।
          • पलाश का एक पत्‍ता गाय के दूध में औटाएं और उसे छानकर पिएं। मासिक धर्म के बाद से पीना शुरू करें और ७ दिनों तक प्रयोग करें।
          • पीपल के सूखे फलों का चूर्णं बनाकर रख लें। मासिक धर्म के बाद
          • 5-10 ग्राम चूर्णं खाकर ऊपर से कच्‍चा दूध पिएं। यह प्रयोग नियमित रूप से १४ दिन तक करें।
          • मासिक धर्म के बाद से एक सप्‍ताह तक २ ग्राम नागकेसर के चूर्णं को दूध के साथ सेवन करें। आपको फाएदा होगा।
          • 5g ग्राम त्रिफलाधृत सुबह शाम सेवन करने से गर्भाशय की शुद्धि होती है। जिससे महिला गर्भधारण करने के योग्‍य हो जाती है।
          • स्त्री को गर्भधारण कराने केलिए उसकी योनि के स्नायु स्वस्थ हो इसके लिए स्त्री का सही आहार, उचित श्रम एवं तनाव रहित होना जरूरी है तभी स्त्री गर्भवती हो सकती है|
          • स्त्री को गर्भधारण करने केलिए यह भी आवश्यक है लिए यह भी आवश्यक है कि योनिस्राव क्षारीय होना चाहिए इसलिए स्त्री का भोजन क्षारप्रधान होना चाहिए। इसलिए उसे अधिक मात्रा में अपक्वाहार तथा भिगोई हुई मेवा खानी चाहिए।
          • इस रोग से पीड़ित स्त्रियों को अपने इस रोग का इलाज करने के लिए सबसे प हले का इलाज करने के लिए सबसे पहले अपने शरीर से विजातीय द्रव्यों को बाहर निकालना चाहिए| इसके लिए स्त्री को उपवास रखना चाहिए। इसके बाद उसे 1-2 दिन के बाद कुछ अंतराल पर उपवास करते रहना चाहिए
          • इस रोग से पीड़ित स्त्रियों को दूध की बजाए दही का इस्तेमाल करना चाहिए।
          • स्त्री को गुनगुने पानी में एक चम्मच शहद एवं नींबू का रस मिलाकर पीना चाहिए।
          • बांझपन को दूर करने के लिए स्त्रियों को विटामिन `सी´तथा `ई´ की मात्रा वाली चीजें जैसे नींबू, संतरा, आंवला, अंकुरित, गेहूं आदि का भोजन में सेवन अधिक करना चाहिए।
          • स्त्रियों को सर्दियों में प्रतिदिन 5-6 कली लहसुन चबाकर दूध पीना चाहिए, इससे स्त्रियों का बांझपन जल्दी ही दूर हो जाता है।
          • जामुन के पत्तों का काढ़ा बनाकर फिर इसको शहद में मिलाकर प्रतिदिन पीने से स्त्रियों को बहुत अधिक लाभ मिलता है।
          • बड़ (बरगद) के पेड़ की जड़ों को छाया में सुखाकर कूटकर छानकर पाउडर बना लें। फिर इसे स्त्रियों के माहवारी समाप्त होने के बाद तीन दिन लगातार रात को दूध के साथ लें। इस क्रिया को तब तक करते रहना चाहिए जब तक कि स्त्री गर्भवती न हो जाय |
          • स्त्री के बांझपन के रोगको ठीक करने के लिए 6 ग्राम सौंफ का चूर्ण घी के साथ तीन महीने तक लेते रहने से स्त्री गर्भधारण करने योग्य हो जाती है।
          • स्त्री के बांझपन के रोग को ठीक करने के लिए उसके पेड़ू पर मिट्टी की गीली पट्टी करनी चाहिए तथा इसके बाद उसे कटिस्नान कराना चाहिए और कुछ दिनों तक उसे कटि लपेट देना चहिए। इसके बाद स्त्री को गर्म पानी का एनिमा देना चाहिए।

            Thursday, January 21, 2016

            स्तन बढाने के उपाए-How to Increase Breast Size in Hindi,

              सुडौल व उन्नत वक्ष आपके सौन्दर्य में चार-चाँद लगा सकते है. इस बात में कोई दोराय नहीं है की सुन्दर एवम् सुडौल वक्ष प्रक्रति की देन है परन्तु फिर भी उनकी उचित देखभाल से इन्हें सुडौल व गठित बनाया जा सकता है. इससे आपके व्यक्तित्व में भी निखार आ जाता है.
              अधिकतर महिलाये अपने छोटे ब्रैस्ट को विकसित करना चाहती है उनके लिए दिए गये घरेलु नुस्खे काफी कारगर सिद्ध होंगे. अविकसित वक्ष न तो स्त्री को ही पसंद होते है न ही उनके पुरुष साथी को वक्षों का आकार सही न रहने के पीछे अनेक कारण हो सकते है. किसी लम्बी बीमारी से ग्रसित होने के कारण भी वक्ष बेडौल हो सकते है,

                how to increase your breast naturally

                • इसके अलावा गर्भावस्था के दौरान तथा प्रसव के बाद भी स्तनों का बेडौल हो जाना एक आम बात है. ऐसी अवस्था में स्त्रियों के लिए उचित मात्रा में पौष्टिक व संतुलित आहार लेना अति आवश्यक हो जाता है. उनके भोजन में प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, विटामिन्स, मिनरल्स तथा लौह तत्व भरपूर मात्रा में होने चाहिए.
                • इसके साथ साथ ऐसी स्त्रियों को अपने स्तनों पर जैतुन का लगाकर मालिश करनी चाहिये. ऐसा करने से स्तनों में कसाव आ जाता है. मालिश करने की दिशा निचे से उपर की ओर होने चाहिए मालिश करने के बाद ठन्डे व ताज़े पानी से नहाना उचित रहेगा. ऐसा करने से न केवल वक्ष विकसित व सुडौल होने लगेंगे इसके अलावा आपके रक्त संचार की गति में भी तीव्रता आयगी.

                वक्ष सौन्दर्य के लिए व्यायाम,Chest exercises,

                • सबसे पहले घुटनों के बल बैठ जाए और दोनों हाथों को सामने लाकर हथेलियों को आपस में मिलाकर पुरे बल से आपस में दबाएँ जिससे स्तनों की मांसपेशियों में खिंचाव होगा. फिर इसके बाद धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए अपनी हथेलियों को ढीला कर दें. इस प्रक्रिया को नियमित रूप से १० से १५ बार करे. ( वक्षों को नहीं दबाना है )
                • इसके अलावा दोनों हाथों को सामने की ओर फैलाते हुए हथेलियों को दिवार से सटाकर पांच मिनट तक दीवारे पर दबाव डालें. ऐसा करने से वक्ष की मांसपेशियों में खिचांव होगा, जिससे वक्ष पुष्ट हो जायंगे.
                • घुटनों के बल चौपाया बन जाए, फिर दोनों कोहनियों को थोडा-सा मोड़ते हुए शारीर के उपरी भाग को निचे की ओर झुकाएं.अपने शरीर का पूरा भार निचे की ओर डाले. तथा पुनः प्रथम अवस्था में आ जाए. इस व्यायाम को 6 से 8 बार दोहराएँ.
                • आप व्यायाम के अलावा एक नुस्खे को अपनाकर भी ढीले पड़े स्तनों में कसावट लाई जा सकती है. इसके लिए अनार के छिलकों को छाया में सुखा लें. फिर इन सूखे हुए छिलको का महीन (बारीक़) चूर्ण बना लें, अब इस चूर्ण को नीम के तेल में मिलाकर कुछ देर के लिए पका लें. फिर इसे कुछ देर ठंडा होने के लिए छोड़ दें,
                • 1-अनार के पंचांग(फ़ल,फ़ूल,पत्तियं,छाल और जड ) से बने तैल से नियमित स्तनों की मालिश करने से स्तनों की मांसपेशियां पुष्ट होकर कसावट आती है। सरसों के तैल में अनार के पंचाग डालकर आंच पर पकाने से पंचाग तैल बन जाता है। दिन में दो बार मालिश नीचे से ऊपर की और करना कर्तव्य है। इससे स्तनों की कौशिकाओं में रक्त संचार बडी तेजी के साथ होने लगता है। स्तनों की मांसपेशियों में तंतुओं की तादाद बढने लगती है,स्तन कठोर,मजबूत और सुडौल होने लगते है।इस उपचार के कोई आनुषंगिक दुष्प्रभाव नहीं होते हैं। दो तीन महीने के उपचार से आशानुकूल परिणाम आते हैं।
                • असगंध और शतावरी बराबर की मात्रा में लेकर भली प्रकार पीसकर चूर्ण बनाएं। इस चूर्ण को गाय के घी में अच्छी तरह मिलाकर सुरक्षित रख लें। १० ग्राम चूर्ण शहद से मीठे किये गये दूध के साथ सेवन करें। स्तनों के आकार में वृद्धि होकर सुडौल और आकर्षक दिखेंगे।
                • असगंध,गजपीपल और बच बराबर मात्रा मे लेकर महीन चूर्ण बनाएं । इसे मक्खन के साथ भली प्रकार मिलाकर स्तनों पर लगाएं। स्तन उन्नत उभारवाले और सुडौल बनाने का उत्तम उपचार है।
                • एक आयुर्वेदिक लेप के नियमित उपयोग से स्तन सुडौल और उत्तेजक बनाये जा सकते हैं। लेप निर्माण विधि नोट करलें
                • माजूफ़ल,शतावर,छोटी ईलायची ,कमलगट्टे की मिंगी का पावडर,अनार का पंचांग और लसोड की पत्तियों का सत्व ये सभी चीजें लेकर लेप तैयार कर स्तनों पर भली प्रकार लेप करें| इस लेप से स्तनों की मांसपेशियों की ताकत बढती है ,स्तनों का आकार बढता है और सुडौल बनते हैं। एक दो माह का उपचार जरूरी है।