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Saturday, July 13, 2019

तम्बाकू खाने के नुकसान,Side Effects of Tobacco in Hindi,Quit Smoking,

दोस्तों एक बार जरूर पढ़े 
शायद आप यह पढकरअपने परिवार और बच्चों की खातिर खाना छोड़ देंगे 
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यदि आप लोग मेरी बात से सहमत है तो इसे जरूर शेयर करे शायद किसी का परिवार बिखरने से बच जाय धन्यवाद मित्रों

देश के लिए कुछ कर गुजरने वाले 18 से 35 वर्ष के युवा इन पार्टियों को स्टेटस सिंबल नहीं मानते , कारन चिलम तम्बाकू सिगार के नलिकाओं से गुजरता नशा अब नशों तक जा चूका है रेव पार्टियों में एल एस डी ड्रग्स हशीन कोकीन से भी बढकर नशा कोबरा डंक तक गहरा चूका है ! आज हमारे समाज में युवा पीढ़ी को नशे के ओर अग्रसर होते देख किसे दुःख नहीं होता | दुर्भाग्य से पिछले पांच से दस सालों में यह बुराई बुरी तरह बढती जा रही है

कुछ लोग अपनी मर्जी से नशा करते हैं कुछ शोकिया होते हैं जो बाद में अपने आप को नशे की आग में झोंक देते हैं परन्तु कुछ कुसंगति के कारण इस लत का शिकार हो जाते हैं | अकेले भारत में 15 करोड़ से अधिक व्यक्ति धूम्रपान करते हैं। 15 से 49 वर्ष की आयु वर्ग के 30 प्रतिशत लोग तम्बाकु का सेवन करते हैं। 13 से 15 वर्ष की कच्ची उम्र के प्रत्येक 100 में 4 बच्चे धूम्रपान की गिरफ्त में है। तम्बाकू के प्रयोग में 48 प्रतिशत हिस्सा बीड़ी का है। गुटखे का हिस्सा 38 प्रतिशत तथा सिगरेट का हिस्सा 14 प्रतिशत है।

अकेले तम्बाकू से पूरे विश्व में 50 से 60 लाख तथा भारत में 10 से 12 लाख व्यक्ति प्रतिवर्ष अपने प्राण गंवाते हैं। धूम्रपान करने वालों की आयु 10-12 वर्ष औसतन कम हो जाती है। देश में अगर हम एक वर्ष का आंकड़ा उठाये तो वर्ष 2004 में 7700 करोड़ रुपये तम्बाकू उत्पादों पर खर्च किये गये तथा इसी वर्ष 5400 करोड़ रुपये तम्बाकू से जुड़ी बीमारियों पर खर्च किये गये जो कि सरकार को तम्बाकू से होने वाली करों की आय से कहीं अधिक है। सिगरेट के धुऐं में 4000 से अधिक जहरीले पदार्थ पाये जाते हैं जिनमें से 60 से अधिक पदार्थ कैंसरकारक है। 4 से 5 सिगरेटों में इतना निकोटिन होता है जिसको अगर किसी वयस्क व्यक्ति के शरीर में इंजेक्ट कर दिया जाये तो उसकी मृत्यु हो सकती है।

तम्बाकू के प्रकार-ध्रूमपान वाला तम्बाकू

  • बीड़ी
  • सिगरेट
  • सिगार
  • चैरट (एक प्रकार का सिगार)
  • चुट्टा
  • चुट्टे को उल्टा पीना
  • धुमटी
  • धुमटी को उल्टा पीना
  • पाइप
  • हुकली
  • चिलम
  • हुक़्क़ा

Side Effects of Tobacco in Hindi,smoking,

तम्बाकू के प्रकार-धुंआरहित तम्बाकू

  • तम्बाकू वाला पान
  • पान मसाला
  • तम्बाकू, सुपारी और बुझे हुए चूने का मिश्रण
  • मैनपुरी तम्बाकू
  • मावा
  • तम्बाकू और बुझा हुआ चूना (खैनी)
  • चबाने योग्य तम्बाकू
  • सनस
  • मिश्री
  • गुल
  • बज्जर
  • गुढ़ाकू
  • क्रीमदार तम्बाकू पाउडर
  • तम्बाकू युक्त पानी

तम्बाकू का शरीर पर दुष्प्रभाव,Side effects of tobacco on the body

  • कैंसर सभी प्रकार का तम्बाकू कैंसर पैदा करता है जैसे फैफड़ों, मुंह, गले, गर्दन, पेट, गुर्दो, मुत्राशय, अग्न्याशय, यकृत इत्यादि।
  • हार्ट डिजीज- हार्ट अटैक, कारोनरी हृदय रोग, छाती में जकड़न, दर्द, स्ट्रोक, एन्जाईना या हार्ट अटैक।
  • अन्य रोग – पैरों में गैगरीन, ब्रेन अटैक, क्रोनिक ब्रोकाईटिल, निमोनिया, मसूड़ों-दांतों की बीमारी, उच्च रक्त चाप, अवसाद, नपुंसकता, मुंह से दुर्गन्ध्, लकवा, जबड़ों में जकड़न, ऊर्जा में कमी इत्यादि रोग तम्बाकु का सेवन करने वालों में सामन्यतः पाये जाते हैं।
  • तम्बाकू सेवन से होने वाले प्रमुख रोगों में मुख व शरीर के अन्य भागों का कैंसर, हृदय रोग, अल्सर और दमा आदि रोग शामिल हैं। महिलाओं में तम्बाकू का सेवन गर्भपात और असामान्य बच्चों के जन्म का कारण बन सकता है।
  • कैंसर के कारणों मे तबाकू को 'ए' श्रेणी का दर्जा प्राप्त है।
  • धूम्रपान करने वाला व्यक्ति अपने वातावरण में जो धुआ छोड़ता है, उसमें 4000 रसायन मौजूद होते है।
  • सरकार को पान मसाला व सिगरेट आदि की बिक्री से जो राजस्व प्राप्त होता है, उससे कहीं अधिक राशि उसे तम्बाकू जनित रोगों से निपटने में खर्च करनी पड़ती है। धूम्रपान के कारण कार्यकुशल व्यक्तियों की कार्यकुशलता में कमी सरकार को परोक्ष रूप से हानि पहुचाती है।
  • तम्बाकू में निकोटिन, नाइट्रोसामाइन्स, बेन्जोपाइरीन्स, आर्सेनिक और क्रोमियम आदि कैंसर पैदा करने वाले प्रमुख तत्व पाये जाते हैं।
  • इसमें मौजूद निकोटिन, कैडमियम और कार्बन मोनेाआक्साइड तत्व सेहत के लिए अत्यत हानिप्रद है।
  • धूम्रपान न करने वाले लोग भी जब इन वस्तुओं के लती व्यक्तियों के धुएं के सपर्क में आते हैं, तो यह स्थिति उनकी सेहत के लिए भी अत्यत नुकसानदेह होती है।
  • 15 से 20 वर्षो तक तबाकू का सेवन करने से कैंसर पनपने की सभावनाएं बढ़ जाती है।
  • स्कूलों के पाठ्यक्रमों में 'कैंसर शिक्षा' को शामिल कर तम्बाकू से होने वाले नुकसान का प्रचार किया जा सकता है।
  • कैंसर रोगियों को अपने आहार में आवश्यक सुधार करना चाहिए। उन्हें भोजन में एंटीऑक्सीडेंट्स युक्त फलों व सब्जियों को वरीयता देनी चाहिए
  • फाइबर युक्त यानी रेशेदार आहार का भी पर्याप्त मात्रा में सेवन करना लाभप्रद है ताकि आतों की क्रिया का सचालन बेहतर ढंग से हो सके। आतों के सुचारु सचालन के कारण ही शरीर से नुकसानदेह पदार्थ मल के जरिए बाहर निकलते हैं।
  • तम्बाकू छोड़ने के लिये-पूरी दूनियां में तम्बाकू छोड़ने की कोई जादुई या चमत्कारिक दवाई नहीं है तम्बाकू छोड़ने के लिये दृढ़ इच्छाशक्ति का होना आवश्यक है। धूम्रपान/तम्बाकु छोड़ने से होने वाले लाभों के बारे में विचार कर स्वयं को शक्ति देवें। तम्बाकु छोड़ने के लिये निकोटीन की तलब को पूरी करने के लिये निकोटिन की च्यूगंगम या निकोटिन टेबलेट आती है इनका प्रयोग भी डाॅक्टर की सलाह से किया जा सकता है।
  • धूम्रपान करने वाली अपनी मित्र-मण्डली को छोड़ देवें ।
  • जब भी तलब लगें अपना ध्यान किसी और वस्तु पर लगाये कभी भी खाली न रहे।
  • अप्रतिदिन योग-प्राणायाम करें, जिससे इच्छाशक्ति मजबूत हो व तम्बाकु से पहले हो चुकी हानि की क्षतिपूर्ति हो।

तम्बाकू छोड़ने के लिए

  • दृढ़ सकल्प: 'मैं कल से सिगरेट छोड़ दूंगा।' का कल कभी नहीं आता। यह सकल्प आपको आज और अभी करना होगा। यदि तम्बाकू से होने वाले खतरों के बारे में आप सोचें तो यह प्रक्रिया दृढ़ सकल्प लेने में आपकी मदद कर सकती है।
  • पेय पदार्थो का अधिक सेवन करें। शराब, कॉफी, मीठी चीजों व अधिक कैलोरी वाली चीजों का सेवन कम करें।
  • कम कैलोरी वाली चीजों का सेवन अधिक करें।
  • चबाने वाली कुछ अन्य चीजों से तम्बाकू की लत को छोड़ा जा सकता है। इस बारे में आप नाक, कान, गला विशेषज्ञ से जानकारी हासिल कर सकते हैं।
  • व्यायाम व प्राणायाम करें।
  • परिजनों व मित्रों का सहयोग भी इस लत को छोड़ने में बहुत जरूरी है।
  • घर में सिगरेट अथवा गुटखा का एक भी पैकेट न रखें।
  • एक कापी में प्रतिदिन 8 से 10 बार लिखें कि मैं तम्बाकू, गुटखे या सिगरेट का सेवन नहीं करूंगा।
  • सिर्फ एक सिगरेट आज पी लेता हूं, इसके बाद फिर कभी नहीं पियूंगा'- यह सोच आपकी दुश्मन है। यह सोच आपको कभी भी सिगरेट नहीं छोड़ने देगी। इसलिए दोबारा एक भी सिगरेट न पिएं

धूम्रपान एवं तम्बाकू छोड़ने के लिए आयुर्वेदिक उपचार-substance abuse treatment,

    • बराबर मात्रा में 100 ग्राम सौंफ, 100 ग्राम अजवायन तथा 75 ग्राम काला नमक तथा दो नींबू का रस लेकर सबसे पहले काला नमक पीसकर उसमें नींबू मिला लेवें, आवश्यकतानुसार थोड़ा पानी भी मिला सकते हैं।
    • तदोपरान्त सौंफ व अजवायन को एक बर्तन में डालकर काला नमक मिला नींबू रस मिलाकर भून लेवें।यह औषधि बनाकर रख लेवें तथा जब भी तम्बाकू की तलब लगे थोड़ी सी मात्रा लेकर मुंह में रखकर चूसे इससे बीड़ी, सिगरेट की तलब धीरे-धीरे कम हो जायेगी तथा तम्बाकू की आदत को छोड़ा जा सकता है

      नशा छुड़ाने के उपाय,Alcohol Treatment,drug Addiction Treatment



      आज हमारे समाज में युवा पीढ़ी को नशे के ओर अग्रसर होते देख किसे दुःख नहीं होता | दुर्भाग्य से पिछले पांच सालों में यह बुराई बुरी तरह बढती जा रही है कुछ लोग अपनी मर्जी से नशा करते हैं कुछ शोकिया होते हैं जो बाद में अपने आप को नशे की आग में झोंक देते हैं परन्तु कुछ कुसंगति के कारण इस लत का शिकार हो जाते हैं

      हमारे और आपके बच्चे भी इसके शिकार हो सकते हैं | हर कोई इस बुरी लत से अपने बच्चों और अन्य सदस्यों को बचाना चाहेगा | खुद नशे की लत के शिकार कुछ लोग यही चाहते हैं की किसी तरह से इस लत से छुटकारा मिल जाए परन्तु उनका इस पर कोई वश नहीं | नशा व्यक्ति की रगों में पहुँच कर व्यक्ति को अपना गुलाम बना लेता है व्यक्ति मानसिक रूप से पंगु हो जाता है

      Alcohol Rehab help,Drug Rehabilitation,Alcohol Treatment,Alcohol Rehab,

      यदि हर माँ बाप को यह भान हो जाये जिनका बच्चा नशा कर रह है | तो शायद कुछ जिंदगियां बचा सकें मेरा अभिप्राय केवल इंतना है | कि घरवालों को इसकी खबर ही नही लग पाती कि कब और कैसे उनके परिवार का सदस्य नशा करने लग गया है | नशे की लत्त को छुड़ाने के लिय सरकार ने नशा मुक्ति केन्द्र खोल रखे हैं | पता चलते ही वहां से मदद लेनी चाहिए |

      यथासंभव यह प्रयास करना चाहिये जो कि नशा मुक्ति के लिए सीधा और सरल रास्ता है | मेरा यह लेख उन लोगो के लिए है जो नशा छोड़ना चाहते है लेकिन छोड़ नही पाते नशे का संबंध मन मस्तिष्क से है |

      शराब पीना और विशेषरूप से धूम्रपान के साथ शराब पीना बहुत ही खतरनाक है | इससे अनेकों रोग जैसे कैंसर (मुह का ), महिलाओं में स्तन कैंसर, आदि रोग होते है | ऐसे बुरे व्यसन (आदत) एक मानसिक बीमारी है और इसे को छुडाने के लिए मानसिक बीमारी जैसे इलाज की आवश्यकता होती है | वात होने पर लोग चिंता और घबराहट को दबाने के लिए धूम्रपान का सहारा लेते है | पित्त बढने से शरीर के अन्दर गर्मी लेने की इच्छा होती है और धूम्रपान की इच्छा होती है | कफ बढने से शरीर के अन्दर डाली गयी तम्बाकू की शक्ति बढती है |

      नशीली दवाओं के नुकसान,Loss drug

      ऐसे लोगों का प्रतिशत काफी अधिक है, जो मानसिक तनाव से मुक्ति के लिए नशीली दवाएं लेते हैं। उनके सेवन से प्रारम्‍भ में तो राहत सी महसूस होती है, लेकिन अंत बेहद बुरा होता है। एक ओर जहां ऐसे लोग अनेक शारीरिक व्‍याधियों के शिकार हो जाते हैं, वही हिंसा और गुनाह की प्रवृत्ति के चपेट में आने से स्‍वयं को तथा परिवार को संकट में डाल देते हैं।

      • नशीली दवा के रूप में बेहद मशहूर हशीश के धुंए में सिगरेट की तुलना में पांच गुना ज़्यादा कार्बन मोनो ऑक्साइड और तीन गुना ज्यादा टार होता है। कार्बन मोनोऑक्साइड बगैर रंग और गंध वाली गैस होती है, जो रोगी की जान भी ले सकती है।
      • कोकेन या क्रेक की आदत डालने के लिए इसका एक बार सेवन भी काफी होता है। इसका जरूरत से ज़्यादा डोज लेने पर हार्ट अटैक की आशंका होती है, जिससे व्‍यक्ति की मौत भी हो सकती है।
      • नशीली दवाओं के सेवन से रोगी को बहुत ही गंभीर किस्म का डीहायड्रेशन (शरीर में पानी की कमी) हो सकता है। इनके अलावा इसके सेवन से किडनी की बीमारी या अवसाद (Depression) भी होता है।
      • नशीली दवाएं रोगी के निर्णय लेने की क्षमता पर असर डालती हैं। इसकी वजह से रोगी असुरक्षित सेक्स संबंध बनाने का ज़ोखिम उठा लेते हैं, जिससे एड्स की संभावनाएं भी बलवती हो जाती हैं।
      • तंबाकू – तंबाकू में निकोटिन,कोलतार,आर्सेनिक और कार्बन मोनो आक्साइड जैसी अत्यंत खतरनाक गैसें होती हैं इसके सेवन से तपेदिक, निमोनिया और सांस की बीमारियों सहित मुख, फेफड़े और गुर्दे में कैंसर होने की संभावनाएं रहती हैं। इससे उच्च रक्तचाप की शिकायत भी रहती है। 
      • अफीम, चरस, हेरोइन तथा स्मैक आदि से व्यक्ति पागल तथा सुप्तावस्था में आ जाता है। 
      • शराब – शराब के सेवन से लिवर खराब हो जाता है| 
      • कोकीन, चरस, अफीम से ऐसे उत्तेजना लाने वाले पदार्थ है जिसके प्रभाव में व्यक्ति अपराध कर बैठता है। 
      • धूम्रपान- करता है तो उसका बुरा प्रभाव भी हमारे शरीर पर पड़ता है। इसलिए न खुद धूम्रपान करें और न ही किसी को करने दे

      लत के लक्षण,Symptoms of addiction

      अगर नीचे दिए गए लक्षण नजर आने लगें तो समझ लेना चाहिए कि इंसान को निकोटिन की लत लग
      चुकी है
      • भूख कम महसूस होना।
      • अधिक लार और कफ बनना।
      • प्रति मिनट दिल की धड़कन 10 से 20 बार बढ़ जाती है तो यह लत का लक्षण है।
      • छोटी बात पर भी बेचैनी महसूस होना।
      • ज्यादा पसीना आना और उल्टी-दस्त होना।
      • हर काम करने के लिए तंबाकू की जरूरत महसूस होना।
      • निकोटीन लेने की इच्छा बढ़ जाना।
      • चिंता बढ़ना, अवसाद, निराशा आदि महसूस होना।
      • सिर दर्द होना और ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत होने लगे तो भी इसे निकोटिन की लत का लक्षण माना जाता है।

      लत लगने का कारण,The cause of addiction

      जब कोई सिगरेट या बीड़ी पीता है तो ब्रेन में लगभग 10 सेकंड और उसके बाद सेंट्रल नर्वस सिस्टम में 5
      मिनट तक निकोटिन का असर रहता है। हालांकि स्मोकिंग करने से थोड़ी देर के लिए काम करने की क्षमता बढ़ती है, लेकिन बाद में शरीर सुस्त होने लगता है। धीरे- धीरे काम करने की क्षमता कम होती जाती है और फिर धूम्रपान की जरूरत महसूस होती है। बार-बार इस तलब को मिटाने की कोशिश में इंसान चेन स्मोकर
      हो जाता है

      लत छुड़ाने के उपाय,Drug Addiction Treatment Programs,Alcohol Rehabilitation

      तंबाकू से संबंधित नशे से मुक्ति पाने के लिए नीचे लिखी आयुर्वेदिक दवाओं का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इन दवाओं का इस्तेमाल करने से धूम्रपान करने वालों को काफी फायदा मिलता है।

      • 2 ग्राम फिटकरी का फूला, 3 ग्राम गोदंती भस्म और 15 पत्ते सत्व सत्यानाशी का मिश्रण बनाकर पाने के पत्ते में डालकर चबाएं।
      • अदरक के टुकड़े कर लो छोटे छोटे और उस मे नींबू निचोड़ दो थोड़ा सा काला नमक मिला लो और इसको धूप मे सूखा लो सुखाने के बाद जब इसका पूरा पानी खतम हो जाए तो इन अदरक के टुकड़ो को अपनी जेब मे रख लो जब भी दिल करे गुटका खाना है तंबाकू खाना है बीड़ी सिगरेट पीनी है तो आप एक अदरक का टुकड़ा निकालो मुंह मे रखो और चूसना शुरू कर दो और यह अदरक ऐसे भी अदभुत चीज है आप इसे दाँत से काटो मत और सवेरे से शाम तक मुंह मे रखो तो शाम तक आपके मुंह मे सुरक्षित रहता है इसको चूसते रहो आपको गुटका खाने की तलब ही नहीं उठेगी तंबाकू सिगरेट लेने की इच्छा ही नहीं होगी शराब पीने का मन ही नहीं करेगा जैसे ही इसका रस लार मे घुलना शुरू हो जाएगा आप देखना इसका चमत्कारी असर होगा आपको फिर गुटका तंबाकू शराब –बीड़ी सिगरेट आदि की इच्छा ही नहीं होगी सुबह से शाम तक चूसते रहो और आप ने ये 10 -15 -20 दिन लगातार कर लिया तो हमेशा के लिए नशा आपका छूट जाएगा .
      • मुलहठी और शरपुंखा सत्व का मिश्रण कत्थे की तरह पान पर लगाकर 15 दिन तक रोज सुबह नाश्ते के बाद लें।
      • 4 ग्राम आमली चूर्ण, 10 ग्राम भुनी हुई सौंफ, 4 ग्राम इलायची के बीज, 4 ग्राम लौंग, 2 ग्राम मधुयष्ठी, 1ग्राम सोनामाखी भस्म, 10 ग्राम सूखा आंवला, 7-8 खजूर और 20 मुनक्का मिलाकर पीस लें। एक पैकेट में अपने साथ रखें। जब नशे की तलब महसूस हो तो एक चुटकी मुंह में डाल लें। धीरे- धीरे नशे से मन हट जाएगा।
      • बड़ी सौफ को घी में भुनकर चबाने से सिगरेट से नफरत होने लगती है। ऐरोबिक से भी सिगरेट की तलब कम होती है।
      • मुंह में गाजर, लौंग, इलायची, चिंगम जैसी वस्तु मुंह में रखें। इससे सिगरेट की तलब कम होती है 
      • मुद्रा, ध्यान और योगाभ्यास

      किसी प्रकार की लत होने से व्यक्ति का आत्मविश्वास कमजोर होने लगता है। सिगरेट, तंबाकू,गुटखा, पान मसाला जैसे नशीले पदार्थों का सेवन करने वाले भी अगर मुद्रा, ध्यान और योगाभ्यास करते हैं तो उनका आत्मबल बढ़ता है।ऐसे में इन लतों को त्याग पाने की इच्छा शक्ति उनके अंदर पैदा होती है।

      ज्ञान मुद्रा ,Knowledge exchange,

      दाहिने हाथ के अंगूठे को तर्जनी के टिप पर लगाएं और बायीं हथेली को छाती के ऊपर रखें। सांस सामान्य रहेगा। सुखासन या पद्मासन में बैठकर भी इस क्रिया को किया जा सकता है। लगातार 45 मिनट तक करने से काफी फायदा मिलता है।

      ध्यान,attention

      ध्यान करने से शरीर के अंदर से खराब तत्व बाहर निकल जाते हैं। एकाग्रता लाने के लिए त्राटक किया जाता है। इसमें बिना पलक झपकाए प्रकाश की लौ को लगातार देखने का अभ्यास किया जाता है। एक समय ऐसा आता है जब बस बिंदु दिखाई देता है। ऐसी स्थिति में कुछ समय तक रहने की कोशिश करनी चाहिए।

      कुंजल क्रिया,Kunjl action

      नमक मिला गुनगुना पानी भरपेट पीकर इसकी उल्टी कर दें। इससे पेट के ऊपरी हिस्से का शुद्धिकरण
      हो जाता है। बस्ती: इस क्रिया के माध्यम से शरीर के निचले हिस्से की सफाई की जाती है। इसे एनीमा भी कहते हैं।

      अर्द्ध शंख प्रक्षालन

      यह बड़ी आंत की सफाई और कब्ज मिटाने के लिए किया जाता है। इसमें चार लीटर गुनगुने पानी में स्वाद के मुताबिक नमक मिला लें। पानी को पांच भागों में बांटकर बारी-बारी से पीएं और क्रमश

      दोस्तों एक बार जरूर पढ़े शराब पीने की हानि।
      शायद आप यह पढकरअपने परिवार और बच्चों की खातिर पीना छोड़ देंगे 
      क्लिक करे और पढ़े।
      यदि आप लोग मेरी बात से सहमत है तो इसे जरूर शेयर करे शायद किसी का परिवार बिखरने से बच जाय धन्यवाद मित्रों

      Thursday, April 06, 2017

      Drug De-Addiction Center, Rehab Centers,नशा मुक्ति केंद्र,


       Alcohol Rehab Centers,शराब पुनर्वसन केन्द्र
      शराब पुनर्वसन केंद्र है एक रासायनिक लत उपचार सुविधा उन लोगों का इलाज करने के लिए है जो शराब और अन्य नशीले पदार्थों के आदी। आइए जानते है उन केंद्र के बारे में

      Asha De-Addiction सेंटर

      Asha alcohol and drug deaddiction center is associated with Asha Hospital. The psychiatrists, psychologists, doctors, nurses, social workers and counselors at Asha deaddiction  Center have vast experience in treating addictions.
      The centre is situated at Jubilee hills, Hyderabad. It overlooks the Qutub Shahi tombs and the Golconda fort. Every room has a beautiful view. The surrounding area is serene and calm. Asha is an ideal location for rehabilitation of those addicted to alcohol or drugs.

      Facilities

      • A/C Rooms. Sharing and individual rooms.
      • Furnished and Spacious Accommodation.
      • Nursing care and doctors on call.
      • Psychiatric, Psychological and counseling services.
      • Yoga & Meditation.
      • Indoor games - Table Tennis, Caroms, Badminton & Shuttle.
      • Gym facilities.
      • Piped music in all rooms.
      • Television and Video rooms.
      • Accommodation facilities for visiting family members during therapy.
      • Aversion, relaxation and Bio-feedback therapy.
      • Sauna, massage & Mud bath in arrangement with Nature Cure hospital.
      • Round the clock medical care

      Website: http://www.ashadeaddiction.com

       Alcohol and Drug De-addiction

      Over the past few years, alcoholism and addiction to drugs have become widespread in our society. With the advancement of society and rapid changes in our cultural norms, increased use of alcohol and drugs has become its biggest ills. Of great concern is the rapid increase in alcohol and drug abuse in our youth, irrespective of gender.

      We have a special unit for alcohol and drug de-addiction.  Alcoholic Anonymous (AA) meetings are held every Saturday in which the patients share their experiences and discuss their problems. A local cell of the AA functions here on every second Saturday of the month, in which a minimum of 200 alcoholics with their families usually gather together. These meetings help the recovered alcoholics to remain abstinent from alcohol, following treatment, through a process of mutual sharing, prayer, renewal of their pledges and resolutions, and step meetings.

      Our treatment programme involves:

      • Alcohol detoxification & de-addiction
      • Drug detoxification & de-addiction
      • Smoking cessation programme
      • Psychotherapy/ counseling for addicts
      • Family therapy/ Counseling for family members
      • Psychoeducative and awareness classes by experts
      • Yoga and meditation
      • Prayer

      Navchetna De-एडिक्शन and Rehabilitation सेण्टर

      Introduction to the problem of Alcohol and Substance Abuse in India.

      Alcohol and substance use is a serious problem adversely affecting the social fabric of the country. Addiction to drugs and alcohol, not only affects the individual's health but also disrupts their families and the whole society.

      Alcohol and drug use has emerged as a serious concern in India. Worldwide, 3.3 million deaths every year result from harmful use of alcohol and this represents 5.9% of all deaths. It is also a casual factor in more than 200 diseases and injury condition (WHO).

      In a national survey conducted in 2001-2002, it is estimated that 7302 million persons were user of alcohol and drugs. Of these 8.7, 2.0 and 62.5 million were users of cannabis, opium and alcohol. About 26%, 22% and 17% of the users three types respectively were found to be dependent on /addicted to them.

      Wednesday, April 27, 2016

      नशीले पदार्थ के दुष्परिणाम,Drug side effects and interactions,

      भारत में तम्बाकू की सम्पूर्ण पैदावार का 19 प्रतिशत से भी ज्यादा भाग खाने-चबाने के प्रयोग में लाया जाता है। उत्तर प्रदेश में तम्बाकू की सर्वाधिक खपत गुटखा के रूप में हो रही है। गुटखा में मिला 'गैम्बियर' कैंसर पैदा करता है। तम्बाकू में हाइड्रोजन साइनाइड, सल्फर डाई ऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड, अमोनिया और फर्मेल्डिहाइड जैसे अत्यत नुकसानदेह पदार्थ मिले होते है, जो कालातर में मुख कैंसर और अन्य प्रकार के कैंसर का कारण बनते हैं। पेश हैं मुख कैंसर से सबधित कुछ तथ्य
      • पान मसाला व गुटखा चबाने वालों को पद्रह से बीस सालों में कैंसर होने की सभावना होती है। जबकि मुख कैंसर की पूर्व अवस्थाएं जैसे ल्यूकोप्लेकिया, सबम्यूकसफायब्रोसिस और लाइकेन प्लेनस की शुरुआत एक-दो साल में ही हो सकती है। 
      • यदि किसी व्यक्ति का मुख चार से.मी. से कम खुल रहा है या उसके मुख में भूरे, लाल या काले चकत्ते हैं, तो उसे कैंसर विशेषज्ञ से परामर्श शीघ्र ही लेना चाहिए। 
      • यदि मुख में कोई ऐसा छाला हो गया है, जो 8 से 10 दिन के उपचार के बाद भी ठीक नहीं हो रहा है तो कैंसर विशेषज्ञ को अवश्य दिखा लेना चाहिए। 
      • मुख कैंसरों के अधिकाश मामलों में अब मास का टुकड़ा काटकर बॉयोप्सी करने की आवश्यकता नहीं होती। कैंसरग्रस्त भाग से मात्र कुछ कोशिकाएं खुरच कर निकाल ली जाती हैं और उनकी जाच करके कैंसर की मौजूदगी का पता लगाया जाता है। 
      • लेजर सर्जरी के द्वारा मुख कैंसर की पूर्वावस्था ल्यूकोप्लेकिया को वाष्पीकृत करके पूर्णतया समाप्त किया जा सकता है। 
      • मुख कैंसर के 90 प्रतिशत से अधिक मामलों में इपीडरमल ग्रोथ फैक्टर की मौजूदगी पायी जाती है। ऐसे रोगों में टारगेटेड थेरैपी 'जेफ्टीनिब' को शोधों में प्रभावी पाया गया है। 
      • मुख कैंसर से बचाव के लिये टमाटर में मौजूद 'लाइकोपिन' की दवा प्रभावी पायी गयी है। 
      • आवला, आम और हल्दी के सेवन से भी मुख कैंसर की रोकथाम की जा सकती है। 
      • प्रारंभिक अवस्था में मुख कैंसर का उपचार शल्य चिकित्सा के बगैर रेडियोथेरैपी और कीमोथेरैपी से किया जा सकता है और चेहरे को कुरुप होने से बचाया जा सकता है। 
      • कैंसर की नयी दवाओं जैसे सिटुक्सीमैब और हाइटेक रेडियोथेरैपी जैसे आई.एम.आर.टी. और ब्रेकीथेरैपी के इस्तेमाल से उपचार को अधिक कारगर व सुरक्षित बनाया जा सकता है

      नशा का कारण -

        • सबसे पहले हम यह जाने कि नशाखोरी के कारण क्या हैं? लोग मजा पाने के लिए नशा करते हैं। दरअसल नशा चीज ही ऐसी है कि जो खून में जाते ही आदमी को खुशी और स्फूर्ति का एहसास कराती है। कुछ लोग अपने दोस्तों के दबाव में आकर नशा करने लगते हैं। 
        • तीसरा कारण है सुलभता। पहले जिस शराब की बोतल खरीदने के लिए लोगों को दूर जाना पड़ता था, अब वह आसानी से मिल जाती है। जगह-जगह ठेके खुले हैं। 
        • चौथा कारण है तनाव, जिसके कारण इंसान नशा करता है। बहुत सी संस्थाए नशे की रोकथाम के लिए बहुत से प्रयत्न कर रही है। परंतु अच्छे नतीजे नहीं मिल रहे। कुछ समय के लिए तो व्यक्ति शराब छोड़ देता है, परंतु बाद में फिर शुरू हो जाता है। 
        • अगर व्यक्ति सच में बदलना चाहता है तो उसे जरूरत है भीतर से जागरूक होने की क्योंकि सबसे बड़ी बात है मन पर काबू पाना और वह केवल ब्रह्मज्ञान से ही हो सकता है।
        • दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान में ऐसे अनेकों लोग हैं जिन्होंने इस ज्ञान को प्राप्त किया और आज नशे के चुंगल से बिल्कुल छूट चुके हैं और साथ ही बढिय़ा जीवन व्यतीत कर रहे हैं। आमतौर पर समाज में यह धारणा है कि नशा करना मर्दों की फितरत है. 
        • समाज में पुरुषों को ही नशा करने का अधिकार है. अगर महिलाएं इस तरह की करतूत करती हैं तो उन्हें कुल विरोधी या कुल का नाश करने वाला माना जाता है. लेकिन बदलते समाज के साथ-साथ लोगों की सोच बदली है. आज महिलाएं पुरुषों के साथ कदमताल कर रही हैं.
        • वह किसी भी क्षेत्र में अपने आप को कम नहीं आंकतीं. अगर पुरुष धूम्रपान करता है तो वहां भी वह अपने आप को बीस साबित कर रही हैं. लेकिन एक नए शोध से पता चला है कि आज की तारीख में धूम्रपान करने वाली महिलाओं की मौत के आसार बढ़ रहे हैं. 
        • आज अगर कोई सिगरेट पीता है चाहे वह स्त्री हो या पुरुष तो उसकी इस हरकत को हाई स्टेटस के साथ जोड़कर देखा जाता है. पुरुषों की तरह महिलाएं भी कम उम्र में सिगरेट पीना शुरू कर देती हैं. कहीं-कहीं तो यह भी देखा गया है कि महिलाएं पुरुषों के मुकाबले बहुत ही ज्यादा सिगरेट पीती हैं. उनकी यही आदत स्वास्थ्य को बहुत ही ज्यादा नुकसान पहुंचा रही है. इन्हीं आदतों की वजह उनमें फेफड़ों के कैंसर का रिस्क बढ़ गया है.
        • न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसन में छपे शोध के मुताबिक धूम्रपान के कारण अब पुरुषों की ही तरह महिलाएं भी बड़ी संख्या में मर रही हैं. सिगरेट का अधिक सेवन करने से वर्ष 2000 से 2010 के बीच धूम्रपान करने वाली महिलाओं में लंग कैंसर से मौत की आशंका सामान्य लोगों के मुकाबले 25 गुना हो गई थी. शोध में अमरीका की 20 लाख से ज्यादा महिलाओं से इकट्ठा किए डेटा पर नजर डाली गई है.तंबाकू – तंबाकू में निकोटिन,कोलतार,आर्सेनिक और कार्बन मोनो आक्साइड जैसी अत्यंत खतरनाक गैसें होती हैं इसके सेवन से तपेदिक, निमोनिया और सांस की बीमारियों सहित मुख, फेफड़े और गुर्दे में कैंसर होने की संभावनाएं रहती हैं। इससे उच्च रक्तचाप की शिकायत भी रहती है।
        • अफीम, चरस, हेरोइन तथा स्मैक आदि से व्यक्ति पागल तथा सुप्तावस्था में आ जाता है।
        • शराब – शराब के सेवन से लिवर खराब हो जाता है
        • कोकीन, चरस, अफीम से ऐसे उत्तेजना लाने वाले पदार्थ है जिसके प्रभाव में व्यक्ति अपराध कर बैठता है।
        • धूम्रपान- करता है तो उसका बुरा प्रभाव भी हमारे शरीर पर पड़ता है। इसलिए न खुद धूम्रपान करें और न ही किसी को करने दे।
        • कोक,पेप्सी,चाय और कॉफी – दिल कि धड़कन, दांतों के रोग, गले के रोग, बदहजमी आदि रोग बढ़ जाते हैं। कोक जैसे ठंडे पेय घातक हैं कभी ना पियेँ।

          नशे की प्रमुख चार अवस्थायें

          • प्रारम्भिक अवस्था या प्रयोगात्मक अवस्था – जब कोई भी व्यक्ति मादक पदार्थों की ओर आकर्षित होकर प्रथम बार उसको सेवन करता है वह इसी भ्रम में रहता है कि मैं तो सिर्फ शौक के लिये इसका सेवन कर रहा हूँ तथा मै जब चाहूँ इसको बन्द (छोड़) कर सकता हूँ।
          • कभी – कभी प्रयोग – जब सेवनकर्ता प्रयोगात्मक अवस्था को बार-बार दोहराता है तो उसका शरीर लगातार मादक पदार्थों की मांग करता है प्रयोगकर्ता अनियमित रूप से विभिन्न अवसरों पर संकोच छोड़कर प्रयोग करता है तथा उसकी झिझक खत्म हो जाती है वह मादक पदार्थों के प्रयोग में अपने-आपको ऊर्जावान-हल्का-फुल्का महसूस करता है।
          • आदी हो जाना – कुछ ही समय बाद नशा करने वाला व्यक्ति नशीले पदार्थों को दैनिक या दिन में कई बार लेना शुरू करता है अगर वह नियत अन्तराल या समय पर नशीला पदार्थ नहीं लेता तो उसके अन्दर बैचेनी, अवसाद, शरीर टूटना, बुखार इत्यादि लक्षण (विदड्राल सिम्पटम्स) उभरते हैं जिससे वह किसी भी कीमत पर नशे को प्राप्त करता है तथा नशे को प्राप्त करने के लिये कोई भी कार्य यहां तक झूठ बोलना, चोरी करना, यहां तक कि किसी के प्रति हत्या तक का जघन्य कृत्य कर सकता है।
          • विभिन्न नशीले पदार्थों के सेवन करने वाले के लक्षण
          • कोकीन, कोडीन, मार्फीन का सेवन करने वाले व्यक्ति के नासाद्वार लाल होना, फटे हुये होना, नाक बहना।
          • एम्फीटामीन के नशे को करने वाले के शरीर से अधिक पसीना आना, बदबु आना, होंठ कटे-फटे होना, होठों को गीला करने के लिय लगातार जीभ फराना। बार-बार हाथ कांपना। शरीर का बजन कम होना।
          • अफीम, भांग, एच.जे.डी. का नशेड़ी अपनी फैली हुई, असामान्य आंखे छुपाने के लिये नजरे बचाता है तथा बिना जरूरत के चश्मे का प्रयोग करता है।
          • हेरोइन का सेवन करने वाले का लगातार शरीर का वजन कम होना, शरीर पर सुईयों के निशान होना, कलाईयों हाथों पर विशेष रूप से, गम्भीर किस्म के नशेड़ी अपने हाथ, पैर, गर्दन सभी जगह नशा करने के लिये अपने शरीर को गाड़ते हैं।
          • मार्फीन का अधिक सेवन करने पर यह रक्तचाप कम करती है यह श्वसद दर 18 से हटाकर-3-4 तक कर देती है।
          • एम्फीटामीन का रोगी एक काम को बार-बार करता रहेगा जैस-लगातार या बूट पालिस करना, लगातार अपने हाथ धोना, या कमरे का सामान इधर-उधर फैलाकर दोबारा व्यवस्थित करना।
          • अल्कोहल का सेवन करने वाला व्यक्ति बहकी-बहकी बातें करना, व्यर्थ की डींग हांकना, लड़खड़ाकर चलना, मुंह से बदबू आना। लगातार सेवन करने वाले का शरीर अस्त-व्यस्त रहना।
          • तम्बाकू बीड़ी, सिगरेट का नशा करने वाले के शरीर के पसीने से, सांस से तम्बाकू की दुर्गन्ध् आना, लगातार खांसी करना, सीढीयां चढ़ते-चढ़ते हांफना।
          • कोकीन,
          • कोकीन के प्रयोग से शरीर में डोपामीन की मात्रा को बढ़ने लगती है। कोकीन हमारे नटर्स सिस्टम में डोपामीन नामन रसायन न्यूटोट्रासमीटर्स के अन्दर सन्देशों के आदान-प्रदान में काम आता है कोकीन से इसकी संख्या बढ़ जाती है तथा यह नवर्स सिस्टम को अनियंत्रित कर देती है।
          • लक्षण: सिरदर्द, उबकाई, हाथ पैरों चेहरे की मांसपेशियों में खिचाव, नब्ज की गति, रक्त चाप, तापमान में बढ़ोतरी, श्वास की दर का बढ़ना, कोकीन 30 मिनट के अन्दर ही अपना प्रभाव शुरू कर देती है ज्यादा मात्रा में लेने से, ऐठन, झटके लगना तथा बेहोशी व कभी-कभी तो मृत्यु भी हो जाती है।

          एम्पफीटामीन

            • पहली अवस्था में बैचेनी, चिड़चिड़ापन पसीने-पसीने होना, चेहरा भभकना, हाथ-पैर कंपकपाना, नींद की कमी।
            • दूसरी अवस्था – अति सक्रियता, भ्रम, कल्पना, ब्लड-प्रेशर, शरीर का तापमान, श्वसन दर बढ़ जाती है।
            • तीसरी अवस्था – उन्माद, खुद को चोट पहुंचाना और रक्तचाप, शरीर का तापमान, श्वसन दर में और बढ़ोतरी होती है।
            • चौथी व अन्तिम अवस्था – बेहोशी, दौरा पड़ना व बेहोशी में मौत हो जाना। एम्फीटामीन छोड़ते समय रोगी को तन्द्रा व उदासी के लक्षण होते हें जो छोड़ने के बाद 3-4 दिन तक बढ़ते जाते हैं अवसाद के लक्षण बढ़ने पर रोगी दोबारा अम्फीटामीन की खुराक लेता है

              Wednesday, April 20, 2016

              शराब के नुकसान,Alcohol Effects on The Body in Hindi,

              प्रिय दोस्तों शराब कभी मत पीना यह काफी हानिकारक है आइए जानते है इसके नुकसान के बारे में

              • यह अरबी का शब्द है जिसका अर्थ शर-माने, बुराई तथा आब माने पानी अर्थात् वह पानी जो बुराईयों की जड़ है। महात्मा गांधी ने शराब को सभी पापों की जननी कहा है शराब सीधे व्यक्ति के मस्तिष्क पर प्रहार कर सोचने समझने की शक्ति को नष्ट कर देती है सोचने की शक्ति, मस्तिष्क पर नियंत्रण हटते ही शराबी व्यक्ति अच्छे-बुरे, पाप-पुण्य का भेद भूल जाता है तथा विवेकहीन होकर प्रथम अपनी बुद्धि फिर चरित्र नष्ट करता है। महात्मा गांधी आगे कहते हैं
              • शराब शारीरिक, मानसिक, नैतिक और आर्थिक दृष्टि से मनुष्य को बर्बाद कर देती है। शराब के नशे में मनुष्य दुराचारी बन जाता है वही चेहरा जो शराब पीने से पहले प्यारा, आकर्षक, प्रसन्न, विचारशील लगता था वही चेहरा शराब पीने के बाद घृणास्पद, निकृष्ट, राक्षसों के समान खूंखार, असन्तुलित, अनियंत्रित और वासनात्मक भूखे भेडि़ये के समान लगता है।
              • शराबी का न शरीर पर नियन्त्रण है, न वाणी पर, न दृष्टि पर नियंत्रण है न विचारों पर कोई नियंत्रण है। शराब के साथ व्यक्ति मांस, जुआ तथा वैश्यावृति में फंस जाता है। यदि हम सड़क दुर्घटना मैं होने वाली 1 लाख 28 हजार 914 व्यक्ति जो पिछले वर्ष (2009) में सड़क दुर्घटनाओं मरें, उन पर रिसर्च किया गया तो पाया गया कि उनमें से 70 प्रतिशत दुर्घटनायें चालक की भूल या लापरवाही के कारण होती हैं चालक की लापरवाही से होने वाली भूलों में एक बड़ी संख्या उनकी है जो किसी न किसी नशे के कारण गाड़ी चला कर दुर्घटना करते हैं।
              • हत्याओं तथा अपराधों जिसमें चोरी, डकैती, छीना-झपटी, मारपीट, छेड़-छाड़ व बलात्कार आदि के सभी मामलों में 50 प्रतिशत से अधिक मामलों का मूल कारण शराब पाई गई है अधिकांश अपराध् शराब के नशे मैं किये जाते हैं। शराब माफिया मिलावटी, जहरीली शराब के कारण हजारों व्यक्ति प्रतिवर्ष काल के ग्रास बनते हैं।
              • शराब से जितने राजस्व की प्राप्ति होती हे उससे अधिक धन खर्च तो शराब के कारण होने वाले अपराध की जांच, अपराधियों के रखरखाव शराब के कारण होने वाले दंगे-फसाद, लड़ाई-झगड़े, बलात्कार की रोकथाम, दुर्घनाओं की रोकथाम, कानून व्यवस्था, बनाये रखना, कार्य क्षमता की हानि, कार्य दिवसों की कमी के कारण सकल घरेलू उत्पाद में होने वाली कमी, जेल व्यवस्था व शराब के कारण होने वाली बिमारियों की रोकथाम पर खर्च हो जाता है।
              • शराब के रोगियों में 27 प्रतिशत मस्तिष्क रोगों से, 23 प्रतिशत पाचन-तन्त्र के रोगों से, 26 प्रतिशत फेफड़ों के रोगों से ग्रसित रहते हैं। भारत के पागलखानों में 60 प्रतिशत् वो लोग हैं जो मादक पदार्थों के कारण पागल हुये।
              अगर किसी शख्स में नीचे दिए गए लक्षण नजर आते हैं तो उसे शराब की लत हो सकती है। ये लक्षण व्यक्ति विशेष में अलग-अलग पाए जाते हैं।
              • घबराहट, बेचैनी, चिड़चिड़ापन, अति उत्सुकता। 
              • गुस्सा आना, मूड में अचानक बदलाव। 
              • तनाव, मानसिक थकावट। 
              • फैसला लेने में कठिनाई। 
              • याददाश्त कमजोर पड़ना। 
              • नींद न आना। 
              • सिर में तेज दर्द होना। 
              • ज्यादा पसीना निकलना, खासकर हथेलियों और पैर के तलवे से। 
              • जी मिचलाना और भूख कम लगना। 
              • शरीर थरथराना और पलक झपकते रहना। 
              • शरीर में ऐंठन और मरोड़ होना।

              शराब की हानियां,Alcohol Rehab help,Drug Rehabilitation,

              • पाचन तंत्र पर प्रभाव – शराब से पाचन-क्रिया मन्द हो जाती है इससे अमाशय में सूजन आती है तथा कब्ज होती है अमाशय में लगातार सूजन होने से वह अल्सर में बदल जाती है।
              • लीवर पर प्रभाव – इससे लीवर पर सूजन/फैट्टी लीवर हो जाता है या लीवर सिकुड़कर ऐंठ जाता है अधिक शराबियों का लीवर बढ़ जाता है तथा लीवर सिरोसिस या हैपेटाईटिस-सी नामक रोग होकर व्यक्ति की मौत भी हो सकती है।
              • गुर्दे पर प्रभाव – शराब से गुर्दों की कोशिकायें मृत (डैड ) होने लगती है। वे रक्त को शुद्ध करना बन्द कर देती है, गुर्दे सिकुड़कर छोटे हो जाते हैं।
              • हार्ट पर प्रभाव – शराब से हार्ट की नस-नाडि़यां सख्त हो जाती हैं, नाडि़यां फैल जाती है उनके अन्दर ब्लोकेज आती है जिससे पहले स्थाई ब्लड़-प्रेशर तथा बाद में कभी हार्ट अटैक हो सकता है। यह मिथ्या धरणा है कि थोड़ी मात्रा में शराब हार्ट के रोगियों के लिए लाभदायक है।
              • मस्तिष्क पर दुष्प्रभाव – मस्तिष्क में भ्रम की स्थिति पैदा होती है निर्णय क्षमता खत्म होकर वाणी पर, व्यवहार पर, आचरण पर मस्तिष्क का नियन्त्राण समाप्त हो जाता है।
              • शरीर पर अन्य प्रभाव – शराब पीने से कैंसर पैदा होने की सम्भावना कई गुणा बढ़ जाती है। असमय बुढ़ापा आता है, चेहरे पर झुर्रियां आती है। शराबी व्यक्ति का मस्तिष्क पर नियंत्रण न होने से वह आत्म-हत्या भी कर लेता है।
              • पहला अधिक सेवन से शराब का आदि बना देता हैं. ज़ुबान बेलगाम हो जाती ,बोलने वाले की ज़ुबान खुल जाती जिसे से अनाप-सनाप बकवास , असभ्यता, उद्देश्य हिन् उत्तेजना, अप शब्द , गाली , गंदी भाषाओं का बोलना ,चोरी ,अपराध करने की प्रवृत्ति ,आदतन अपराधी ,निकम्मापन,आलसी ,गन्दा रहना ,नियमित शराब पीने से चेहरा फूला हुआ ,त्वचा सुखी सुखी ,होने के बाद सूजन और चेहरे पर पानी का प्रति धारण दीखता हैं. 
              • किसी किसी में मोटापा बढ़ाना शुरू हो जाता हैं.किसी को स्त्रियों में पेट नासपाती या पुरुषों में पेट आलू की शक्ल का मोटा हो जाता हैं.लीवर के उपर सूजन बढ़ जाती हैं.जिस से पेट फूला हुआ दीखता हैं. वसा की मात्रा बढ़ जाती हैं.डायबिटीज़ होने की सम्भावना बढ़ जाती हैं.

              शराब छुड़ाने के तरीके ,Alcohol Rehab help,

              शराब छुड़ाना मुश्किल काम है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, दुनिया में कोई चिकित्सा पद्धति ऐसी नहीं है, जो शराब की लत से मुक्ति दिला सके। शराब की वजह से होने वाली बीमारियों का इलाज हो सकता है। विभिन्न पद्धतियों में उपचार के साथ-साथ परामर्श और अल्कॉहॉलिक्स एनॉनिमस की मीटिंग शराब से मुक्ति दिलाने में कारगर साबित हो रही हैं।
              • आयुर्वेद ऐल्कॉहॉल से लिवर में सूजन, पेट और तंत्रिका तंत्र से जुड़ी बीमारियां हो जाती हैं। आयुर्वेद में इन बीमारियों को दूर करने की दवा दी जाती है और साथ-साथ शराब का विकल्प दिया जाता है जिसमें ऐल्कॉहॉल की मात्रा काफी कम हो।
              • ऐलोवेरा लिवर के लिए फायदेमंद है, जबकि अश्वगंधा तंत्रिका तंत्र और मस्तिष्क को पुष्ट बनाता है। इसके अलावा जटामांसी भी दिया जाता है। सार्थक चूर्ण, ब्राह्मी घृतम आदि शरीर से शराब के जहर को कम करते हैं। 
              • इसके अलावा शंखपुष्पी, कुटकी, आरोग्य वर्धनी आदि दिए जाते हैं। शराब के विकल्प के रूप में सुरा का सेवन कराया जाता है। शराब के बदले मृतसंजीवनी सुरा 30-40 एमएल दी जाती है। 
              • इसके बाद धीरे-धीरे इसे कम किया जाता है। इसके साथ ही, ऐसे रोगियों को परामर्श केंद्र भेजा जाता है। आयुर्वेद विशेषज्ञों की सलाह है कि डॉक्टर या वैद्य की सलाह से ही इन औषधियों का इस्तेमाल करें।
              • संतरा और नीबू के रस तथा सेव, केला आदि के सेवन से ऐल्कॉहॉल की वजह से शरीर में जमा जहर कम हो जाता है। 
              • खजूर काफी फायदेमंद रहता है। 3-4 खजूर को आधे गिलास पानी में रगड़कर देने से शराब की आदत छोड़ने में मदद मिलती है। 
              • धूम्रपान करना बिल्कुल बंद कर दें। धूम्रपान से ऐल्कॉहॉल लेने की इच्छा प्रबल होने लगती है।
              • आधा गिलास पानी और समान मात्रा में अजवाइन से बने रस को मिलाकर रोजाना एक महीने तक पीने से काफी फायदा मिलता है।
              • शराब के नशे की आदत को छुड़ाने के निम्न चिकित्सा प्रयोग करने से नशा करने की आदत छूट जाती है।
              • सर्वकल्प क्वाथ – 300 ग्राम 1 से 2 चम्मच काढ़ा क्वाथ- सुबह सायं खाली पेट।
              • उदयमृन वटी – 60 ग्राम शिलाजीत रसायन वटी-40 ग्राम 1-1 गोली खाना खाने के बाद।
              • अजवायन (5-10 ग्राम) 1 गिलास पानी में काढ़ा बनाकर प्रथम सप्ताह- 4-4 घण्टे में रोगी को पिलाएं। बाद में 6 घण्टे में पिलाये तो नशा करने की आदत छूट जाती है।
              • धनिया (40 ग्राम) का काढ़ा -सुबह / दोपहर/शाम बनाकर पीने से शराब पीने की इच्छा कम हो जाती है।

              शराब का नशा उतारने के लिए,alcohol treatment

              • शराब का नशा उतारने के लिए एक नींबू एक कप पानी में निचोड़ कर कई बार पिलाएं।
              • सेब का रस निकालकर, कई बार पिलायें।
              • अनार की 40 पत्ती पीसकर-200 मिली. ग्रा. पानी में घोलकर पिलाएं।
              • फिटकरी भस्म-3 से 6 ग्राम पानी मे घोलकर पिलाएं।
              • मिश्री 25 ग्राम को 25 ग्राम घी में मिलाकर चटाएं।
              • मिश्री व धनिया पावडर समान मात्रा में मिलाकर खिलाएं यह प्रयोग शराब के नशे को दूर करता है।