स्तन कैंसर के कारण लक्षण आयुर्वेदिक उपचार,Breast Cancer Information In Hindi,Breast Cancer Symptoms In Hindi,Treatment Options for Breast Cancer,
स्त्रियों के स्तनों में कैंसर का रोग आजकल बहुत तेजी से फैलने वाला रोग है। 20 साल से कम उम्र की लड़कियों को ये रोग बहुत ही कम होता है। स्तनों का कैंसर एक बहुत ही भयानक रोग है जिसके कारण स्त्रियों को बहुत अधिक परेशानी होती है। यदि इस रोग का जल्दी ही उपचार न किया जाता है तो इसके
कारण स्त्री की मृत्यु भी हो सकती है। कारण अगर स्त्री के परिवार आदि में पहले किसी को स्तनों का कैंसर हुआ हो तो उसे भी इस रोग के होने की संभावना होती है। ज्यादा शराब के सेवन से स्त्रियों में स्तनों के कैंसर का रोग हो जाता है। बांझपन की शिकार स्त्रियों में 40 साल की उम्र के बाद ये रोग होने के आसार बढ़ जाते हैं।ऐसी स्त्रियां जिन्होने कभी बच्चे को अपने स्तनों से दूध ना पिलाया हो उन्हे ये रोग हो सकता है। ज्यादा भारी शरीर की स्त्रियों को 40-45 साल की उम्र के बाद मासिकधर्म बंद होने पर ये रोग हो सकता है।
कारण स्त्री की मृत्यु भी हो सकती है। कारण अगर स्त्री के परिवार आदि में पहले किसी को स्तनों का कैंसर हुआ हो तो उसे भी इस रोग के होने की संभावना होती है। ज्यादा शराब के सेवन से स्त्रियों में स्तनों के कैंसर का रोग हो जाता है। बांझपन की शिकार स्त्रियों में 40 साल की उम्र के बाद ये रोग होने के आसार बढ़ जाते हैं।ऐसी स्त्रियां जिन्होने कभी बच्चे को अपने स्तनों से दूध ना पिलाया हो उन्हे ये रोग हो सकता है। ज्यादा भारी शरीर की स्त्रियों को 40-45 साल की उम्र के बाद मासिकधर्म बंद होने पर ये रोग हो सकता है।
लक्षण,Breast Cancer Symptoms
- कैंसर की शुरुआती दौर में किसी भी प्रकार के कैंसर में दर्द आदि नहीं होता है ये लक्षण तो बाद में शुरु होते हैं अगर स्त्री को मासिकस्राव के साथ दर्द कम होता है या बढ़ जाता है तो ये फाइब्रोएडेनोसिस हो सकता है।अगर किसी स्त्री के स्तनों में कैंसर होता है तो उसके स्तनों के निप्पलों से स्राव निकलता रहता है जो खून या खून के जैसा भी हो सकता है। अगर उनमे से पीब निकले तो ये विपाक भी हो सकता है और अगर स्राव हरे रंग का हो तो ये फाइब्रोएडेनोसिस हो सकता है।
- फाइब्रोएडेनोसिस किसी प्रकार का कैंसर नहीं होता और ये लड़कियों में अक्सर होता है।स्त्रियों को एक महीने में कम से कम 15 मिनट स्तनों की जांच के लिए समय निकालना बहुत जरूरी है।स्तनों की जांच का सबसे अच्छा समय मासिकस्राव आने के बाद का होता है।
- स्त्री को सबसे पहले ये देखना चाहिए कि उसके स्तनों के निप्पलों में से किसी प्रकार का कोई स्राव आदि तो नहीं हो रहा है स्त्री अपने दोनों हाथों को ऊपर उठा ले। इसके बाद स्तन पर दूसरा हाथ फेरकर बगल से जांच करना शुरू करें कि किसी प्रकार की सूजन या झुर्रियां आदि तो नहीं है फिर हाथ नीचे करते हुए ये जांच करे कि स्तनों के निप्पल हिलते हैं या नहीं।अब आगे झुके कि स्तनों की रूपरेखा में कोई भी बदलाव, त्वचा पर कोई झुर्री, गड्ढा या स्तनों के निप्पलों में किसी तरह का खिंचाव तो नहीं है।
- ब्रेस्ट में गांठ होना : अधिकांश महिलाओं को उनके ब्रेस्ट में गांठ महसूस होती हैं। अमूमन, ब्रेस्ट ऊतक थोड़े गंठीले होते हैं। अधिकतर मामलों में, ऐसी गांठ होना चिंता का कारण नहीं होती। यदि गांठ कठोर लगे अथवा शेष ब्रेस्ट (अथवा दूसरी ब्रेस्ट) की तुलना में कुछ अलग प्रतीत हो, अथवा उसमें कुछ बदलाव नजर आए तो यह लक्षण चिंता का विषय हो सकते हैं। ऐसे लक्षण सामने आने पर फौरन डॉक्टर से संपर्क करना चाहिये।
- निप्पल में परिवर्तन : निप्पल से फ्लूड का निकलना परेशानी का कारण बन सकता है, लेकिन यह कैंसर की ओर कम ही संकेत करता है। यदि निह्रश्वपल से बिना दबाये ही डिस्चार्ज होता है अथवा सिर्फ एक ब्रेस्ट से ही ऐसा हो रहा है और यह दूधिया होने के बजाय लाल और अस्पष्ट है, तो इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिये तथा तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिये।
- ब्रेस्ट की त्वचा में बदलाव : कभी-कभार ब्रेस्ट की त्वचा गड्ढेदार हो जाती है अथवा इसमें कुछ सिकुडऩ आ जाती है। इसमें लालिमा, सूजन हो और यह अधिक गर्म लगें तो यह लक्षण भी ब्रेस्ट कैंसर के हो सकते हैं।
- बांह के नीचे लिम्फ नोड : कुछ मामलों में, ब्रेस्ट कैंसर बांह के नीचे अथवा कॉलर बोन के पास लिम्फ नोड तक फैल जाता है। इससे उस स्थान पर गांठ अथवा सूजन हो जाती है। कई बार यह ब्रेस्ट टिश्यू में होने वाले असली ट्यूमर होने से पहले महसूस होने लगती है। इस तरह के कई मामलों में गांठ में दर्द नहीं होता। इसलिए, सलाह दी जाती है कि इन गांठों को नजरअंदाज न किया जाये।
- पीठ में दर्द : हालांकि, यह ब्रेस्ट कैंसर के आम लक्षणों में शामिल नहीं है लेकिन कभी-कभार ब्रेस्ट कैंसर में पीठ में भी काफी दर्द होता है। ऐसा तब होता है, जब ब्रेस्ट ट्यूमर पीछे छाती की तरफ बढ़ता है अथवा कैंसर रीढ़ अथवा पसलियो में फैलता है।
- सामान्यत: आम लक्षणों को नरजअंदाज नहीं किया जाना चाहिये, लेकिन यह भी सच है कि प्रतिवर्ष पता चलने वाले ब्रेस्ट कैंसर के हजारों मामलों में कोई गांठ नहीं पाई गई है।
घरेलू उपचार,Home Remedies for Breast Cancer
1. स्तन में कैंसर का उपचार करने के लिए सबसे पहले रोगी स्त्री को कम से कम एक महीने तक फलों का रस पीकर उपवास रखना चाहिए। उपवास के समय में रोगी स्त्री को प्रतिदिन गुनगुने पानी से एनिमा क्रिया करके अपने पेट को साफ करना चाहिए।2. स्तन में कैंसर के रोग से पीड़ित स्त्री को उपवास समाप्त करने पर सादा तथा पचने वाले भोजन का सेवन करना चाहिए तथा प्रतिदिन घर्षणस्नान, मेहनस्नान, सांस लेने वाले व्यायाम तथा शरीर के अन्य व्यायाम करने चाहिए तथा सुबह के समय में साफ तथा स्वच्छ जगह पर टहलना चाहिए।
3. स्तन में कैंसर के रोग से पीड़ित स्त्री को सप्ताह में 1 बार गुनगुने पानी में नमक डालकर उस पानी से स्नान करना चाहिए तथा प्रतिदिन गरम तथा ठंडे पानी से स्नान करना चाहिए।
4. जब रोगी स्त्री को मासिकधर्म हो उस समय इन सभी उपचारों को बंद कर देना चाहिए।
5. रोगी स्त्री को प्रतिदिन गुनगुने पानी में रूई को भिगोंकर, इससे अपने स्तनों को साफ करना चाहिए इससे यह रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।
6. रोगी स्त्री को प्रतिदिन अपने स्तनों पर गरम तथा ठंडी सिंकाई करने तथा मेहनस्नान करने से बहुत लाभ मिलता है।
7-हल्दी(टर्मरिक)
हल्दी एक गुणकारी मसाला है जो स्त्रियों में स्तन कैंसर के खतरे को कम करती है। हल्दी में मौजूद कक्र्युमिन नामक तत्व स्तन कैंसर जैसे हॉर्मोन के कारण बनने वाले ट्युमरों को रोकती या विलंबित करती है।8-विटामिन डी
आहार के पूरक के रूप में रोजाना विटामिन डी के सेवन से सामान्य और विशेषकर आनुवांशिक रूप से संवेदनशील स्त्रियों में स्तन कैंसर की रोकथाम में मदद मिल सकती है।9-लहसुन (गार्लिक)
लहसुन में कुदरती रूप से कैंसर से लडऩे वाले कुछ तत्व मौजूद होते हैं। इससे स्तन कैंसर ठीक भले न हो, लेकिन इसकी रोकथाम के लिए यह कारगर हो सकता है। लहसुन एक शानदार घरेलू उपचार है और भोजन में इसे शामिल करना स्वास्थ्य के लिए सबसे बढिय़ा होगा।10-नीलबदरी (ब्लूबेरी)
ब्लूबेरी में मौजूद ऐंटीऑक्सीडेंट रंगकण स्तन कैंसर की कोशिकाओं की वृद्धि कम करने में सहायक होते हैं। अलसी के बीज या तीसी (फ्लैक्स सीड)ओमेगा-3 तेल, ऐंटीऑक्सिडेंट, फाइबर और अन्य सूक्ष्म पोषक तत्वों के गुणों से भरपूर होने के कारण भोजन के साथ इसे लेना स्वास्थ्यकर होता है। अलसी के बीजों से स्तन कैंसर की कोशिकाओं का विकास कम हो सकता है।11-एक्यूपंक्चर
स्तन कैंसर की उपचार प्रक्रिया में एक्यूपंक्चर को शामिल करने से न केवल साइड इफेक्ट्स कोनियंत्रित करने बल्कि इन्हें रोकने में भी मदद मिलती है।
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