मूली खाने के ये फायदे जानकर आप भी हैरत में पड़ जाएंगे,मूली खाने के फायदे-Radish Health Benefits in Hindi
मूली खाने के फायदे-Radish Health Benefits in Hindi
- बिच्छू के काटने पर-मूली के टुकड़े पर नमक लगाकर बिच्छू के काटे स्थान पर रखने से दर्द शांत होता है। बिच्छू के काटे रोगी को मूली खिलाएं और पीड़ित स्थान पर भी मूली का रस लगाने से लाभ होता है।
- दाद-मूली के बीजों को नींबू के रस में पीसकर गर्म करके दाद पर लगाएं। पहले दिन लगाने पर जलन व दर्द होगा, दूसरे दिन यह दर्द कम होगा। ठीक होने पर कोई कष्ट नहीं होगा। यह प्रयोग सूखी या गीली दोनों प्रकार के दाद में लाभदायक है। मूली के बीजों को नींबू के रस में पीसकर लगाने से दाद में लाभ होता है। शरीफे के फलों के रस में मूली के बीज को पीसकर लगाने से दाद का रोग ठीक हो जाता है।
- गले के घाव-मूली का रस और पानी बराबर मात्रा में मिलाकर नमक डालकर गरारे करने से गले के घाव ठीक हो जाते हैं।3.
- मधुमेह के मरीजों के लिए मूली में पर्याप्त मात्रा में फाइबर मौजूद होता है. वहीं इसमें मौजूद तत्व इंसुलिन को नियंत्रित करने का काम करते हैं. मूली से शुगर लेवल बढ़ता नहीं है, जिसकी वजह से यह मधुमेह पीड़ितों के लिए भी अच्छी होती है.
- सर्दी और खांसी के इलाज में अगर आपको हमेशा ही सर्दी और खांसी की शिकायत बनी रहती है तो आपको अपनी डाइट में मूली शामिल करने की जरूरत है. मूली में anti-congestive गुण पाए जाते हैं जो कफ को खत्म करने में सहायक होते हैं.
- किडनी को स्वस्थ रखने में मूली में diurectic गुण पाया जाता है जो किडनी के स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा होता है और शरीर से विषैले तत्वों को निकालने में भी कारगर होता है. इस वजह से इसे नेचुरल क्लींजर कहा जाता है.
- अग्निमान्द्य (भूख का कम लगना), अरुचि, पुरानी कब्ज, गैस: भोजन के साथ मूली पर नमक, कालीमिर्च डालकर 2 महीने रोजाना खाएं। पेट के रोगों में मूली की चटनी, अचार व सब्जी खाना भी उपयोगी है।
- अम्लपित्त (एसिडिटीज)-यदि गर्मी के प्रभाव से खट्ठी डकारें आती हो तो 1 कप मूली के रस में मिश्री मिलाकर सेवन करना लाभकारी होता है100 मिलीलीटर मूली के रस में 10 मिलीलीटर आंवले का रस या 3 ग्राम आंवले का चूर्ण मिलाकर सुबह, दोपहर और शाम को सेवन करने से अम्लपित्त (एसिडिटिज) मे बहुत लाभ होता है।
- मूली का रस और कच्चे नारियल के पानी को मिलाकर 250 मिलीलीटर की मात्रा में दिन भर में सेवन करने से अम्लपित्त (एसिडिटीज) में काफी आराम आता है।
- कोमल मूली को मिश्री मिलाकर खायें या इसके पत्तों के 10-20 मिलीलीटर रस में मिश्री मिलाकर रोजाना सेवन करने से अम्लपित्त (एसिडिटीज) का रोग कम हो जाता है।
- मूली के रस में चीनी मिलाकर सेवन करने से पेट की जलन, गर्मी और खट्टी डकारें आना बंद हो जाती हैं।
- चम्मच मूली के रस में थोड़ी-सी मात्रा में मिश्री मिलाकर सेवन करने से खट्टी डकारों से छुटकारा मिल जाता है।
- मूली को काटकर सेंधानमक लगाकर खाली पेट सुबह के वक्त खाने से लाभ होता है, ध्यान रहें कि खांसी की शिकायत हो, तो मूली का इस्तेमाल बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए क्योंकि यह उस समय हानिकारक होगी। गन्धनाशक (दुर्गन्ध को रोकने वाला):
- मूली खाने के बाद गुड़ खाने से डकार में मूली की गन्ध नहीं आती है।
- कान का दर्द-मूली के पत्तों को पीसकर उसका रस निकाल लें। इसके 50 मिलीलीटर रस को मिलीलीटर ग्राम तिल के तेल में काफी देर तक पका लें। पकने पर रस पूरी तरह से जल जाये तो उस तेल को कपड़े में छानकर शीशी में भरकर रख लें। कान में दर्द होने पर इस तेल को गुनगुना करके कान में डालने से कान का दर्द ठीक हो जाता है। 2 से 4 बूंद मूली की जड़ों का रस गर्म करके कान में 2 से 3 बार डालें।
- बच्चे की यकृत-प्लीहा-वृ़द्धि: 3 से 6 मिलीलीटर मूली का ताजा रस यवक्षार तथा शहद के साथ दिन में 2 बार बच्चे को देने से जिगर, प्लीहा (तिल्ली) बढ़ना कम हो जाता है।
- मूली के जूस का सेवन करने से शीतपित्त रोग ठीक हो जाता है
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