हिस्टीरिया (Hysteria) की कोई निश्चित परिभाषा नहीं है। बहुधा ऐसा कहा जाता है, हिस्टीरिया अवचेतन अभिप्रेरणा का परिणाम है।अवचेतन अंतर्द्वंद्र से चिंता उत्पन्न होती है और यह चिंता विभिन्न शारीरिक, शरीरक्रिया संबंधी एवं मनोवैज्ञानिक लक्षणों में परिवर्तित हो जाती है। रोगलक्षण में बह्य लाक्षणिक अभिव्यक्ति पाई जाती है।तनाव से छुटकारा पाने का हिस्टीरिया एक साधन भी हो सकता है।
हिस्टीरिया के लक्षण
- अपनी विकलांग सास की अनिश्चित काल की सेवा से तंग किसी महिला के दाहिने हाथ में पक्षाघात संभव है।अधिक विकसित एवं शिक्षित राष्ट्रों में हिस्टीरिया कम पाया जाता है। हिस्टीरिया भावात्मक रूप से अपरिपक्व एवं संवेदनशील, प्रारंभिक बाल्यकाल से किसी भी आयु के, पुरुषों या महिलाओं में पाया जाता है।दुर्लालित एवं आवश्यकता से अधिक संरक्षित बच्चे इसके अच्छे शिकार होते हैं। किसी दु:खद घटना अथवा तनाव के कारण दौरे पड़ सकते हैं। लक्षणजब हिस्टीरिया होता है, तो इसमें रोगी अचेत अवस्था में पहुंच जाता है। रोग में सिर्फ रोगी को बेहोशी के दौरे ही नहीं पड़ते, बल्कि कभी-कभी दूसरे लक्षण भी सामने आते हैं,
- जैसे-हिस्टीरिया का दौरा पड़ने पर कुछ समय के लिए देखना और सुनना बन्द हो जाता है मुंह से आवाज़ निकलनी बंद हो जाती है रोगी के हाथ-पैर काँपने लगते हैं शरीर का कोई भी हिस्सा बिल्कुल सुन्न पड़ जाता है, जैसा कि लकवे में होता है इस रोग में पूरी तरह से बेहोशी नहीं आती है। बेहोशी की हालत समाप्त हो जाने पर स्त्री को खुलकर पेशाब आता है। रोग की उत्पत्ति से पूर्व या आरम्भ में हृदय में पीड़ा, जंभाई, बेचैनी आदि लक्षण भी होते हैं।
- पीड़ित स्त्री को सांस लेने में कठिनाई, सिर, पैर, पेट और छाती में दर्द, गले में कुछ फंस जाने का आभास, शरीर को छूने मात्र से ही दर्द महसूस होता है। आलसी स्वभाव, मेहनत करने में बिल्कुल भी मन ना करना, रात में बिना बात के जागना, सुबह देर तक सोते रहना, भ्रम होना, पेट में गोला-सा उठकर गले तक जाना, दम घुटना, थकावट, गर्दन का अकड़ना, पेट में अफारा होना, डकारों का अधिक आना और हृदय की धड़कन बढ़ जाना, साथ ही लकवा और अंधापन हो जाना आदि
- हिस्टीरिया के लक्षण हैं।इस रोग से पीड़ित स्त्री को प्रकाश की ओर देखने में परेशानी होने लगती है। जब स्त्री को इस रोग का दौरा पड़ता है तो उसका गला सूखने लगता है और वह बेहोश हो जाती है।
हिस्टीरिया का उपचार
संवेदनात्मक व्यवहार, पारिवारिक समायोजन, शामक औषधियों का सेवन, सांत्वना, बहलाने, तथा पुन शिक्षण से किया जात है। समय समय पर पक्षाघातित अंगों के उपचार हेतु शामक ओषधियों तथा विद्युत् उद्दीपनों की भी सहायता ली जाती है। रोग का पुनरावर्तन प्राय: होता रहता है।किसी स्त्री में हिस्टीरिया रोग के लक्षण नज़र आते ही उसे तुरन्त किसी मनोचिकित्सक से इस रोग का इलाज कराना चाहिए।हिस्टीरिया के रोगी को गुस्से में या किसी और कारण से मारना नहीं चाहिए, क्योंकि इससे उसे और ज़्यादा मानसिक और शारीरिक कष्ट हो सकते हैं। एक बात का ख़ासतौर पर ध्यान रखना चाहिए कि हिस्टीरिया रोगी अपनेआपको किसी तरह का नुकसान ना पहुंचा पाए।
- हिस्टीरिया के रोगी को गुस्से में या किसी और कारण से मारना नहीं चाहिए क्योंकि इससे उसे और ज़्यादा मानसिक और शारीरिक कष्ट हो सकते हैं।
- एक बात का ख़ासतौर पर ध्यान रखना चाहिए कि हिस्टीरिया रोगी अपने आपको किसी तरह का नुकसान ना पहुंचा पाए।
- इस रोग के रोगी की सबसे अच्छी चिकित्सा उसकी इच्छाओं को पूरा करना तथा उसे संतुष्टि देना है। इसके अलावा रोगी को शांत वातावरण में घूमना चाहिए। रोगी के सामने ऐसी कोई बात न करनी चाहिए जिससें उसे चिन्ता सतायें।
- इस रोग से पीड़ित स्त्रियों को जब दौरा पड़ता है तो उसके शरीर के सारे कपड़े ढीले कर देने चाहिए तथा उसे खुली जगह पर लिटाना चाहिए और उसके हाथ और तलवों को मसलना चाहिए।
- जब इस रोग से पीड़ित रोगी बेहोश हो जाए तो उसके अंगूठे के नाखून में अपने नाखून को चुभोकर उसकी बेहोशी को दूर करना चाहिए और फिर उसके चेहरे पर ठंडे पानी के छींटे मारनी चाहिए। इससे रोगी स्त्री को होश आ जाता है और उसका बेहोशीपन दूर हो जाता है। जब रोगी स्त्री बेहोश हो जाती है तो हींग तथा प्याज को काटकर सुंघाने से लाभ मिलता है।
- बेहोश होने वाली स्त्री को होश में लाने के लिए सबसे पहले रोगी की नाक में नमक मिला हुआ पानी डाल दें। इससे बेहोशी रोग ठीक हो जाएगा, लेकिन यह उपाय शीघ्र ही और कुछ ही समय के लिए है। इसका अच्छी तरह से इलाज तो अपने डाक्टर या अपने वैद्य से ही कराना चाहिए।
- इस रोग से पीड़ित स्त्री का इलाज करने के लिए कुछ दिनों तक उसे फल तथा बिना पका हुए भोजन खिलाना चाहिए।
- इस रोग से पीड़ित रोगी के लिए जामुन का सेवन बहुत ही लाभदायक होता है। इसलिए रोगी स्त्री को प्रतिदिन जामुन खिलाना चाहिए।
- यदि इस रोग से पीड़ित स्त्री प्रतिदिन 1 चम्मच शहद को सुबह-दोपहर-शाम चाटे तो उसका यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
- सर्वप्रथम एरंड तेल में भुनी हुई छोटी काली हरड़ का चूर्ण 5 ग्राम प्रतिदिन लगातार दे कर उसका उदर शोधन तथा वायु का शमन करें।
- सरसों, हींग, बालवच, करजबीज, देवदाख मंजीज, त्रिफला, श्वेत अपराजिता मालकंगुनी, दालचीनी, त्रिकटु, प्रियंगु शिरीष के बीज, हल्दी और दारु हल्दी को बराबर-बराबर ले कर, गाय या बकरी के मूत्र में पीस कर, गोलियां बना कर, छाया में सुखा लें। इसका उपयोग पीने, खाने, या लेप में किया जाता है। इसके सेवन से हिस्टीरिया रोग शांत होता है।
- लहसुन को छील कर, चार गुना पानी और चार गुना दूध में मिला कर, धीमी आग पर पकाएं। आधा दूध रह जाने पर छान कर रोगी को थोड़ा-थोड़ा पिलाते रहें। ब्रह्मी, जटामांसी शंखपुष्पी, असगंध और बच को समान मात्रा में पीस कर, चूर्ण बना कर, एक छोटा चम्मच दिन में दो बार दूध के साथ सेवन करें। इसके साथ ही सारिस्वतारिष्ट दो चम्मच, दिन में दो बार, पानी मिला कर सेवन करें।
- ब्राह्मी वटी और अमर सुंदरी वटी की एक-एक गोली मिला कर सुबह तथा रात में सोते समय दूध के साथ सेवन करने से लाभ मिलता है। जो रोगी बालवच चूर्ण को शहद मिला कर लगातार सवा माह तक खाएं और भोजन में केवल दूध एवं शाश का सेवन करे, उसका हिस्टीरिया शांत हो जाता है। अगर रोगी कुंवारी लड़की है, तो उसकी जल्द शादी करवा देनी चाहिए। रोग अपने आप दूर हो जाएगा।
- केसर, कज्जली, बहेड़ा, कस्तूरी, छोटी इलायची, जायफल और लौंग को बराबर मात्रा में मिलाकर 7 दिन तक सौंफ के काढ़े में मिलाकर और घोटकर तैयार कर लें। इसके बाद इस मिश्रण को तैयार करके इलायची के दाने के बराबर की गोलियां बना लें। 4-4 ग्राम मूसली सफेद तथा सौंफ के काढ़े से सुबह और शाम सेवन करना चाहिए। अगर मासिकस्राव के समय में कोई कमी हो तो सबसे पहले ऊपर बताई गई दवा से इलाज करें।
- खुरासानी अजवासय 1 ग्राम, मीठी बच 1 ग्राम दोनों को पीसकर अनार के रस के साथ सेवन करें।
- नीबू कर रस, सेंधा नमक, जीरा, पोदीना और भुनी हींग, सबको 3-3 ग्राम मात्रा में लेकर, थोडे़ से उष्ण जल में मिलाकर पीने से हिस्टीरिया का प्रकोप नष्ट होता है।
- ग्वारपाठे का गूदा 10 ग्राम, मिसरी 10 ग्राम मिलाकर त्रिफला जल के साथ पीने से रोग का प्रकोप खत्म होता है।
- अनार के 10 ग्राम पत्ते और गुलाब के 10 ग्राम फूलों को जल में उबालकर क्वाथ बनाएं। क्वाथ को छानकर, उनमें 10 ग्राम घी मिलाकर सुबह-शाम पीने से रोग नष्ट होता है।
- मुनक्के के 6 दाने दूध में उबालकर मिसरी मिलाकर पीने से रोग का प्रकोप कम होता है।
- हिस्टीरिया से बेहोश होने पर रोगी की नाक में लहसुन के रस की एक-एक बूंद डालें। बेहोशी जल्दी नष्ट होगी।
- सेब, अनार, संतरा, मौसमी व अनन्नास का सेवन करें या रस पिएं।
- आंवले, गाजर, सेब व हरड़ का मुरब्बा खाएं।
- हिस्टीरिया से पीड़ित युवतियां सुबह-शाम गाय का दूध अवश्य पिएं
क्या न खाएं
- बेहोश युवती को जल व दूध पिलाने की कोशिश करें।
- रोगी को अधिक मिर्च-मसालों व अम्लीय रसों से बने खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
- चाय, कॉफी व शराब का सेवन न करें।
- रोगी युवती को अश्लील फिल्मों और अश्लील बातों से अलग रहना चाहिए।
- हिस्टीरिया रोगी को मांस, मछली, अंडे व छोले-भठूरे, गोल-गप्पे, समोसे, कचौड़ी आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।
- दूषित, बासी व देर से बनाकर रखे खाद्य पदार्थो का सेवन न करें।
- चाइनीज और फास्ट फूड न खाएं
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