Thursday, November 10, 2016

रक्त का कैंसर (ल्यूकेमिया) Leukemia in Hindi,Blood Cancer in Hindi

 

रक्त का कैंसर (ल्यूकेमिया) Leukemia in Hindi,Blood Cancer in Hindi
ब्लड कैंसर में सामान्‍यत: रक्‍त सेल्‍स असामान्‍य तौर पर विकसित होते हैं , रक्‍त का कैंसर किसी भी उम्र में हो सकता है और इससे बचने के लिए आपको खून के कैंसर के बारे में जानकारी होनी चहिए। ब्‍लड कैंसर कई प्रकार का है और इसका ईलाज संभव है रक्‍त का कैंसर होने के बाद भी व्‍यक्‍ति सही चिकित्‍सा से सामान्‍य जीवन जी सकता है।
श्वेतरक्तता है रक्त या अस्थि मज्जा का कर्कट रोग है। इसकी विशेषता रक्त कोशिकाओं, सामान्य रूप से श्वेत रक्त कोशिकाओं (श्वेत कोशिकाओं), का असामान्य बहुजनन (प्रजनन द्वारा उत्पादन) है। श्वेतरक्तता एक व्यापक शब्द है जिसमें रोगों की एक विस्तृत श्रेणी शामिल है। अन्य रूप में, यह रुधिरविज्ञान संबंधी अर्बुद के नाम से ज्ञात रोगों के समूह का भी एक व्यापक हिस्सा है।

रक्त कैंसर के लक्षण 

सामान्य अस्थि मज्जा कोशिकाओं को उच्च संख्याओं वाली अपरिपक्व श्वेत रक्त कोशिकाओं के द्वारा विस्थापित करने पर अस्थि मज्जा को होने वाले नुकसान से रक्त के थक्का बनने की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण रक्त बिम्बाणु में कमी आती है। इसका अर्थ है कि श्वेतरक्तता से पीड़ित लोगों को आसानी से खरोंच आ सकती है, उनका अत्यधिक रक्त स्राव हो सकता, या उन्हें पिन चुभने से भी रक्त स्राव हो सकता है।
ब्लड कैंसर कोशिकाओं में उत्पवरिवर्तन के कारण शुरू होता है जो कि खून या अस्थि मज्जा (बोन मैरो) में होता है। यह खून में धीरे-धीरे फैलती है। रक्त कैंसर की ये कोशिकाएं समाप्त नहीं होती हैं, बल्कि और गंभीर हो जाती हैं। रक्त कैंसर के तीन प्रमुख रूप होते हैं : ल्यूकेमिया, लिम्फोमा और मल्टीपल मायलोमा। रक्त कैंसर किसी भी उम्र में हो सकता है लेकिन 30 साल के बाद रक्त कैंसर होने का खतरा ज्यादा होता है। ब्लड कैंसर होने पर हड्डियों और जोडों में दर्द होने लगता है। बुखार आना, चक्कार आना, बार-बार संक्रमण, रात को पसीना और वजन कम होना रक्त कैंसर के प्रमुख लक्षण हैं।

रोगाणुओं के साथ लड़ने वाली श्वेत रक्त कोशिकाओं को दबाया जा सकता है या वे दुष्क्रियाशील बनाया जा सकता है। यह मरीज की प्रतिरक्षा प्रणाली को साधारण संक्रमण से लड़ने में असमर्थ कर सकता है या शारीर की अन्य कोशिकाओं पर हमला शुरू कर सकता है। चूंकि श्वेतरक्तता प्रतिरक्षा प्रणाली को सामान्य रूप से कम करने नहीं देता है, इसके कुछ मरीजों को अक्सर संक्रमण का सामना करना पड़ता है। यह गलतुण्डिका (टांसिल) संक्रमण, मुख में घाव या दस्त होने से लेकर प्राणघातक निमोनिया और समय-समय पर होने वाले संक्रमणों के रूप में हो सकता है।
  • बड़ों के मुकाबले बच्चों में यह बीमारी ज़्यादा दिखाई देती है। 
  • बीमारी के शुरुआती लक्षण तरह तरह की संक्रमण जैसे बुखार, खॉँसी, खून निकलना (नाक से खून निकलना बहुत आम है) और गिल्टियॉं हैं। 
  • बीमारी धीरे धीरे या तेज़ी से बढ़ सकती है। खून की जांच से इसका निदान हो सकता है।
  • खून की कोशिकाओं के तेज़ी से नष्ट होते जाने के कारण गंभीर अनीमिया भी हो जाता है। 
  • तिल्ली और लिवर सूज जाते हैं। रोगी के वजन घटता है। इस बीमारी का तुरंत अस्पताल में इलाज करवाया जाना ज़रूरी है। 
  • अगर समय से इलाज हो जाए तो कुछ रोगी ठीक भी हो जाते हैं। खून के कैंसर की इलाज के लिए कुछ दवाएं और खास तरह की किरणें उपयोगी होती हैं। 
  • जब किसी व्यक्ति को कैंसर रोग हो जाता है तो उस व्यक्ति के मलमूत्र की आदत में काफी अन्तर आ जाता है।
  • इस रोग के होने पर व्यक्ति को खांसी या गले में बार-बार घरघराहट होती रहती है।
  • इस रोग में रोगी के शरीर का वजन दिन-प्रतिदिन गिरने लगता है।
  • कैंसर रोग में स्त्रियों को मासिकधर्म में काफी अन्तर दिखाई देने लगता है तथा मासिकधर्म के बीच-बीच में रक्तस्राव भी होता है। वैसे देखा जाए तो हर बार मासिकधर्म में कुछ न कुछ रक्त जरूर ही निकलता है लेकिन कैंसर रोग होने पर रक्तस्राव तेज होने लगता है।
  • कैंसर रोग से पीड़ित रोगी को भूख कम लगने लगती है।
  • कैंसर के रोगी के शरीर में कहीं घाव हो जाता है तो उसका घाव जल्दी ठीक नहीं होता है।
  • कैंसर रोग में रोगी के स्तन या शरीर के किसी भाग में एक गांठ सी बन जाती है और यह गांठ दिन प्रतिदिन बढ़ने लगती है।
  • रोगी व्यक्ति जब मलत्याग (शौच करना) करता है तो उसके मल से कुछ मात्रा में खून  तथा मवाद भी निकलने लगता है।
  • कैंसर रोग से पीड़ित रोगी की त्वचा के रंग में कुछ परिवर्तन होने लगता है।
  • कैंसर रोग से पीड़ित रोगी को अपच की समस्या रहती है तथा उसे खाने को निगलने में कठिनाई होती है।

कैंसर रोग होने का कारण

  • कैंसर रोग होने का सबसे प्रमुख कारण दूषित भोजन का सेवन करना है।
  • धूम्रपान करने से या धूम्रपान करने वाले के संग रहने से कैंसर रोग हो सकता है।
  • गुटका, पान मसाला, गुटका, शराब तथा तम्बाकू का सेवन करने से कैंसर रोग हो सकता है।
  • अधिक (श्रम) कार्य करना तथा आराम की कमी के कारण भी कैंसर रोग हो सकता है।
  • बासी भोजन, सड़ी-गली चीजें तथा बहुत समय से फ्रिज में रखे भोजन को खाने से कैंसर रोग हो सकता है
  • तेल, घी को कई बार गर्म करके सेवन करने से भी कैंसर रोग हो सकता है।
  • दांत, कान, आंख, मलद्वार, मूत्रद्वार तथा त्वचा की सफाई ठीक तरह से न करने के कारण भी कैंसर रोग हो सकता है
  • बारीक आटा, चावल, मैदा तथा रिफाइंड का अधिक सेवन करने के कारण भी कैंसर रोग हो सकता है।
  • गंदे पानी का सेवन करने के कारण भी कैंसर रोग हो सकता है।
  • एल्युमिनियम तथा प्लास्टिक के बर्तनों में अधिक भोजन करने के कारण कैंसर रोग हो सकता है।

कैंसर रोग का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार

कैंसर रोग से पीड़ित रोगी का उपचार करने के लिए सबसे पहले उसके शरीर पर स्थानीय उपचार करने के साथ-साथ पूरे शरीर का उपचार करना चाहिए ताकि उसका शरीर दोषमुक्त हो सके।
  • कैंसर रोग का उपचार करने के लिए रोगी व्यक्ति को नींबू के रस का पानी पीकर उपवास रखना चाहिए और इसके बाद कुछ दिनों तक केवल अंगूर का रस पीना चाहिए।
  • कैंसर रोग से पीड़ित रोगी यदि 6 महीने तक अंगूर का रस लगतार पीए तो उसे बहुत अधिक लाभ होता है।
  • इस रोग को ठीक करने के लिए कई प्रकार के फलों के रस हैं जिसे पीकर कुछ दिनों तक उपवास रखे तो कैंसर रोग ठीक हो सकता है ये रस इस प्रकार हैं- संतरे का रस, नारियल पानी, अनन्नास का रस, गाजर का रस, तुलसी के पत्तों का रस, दूब का रस, गेहूं के ज्वारे का रस, पालक का रस, टमाटर का रस, पत्तागोभी का रस, पुदीने का रस, खीरे का रस, लौकी का रस, पेठे का रस तथा हरी सब्जियों का रस।
  • इस रोग से पीड़ित रोगी को भोजन में बिना पके हुए खाद्य-पदार्थों का सेवन करना चाहिए जैसे-हरी सब्जियां, कच्चा नारियल पानी, अंकुरित अन्न, भीगी हुई किशमिश, मुनक्का, अंजीर तथा सभी प्रकार के मौसम के ताजा फल आदि।
  • कैंसर रोग से पीड़ित रोगी यदि प्रतिदिन 1 ग्राम हल्दी खाए तो उसका यह रोग ठीक हो जाता है।
  • 1 चम्मच तुलसी का रस तथा 1 चम्मच शहद को सुबह के समय चाटने से कैंसर रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।
  • नीम तथा तुलसी के 5-5 पत्ते प्रतिदिन खाने से कैंसर रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
  • गले के कैंसर को ठीक करने के लिए छोटी हरड़ का टुकड़ा दिन में 2 बार भोजन करने के बाद चूसने से बहुत अधिक लाभ मिलता है।
  • पेट पर गर्म ठण्डा सेंक करने के बाद मिट्टी की पट्टी करें तथा इसके बाद एनिमा क्रिया करें इससे कैंसर रोग में बहुत अधिक लाभ मिलता है। इस प्रकार से रोगी का उपचार करने के बाद रोगी को 5-10 मिनट तक कटिस्नान करना चाहिए। फिर सप्ताह में 2 बार शरीर की चादर लपेट तथा सप्ताह में एक बार पूरे शरीर पर भाप से स्नान करना चाहिए। इस प्रकार से रोगी व्यक्ति यदि अपना उपचार कुछ दिनों तक करता है तो कैंसर रोग ठीक होने लगता है।
  • कैंसर रोग से पीड़ित रोगी को थोड़े समय के लिए प्रतिदिन नंगे बदन धूप में अपने शरीर की सिंकाई करनी चाहिए। इससे रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है और उसका रोग ठीक होने लगता है।
  • रोगी के जिस अंग पर सूजन तथा दर्द हो रहा हो उस पर बर्फ के पानी की ठंडी पट्टी रखने से बहुत अधिक लाभ मिलता है।
  • कैंसर रोग से पीड़ित रोगी को खुली हवा में विश्राम करना चाहिए तथा मानसिक चिंता-फिक्र को दूर करना चाहिए।
  • कैंसर रोग का इलाज कराते समय रोगी व्यक्ति को मानसिक रूप से मजबूत होना चाहिए और फिर प्राकृतिक चिकित्सा से अपना उपचार कराना चाहिए।
  • गो-मूत्र का सेवन करने से कैंसर रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।

कैंसर रोग से पीड़ित रोगी के लिए कुछ परहेज

  • इस रोग से पीड़ित रोगी को भूख से अधिक और गरम खाना नहीं खाना चाहिए।
  • इस रोग से पीड़ित रोगी को मांस नहीं खाना चाहिए।
  • भोजन को अधिक स्वादिष्ट बनाने के लिए उसमें तेज मसालों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  • भोजन में सुगन्ध वाले पदार्थों का अधिक सेवन नहीं करना चाहिए।
  • इस रोग से पीड़ित रोगी को बहुत कम पानी पीना चाहिए।
  • रोगी व्यक्ति को चीनी अधिक का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • कैंसर के रोगी को तम्बाकू, शराब, धूम्रपान तथा नशीली चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • रोगी को चाय, कॉफी का सेवन बहुत ही कम मात्रा में करना चाहिए।
  • पेशाब तथा मल के वेग को नहीं रोकना चाहिए।
  • कैंसर रोग से पीड़ित रोगी के सम्पर्क में तारकोल, पिच, बैंजाइन, पाराफिन, कार्बोलिक एसिड तथा एनिलाइन और कजली को नहीं लाना चाहिए, क्योंकि ये पदार्थ रोगी के मुंह के रास्ते शरीर में प्रवेश कर जाते हैं जिसके कारण उसकी अवस्था और खराब हो सकती है

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