आज हमारे समाज में युवा पीढ़ी को नशे के ओर अग्रसर होते देख किसे दुःख नहीं होता | दुर्भाग्य से पिछले पांच सालों में यह बुराई बुरी तरह बढती जा रही है कुछ लोग अपनी मर्जी से नशा करते हैं कुछ शोकिया होते हैं जो बाद में अपने आप को नशे की आग में झोंक देते हैं परन्तु कुछ कुसंगति के कारण इस लत का शिकार हो जाते हैं
हमारे और आपके बच्चे भी इसके शिकार हो सकते हैं | हर कोई इस बुरी लत से अपने बच्चों और अन्य सदस्यों को बचाना चाहेगा | खुद नशे की लत के शिकार कुछ लोग यही चाहते हैं की किसी तरह से इस लत से छुटकारा मिल जाए परन्तु उनका इस पर कोई वश नहीं | नशा व्यक्ति की रगों में पहुँच कर व्यक्ति को अपना गुलाम बना लेता है व्यक्ति मानसिक रूप से पंगु हो जाता है
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यदि हर माँ बाप को यह भान हो जाये जिनका बच्चा नशा कर रह है | तो शायद कुछ जिंदगियां बचा सकें मेरा अभिप्राय केवल इंतना है | कि घरवालों को इसकी खबर ही नही लग पाती कि कब और कैसे उनके परिवार का सदस्य नशा करने लग गया है | नशे की लत्त को छुड़ाने के लिय सरकार ने नशा मुक्ति केन्द्र खोल रखे हैं | पता चलते ही वहां से मदद लेनी चाहिए |यथासंभव यह प्रयास करना चाहिये जो कि नशा मुक्ति के लिए सीधा और सरल रास्ता है | मेरा यह लेख उन लोगो के लिए है जो नशा छोड़ना चाहते है लेकिन छोड़ नही पाते नशे का संबंध मन मस्तिष्क से है |
शराब पीना और विशेषरूप से धूम्रपान के साथ शराब पीना बहुत ही खतरनाक है | इससे अनेकों रोग जैसे कैंसर (मुह का ), महिलाओं में स्तन कैंसर, आदि रोग होते है | ऐसे बुरे व्यसन (आदत) एक मानसिक बीमारी है और इसे को छुडाने के लिए मानसिक बीमारी जैसे इलाज की आवश्यकता होती है | वात होने पर लोग चिंता और घबराहट को दबाने के लिए धूम्रपान का सहारा लेते है | पित्त बढने से शरीर के अन्दर गर्मी लेने की इच्छा होती है और धूम्रपान की इच्छा होती है | कफ बढने से शरीर के अन्दर डाली गयी तम्बाकू की शक्ति बढती है |
नशीली दवाओं के नुकसान,Loss drug
ऐसे लोगों का प्रतिशत काफी अधिक है, जो मानसिक तनाव से मुक्ति के लिए नशीली दवाएं लेते हैं। उनके सेवन से प्रारम्भ में तो राहत सी महसूस होती है, लेकिन अंत बेहद बुरा होता है। एक ओर जहां ऐसे लोग अनेक शारीरिक व्याधियों के शिकार हो जाते हैं, वही हिंसा और गुनाह की प्रवृत्ति के चपेट में आने से स्वयं को तथा परिवार को संकट में डाल देते हैं।- नशीली दवा के रूप में बेहद मशहूर हशीश के धुंए में सिगरेट की तुलना में पांच गुना ज़्यादा कार्बन मोनो ऑक्साइड और तीन गुना ज्यादा टार होता है। कार्बन मोनोऑक्साइड बगैर रंग और गंध वाली गैस होती है, जो रोगी की जान भी ले सकती है।
- कोकेन या क्रेक की आदत डालने के लिए इसका एक बार सेवन भी काफी होता है। इसका जरूरत से ज़्यादा डोज लेने पर हार्ट अटैक की आशंका होती है, जिससे व्यक्ति की मौत भी हो सकती है।
- नशीली दवाओं के सेवन से रोगी को बहुत ही गंभीर किस्म का डीहायड्रेशन (शरीर में पानी की कमी) हो सकता है। इनके अलावा इसके सेवन से किडनी की बीमारी या अवसाद (Depression) भी होता है।
- नशीली दवाएं रोगी के निर्णय लेने की क्षमता पर असर डालती हैं। इसकी वजह से रोगी असुरक्षित सेक्स संबंध बनाने का ज़ोखिम उठा लेते हैं, जिससे एड्स की संभावनाएं भी बलवती हो जाती हैं।
- तंबाकू – तंबाकू में निकोटिन,कोलतार,आर्सेनिक और कार्बन मोनो आक्साइड जैसी अत्यंत खतरनाक गैसें होती हैं इसके सेवन से तपेदिक, निमोनिया और सांस की बीमारियों सहित मुख, फेफड़े और गुर्दे में कैंसर होने की संभावनाएं रहती हैं। इससे उच्च रक्तचाप की शिकायत भी रहती है।
- अफीम, चरस, हेरोइन तथा स्मैक आदि से व्यक्ति पागल तथा सुप्तावस्था में आ जाता है।
- शराब – शराब के सेवन से लिवर खराब हो जाता है|
- कोकीन, चरस, अफीम से ऐसे उत्तेजना लाने वाले पदार्थ है जिसके प्रभाव में व्यक्ति अपराध कर बैठता है।
- धूम्रपान- करता है तो उसका बुरा प्रभाव भी हमारे शरीर पर पड़ता है। इसलिए न खुद धूम्रपान करें और न ही किसी को करने दे
लत के लक्षण,Symptoms of addiction
अगर नीचे दिए गए लक्षण नजर आने लगें तो समझ लेना चाहिए कि इंसान को निकोटिन की लत लगचुकी है
- भूख कम महसूस होना।
- अधिक लार और कफ बनना।
- प्रति मिनट दिल की धड़कन 10 से 20 बार बढ़ जाती है तो यह लत का लक्षण है।
- छोटी बात पर भी बेचैनी महसूस होना।
- ज्यादा पसीना आना और उल्टी-दस्त होना।
- हर काम करने के लिए तंबाकू की जरूरत महसूस होना।
- निकोटीन लेने की इच्छा बढ़ जाना।
- चिंता बढ़ना, अवसाद, निराशा आदि महसूस होना।
- सिर दर्द होना और ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत होने लगे तो भी इसे निकोटिन की लत का लक्षण माना जाता है।
लत लगने का कारण,The cause of addiction
जब कोई सिगरेट या बीड़ी पीता है तो ब्रेन में लगभग 10 सेकंड और उसके बाद सेंट्रल नर्वस सिस्टम में 5
मिनट तक निकोटिन का असर रहता है। हालांकि स्मोकिंग करने से थोड़ी देर के लिए काम करने की क्षमता बढ़ती है, लेकिन बाद में शरीर सुस्त होने लगता है। धीरे- धीरे काम करने की क्षमता कम होती जाती है और फिर धूम्रपान की जरूरत महसूस होती है। बार-बार इस तलब को मिटाने की कोशिश में इंसान चेन स्मोकर
हो जाता है
लत छुड़ाने के उपाय,Drug Addiction Treatment Programs,Alcohol Rehabilitation
तंबाकू से संबंधित नशे से मुक्ति पाने के लिए नीचे लिखी आयुर्वेदिक दवाओं का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इन दवाओं का इस्तेमाल करने से धूम्रपान करने वालों को काफी फायदा मिलता है।- 2 ग्राम फिटकरी का फूला, 3 ग्राम गोदंती भस्म और 15 पत्ते सत्व सत्यानाशी का मिश्रण बनाकर पाने के पत्ते में डालकर चबाएं।
- अदरक के टुकड़े कर लो छोटे छोटे और उस मे नींबू निचोड़ दो थोड़ा सा काला नमक मिला लो और इसको धूप मे सूखा लो सुखाने के बाद जब इसका पूरा पानी खतम हो जाए तो इन अदरक के टुकड़ो को अपनी जेब मे रख लो जब भी दिल करे गुटका खाना है तंबाकू खाना है बीड़ी सिगरेट पीनी है तो आप एक अदरक का टुकड़ा निकालो मुंह मे रखो और चूसना शुरू कर दो और यह अदरक ऐसे भी अदभुत चीज है आप इसे दाँत से काटो मत और सवेरे से शाम तक मुंह मे रखो तो शाम तक आपके मुंह मे सुरक्षित रहता है इसको चूसते रहो आपको गुटका खाने की तलब ही नहीं उठेगी तंबाकू सिगरेट लेने की इच्छा ही नहीं होगी शराब पीने का मन ही नहीं करेगा जैसे ही इसका रस लार मे घुलना शुरू हो जाएगा आप देखना इसका चमत्कारी असर होगा आपको फिर गुटका तंबाकू शराब –बीड़ी सिगरेट आदि की इच्छा ही नहीं होगी सुबह से शाम तक चूसते रहो और आप ने ये 10 -15 -20 दिन लगातार कर लिया तो हमेशा के लिए नशा आपका छूट जाएगा .
- मुलहठी और शरपुंखा सत्व का मिश्रण कत्थे की तरह पान पर लगाकर 15 दिन तक रोज सुबह नाश्ते के बाद लें।
- 4 ग्राम आमली चूर्ण, 10 ग्राम भुनी हुई सौंफ, 4 ग्राम इलायची के बीज, 4 ग्राम लौंग, 2 ग्राम मधुयष्ठी, 1ग्राम सोनामाखी भस्म, 10 ग्राम सूखा आंवला, 7-8 खजूर और 20 मुनक्का मिलाकर पीस लें। एक पैकेट में अपने साथ रखें। जब नशे की तलब महसूस हो तो एक चुटकी मुंह में डाल लें। धीरे- धीरे नशे से मन हट जाएगा।
- बड़ी सौफ को घी में भुनकर चबाने से सिगरेट से नफरत होने लगती है। ऐरोबिक से भी सिगरेट की तलब कम होती है।
- मुंह में गाजर, लौंग, इलायची, चिंगम जैसी वस्तु मुंह में रखें। इससे सिगरेट की तलब कम होती है
- मुद्रा, ध्यान और योगाभ्यास
किसी प्रकार की लत होने से व्यक्ति का आत्मविश्वास कमजोर होने लगता है। सिगरेट, तंबाकू,गुटखा, पान मसाला जैसे नशीले पदार्थों का सेवन करने वाले भी अगर मुद्रा, ध्यान और योगाभ्यास करते हैं तो उनका आत्मबल बढ़ता है।ऐसे में इन लतों को त्याग पाने की इच्छा शक्ति उनके अंदर पैदा होती है।
ज्ञान मुद्रा ,Knowledge exchange,
दाहिने हाथ के अंगूठे को तर्जनी के टिप पर लगाएं और बायीं हथेली को छाती के ऊपर रखें। सांस सामान्य रहेगा। सुखासन या पद्मासन में बैठकर भी इस क्रिया को किया जा सकता है। लगातार 45 मिनट तक करने से काफी फायदा मिलता है।ध्यान,attention
ध्यान करने से शरीर के अंदर से खराब तत्व बाहर निकल जाते हैं। एकाग्रता लाने के लिए त्राटक किया जाता है। इसमें बिना पलक झपकाए प्रकाश की लौ को लगातार देखने का अभ्यास किया जाता है। एक समय ऐसा आता है जब बस बिंदु दिखाई देता है। ऐसी स्थिति में कुछ समय तक रहने की कोशिश करनी चाहिए।कुंजल क्रिया,Kunjl action
नमक मिला गुनगुना पानी भरपेट पीकर इसकी उल्टी कर दें। इससे पेट के ऊपरी हिस्से का शुद्धिकरणहो जाता है। बस्ती: इस क्रिया के माध्यम से शरीर के निचले हिस्से की सफाई की जाती है। इसे एनीमा भी कहते हैं।
अर्द्ध शंख प्रक्षालन
यह बड़ी आंत की सफाई और कब्ज मिटाने के लिए किया जाता है। इसमें चार लीटर गुनगुने पानी में स्वाद के मुताबिक नमक मिला लें। पानी को पांच भागों में बांटकर बारी-बारी से पीएं और क्रमशशायद आप यह पढकरअपने परिवार और बच्चों की खातिर पीना छोड़ देंगे
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यदि आप लोग मेरी बात से सहमत है तो इसे जरूर शेयर करे शायद किसी का परिवार बिखरने से बच जाय धन्यवाद मित्रों
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