यौन दौर्बल्य और यौन व्याधियों दूर करने के लिए पौष्टिक पदार्थों का सेवन करने के साथ किसी भी उत्तम आयुर्वेदिक योग का सेवन अवश्य करना चाहिये एसे बहुत से नवविवाहित युवकों कीसंख्या बहुत अधिक है जो इसके लिए इलाज पूछते हैं यह योग उन्हीं रोगियों के लिए है
मन्मथ रस के सेवन से नपुंसकता, नामर्दी, शीघ्रपतन आदि नष्ट होकर काम-शक्ति की वृद्धि होती है। विलासी परूषों के लिए हमेशा स्तम्भक (बाजीकरण) संबंधी औषधीयों की तलाश में घूमते रहते हैं, उनके लिए यह बहुत काम की चीज है। बलवर्द्धक और रसायन भी है। शीघ्रपतन में यह रस उत्तम लाभ करता है। यह शुक्र विकार (वीय्र का पतलापन) दूर कर वीर्य को गाढ़ा कर देता है तथा बीजवाहिनी नाड़ियों में खून का संचार कर उसमे दृढ़ता उत्पन्न करता है। स्नायु दुर्बलता के कारण मानसिक अवसाद के कारण हुए ध्वजभंग दोष को मिटाने में भी यह अत्यन्त गुणकारी है।
मन्मथ रस के घटक द्रव्य :-
मन्मथ रस के घटक द्रव्य :-
- शुद्ध पारद व् शुद्ध गन्धक , चालीस -चालीस ग्राम , अभ्रक भस्म बीस ग्राम l शुद्ध कपूर ,
- बंग भस्म और लौह भस्म -दस दस ग्राम l ताम्र भस्म पांच ग्राम l विधारा की जड़ , जीरा , विदारी कंद ,
- शतावरी , ताल मखाना , बला की जड़ , कौंच के बीज शुद्ध किये हुए छिलका रहित बीज ,
- अतीस , जावित्री , जायफल , लोंग , भांग के बीज , अजवायन , और
- सफ़ेद राल --ये सब तीन - तीन ग्राम
भस्मों के साथ पारद व् गन्धक को खरल में डालकर इतनी देर तक घुटाई करें कि सब मिल कर एक जान हो जाएँ विधारा की जड़ आदि सभी द्रव्यों को अलग - अलग कूट पीस छान कर खूब महीन चूर्ण कर लें और घुटी हुई भस्मों वाले मिश्रण में मिलाकर थोड़ी देर तक घुटाई करके सब द्रव्यों को एक जान कर लें और अंत में जल का छींटा मार कर फिर घुटाई करें और फिर दो - रत्ती वजन की गोलियां बना कर खूब अच्छी तरह सुखा कर शीशी में भर कर रख लें
मन्मथ रस के मात्रा और सेवन विधि :
मन्मथ रस के मात्रा और सेवन विधि :
एक गिलास दूध उबाल कर ,उतार कर हल्का ठण्डा करके इस मन्मथ रस की एक गोली सुबह खाली पेट लें इसी प्रकार एक गोली दूध के साथ रात को भोजन करने के दो घंटे बाद सोते समय लें
यदि रोगी मधुमेह का रोगी है तो वह इसे फीके दूध के साथ लें
मन्मथ रस का उपयोग
यदि रोगी मधुमेह का रोगी है तो वह इसे फीके दूध के साथ लें
मन्मथ रस का उपयोग
इस योग के सेवन से नपुंसकता ( नामर्दी ) यौनांग की शिथिलता , शीघ्रपतन , आदि व्याधियाँ दूर होती हैं पर्याप्त यौन शक्ति , वीर्य स्तम्भन शक्ति और यौनांग की कठोरता वाली स्थिति पुन: प्राप्त हो जाती है जो विलासी लोग अविवाहित जीवन में यौन क्रीडा करके और विवाहित जीवन में अति सहवास कर अपनी यौन शक्ति नष्ट कर चुके है उन्हें इस मन्मथ रस का सेवन तीन या चार महीने तक लगातार करना चाहिए
विलासी पुरूष इस रस का सेवन नियमपूर्वक रात को सोने से एक घण्टा पहले दूध के साथ करके, स्त्री-प्रसंग करने से अपूर्व आन्नद मालूम होता है और किसी प्रकार का नुकसान भी नही होता। इसका नियमित लगातार कुछ अधिक समय तक सेवन करने से इन्द्रियों की शक्ति बढ़ती है।
- यौन ताकत की कमी
- वीर्यवाहिनी नाड़ियों की कमजोरी
- नपुंसकता (Impotence)
- नामर्दी (Erectile Dysfunction)
- शीघ्र पतन (Premature ejaculation/Early Discharge)
- वीर्य का पतला होना
- शरीर को पुष्ट बनाने तथा शक्ति बढ़ाने के लिए इस रसायन का प्रयोग किया जाता है। इसके सेवन से शुक्र बहुत जल्दी बनता है
- शरीर में रक्त की वृद्धि हो, शरीर कान्तिवान और पुष्ट हो जाता है।
- स्त्रियों के श्वेत प्रदर, गर्भाशय की कमजोरी, बीज कोषों की स्थिलता आदि नष्ट होकर उन्हे स्वस्थ एवं गर्भ धारण योग्य बना देता है।
सेवन विधि और मात्रा Dosage of Manmath Ras
- 1 गोली, दिन में दो बार, सुबह और शाम लें। इसे गाढ़े किये हुए दूध के साथ लें। इसे भोजन करने के बाद लें।
मन्मथ रस का महिलाओं को लाभ
महिलाओं के लिए भी यह समान उपयोगी है इसके सेवन से श्वेत प्रदर रोग , गर्भाशय की कमजोरी , बीज कोशों ( ओवरीज ) की शिथिलता आदि नारी रोग दूर होते हैं और वें स्वस्थ बनी रहती है
यह दवा किसी आयुर्वेदिक स्टोर से भी खरीद सकते है
NOTE-किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने चिकित्सक से अवश्य संपर्क करें
यह दवा किसी आयुर्वेदिक स्टोर से भी खरीद सकते है
NOTE-किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने चिकित्सक से अवश्य संपर्क करें
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