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Friday, August 16, 2019

बॉडी बनाने के घरेलू उपाय-Home Remedies for Healthy body in Hindi,


बॉडी बनाने के घरेलू उपाय-Home Remedies for Healthy body in Hindi,


पर्सनालिटी तभी आकर्षक लगती है। जब उनका शरीर गठीला और मसल्स मजबूत हो। जिन लोगों की मसल्स मजबूत होती हैं उनका शरीर अपने आप शेप में दिखाई देता है। इसके लिए सिर्फ घंटों जिम में गुजरना ही काफी नहीं है, बल्कि सही डाइट प्लान भी जरूरी होता है।

खानपान पर यदि पूरी तरह से ध्यान दिया जाए तो मसल्स मजबूत होती हैं और शरीर आंतरिक रूप सेताकतवर बन जाता है। आइए आज जानते हैं हम कुछ ऐसी ही  चीजों के बारे में जिनके नियमित सेवन से मसल्स मजबूत हो जाती हैं।

मसल्स को मजबूत बनाने के लिए फल और सब्जियों का भरपूर मात्रा में सेवन करना चाहिए। इनमें विटामिन, मिनरल्स और कई पोषक तत्व व प्रोटीन पाए जाते हैं, जो कि मसल्स को मजबूत बनाते हैं।

2. लो फैट डेयरी उत्पाद

कम फैट वाले डेयरी उत्पादों जैसे दूध, दही, छाछ आदि में प्रोटीन अधिक मात्रा में होता है। इसीलिए पुरुषों को इनका नियमित सेवन करना चाहिए। एक कप दूध से लगभग 8 मि.ग्रा. कार्निटिन मिलता है। दूध से बनी चीजों में कैल्शियम, विटामिन-ए जैसे आवश्यक पोषक तत्व भी मौजूद होते हैं। इसके अलावा इनमें कार्बोहाइड्रेट और विटामिन डी भी अच्छी मात्रा में मौजूद होते हैं, जिससे मांसपेशियों को मजबूती मिलती है।

3. ड्राय फ्रूट्स

ड्राय फ्रूट्स और नट्स दोनों में ही भरपूर मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है। पुरुषों को ड्रायफ्रूट्स का सेवन नियमित रूप से करना चाहिए। फिर चाहें तो इन्हें कच्चा खाएं या फिर भूनकर खाएं। इनमें फैट्स रेशे, विटामिन और एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं, जिनसे मसल्स मजबूत होती हैं।

4. अंकुरित अनाज

अंकुरित अनाज पुरुषों की सेहत के लिए बहुत अच्छे होते हैं। यह पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। साथ ही, यह जिंक जैसे पोषक तत्वों का स्रोत हैं, जो पुरुषों में कमजोरी और नपुंसकता की समस्या कम करने में सहायक होते हैं व मसल्स को मजबूत बनाते हैं।

5. मूंगफली

मूंगफली में जिंक के साथ ही भरपूर मात्रा में वसीय अम्ल पाए जाते हैं। ये वसीय अम्ल पुरुषों के लिए फायदेमंद होते हैं। इसके सेवन से पुरुषों में कमजोरी की समस्या दूर हो जाती है।

6. लहसुन

लहसुन का सेवन भी पुरुषों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद होता है। लहसुन में एंटी-बैक्टीरियल और एंटीवायरल तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं। साथ ही, इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण भी मौजूद होते हैं। यह परिसंचरण तंत्र को भी स्वस्थ बनाता है।

7. ब्रॉकली

ब्रॉकली खाने के भी चमत्कारिक लाभ हैं। इसमें पाया जाने वाला आइसोथायोसाइनेट्स यकृत को उत्तेजित करता है। यह उन एन्जाइम्स के निर्माण में सहायता करता है, जो कैंसर उत्पन्न करने वाली कोशिकाओं के प्रभाव को कम करते हैं। इसमें विटामिन-सी भी मौजूद होता है। इसीलिए इसे पुरुषों की सेहत के लिए बेहतरीन औषधि माना गया है। 

8. तुलसी टी

तुलसी टी का सेवन भी पुरुषों के लिए बहुत अच्छा होता है।तुलसी पत्ते में ओसियाम प्रचूर मात्रा में पाया जाता है। यह कैंसर होने से रोकता है।तुलसी टी रोजाना पीने से पेट, फेफड़ों व आंतों की बीमारियां दूर होती हैं।

9. आम और पपीता

आम और पपीता, दोनों में ही भरपूर मात्रा में विटामिन ए पाया जाता है। आम में अमीनों अम्ल, विटामिन ए, सी और ई, नियासिन, बिटाकेरोटिन, आयरन, कैल्शियम और पोटैशियम पाया जाता है। वहीं, पपीता में पर्याप्त मात्रा में विटामिन बी व सी के साथ ही एंटीआक्सीडेंट भी मौजूद होते हैं। इन दोनों फलों के छिलकों में बायोफ्लैवेनॉइड्स पाया जाता है। इसीलिए यह फल पुरुषों को अपनी डाइट में जरूर शामिल करना चाहिए।

10. शिमला मिर्च

शिमला मिर्च भी पुरुषों के लिए फायदेमंद होती है। कुछ शोधों के अनुसार लाल शिमला मिर्च में संतरे के रस के मुकाबले तीन गुना ज्यादा विटामिन सी पाया जाता है। वैज्ञानिकों की मानें तो फ्लैवोनॉइड्स के लिए लाल शिमला मिर्च प्रभावी विकल्प है। फ्लैवोनॉइड्स पुरुषों को सेहतमंद बनाता है।

11. टमाटर

टमाटर में लाइकोपीन की मात्रा बहुत ज्यादा होती है। लाइकोपीन पौधों में पाया जाने वाला एक प्राकृतिक रासायनिक पदार्थ है। यह रासायनिक पदार्थ अपने एंटीऑक्सीडेंट गुणों के लिए जाना जाता है। यह प्रॉस्ट्रेट, फेफड़े और पेट के कैंसर को खत्म करता है। साथ ही, चेहरे की लालिमा और चमक भी बढ़ाता है

12.अनार

पुरुषों को अनार का जूस अपनी डाइट में जरूर शामिल करना चाहिए। रोजाना एक गिलास अनार का जूस पीने से पुरुषों को प्रोस्टेट की समस्या नहीं होती है।

13. रागी

रागी कैल्शियम का सबसे बढिय़ा स्रोत है। यह पुरुषों को ऑस्टियोपोरेसिस से बचाता है। साथ ही, यह जिंक तथा रेशे का भी अच्छा स्रोत है। इसके नियमित सेवन से डिसलिपिडीमिया, डायबिटीज और मोटापे से बचा जा
सकता है।

कद्दू भी पुरुषों के लिए लाभदायक होता है। इसमें रेशे, विटामिन, खनिज और कई स्वास्थ्यवर्धक एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं। इसके इन्ही गुणों के कारण इसके नियमित सेवन से ताउम्र स्किन जवां बनी रहती है।

15. सोया

सोया में मौजूद आइसोफ्लैवोन्स प्रॉस्ट्रेट की रक्षा करते हैं। यह प्रॉस्ट्रेट कैंसर के खतरे को कम करते हैं। रोजाना 25 ग्राम सोया प्रोटीन के सेवन से कोलेस्ट्रॉल स्तर को भी कम किया जा सकता है।


व्यायाम : आप यौगिक व्यायाम कीजिये. यौगिक व्यायाम का मतलब उस व्यायाम से है जिनमे आपकी एक से अधिक मांसपेशियाँ और एक से अधिक जोड़ उपयोग में आते हो. यौगिक व्यायाम को मांसपेशियों के लिए बहुत ही उपयुक्त माना गया है. साथ ही आपको सुबह सुबह जल्दी उठ कर खाली पेट भी व्यायाम करना चाहिए.

एंजाइम : ये आपके खाने को पचाने का कार्य करते है. शरीर का वजन बढ़ाने के लिए आप अधिक कैलरी लेने के लिए अच्छा आहार खाओगे और अधिक आहार लोगे ताकि आपकी मांसपेशियों में अधिक वृद्धि हो. ऐसी स्थिति में आपका पाचनतंत्र उस गति से काम नही कर पाता कि इतने सारे आहार को आप ग्रहण कर पाओ, किन्तु अगर आप एंजाइम को ले रहे हो तो ये आपके पाचनतंत्र की शक्ति को बढ़ाता है और आप जी भर कर आहार ग्रहण कर पाते हो.

Monday, May 02, 2016

हाइड्रोसील के उपचार,Hydrocele Treatment in Hindi

Hydrocele Treatment in Hindi
इस रोग में रोगी के अण्डकोषों में पानी भर जाता है जिसके कारण उसके अण्डकोष में सूजन आ जाती हैं। जब यह रोग किसी व्यक्ति को होता है तो उसके केवल एक ही तरफ के अण्डकोष में पानी भरता है। इस रोग का इलाज प्राकृतिक चिकित्सा से किया जा सकता है। कुछ लोगों में हाइड्रोसील की समस्‍या वंशानुगत या जन्मजात भी हो सकती है। जन्मजात हाइड्रोसील नवजात बच्चे में होता है और जन्‍म पहले वर्ष में समाप्त हो सकता है। वैसे तो यह समस्‍या किसी भी उम्र में हो सकती है लेकिन 40 वर्ष के बाद इसकी शिकायत अक्‍सर देखी जाती है। कभी-कभी अंडकोष की सूजन में दर्द बिल्कुल भी नही होता और कभी होता है और वह बढ़ता रहता है।

अण्डकोषों में पानी भर जाने का लक्षण ,Symptoms,

प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार इस रोग के कारण रोगी व्यक्ति के अण्डकोषों में दर्द होने लगता है। रोगी के अण्डकोष का एक भाग सूज जाता है, कभी-कभी तो ये इतने बढ़ जाते है कि व्यक्ति को चलने फिरने में दिक्कत होने लगती है। यदि रोगी व्यक्ति के अंडकोष में सूजन के साथ तेज दर्द होने लगता है तो समझना चाहिए कि रोगी व्यक्ति को हाइड्रोसील अण्डकोषों में पानी भर जाने का रोग हो गया है। जब यह रोग धीरे-धीरे बढ़ता है तो इसके कारण जननेन्द्रिय की सारी नसें कमजोर और ढीली पड़ जाती हैं जिसके कारण रोगी व्यक्ति को उल्टी तथा मितली भी होने लगती है और कब्ज भी रहने लगती है।

अंडकोष की जांच,Examining testicles,

  • अक्सर, आसपास के तरल पदार्थ की वजह से अंडकोष को महसूस नहीं किया जा सकता।
  • हाइड्रोसील में तरल पदार्थ का आकार पेट या अंडकोश की थैली के दबाव की वजह से कम या ज्यादा होता जाता है।
  • अगर शरीर में द्रव के संग्रह का आकार बदलता रहता है, तो यह अधिकतम वक्षण हर्निया के साथ जुड़े होने की संभावना भी होती है।
  • हाइड्रोसील को आसानी से पहचाना जा सकता है।
  • इसके निदान के लिए अल्‍ट्रासाउंड तकनीक भी प्रयोग कर सकते हैं। अल्‍ट्रासाउंड से अंडकोष में भरा द्रव साफ नजर आता है।

अण्डकोषों में पानी भर जाने का कारण, Causes of Hydrocele

  • प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार यह रोग किसी व्यक्ति को यौन अंगों में विजातीय द्रव्यों (दूषित मल) के इकट्ठा हो जाने के कारण होता है।
  • गलत तरीके से खान-पान की आदतें तथा समय पर खाना न खाने के कारण यह रोग व्यक्ति को हो जाता है।
  • अंडकोष पर चोट
  • नसों का सूजना
  • स्वास्थ्य समस्यायें
  • बिना लंगोट के जिम / कसरत करना
  • दूषित मल के इक्कठा होने
  • अन्य रोग जो दवा से दबाए गए हो या फिर संभोग सबंधी उत्तेजना को एक दम से रोक देने के कारण भी यह रोग हो जाता है।
  • मल-मूत्र के वेग को रोकने के कारण भी यह रोग हो सकता है।
  • भारी वजन उठाने, अधिक पैदल चलने, अंगों को तोड़ने या अंगड़ाई लेने के कारण भी यह रोग हो सकता है।
  • संभोगक्रिया अधिक करने के कारण भी कभी-कभी अण्डकोषों में पानी भर जाता है।

प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार,Hydrocele Treatment in Hindi,

  • इस रोग का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार करने के लिए रोगी व्यक्ति को कम से कम 2 सप्ताह तक प्रतिदिन संतरे का रस या अनार का रस पीना चाहिए। रोगी को कच्चे सलाद में नींबू डालकर सेवन करना चाहिए और उपवास रखना चाहिए।
  • इस रोग को ठीक करने के लिए पीले रंग की बोतल का सूर्यतप्त जल 25 मिलीलीटर की मात्रा में प्रतिदिन 4 बार सेवन करना चाहिए तथा इस जल का सेवन करने से पहले रोगी व्यक्ति को एक घण्टे तक लाल प्रकाश और उसके बाद कम से कम 2 घण्टे तक नीला प्रकाश अण्डकोष पर डालना चाहिए। जिसके फलस्वरूप यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
  • रोगी व्यक्ति को कटिस्नान, मेहनस्नान, सूखा घर्षण, गर्म एवं नमक स्नान (नमक मिले पानी से स्नान) करना चाहिए। इससे यह रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।
  • इस रोग से पीड़ित रोगी को खुली हवा में व्यायाम करना चाहिए तथा इसके साथ सूर्य स्नान भी करना चाहिए। इस प्रकार से रोगी का इलाज प्राकृतिक चिकित्सा से करने से रोग बहुत जल्दी ही ठीक हो जाता है।
  • पांच ग्राम काली मिर्च और दस ग्राम जीरे का चूर्ण आपस में मिलाके एक पेस्ट बनाए और इस पेस्ट को गर्म करे फिर इस पेस्ट में आप इतना गर्म पानी मिलाये कि एक पतला घोल बन जाए अब इस घोल को बढे हुए अंडकोषों पर लेप करके सो जाए इस प्रकार तीन-चार दिनों तक करने से फायदा दिखेगा जब तक पूर्ण आराम न हो करे-
  • रोगी व्यक्ति को कटिस्नान, मेहनस्नान, सूखा घर्षण, गर्म एवं नमक स्नान (नमक मिले पानी से स्नान) करना चाहिए। इससे यह रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।
  • इस रोग से पीड़ित रोगी को खुली हवा में व्यायाम करना चाहिए तथा इसके साथ सूर्य स्नान भी करना चाहिए। इस प्रकार से रोगी का इलाज प्राकृतिक चिकित्सा से करने से रोग बहुत जल्दी ही ठीक हो जाता है।
  • इस रोग को ठीक करने के लिए पीले रंग की बोतल का सूर्यतप्त जल 25 मिलीलीटर की मात्रा में प्रतिदिन 4 बार सेवन करना चाहिए तथा इस जल का सेवन करने से पहले रोगी व्यक्ति को एक घण्टे तक लाल प्रकाश और उसके बाद कम से कम 2 घण्टे तक नीला प्रकाश अण्डकोष पर डालना चाहिए। जिसके फलस्वरूप यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।

Monday, April 11, 2016

बॉडी बिल्डिंग आहार,Bodybuilding Diet Tips in Hindi,Home Remedies for Body Building,


आप भी बॉडी बिल्‍डिंग का शौक रखते हैं तो हम आपको ऐसे अहारों की जानकारी देगें, जिसे नियमित खाने से आपकी बॉडी जल्‍द बनेगी। बॉडी बिल्‍डिंग करने वाले लोगों को शक्‍ति की बहुत जरुरत होती है साथ ही अगर उनका इम्‍मयून सिस्‍टम मजबूत न हो तो, कई प्रकार की बीमारियां भी लग जाती हैं। ऐसे में जरुरी है कि वे ऐसे आहार खाएं जिससे उनकी बॉडी भी बने,
  • मशरूम: सफेर रंग के मशरूम लाभदायक होते हैं। इसमें बहुत सारा पोषण होता है जिससे मासपेशियां बनने में मदद मिलती है।
  • टोफू: इसमें वह सब पाया जाता है जो मीट में होता है। इसमें अमीनो एसिड और आइसोफ्लेवोनीस पदार्थ पाया जाता है जिससे मासपेशियां बड़ी तेजी से विकसित होने लग जाती हैं।
  • दालें: आपको दाल रोज खानी चाहिये क्‍योंकि इसमें बहुत सारा प्रोटीन और पोषण होता है।
  • दही: इसमें बहुत सारा कॉप्‍लेक्‍स शुगर और घुलनशील प्रोटीन होता है। यह वर्कआउट करने के लिये शक्‍ति प्रदान करता है।
  • पाइनएप्‍पल: अगर आपको अच्‍छी मसल्‍स बनानी है तो आप ताजा पाइनएप्‍पल खाएं। इससे वर्कआउट के लिये एनर्जी मिलती है।
  • जैतून का तेल: अपने वेजिटेबल ऑयल को बदल कर जैतून तेल खरीद लीजिये। इसमें आवश्‍यक फैटी एसिड और मोनोसैच्‍युरेटेड फैट्स होते हैं जो कि मसल्‍स बनाने में उपयोगी होते हैं।
  • चॉकलेट: डार्क चॉकलेट बॉडी बनाने के लिये सबसे अच्‍छे पदार्थ माने जाते हैं। हफ्ते में एक बार डार्क चॉकलेट जरुर खानी चाहिये ।
  • अलसी: इन दानों में बहुत सारा प्रोटीन और फाइबर पाया जाता है। बॉडी बिल्‍डिंग के लिये और शारीरिक गतिविधी बढाने के लिये यह जरुर खाएं।
  • बादाम: बॉडी बिल्‍डिंग के लिये बादाम बहुत अच्‍छे स्‍नैक्‍स माने जाते हैं। इसमें बहुत सारा अमीनो एसिड होता है जो कि मसल्‍स बनाने में उपयोगी होते हैं।
  • रिकोटा: यह एक इटैलियन चीज़ होती है जो कि भेड़ के दूध से बनी होती है। इसका सेवन करने से हड्डियां मजबूत होती हैं और बॉडी भी मजबूत बनती है।
  • चुकंदर: इसमें नाइट्रेट पाया जाता है जिससे बॉडी बिल्‍डर की गतिविधी अच्‍छी हो जाती है। इसे पहले उबाल कर तब सब्‍जी के रूप में प्रयोग करना चाहिये।
  • चिकन: चिकन ब्रेस्‍ट या केवल चिकन खाने से आपको हाई क्‍वालिटी का प्रोटीन मिलेगा। इसमें बिल्‍कुल भी फैट नहीं होता इसलिये इसे जरुर खाएं।
  • एवोकाडो: एक साधारण से एवोकाडों में 20 जरुरी पोषक तत्‍व, 250 कैलोरी, 10 ग्राम फाइबर और 15 ग्राम मोनोसैच्‍युरेटेड फैट मिल जाएंगे। इसका सेवन करने से बॉडी अच्‍छी बनती है।
  • अंडा: बॉडी बिल्‍डिंग के लिये अंडे से अच्‍छा कुछ नहीं हो सकता क्‍योंकि इसके सफेद भाग में 84 प्रतिशत प्रोटीन और 0 प्रतिशत वसा होती है। अंडे को हमेशा उबाल कर ही खाना चाहिये। मसल्‍स बनाने के लिये आपको एक दिन में 5-6 अंडे तक खाने की जरुरत है।
  • क्रैब: सीफूड के फायदे के बारे में किसी को नहीं पता है कि इसमें तरह-तरह के न्‍यूट्रियंट्स पाए जाते हैं और इसमें बिल्‍कुल भी कैलोरी नहीं होती।
  • मटन: यह प्रोटीन, आयरन, जिंक और विटामिन बी से भरा होता है। हफ्ते में एक बार मटन जरुर खाएं लेकिन कोशिश यह करें कि मटन फ्राई ना किया हुआ हो।
  • मछली: आपकी मासपेशियों को बढने के लिये मोनो सैचुरेटेड फैट की आवशयकता होती है। वर्कआउट करते समय शरीर का सारा फैट बर्न हो जाता है तो ऐसे में शरीर में जमा मोनो सैचुरेटेड फैट ही शरीर में एनर्जी बढाता है।
  • घोंघा: पुरुषों के लिये यह एक स्‍पेशल बॉडी बिल्‍डिंग आहार है। इसमें विषेश प्रकार का समुंद्रिय पोषक मिला होता है जो कि टेस्‍ट्रोस्‍ट्रॉन बढाने में भी मदद करता है।
  • ओट्स: शरीर में अपचय की प्रक्रिया बढाने के लिये ओट्स खाइये। इसको खाने से शरीर में फैट नहीं जमता 
  • पनीर: इसमें बिल्‍कुल भी फैट नहीं होता और बहुत ही ज्‍यादा मात्रा में प्रोटीन होता है। इसलिये यह बॉडी बिल्‍डिंग के लिये अच्‍छा होता है।
  • मूंगफली: पीनट बटर या फिर मूंगफली खाने से शरीर को तुरंत एनर्जी मिलती है। इसको खाने से बहुत देर तक भूंख नहीं लगती।
  • केला: इसे खाने से शरीर की प्रतिरक्षा बढती है और यह प्रोटीन बढाने में भी मददगार होता है।
  • पालक: अगर बॉडी बनाने वाले इसे नियमित खाएं तो उनकी बॉडी जल्‍दी बनेगी।
  • मिर्च: लाल या हरी मिर्च बॉडी बिल्‍डिंग के लिये अच्‍छे फूड माने जाते हैं। यह हड्डियों को मजबूत करने के लिये और अच्‍छे ब्‍लड सर्कुलेशन के लिये जाने जाते हैं।
  • ब्‍लूबैरी: इनमें बहुत सारा पौष्‍टिक तत्‍व पाया जाता है, जिससे बीमारियां दूर रहती हैं। साथ ही यह शरीर में सेलुलर इलास्‍टिसिटी बनाने में भी मदद करती है।
  • ग्रीन टी: इसकी सबसे अच्‍छी बात यह है कि यह शरीर में अच्‍छे बैक्‍टीरिया को जन्‍म देती है जिससे बॉडी बिल्‍डर्स का इम्‍मयून सिस्‍टम मजबूत होता है और बीमारियां दूर होती हैं।
  • शकरकंद: इसमें सेहतमंद कार्बोहाइड्रेट मिलता है जो कि बॉडी बनाने वालों को सख्‍त जरुरत होती क्‍योंकि इसेस उन्‍हें वर्कआउट करने के लिये स्‍टैमिना मिलता है।
  • टमाटर: इमसें विटामिन ए होता है जो कि बॉडी बिल्‍डिंग के लिये अच्‍छा माना जाता है। इससे फैट भी बर्न होता है और मस्‍लस में खिंचाव भी कम होता है।
  • अंजीर: यहां पर हम ताजी अंजीर की बात कर रहे हैं न कि सूखी अंजीर की। यदि इसे रोज खाया जाए तो इससे बॉडी तगड़ी बनती है। दिन में एक अंजीर का फल खाना चाहिये

Monday, March 21, 2016

एड्स के बारे में - What is HIV in Hindi-HIV Symptoms,Information,

एचआईवी और एड्स के बारे में कुछ तथ्य-What is HIV in Hindi,HIV  Symptoms,Information,

एचआईवी और एड्स का प्रसार लगातार बढ़ता ही जा रहा है। इसने अब महामारी का रूप ले लिया है। ताजा आंकड़ों के अनुसार पूरी दुनिया में 33.3 मिलियन लोग एचआईवी और एड्स से ग्रसित हैं। लगभग पांच साल पुराने आंकड़ों के अनुसार पूरी दुनिया में 1.8 मिलियन लोग एड्स के शिकार होकर मौत के मुंह में चले गए। लगभग 16.6 मिलियन बच्चे इस बीमारी के कारण अनाथ हो गए।

इस बीमारी को लाइलाज माना गया है। इससे बचाव तभी संभव है, जब लोग इसके बारे में जागरूक हों। एचआईवी और एड्स के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए एक्टिविस्ट्स, डॉक्टर्स, सरकारें और नागरिकों के संगठन भी कार्यरत हैं।

एड्स के कारण (Due to AIDS) एड्स रोग के होने के कारण

  • एड्स से संक्रमित स्त्री के साथ बिना कंडोम आदि के प्रयोग के सेक्स करने से दूसरे व्यक्ति को भी एड्स रोग लग जाता है।
  • एड्स रोग से ग्रस्त व्यक्ति का खून अगर किसी स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में चढ़ा दिया जाए तो उसे भी एड्स रोग हो जाता है।
  • एच.आई.वी. अर्थात एड्स के रोगी को लगे इंजैक्शन को अगर किसी स्वस्थ व्यक्ति को लगा दिया जाए तो उसके विषाणु उस व्यक्ति के शरीर में पहुंचकर उसे भी इस रोग से ग्रस्त कर देते हैं।
  • एच.आई.वी. अर्थात एड्स के संक्रमण से ग्रस्त महिला के द्वारा जन्म देने वाले बच्चे को भी यह रोग लग सकता है।
  • एड्स रोग फैलाने में योनि मैथुन से संभोग करने की अपेक्षा गुदामैथुन से संभोग करना ज्यादा भागीदारी निभाता है क्योंकि मलाशय की परत योनि की परत से ज्यादा पतली होती है जिनमें संभोग करते समय स्ट्रोकों के कारण खरोंच लगने या दरार पड़ने का खतरा ज्यादा रहता है 
  • इसलिए गुदामैथुन करते समय एड्स से ग्रस्त रोगी के विषाणु वीर्य के जरिये उसके सहभागी के शरीर में बहुत ही आसानी से पहुंच जाते हैं।

एड्स रोग के लक्षण-

  • एच.आई.वी. अर्थात एड्स के विषाणु जैसे ही किसी स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में पहुंचते हैं उसके कुछ सप्ताह बाद उस व्यक्ति को बुखार, पूरे बदन में दर्द, सिर में दर्द और फ्लू आदि जैसे लक्षण प्रकट हो जाते हैं। 
  • लेकिन हर तरह के व्यक्तियों के लिए इन लक्षणों को सहीं नहीं माना जा सकता है क्योंकि कुछ समय के बाद यह लक्षण अपने आप ही गायब हो जाते हैं। 
  • इसके बाद लगभग 3 से 12 साल तक किसी तरह के लक्षण नजर नहीं आते इसलिए रोगी को ऊपर से देखकर यह कहना बहुत ही मुश्किल हैकि यह एड्स रोग से ग्रस्त है इसके साथ ही इस रोग के बारे में एक बात और भी ध्यान देने वाली यह है कि यह रोग जब किसी व्यक्ति को होता है तो उसके शरीर में रोगों से लड़ने की ताकत समाप्त हो जाती है।
  • एड्स रोग होने पर रोगी की लसीका ग्रंथियां सूज जाती हैं। इसके साथ ही उसकी जांघों, बगल और गले आदि में भी सूजन के साथ गांठे निकल आती हैं।
  • एड्स से ग्रस्त रोगी को बार-बार बुखार आता-जाता रहता है।
  • रोगी रात को सोता है तो उसका पूरा शरीर पसीने से भीग जाता है।
  • रोगी को कई तरह के छोटे-मोटे रोग लग जाते हैं जो जल्दी ठीक होने का नाम नहीं लेते। इसके साथ ही दिन पर दिन उसका वजन कम होने लगता है।
  • रोगी को हल्का सा वजन उठाने में या कहीं ज्यादा दूर पैदल जाने में ही शरीर में भारी थकावट हो जाती है। कई बार तो बिना किसी कारण के ही रोगी को अपना पूरा शरीर टूटा-टूटा सा महसूस होता है।
  • रोगी को बार-बार दस्त आने लगते हैं।
  • एड्स से ग्रस्त रोगी के मुंह और भोजन की नली में फंफूदी के कारण जख्म से बन जाते हैं।
  • रोगी के मस्तिष्क में संक्रमण हो जाता है।
  • एच.आई.वी. अर्थात एड्स से ग्रस्त रोगी के शरीर में रोगों से लड़ने की ताकत दिन पर दिन कम होती जाती है जिसके कारण उसके शरीर में निमोनिया के विषाणु प्रवेश कर जाते हैं। इसके बाद धीरे-धीरे रोगी के शरीर की त्वचा सूखने लगती है और वह मौत के करीब पहुंच जाता है।
  • लगातार थकान
  • रात sweats
  • वजन में कमी
  • लगातार डायरिया
  • दृष्टि blurred
  • जीभ या मुँह (leukoplakia) पर सफेद धब्बे
  • सूखी खांसी
  • सांस की तकलीफ
  • 37 C (100F) कि सप्ताह के नंबर एक रहता है ऊपर का बुखार
  • सूजन ग्रंथियों कि अधिक से अधिक तीन महीनों के लिए पिछले
  • सूजी हुई लिम्फ नोड्स के साथ बुखार
  • कमजोरी
  • अस्वस्थ महसूस कर
  • शरीर में दर्द
  • सिर में दर्द
  • गले में खराश
  • डायरिया
  • लाल चकत्ते
  • तंत्रिका क्षति या दर्द

नई दवाओं की खोज.

विश्व का दवा उद्योग अभी कम से कम 100 नई दवाओं और टीकों पर काम कर रहा है। नई दवाएं एचआईवी वायरस से लड़ने में ज्यादा सक्षम पाई गई हैं। यह सिर्फ एड्स से प्रभावित सेल्स पर ही असर डालता है और स्वस्थ कोशिकाओं पर काम नहीं करता। पहले की दवाएं वायरस से प्रभावित कोशिकाओं को खत्म करने के साथ ही स्वस्थ कोशिकां पर भी असर डाल देती थीं। साथ ही, ड्रग इंडस्ट्री ऐसी दवाओं की खोज में है जो सामान्य किस्म के हों और जिनका उपयोग करना भी आसान हो। ऐसी दवाएं विकसित की जा रही हैं जो प्रतिदिन एक डोज वाली हों

क्या यह अमेरिकी बीमारी है.

जब 1980 के दशक में एड्स का प्रसार हुआ तो सोवियत यूनियन ने यह प्रचार शुरू किया कि अमेरिका ने जानबूझकर पूरी दुनिया में यह बीमारी फैलाई है। यद्यपि यह एकदम झूठा प्रचार था, पर बहुत सोवियत नागरिकों ने बिना सोचे-समझे इस झूठ पर यकीन कर लिया।

सुरक्षा तंत्र भी विकसित हो जाता है

समय के साथ, वैज्ञानिकों ने यह पाया है कि कुछ संक्रमित लोगों में इस वायरस के प्रति इम्यूनिटी भी पैदा हो जाती है। संक्रमित होने के बाद भी वो दशकों तक इस वायरस से लड़ते हैं और उनके स्वास्थ्य पर इसका कोई खास असर दिखाई नहीं पड़ता। यह इम्यूनिटी एक निश्चित प्रकार की कोशिका में होती है जिसे cd8+t सेल कहते हैं। ये सेल एड्स से संक्रमित कोशिकाओं में प्वॉइज़न इंजेक्ट कर देते हैं। इससे वैज्ञानिकों को यह लग रहा है कि इस इम्यूनिटी वाले सेल से एड्स से लड़ने के लिए भावशाली दवा बनाई जा सकती है

कौन होते हैं सबसे ज्यादा प्रभावित

एड्स का मुकाबला करने के लिए वैज्ञानिक पूरा जोर लगा रहे हैं। लगातार नए अनुसंधान किए जा रहे हैं, पर पूरी दुनिया में एड्स का प्रभाव लगातार बढ़ता ही जा रहा है। सिर्फ अमेरिका में 25-44 आयु वर्ग की अश्वेत महिलाओं की मृत्यु के लिए यह सबसे प्रमुख कारण बन गया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि महिलाओं और बच्चों में एड्स का बढ़ता प्रसार बहुत ही चिंता का विषय है।


दोस्तों यह लेख आप को अच्छा लगा हो तो जरूर लाइक और शेयर करे जिससे लोगो के स्वास्थ को फायदा मील सके और हमें इससे प्रोत्साहन मिलेगा। ---- धन्यवाद।

Thursday, February 04, 2016

शरीर की कमजोरी दूर करने के उपाय-Body Weakness Treatment in Hindi

    अक्सर हमने देखा है की लोग बिना परिश्रम करे भी थकान महसूस करते है| बिना किसी कारणवश उन्हें आलस चढ़ा हुआ रहता है, तथा कमजोरी महसूस होती रहती है| यह कमजोरी दिन की शुरुआत से ही महसूस होने लगती है| शरीर में ऊर्जा की कमी के कारण दैनिक कार्य करने भी असमर्थता महसूस होती है

    देखा गया है की जो लोग कमजोर रहते है उन्हें कुछ देर काम करने पर ही थकान और नींद घेर लेती है। कमजोरी आने के कई कारण होते है| जैसे अभी गर्मी के दिन चल रहे है तो बार पसीना ज़्यादा निकलने तथा डिहाइड्रेशन की वजह से भी कमज़ोरी आ जाती है
    सुखी और स्वस्थ जीवन के लिए जरुरी है कि व्यक्ति शारीरिक रूप से शक्तिशाली बना रहे। शरीर में किसी भी प्रकार की कमजोरी होने से जीवन में दुख और समस्याओं को बढ़ावा मिलता है। यदि किसी पुरुष में कमजोरी हो तो उसका वैवाहिक जीवन सुखी नहीं रह सकता है। अधिकांश लोगों को अत्याधिक स्वप्नदोष होने की परेशानी रहती है। वैसे तो यह एक सामान्य सी बात है लेकिन जब ये समस्या हद से अधिक हो जाए तो शारीरिक कमजोरी उत्पन्न होने लगती है
    • शक्ति कमजोरी से पीडित रोगियो को शुरू में 5-5 घंटे के अंतराल से विशेष रूप से ताजा फलो का आधार लेना चाहिए उसके बाद वह पुन: अपनी नियमित खुराक धीरे-धीरे प्रारंभ कर सकते है। रोगी को धूम्रपान , शराब चाय तथा कॉफी के सेवन से बचना चाहिए, और विशेष रूप से सफेद चीनी तथा मैदे या उनसे बने उत्पादो का परहेज करना चाहिए। 
    • 30 ग्राम किशमिश को गुनगुने पानी मे धोए, 200 मिली दूध मे उबाले तथा दिन मे तीन बार सेवन करे। ध्यान रखिए की प्रत्येक बार ताजा मिश्रण तैयार करे। धीरे धीरे 30 ग्राम किशमिश की मात्रा को 50 ग्राम तक करें। 
    • 15 ग्राम तुलसी के बीज और 30 ग्राम सफेद मुसली लेकर चूर्ण बनाएं, फिर उसमें 60 ग्राम मिश्री पीसकर मिला दें और शीशी में भरकर रख दें। 5 ग्राम की मात्रा में यह चूर्ण सुबह-शाम गाय के दूध के साथ सेवन करें इससे यौन दुर्बलता दूर होती है। 
    • केला : दिन में खाना-खाने के बाद 2 या 3 पके केले रोजाना नियमित रूप से खाने से शरीर में शक्ति, मांस और चर्बी बढ़ती है। इसका प्रयोग लगातार 2 महीने तक करने से शरीर सुंदर बन जाता है।
    • आंवला : लगभग 10 ग्राम की मात्रा में हरे आंवला को लगभग इतनी ही मात्रा में शहद में मिलाकर खाने से मनुष्य के वीर्य-बल में वृद्धि होती है। आंवलों के मौसम में इसका सेवन रोजाना सुबह के समय लगभग 1 से 2 महीने तक करना चाहिए।
    • बराबर मात्रा में आंवले का चूर्ण, गिलोय का रस, सफेद मूसली का चूर्ण, गोखरू का चूर्ण, तालमखाना का चूर्ण, अश्वगंध का चूर्ण, शतावरी का चूर्ण, कौंच के बीजों का चूर्ण और मिश्री का चूर्ण लेकर इनका मिश्रण बना लें। अब इस मिश्रण को रोजाना सुबह और शाम को लगभग 10 से 15 ग्राम की मात्रा में फांककर ऊपर से हल्का गर्म दूध पीने से मनुष्य के संभोग करने की शक्ति का विकास होता है। इसको लगातार 3 या 4 महीने तक फायदा होने तक खाना चाहिए।
    • किशमिश : सुबह के समय लगभग 25 से 30 किशमिश लेकर इनको गर्म पानी से धोकर साफ कर लें और कच्चे दूध में डाल दें। आधा या एक घंटे बाद उस दूध को गर्म करें। इसके बाद किशमिश को एक-एक करके खा लें और ऊपर से उसी दूध को पी लें। ऐसा करने से शरीर में खून बढ़ता है। इसके अलावा आवश्यकता से अधिक ठंड़ का अनुभव, पुरानी बीमारी, अधिक कमजोरी, जिगर की खराबी और बदहजमी दूर हो जाती है।
    • अंगूर : लगभग 25 मिलीलीटर की मात्रा में अंगूर का रस भोजन करने के आधे घंटे बाद पीने से शरीर में खून बढ़ता है। इसके अलावा इसका रस पीने से पेट फूलना, अफारा, दिल का दौरा पड़ना, चक्कर आना, सिरदर्द और भोजन न पचना आदि बीमारियां दूर हो जाती है। इसका सेवन लगभग 2 या 3 हफ्ते तक लगातार करना चाहिए। इसके अलावा इसका सेवन महिलाओं के लिए भी लाभकारी होता है। कमजोर बच्चों को भोजन के बाद अंगूर का रस पिलाना काफी लाभकारी सिद्ध होता है। अंगूर का रस बच्चों के चेहरे को लाल कर देता है।
    • पालक : शरीर में कमजोरी आने पर या खून की कमी होने पर लगभग 225 मिलीलीटर की मात्रा में रोजाना पालक का रस पीना चाहिए। इससे चेहरा एक दम गुलाब की तरह लाल हो जाता है। इसके अलावा इसका रस पीने से मानसिक तनाव और हाई ब्लडप्रेशर भी सामान्य रहता है।
    • टमाटर : टमाटर का रोजाना सेवन करने से खून शुद्ध रहता है, और खून में वृद्धि होती है। टमाटर खाने से आंखों के रोग, जिगर में किसी तरह की खराबी आने के कारण होने वाली सुस्ती, आंतों के कीड़ें और आमाशय की कमजोरी दूर होती है। टमाटर पाचन क्रिया को बढ़ाता है। पथरी वाले व्यक्ति को टमाटर नहीं खाना चाहिए।  
    • सौंफ : सौंफ और मिश्री को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को सुबह-शाम भोजन के बाद दो चम्मच लेने से दिमाग तेज होता है। इसका सेवन लगातार एक या दो महीने तक करना चाहिए।
    • मालकांगनी :मालकांगनी के बीज, बच, देवदारू और अतीस आदि का मिश्रण बना लें। रोज सुबह-शाम इस मिश्रण को 1 चम्मच घी के साथ पीने से दिमाग तेज और फुर्तीला बनता है।
    • मालकांगनी के तेल की 5-10 बूंदे मक्खन के साथ सेवन करने से भी शरीर को लाभ मिलता है।
    • धनिया :शक्ति को ऊर्जा भी कहते हैं। यह ऊर्जा मनुष्य को भोजन से मिलती है। परन्तु धनिया इस ऊर्जा को और बढ़ा देता है। इसके लिए आपको खाना खाने के बाद दस दाने धनिया के मुंह में डालने होंगे। इन दानों को दाढ़ों से कुचलकर इसका रस कंठ (गले) के नीचे उतार लीजिए और दानों को थूक देते हैं। ठीक आधा घंटे बाद आप देखेंगे कि आपके शरीर में गर्मी बढ़ गई। यह गर्मी पसीना लाने वाली गर्मी नहीं होती बल्कि यह पाचनक्रिया को सही करने वाली गर्मी होती है क्योंकि जब पाचन क्रिया में वृद्धि होगी तब भोजन समय से तथा ठीक प्रकार से पच जाएगा। इसके बाद रक्त में जो ऊर्जा पैदा होती है वह पूरे शरीर में फुर्तीलापन लाती है।लगभग 3 ग्राम की मात्रा में साबुत सूखे धनिये को पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को ठंड़े पानी और मिश्री के साथ मिलाकर गर्मी के दिनों में पीने से पित्त के कारण होने वाले रोगों से छुटकारा मिल जाता है।
    • 200 ग्राम लहसुन पीसकर उसमें 60 मिली शहद मिलाकर एक साफ-सुथरी शीशी में भरकर ढक्कन लगाएं और किसी भी अनाज में 31 दिन के लिए रख दें। 31 दिनों के बाद 10 ग्राम की मात्रा में 40 दिनों तक इसको लें। इससे यौन शक्ति बढ़ती है। 
    • एक ग्राम जायफल का चूर्ण प्रातः ताजे जल के साथ सेवन करने से कुछ दिनों में ही यौन दुर्बलता दूर होती है। 
    • दो ग्राम दालचीनी का चूर्ण सुबह-शाम दूध के साथ सेवन करने से वीर्य बढ़ता है और यौन दुर्बलता दूर होती है। 
    • शीतकाल में सुबह दो-तीन खजूर को घी में भूनकर नियमित खाएं, ऊपर से इलायची- 
    • शक्कर डालकर उबला हुआ दूध पीजिए। यह उत्तम यौन शक्तिवर्धक है 
    • 5 मिलीलीटर से 10 मिलीलीटर के आसपास पुराने सेमल की जड़ का रस निकालकर व इसका काढ़ा बना लें तथा इसके अंदर चीनी मिला लें। इस मिश्रण को 7 दिनों तक पीने से वीर्य की बहुत ही अधिक बढ़ोत्तरी होती है।
    • 6 ग्राम विदारीकन्द के चूर्ण में चीनी व घी मिला लें। इस चूर्ण को खाने के बाद इसके ऊपर से दूध पीने से वृद्ध पुरुष की भी संभोग करने की क्षमता कुछ ही दिन में वापस लौट आती है। 
    • तालमखाने तथा शुद्ध कौंच के बीज के चूर्ण को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर इसके अंदर दुगुनी मिश्री मिलाकर इसका चूर्ण बनाकर रख लें। रोजाना के समय में 2 चम्मच चूर्ण (लगभग 10 ग्राम के आसपास) को ताजे दूध के साथ मिलाकर खाने से सेक्स क्रिया करने की शक्ति सें आई कमजोरी भी नष्ट हो जाती है।  
    • संतरा : 1 गिलास संतरे का रस रोजाना दो बार कुछ सप्ताह तक पीते रहने से शरीर में ताकत आ जाती है। जो बच्चे बोतल से दूध पीते हैं कमजोर होते है, उनके लिए संतरे का रस बहुत लाभदायक होता है।
    • सफेद पेठा : भोजन करने के बाद पेठे की मिठाई खाने से शरीर मजबूत और ताकतवर बनता है। पित्त विकार में 2-2 पेठे के टुकड़े रोजाना खाने से लाभ होता है।
    • पुनर्नवा : पुनर्नवा को दूध के साथ खाने से शरीर मजबूत और ताकतवर बनता है।
    • फालसा : पके फालसे का सेवन करने से शरीर मजबूत और ताकतवर बनता है। यह हृदय रोग और रक्तपित्त या खूनी पित्त में भी काफी हितकारी होता है।
    • पपीता : बच्चों को रोजाना पपीता खिलाने से उनकी लम्बाई बढ़ती है और शरीर मजबूत तथा सेहत सही बनी रहती है।