Saturday, January 28, 2017

वास्तु के अनुसार घर,मकान के वास्तु टिप्स Vastu Shastra Tips for House in hindi,

 

वास्तु के अनुसार घर,मकान के वास्तु टिप्स,Vastu Tips in Hindi for House,

वास्तु के अनुसार घर,मकान के वास्तु टिप्स,Vastu Tips in Hindi for House,

यदि वास्तु को ध्यान में रखकर घर का निर्माण किया जाए तो वास्तुदोषों के दुष्परिणामों से बचा जा सकता है। वर्तमान के बदलते दौर में वास्तु का महत्व दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। आजकल कई बड़े-बड़े बिल्डर व इंटीरियर डेकोरेटर भी घर बनाते व सजाते समय वास्तु का विशेष ध्यान रखते हैं। वास्तु के अनुसार ही वे कमरे की बनावट, उनमें सामानों की साज-सज्जा करते हैं। इससे घर की खूबसूरती बढ़ने के साथ-साथ सकारात्मक ऊर्जा का भी प्रवाह होता है। वास्तु के अनुसार घर की सजावट करते समय निम्न बातों का ध्यान रखें

वास्तु के अनुसार घर,मकान के वास्तु टिप्स,Vastu Tips in Hindi for House,

  • मकान का मुख्य प्रवेश द्वार सामान्तया सभी के लिए अच्छा होता हैं, पश्चिम एवं दक्षिण दिशा के स्थित प्रवेश द्वार भी व्यक्ति के काम और जन्म कुंडली के अनुसार अनुसार अच्छा हो सकता हें.
  • मकान के उत्तर एवं पूर्व मे अपेक्षाकृत अधिक खाली स्थान रखना चाहिए.
  • मुख्य द्वार खोलते ही सामने सीढ़ी नहीं होनी चाहिए। 
  • दरवाजा हमेशा अंदर की ओर खुलना चाहिए और दरवाजा खोलते और बंद करते समय किसी प्रकार की चरमराहट की आवाज नहीं होनी चाहिए। 
  • घर के तीन द्वार एक सीध में नहीं होने चाहिए। मुख्य द्वार घर के अन्य सभी दरवाजों से बड़ा होना चाहिए। 
  • पूजा घर और रसोई या बेडरूम एक हीं कमरे में नहीं होना चाहिए.
  • घर के मालिक का कमरा दक्षिण-पश्चिम दिशा में होना चाहिए. अगर इस दिशा में सम्भव न हो, तो उत्तर-पश्चिम दिशा दूसरा सर्वश्रेष्ठ विकल्प है.
  • मकान के प्रवेश द्वार पर दहलीज का निर्माण कराएँ। दहलीज के नीचे चाँदी का तार अवश्य लगवाएँ। ऐसा करने वालों के घर में धन की कभी कमी नहीं रहेगी और न ही किसी तरह की अशुभ ऊर्जा उनके घर में प्रवेश करेगी। 
  • मकान का दक्षिण एवं पश्चिमी हिस्सा अपेक्षाकृत भारी एवं ऊचा होना चाहिए.
  • मकान का मध्य स्थान जिसे ब्रह्म स्थान कहा जाता हें, हमेशा खाली रहना चाहिए.
  • भगवान की मूर्तिया या तस्वीरों को इस तरह स्थापित करे, जिससे की पूजा करते समय आपका मुंह पूर्व या उत्तर दिशा की और हो.
  • पूर्व - बच्चों का कमरा, लिविंग रूम होना चाहिए 
  • पश्चिम- भोजन कक्ष / डाइनिंग एरिया, बच्चो का कमरा होना चाहिए 
  • उत्तर -बैठक / ड्राईंग रूम, धन रखने का स्थान होना चाहिए 
  • दक्षिण -शयन कक्ष / बेड रूम होना चाहिए 
  • उत्तर-पूर्व -पूजा घर, अध्धयन / स्टडी रूम, बोरिंग, पानी का होद, खुला स्थान में होना चाहिए
  • उत्तर-पश्चिम मेहमान कक्ष होना चाहिए
  • दक्षिण-पश्चिम मास्टर बेड रूम / सीडिया, होना चाहिए 
  • दक्षिण-पूर्व रसोई घर एवं जेनेरटर, इन्वर्टर
  • मकान में धन-नकदी रखने की अलमारी कमरे के दक्षिण-पश्चिम भाग में होनी चाहिए 
  • पूजा घर से सटा हुआ या पूजा घर के ऊपर या नीचे शौचालय नहीं होना चाहिए.
  • पूजा घर में प्रतिमा स्थापित नहीं करनी चाहिए क्योंकि घर में प्राण प्रतिष्ठित मूर्ति का ध्यान उस तरह से नहीं रखा जा सकता है जैसा कि रखा जाना चाहिए. अतः छोटी मूर्तियाँ और चित्र हीं पूजा घर में लगाने चाहिए
  • सीढ़ी के नीचे पूजा घर नहीं बनाना चाहिए.
  • मुख्य द्वार के सामने कोई पेड़, दीवार, खंभा, कीचड़, हैंडपम्प या मंदिर की छाया नहीं होनी चाहिए। 
  • घर के मुख्य द्वार की चौड़ाई उसकी ऊंचाई से आधी होनी चाहिए। 
  • घर का मुख्य दरवाजा छोटा और पीछे का दरवाजा बड़ा होना आर्थिक परेशानी का ध्योतक है। 
  • घर का मुख्य द्वार घर के बीचों-बीच न होकर दाएं या बाएं ओर स्थित होना चाहिए। यह परिवार में कलह आर्थिक परेशानी और रोग का ध्योतक है। उदाहरण के लिए, पूर्व में स्थित द्वार पूर्व में मध्य में न होकर उत्तर पूर्व की ओर या दक्षिण पूर्व की ओर होना चाहिए। 
  • वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के मुख्य द्वार की स्थिति का सीधा संबंध उस घर में रहने वाले लोगों की सामाजिक, मानसिक और आर्थिक स्थिति से होता है। 
  • घर का मुख्य द्वार वास्तु दोषों से मुक्त हो, तो घर में सुख-समृद्धि, रिद्धी-सिद्धि रहती है, सभी प्रकार के मंगल कार्यों में वृद्धि होती है और परिवार के लोगों में आपसी समंजस्य बना रहता है। 
  • इसलिए घर का मुख्य द्वार वास्तु दोष से मुक्त होना अत्यंत आवश्यक है। यदि इसमें कोई दोष हो, तो इसे तुरंत वास्तु उपायों के द्वारा ठीक कर लेना चाहिए।

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