Monday, February 13, 2017

मांसपेशियों में खिंचाव,Home Remedies for Pulled Muscle in Hindi,

 


Treatment Of Pulled Muscle‎ in Hindi,

मांसपेशियों का दर्द या ऐंठन आमतौर पर पाई जाने वाली समस्याओं में से एक है। और यह एक से अधिक मांसपेशियों में हो सकता है। मांसपेशियों के दर्द में, ऊतक के लिगामेंट, टेंडोंस, फेशिया, और मांसपेशियों के संपर्क में आनेवाले कोमल ऊतकों और हड्डियों में दर्द हो सकता है।

कभी काम करते-करते, दिनचर्या में भाग दौड़, कभी खेलते या दौड़ते में और कभी यूं ही सामान्य अवस्था में अचानक मांसपेशियों में खिंचाव आ जाता है। इस खिंचाव को हल्के में न लें यह एक बड़ी समस्या भी बन सकती है अधिक व्यायाम करने से भी मांसपेशियों में दर्द हो जाता है। इस स्थिति में हमारे शरीर को अधिक ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। इस अधिक ऑक्सीजन की आवश्यकता की पूर्ति करने के लिए मांसपेशियों में अवायुश्वसन होता है जिसके कारण लेक्टिक एसिड एकत्रित होने लगता है। इस लेक्टिक एसिड के कारण मांसपेशियों में थकान और दर्द होता है।

मांसपेशियों में खिंचाव आने के कारण 

  • अनियमित जीवन शैली और गलत खान-पान इस बीमारी का सबसे बड़ा कारण है. शरीर को पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम नहीं मिलने से हड्डियां कमजोर हो जाती हैं. अधिक वजन होने से भी कमर, घुटने में दर्द जैसी समस्या होती है. 
  • पेट बढ़ने से रीढ़ पर तनाव बढ़ता है, जिससे कमर दर्द शुरू हो जाता है. अचानक झुकने, वजन उठाने, झटका लगने, गलत तरीके से उठने-बैठने और सोने, व्यायाम न करने से भी कमर दर्द या मांसपेशियों का दर्द हो सकता है. 
  • ऊबड़-खाबड़ रास्तों में तेज ड्राइविंग से भी रीढ़ की डिस्क प्रभावित हो सकती है. कठोर श्रम या चोट हो सकता है कारण मांसपेशियों में दर्द पूरे शरीर की स्थिति का संकेत हो सकता है. 
  • शारीरिक परिश्रम या कठोर श्रम के कारण तनाव, थकान या मांसपेशियों में चोट, इन्फ्लूएंजा, लाइम डिजीज, मलेरिया, डेंगू, मांसपेशी का फोड़ा तथा संक्रमण की वजह से भी दर्द हो सकता है. इलेक्ट्रोलाइट का असंतुलन जैसे-पोटैशियम या कैल्शियम की मात्रा बहुत कम होना भी इसका कारण हो सकता है.

मांसपेशियों में खिंचाव आने के लक्षण:

जब मसल्स का खिचांव होता है तो तेज दर्द के साथ कुछ अन्य लक्षण भी है जोे आज हम आपको बता रहे है।
  • यदि किसी खुली चोट की वजह से मसल्स फटी या टूटी हैं तो खुला घाव नजर आना।
  • जहा दर्द हो रहा हो उस जगह पर सूजन।
  • चलने-फिरने में भी कठिनाई आना और दर्द होना।
  • बेचैन करने वाला दर्द और आराम करने पर भी दर्द का बने रहना।
  • प्रभावित स्थान पर त्वचा के रंग का बदल जाना व अकड़न महसूस होना।
  • कमजोरी महसूस होना।

मांसपेशियों में खिंचाव आने पर प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार

  • मांसपेशियों में खिंचाव आने पर रोगी व्यक्ति को पूरी तरह से आराम करना चाहिए।
  • रोगी को अपनी मांसपेशियों पर हर 2 घण्टे के अन्तराल पर आधे घण्टे के लिए बर्फ से मालिश करनी चाहिए।
  • मांसपेशियों में खिंचाव से पीड़ित रोगी को गर्म तथा ठंडा स्नान करना चाहिए।
  • मांसपेशियों में खिंचाव से पीड़ित रोगी को विटामिन `सी´ की मात्रा वाली चीजों का भोजन में अधिक सेवन करना चाहिए।
  • जडी बूटियाँ और लेप कुछ जडी बूटियों में एंटी इम्फ्लेमेट्री (प्रदाहनाशी) और आरामदायक गुण होते हैं। जबकि हर्बल लेप (जडी बूटियों के अर्क का अर्द्ध ठोस रूप जो लोशन, जेल या बामके रूप में होता है) त्वचा तथा ऊतकों में अंदर तक प्रवेश करते हैं तथा आराम पहुंचाते हैं।
  • मांसपेशियों में खिंचाव आने पर तेल से शरीर की मालिश करनी चाहिए जिसके फलस्वरूप दर्द जल्दी ही ठीक हो जाता है।
  • प्रभावित स्थान पर बर्फ लगाने से सूजन, ब्लीडिंग और दर्द में आराम मिलता है। मांसपेशियों में खिंचाव आने के बाद जितनी जल्दी आप बर्फ लगा सकते हैं, लगा लें। आप कितनी भी बार बर्फ लगा सकते हैं। बस ये ध्यान में रखें कि जब भी बर्फ लगाएं, 15 मिनट से ज्यादा देर के लिए न लगाएं।
  • तेल से मालिश मालिश से मांसपेशियों में रक्त परिसंचरण बढ़ता है जिससे मांसपेशियों को गर्मी मिलती है तथा यह लेक्टिक एसिड को दूर करता है जबकि तेल मांसपेशियों को आराम पहुंचाता है और दर्द से राहत दिलाता है। विभिन्न प्रकार के तेल जैसे पाइन, लैवेंडर, अदरक और पिपरमेंट का तेल मांस पेशियों के दर्द को कम करने में सहायक होते हैं।
  • एप्सम सॉल्ट (Epsom salt) गर्म पानी की एक बाल्टी में या टब में एक कप एप्सम नमक डाल कर प्रभावित स्थान को इस पानी में तकरीबन 15 मिनट के लिए डुबा कर रखें। एक हफ्ते में इस प्रक्रिया को दो से तीन बार कर सकते हैं। लेकिन हृदय से संबंधित, शुगर या उच्च रक्तचाप (high blood pressure) की समस्या से पीड़ित व्यक्ति इस विधि को न करें।
  • गर्म और ठंडा सेक (Hot and cold fomentation) गर्म पानी से नहाने से मांसपेशियों की सिकाई होती है और उन्हें आराम भी मिलता है। इस तरह से मांसपेशियों की अकड़न भी दूर होती है। लेकिन इसके उलट यदि सूजन महसूस हो रही हो तो बर्फ के टुकड़ों को पतले कपड़े में लपेटकर उससे सिकाई करनी चाहिए।
  • मैग्नीशियम युक्त खाना (Magnesium rich food) मैग्नीशियम की कम मात्रा से भी मांसपेशियों में दर्द और खिंचाव हो सकता है। इसके लिए खाने में कद्दू के बीज (pumpkin seeds), काली बीन्स (black beans), सूरजमुखी के बीज (sunflower seeds), बादाम और काजू को अपने आहार में शामिल करना चाहिए। जिससे शरीर को प्रचुर मात्रा में मैग्नीशियम मिल सके।
  • सेब का सिरका (Apple cider vinegar) सेब के सिरके की कुछ मात्रा एक गिलास पानी में मिलाकर पीने से मसल्स के दर्द से राहत मिलती है। इसके अलावा यदि इस तरह पीना कठिन लगे तो एक गिलास पानी में दो चम्मच सिरका, एक चम्मच शहद और कुछ पत्तियां पुदीने की मिलाकर भी पी जा सकती हैं।
  • ऑयल (Oil) मसल पेन में राहत के लिए कैमोमाइल, पेपरमिंट, लेवेंडर आदि तेल में एक या दो चम्मच, नारियल या ऑलिव ऑयल मिलाकर प्रभावित स्थान पर लगाना चाहिए।
  • चेरी जूस (Cherry juice) मसल पेन से राहत के लिए चेरी जूस भी पीना चाहिए। चेरी जूस पीने से मसल्स का खिंचाव कम होता है साथ ही यह मांसपेशियों को राहत भी देता है।
  • मसाज (Massage) मसाज करने से शरीर का रक्तसंचार बेहतर होता है जो कि दर्द को तेजी से ठीक करने में मदद करता है। यदि मसाज करने के लिए अच्छे तेलों का प्रयोग किया जाए तो असर दोगुना हो जाता है।
  • मिर्च में मौजूद कैप्सेसिन (capsaicin) भी दर्द की खास दवा है। बाजार में मिर्च से तैयार कई तरह की दर्द निवारक क्रीम मिलती हैं, लेकिन इन्हें आप घर भी तैयार कर सकते हैं। इसके लिए नारियल या जैतून के तेल को गरम करके इसमें एक बड़ा चम्मच लाल मिर्च मिलाकर इसे ठंडा करें। इसके बाद इसमें एलोवेरा जेल मिलाएं। इस तरह से तैयार उत्पाद को यदि प्रभावित स्थान पर लगाकर हल्के हाथ से मालिश की जाए तो बेहद आराम मिलता है।
  • आराम (Rest) कई बार कुछ न करके सिर्फ आराम करना भी शरीर को बहुत लाभ दे सकता है। यदि शरीर में अकड़न महसूस हो तो कम से कम दो दिन आपको शरीर को पूरी तरह आराम देना चाहिए। इससे शरीर हल्का महसूस करता है और तनाव कम होता है जिसका सीधा असर मांसपेशियों पर भी पड़ता है।

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