इस रोग में रोगी का गला बैठ जाता है जिसके कारण रोगी को बोलने में परेशानी होने लगती है तथा जब व्यक्ति बोलता है तो उसकी आवाज साफ नहीं निकलती है तथा उसकी आवाज बैठी-बैठी सी लगती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि स्वर नली के स्नायुओं पर किसी प्रकार के अनावश्यक दबाव पड़ने के कारण वे निर्बल पड़ जाती हैं। इस रोग के कारण रोगी की आवाज भारी होने लगती है तथा गले में खुश्की हो जाती है और कभी-कभी रोगी को सूखी खांसी और सांस लेने में परेशानी होने लगती है।
गला बैठने के कारण :- Causes
- अधिक गाना गाने, चीखने-चिल्लाने तथा जोर-जोर से भाषण देने से रोगी का गला बैठ जाता है।
- ठंड लगने तथा सीलनयुक्त स्थान पर रहने के कारण गला बैठ सकता है।
- ठंडी चीजों का भोजन में अधिक प्रयोग करने के कारण भी यह रोग सकता है।
- शरीर के अन्दर किसी तरह का दूषित द्रव्य जमा हो जाने पर जब यह दूषित द्रव्य किसी तरह से हलक तक पहुंच जाता है तो गला बैठ जाता है।
गला बैठने का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार ,गला बैठने पर क्या करें,
- गला बैठने के रोग का उपचार करने के लिए सबसे पहले रोगी व्यक्ति को अपने पेड़ू पर गीली मिट्टी की पट्टी से लेप करना चाहिए तथा इसके बाद एनिमा क्रिया का प्रयोग करके पेट को साफ करना चाहिए।
- गला बैठने के रोग से पीड़ित रोगी को सुबह तथा शाम के समय में अपने गले के चारों तरफ गीले कपड़े या मिट्टी की गीली पट्टी का लेप करना चाहिए।
- काली मिर्च - यदि सर्दी जुखाम के कारण आपका गला बैठ गया है तो रोजाना सोने से पहले तीन से चार काली मिर्च और उतनी ही मात्र में मिश्री को एक साथ चबाने से बैठ गला खुल जाता है |
- हल्दी - यदि tonsil के कारण आपका गला बैठ गया है तो एक गिलास गर्म दूध में एक चमच हल्दी पाउडर मिलाकर सोने से पहले पीने से tonsil एक से दो दिन में ठीक हो जाता है जिस कारण बैठा हुआ गला भी खुल जाता है |
- रोगी व्यक्ति को अपने गले, छाती तथा कंधे पर बारी-बारी से गर्म या ठंडा सेंक करना चाहिए तथा इसके दूसरे दिन उष्णपाद स्नान (गर्म पानी से पैरों को धोना) करना चाहिए।
- रोगी व्यक्ति को गर्म पानी में हल्का सा नमक मिलाकर उस पानी से गरारे करने चाहिए और सुबह तथा शाम के समय में एक-एक गिलास नमक मिला हुआ गर्म पानी पीना चाहिए।
- गला बैठना रोग से पीड़ित रोगी को 1 सप्ताह तक चोकरयुक्त रोटी तथा उबली-सब्जी खानी चाहिए।
- इस रोग से पीड़ित रोगी को फल और दूध का अधिक सेवन करना चाहिए जिसके फलस्वरूप यह रोग ठीक हो जाता है।
- रोगी व्यक्ति को पानी में नींबू का रस मिलाकर दिन में कई बार पीना चाहिए तथा इसके अलावा गहरी नीली बोतल का सूर्यतप्त जल कम से कम 25 मिलीलीटर की मात्रा में दिन में 6 बार पीना चाहिए। इस प्रकार से प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार करने से यह रोग ठीक हो जाता है।
- गले के रोगों को ठीक करने के लिए सबसे पहले रोगी व्यक्ति को 1-2 दिन फलों के रस को पीकर उपवास रखना चाहिए।
- अनन्नास, सेब, अंजीर, शहतूत, मेथी, लहसुन तथा पपीता का सेवन अधिक करने से गले के कई प्रकार के रोग ठीक हो जाते हैं।
- अंगूर का रस पीने से गला बैठने का रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।
- यदि गले में खराश हो तो तुलसी और अदरक का रस शहद में मिलाकर चाटने से लाभ होता है।
- यदि गला बैठा हो या सूज रहा हो तो पानी में नींबू निचोड़कर गरारा करने से बहुत अधिक लाभ मिलता है।
- फिटकिरी - यदि किसी कारण वश आपके गले में सुजन आ गई हो और उस कारण आपका गला बैठ गया हो तो एक गिलास पानी ले और उसमे 50 ग्राम फिटकिरी को डाल कर दिन में दो से तीन बार गारगल करे | ऐसा करने से गले की खराश दूर हो जाती है और आपके गले को आराम मिलती है | इस प्रक्रिया को दो से तीन दिन करने से आपकी गले की सुजन कम हो जाता है और बैठा हुआ गला ठीक हो जाएगा |
- चुना - गला बैठने पर सोने से पहले चुने का लेप बना ले और इसे सोने से पहले गले पर लगाए जिससे सुबह तक बैठा गला ठीक हो जाता है
- मेथी के दानों को पानी में उबाल कर उस पानी से गरारा करने से मुंह के छाले जल्दी ठीक हो जाते हैं।
- गले के रोगों को ठीक करने के लिए मिट्टी की गर्म पट्टी गले के चारों तरफ लगाकर उपवास रखने तथा एनिमा लेने से बहुत अधिक लाभ मिलता है।
- यदि भोजन को निगलते समय दर्द हो रहा हो तो सूर्यतप्त नीली बोतल के पानी से गरारा करने से भी रोगी को लाभ होता है।
- गले के रोग को ठीक करने के लिए गले पर गर्म या ठंडा सेंक करना चाहिए। इसके फलस्वरूप रोगी को बहुत अधिक फायदा मिलता है।
- गले में दर्द होने पर तुलसी का रस शहद में मिलाकर चाटने से गले में दर्द होना बंद हो जाता है।
- अंजीर को पानी में उबालकर उस पानी से गरारा करने से गला बैठने का रोग ठीक हो जाता है।
- त्रिफला का चूर्ण फांककर दूध में मिलाकर पीने से गले के कई रोग ठीक हो जाते हैं।
- यदि गले में कोई रोग हो जाए तो अंगूठे और तर्जनी उंगली के भाग पर मालिश करने से गले का रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।
- एक गिलास पानी में आधा चम्मच चाय की पत्ती उबालकर उस पानी से गरारा करने से रोगी व्यक्ति को बहुत अधिक लाभ मिलता है। इस क्रिया को दिन में 3-4 बार करने से यह रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है। इस प्रकार से उपचार करने से गले में दर्द तथा सूजन भी ठीक हो जाती है।
- एक चम्मच लहसुन के रस को एक गिलास पानी में डालकर उस पानी को उबाल लें। इस पानी से दिन में 3-4 बार गरारा करने से गले के रोगों में बहुत अधिक लाभ मिलता है।
- गले के रोगों को ठीक करने के लिए कई प्रकार के आसन भी हैं जिन्हें करने से गले के रोग ठीक हो जाते हैं ये आसन इस प्रकार हैं- सूर्य नमस्कार तथा सिंहासन।
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