Monday, July 31, 2017

शीतपित्त का घरेलू इलाज,Home Remedies for Urticaria, Symptoms, Causes, Treatment in Hindi

 

आयुर्वेद के अनुसार शीतपित्‍त जिसे अंग्रेजी में अर्टिकेरिया भी बोलते है, वात या कफ दोष की गड़बड़ी की वजह से होता है। यह एक प्रकार की एलर्जी है, जिसकी वजह से त्‍वचा पर लाल रंग के चकत्‍ते पड़ जाते हैं, जिसे पित्‍ती कहते हैं Urticaria- शीतपित्त को छपाकी या पित्ती उछालना भी कहा जाता है शीतपित्त रोग में Hives (तीव्र खुजली ) के साथ उत्पन्न होने वाले दादोड़े समस्त शरीर में विभिन्न आकार में भी हो सकते है रोग की chronic urticaria (तीव्र-अवस्था ) में हल्का बुखार तथा वमन भी हो सकती है इसकी उत्पत्ति किसी एलर्जिक प्रतिक्रिया के परिणाम स्वरूप भी मानी जाती है 

शीतपित्त पेट की गड़बड़ी तथा खून में गरमी बढ़ जाने के कारण होता है| वैसे साधारणतया यह रोग पाचन क्रिया की खराबी, शरीर को ठंड के बाद गरमी लगने, पित्त न निकलने, अजीर्ण, कब्ज, भोजन ठीक से न पचने, गैस और डकारें बनने तथा एलोपैथी की दवाएं अधिक मात्रा में सेवन करने से भी हो जाता है| कई बार अधिक क्रोध, चिन्ता, भय, बर्रै या मधुमक्खी के डंक मारने, जरायु रोग (स्त्रियों को), खटमल या किसी जहरीले कीड़े के काटने से भी इसकी उत्पत्ति हो जाती है|

शीत पित्त होने के लक्षण,Symptoms,

  • शरीर पर एकाएक चकत्ते से उभर आते है और इन चकत्तों में stress hives(तेज खुजली) होती है और फिर इससे शरीर लाल हो जाता है
  • चकत्ते उभरते ही माथा,सिर,कान,नाक,और चेहरे का जादातर हिस्सा कुछ सूज जाता है
  • वमन और मितली भी हो सकती है
  • चकत्तों के किनारे लाल रंग के होते है
  • आमतौर पर ये पित्ती छाती और पेट पर निकलते है
  • बच्चो में चकत्तों के अतिरिक्त ये पीडिकाये और फफोले के रूप में हो सकते है

शीत पित्त का घरेलू इलाज,Home Remedies for Urticaria, Symptoms, Causes, Treatment in Hindi

    शीतपित्त के चकत्ते निकलने पर गर्म जल पिलाकर रोगी को कम्बल ओढ़ाकर सुला दे-इससे पसीना आएगा और रोगी को आराम होगा
    • गेरू का लेप करे या फिर सरसों के तेल में गेरू को पीस कर मिला कर उसकी रोगी के शरीर पे मालिस करे तथा कम्बल ओढ़ाकर सुला दे चक्रमर्दमूल का चूर्ण घी में मिलाकर दे
    • त्रिफला चूर्ण दो ग्राम,पिप्पली आधा ग्राम,दिन में दो बार शहद से दे
    • गाय का घी 20 ग्राम,काली मिर्च का चूर्ण 10 ग्राम को आपस में मिला ले रोगी को 1 ग्राम से 3 ग्राम दे
    • गंधक रसायन 250 mg ,गिलोय सत्व500 mg,शहद और कच्ची हल्दी के स्वरस से सेवन कराये-
    • तुलसी की पत्‍ती की चाय बना कर पीने से खून शुद्ध होता है और शरीर से गंदगी निकलती है।
    • सेब का सिरका एप्पल साइडर सिरका पित्ती के लिए एक और अच्छा उपाय है। इसके antihistamine गुण में मदद मिलेगी जल्दी से सूजन को राहत देने और शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली की प्रतिक्रिया को विनियमित। यह भी अपने समग्र त्वचा के स्वास्थ्य को बहाल करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है
    • अदरक एक 'आश्चर्य दवा' के रूप में जाना जाता है, अदरक अपनी मजबूत विरोधी भड़काऊ और antihistamine गुणों के कारण पित्ती के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। असल में, अदरक जीन और एंजाइमों कि सूजन ट्रिगर, बारी में, त्वचा के लिए रक्त परिसंचरण में सुधार सूजन और खुजली को कम से राहत निशाना बनाता है।
    • पित्ती रोगियों को हल्दी , मिश्री और शहद इन तीनों को मिलाकर रात को खाने से पित्ती की शिकायत दूर हो जाती है । और खाने के बाद रोगी को हवा नही लगनी चाहिए । बेसन के लड्डू बनाकर या बाजार से खरीद कर इसमें काली मिर्च मिलाकर खाने से पित्ती की बीमारी दूर हो जाती है ।
    • पित्ती की बीमारी को जड़ से नष्ट करने के लिए रोगी गेहूँ के आटा दो चम्मच , एक चम्मच हल्दी और थोड़ा सा घी मिलाकर इसका हलुआ तैयार कर ले । इस तैयार हलुए को ठंडा करने के बाद खाए और इसके बाद गर्म दूध पी ले ।
    • पित्ती दूर करने के और भी कई उपाय है जैसे:- थोड़ी - थोड़ी मात्र में गुड और अजवाइन मिलाकर इसका चूर्ण बना ले और इसकी 6-6 ग्राम की गोलियाँ तैयार कर ले । रोजाना एक- एक गोली शाम को पानी से खाने से आशातीत लाभ मिलता है । देसी घी में थोड़ा- सा सेंधा नमक डालकर रोग वाले स्थान पर मसलने से पित्ती ठीक हो जाती है
    • पित्ती वाले रोगी के शरीर में गेरू पीसकर मलें तथा गेरू के परांठे या पुए खिलाएं| गाय के घी में दो
    • चुटकी गेरू मिलाकर खिलाने से भी लाभ होता है |
    • शीतपित्त में चिरौंजी का सेवन करें
    • इस रोग को ठीक करने का एक सरल उपाय है हल्दी जो हर घर में उपलब्ध है । हल्दी
    • को पीसकर या बाजारसे हल्दी का पाउडर खरीद कर यह पाउडर पानी में मिलाकर इसका पेस्ट
    • तैयार कर ले । इस पेस्ट को दो छोटे चम्मच रोगी को एक दिन में सुबह दोपहर शाम खिलाने
    • से पित्ती के रोगियों को काफी आराम मिलता है । इस बीमारी में रोगी को लाल गेरू या गैरिक का
    • तेल उपयोग करने से भी लाभ मिलता है ।
    • 2 ग्राम नागकेसर को शहद में मिलाकर चाटें
    • एक चम्मच हल्दी, एक चम्मच गेरू तथा दो चम्मच शक्कर सबको सूजी में मिलाकर हलवा बनाकर खाएं

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