गर्भवती होने के लिए सिर्फ सेक्स जरूरी नहीं जरूरी है सही समय पर सेक्स गर्भवती होने के लिए सेक्स का कोई निर्धारित समय नहीं है। महिलाएं जब ओर्गास्म प्राप्त कर लेती है तो गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है। गर्भवती होने के लिए सेक्स जितना जरूरी है उतना ही इस बात का ज्ञान होना कि सेक्स कब किया जाए। इस तथ्य को नजरअंदाज करने से कई बार गर्भधारण करने में परेशानी भी आती है। आइए जानें कि माह में किस समय सेक्स करने से गर्भधारण की संभावना काफी अधिक होती है।
- पुरुष के शुक्राणु का साथी महिला के गर्भ में जाने से गर्भधारण होता है। महिला के अंडाणु से शुक्राणु का मेल होना और निषेचन की क्रिया का होना ही गर्भधारण है। यूं तो गर्भधारण न कर पानेके पीछे कई कारण हो सकते हैं। इनमें शारीरिक और मानसिक दोनों तरह के कारण हो सकते हैं। इन कारणों के पीछे अधिकतर ज्ञान और जानकारी का अभाव होता है।
- इन सबकारणों के अतिरिक्त एक अन्य कारण भी होता है जिसका असर महिलाओं की गर्भधारण की क्षमता पर पड़ता है, और वह कारण है सही समय पर सेक्स न करना। अधिकतर जोड़े इस बात से अंजान होते हैं कि गर्भधारण में सेक्स की 'टाइमिंग' बहत मायने रखती है। समय पर सहवास-गर्भवती होने के लिए सिर्फ सहवास करना जरूरी नहीं होता बल्कि सही समय पर सहवास करना भी मायने रखता है। यह बात ध्यान देने योग्य है कि पुरुष के शुक्राणु हमेशा लगभग एक जैसे ही होते हैं, जो महिला को गर्भवती कर सकते हैं। लेकिन महिला का शरीर ऐसा नहीं होता जो कभी भी गर्भवती हो सके। उसका एक निश्चित समय होता है, एक छोटी सी अवधि होतीहै।
- यदि आप उस अवधि को पहचान कर उस समय सहवास करते हैं तो गर्भधारण की संभावना आश्चर्यजनक रूप से बढ़ जाती है। एक मत यह है कि 28 दिन के मासिक धर्म के साइकिल में 14वें दिन ओवुलेशन का है जो पीरियड शुरू होनेके बाद से गिना जाता है, इस दौरान 12 से 18 दिन के बीच में सेक्स करने से गर्भ ठहरता है।'प्रेग्नेंट होने के लिए सेक्स का कोई विशेष दिन नहीं होता, नियमित सेक्स लाइफ में भरोसा रखिए और बेबी प्लानिंग के तीन महीने पहले से फोलिक एसिड के टेबलेट जरूर खाती रहें।'
- ओवुलेशन साइकिल-ऋतुचक्र या पीरियड्स के सात दिन बाद ओवुलेशन साइकिल शुरू होती है, और यह माहवारी या पीरियड्स के शुरू होने से सात दिन पहले तक रहती है। ओवुलेशन पीरियड ही वह समय होता है, जिसमें कि महिला गर्भधारण कर सकती है और इस स्थिति को फर्टाइल स्टेज भी कहते हैं। गर्भधारण के लिए, जब भी सेक्स करें तो ओवुलेशन पीरियड में ही करें।
- अपनी ओवुलेशन साइकिल का पता लगायें। इसके लिए आप चिकित्सक से संपर्क भी कर सकते हैं। ओर्गास्म-पुरुष सिर्फ अपनी संतुष्टि का खयाल रखते हैं और अपनी पत्नी की कमोत्तेजना को तवज्जो नहीं देते। ऐसी स्त्रियों को गर्भधारण करने में मुश्किलें आती हैं। अगर स्त्री सहवास के वक्त ओर्गास्म प्राप्त कर लेती है तो गर्भधारण की संभावना काफी हद तक बढ़ जाती है। क्योंकि तब पुरुष के शुक्राणु को सही जगह जाने का समय और माहौल मिलता है तथा शुक्राणु ज्यादा समय तक जीवित रहते हैं।
सुबह का समय,Morning time
- गर्भधारण के लिए सेक्स का समय सुबह का होना चाहिए क्योंकि सुबह के समय आप तरोताजा़ रहते हैं।जिन महिलाओं में रेगुलर पीरियड हो वे प्रेगनेंट होने के लिए पीरियड के बाद दस दिन के अंतराल में सेक्स करें, इससे प्रेगनेंट होने की संभावना ज्यादा होती है औरजिनमें में अनियमित पीरियड हो वे प्रेगनेंसी के लिए पीरियड के साइकिल में नियमित अंतराल पर सेक्स करें।
पीरियडस के दौरान सेक्स
जब आप गर्भधारण करने का सोच रहे है तो इस बात सावधानी बरतें कि कभी भी पीरियडस के दौरान सेक्स ना करें। गर्भ धारण करने या गर्भ की स्थापना के लिए यहाँ हम कुछ आयुर्वेदिक नुस्खे
- एक चम्मच असगंध का चूर्ण एक चम्मच देशी घी के साथ मिलाकर मिश्री मिले दूध के साथ मासिक धर्म के 6 ठे दिन से पूरे माह पीने से गर्भाशयके दोष दूर होकर स्त्री को गर्भ ठहर जाता है|
- अशोक के फूल नियमित रूप से दही के साथ मासिक धर्म के 6 ठे दिन से 2 हफ्ते तक लेते रहने से स्त्री को गर्भ स्थापा हो जाता है|
- अपामार्ग की जड़ का चूर्ण मासिक के बाद 21 दिन तक दूध के साथ लेते रहने से स्त्री के गर्भवती होने के चांस बढ़ जाते हैं|
- पीपल के सूखे फलों का चूर्ण आधा चम्मच कच्चे दूध से मासिक धर्म शुरू होने के पांचवे दिन से दो हफ्ते तक सुबह शाम लेने से गर्भाधान के अवसर बढ़ते हैं| गर्भ न टिके तो आने वाले महीनों मे भी यही उपाय करें|
- तीन ग्राम गोरोचन, १० ग्राम असगंध, १० ग्राम गजपीपरी तीनों को बारीक पीसकर चूर्णं बनाएं। फिर पीरिएड के चौथे दिन से निरंतर पांच दिनों तक इसे दूध के साथ पिएं।
- महिलाओं को शतावरी चूर्णं घी – दूध में मिलाकर खिलाने से गर्भाशय की सारी विकृतियां दूर हो जाएंगीं और वे गर्भधारण के योग्य होगी।
- 10g ग्राम पीपल की ताज़ी कोंपल जटा जौकुट करके ५०० मि.ली. दूध में पकाएं।जब वह मात्र २०० मि.ली. बचे तो उतारकर छान लें। फिर इसमें चीनी और शहद मिलाकर पीरिएड होने के ५वें या ६ठे दिन से खाना शुरू कर दें। यह बहुत अच्छी औषधि मानी जाती है।
- सेमल की जड़ पीसकर ढाई सौ ग्राम पानी में पकाएं और फिर इसे छान लें। मासिक धर्म के बाद चार दिन तक इसका सेवन करें।
- 50g ग्राम गुलकंद में 20g ग्राम सौंफ मिलाकर चबाकर खाएं और ऊपर से एक ग्लास दूध नियमित रूप से पिएं। इससे आपको बांझपन से मुक्ति मिल सकती है।
- गुप्तांगों की साफ सफाई पर विशेष ध्यान दें। खाने में जौ, मूंग, घी, करेला,शालि चावल, परवल, मूली, तिल का तेल, सहिजन आदि जरूर शामिल करें।
- पलाश का एक पत्ता गाय के दूध में औटाएं और उसे छानकर पिएं। मासिक धर्म के बाद से पीना शुरू करें और ७ दिनों तक प्रयोग करें।
- पीपल के सूखे फलों का चूर्णं बनाकर रख लें। मासिक धर्म के बाद
- 5-10 ग्राम चूर्णं खाकर ऊपर से कच्चा दूध पिएं। यह प्रयोग नियमित रूप से १४ दिन तक करें।
- मासिक धर्म के बाद से एक सप्ताह तक २ ग्राम नागकेसर के चूर्णं को दूध के साथ सेवन करें। आपको फाएदा होगा।
- 5g ग्राम त्रिफलाधृत सुबह शाम सेवन करने से गर्भाशय की शुद्धि होती है। जिससे महिला गर्भधारण करने के योग्य हो जाती है।
- स्त्री को गर्भधारण कराने केलिए उसकी योनि के स्नायु स्वस्थ हो इसके लिए स्त्री का सही आहार, उचित श्रम एवं तनाव रहित होना जरूरी है तभी स्त्री गर्भवती हो सकती है|
- स्त्री को गर्भधारण करने केलिए यह भी आवश्यक है लिए यह भी आवश्यक है कि योनिस्राव क्षारीय होना चाहिए इसलिए स्त्री का भोजन क्षारप्रधान होना चाहिए। इसलिए उसे अधिक मात्रा में अपक्वाहार तथा भिगोई हुई मेवा खानी चाहिए।
- इस रोग से पीड़ित स्त्रियों को अपने इस रोग का इलाज करने के लिए सबसे प हले का इलाज करने के लिए सबसे पहले अपने शरीर से विजातीय द्रव्यों को बाहर निकालना चाहिए| इसके लिए स्त्री को उपवास रखना चाहिए। इसके बाद उसे 1-2 दिन के बाद कुछ अंतराल पर उपवास करते रहना चाहिए
- इस रोग से पीड़ित स्त्रियों को दूध की बजाए दही का इस्तेमाल करना चाहिए।
- स्त्री को गुनगुने पानी में एक चम्मच शहद एवं नींबू का रस मिलाकर पीना चाहिए।
- बांझपन को दूर करने के लिए स्त्रियों को विटामिन `सी´तथा `ई´ की मात्रा वाली चीजें जैसे नींबू, संतरा, आंवला, अंकुरित, गेहूं आदि का भोजन में सेवन अधिक करना चाहिए।
- स्त्रियों को सर्दियों में प्रतिदिन 5-6 कली लहसुन चबाकर दूध पीना चाहिए, इससे स्त्रियों का बांझपन जल्दी ही दूर हो जाता है।
- जामुन के पत्तों का काढ़ा बनाकर फिर इसको शहद में मिलाकर प्रतिदिन पीने से स्त्रियों को बहुत अधिक लाभ मिलता है।
- बड़ (बरगद) के पेड़ की जड़ों को छाया में सुखाकर कूटकर छानकर पाउडर बना लें। फिर इसे स्त्रियों के माहवारी समाप्त होने के बाद तीन दिन लगातार रात को दूध के साथ लें। इस क्रिया को तब तक करते रहना चाहिए जब तक कि स्त्री गर्भवती न हो जाय |
- स्त्री के बांझपन के रोगको ठीक करने के लिए 6 ग्राम सौंफ का चूर्ण घी के साथ तीन महीने तक लेते रहने से स्त्री गर्भधारण करने योग्य हो जाती है।
- स्त्री के बांझपन के रोग को ठीक करने के लिए उसके पेड़ू पर मिट्टी की गीली पट्टी करनी चाहिए तथा इसके बाद उसे कटिस्नान कराना चाहिए और कुछ दिनों तक उसे कटि लपेट देना चहिए। इसके बाद स्त्री को गर्म पानी का एनिमा देना चाहिए।
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