अर्जुन की छाल के फायदे
हृदय की सभी समस्याओ के लिए एक वरदान।हृदय रोगियों के लिए वरदान।
अर्जुन वृक्ष भारत में होने वाला एक औषधीय वृक्ष है। इसे घवल, ककुभ तथा नदीसर्ज (नदी नालों के किनारे होने के कारण) भी कहते हैं। कहुआ तथा(सादड़ी नाम से बोलचाल की
भाषा में प्रख्यात यह वृक्ष एक बड़ा सदाहरित पेड़ है। लगभग 60 से 80 फीट ऊँचा होता है तथा हिमालय की तराई, शुष्क पहाड़ी क्षेत्रों में नालों के किनारे तथा बिहार,मध्य प्रदेश में काफी पाया जाता है। इसकी छाल पेड़ से उतार लेने पर फिर उग आती है। छाल का ही प्रयोग होता हैआयुर्वेद :आयुर्वेद ने तो सदियों
पहले इसे हृदय रोग की महान औषधि घोषित कर दिया था। आयुर्वेद के प्राचीन विद्वानों में वाग्भट, चक्रदत्त और भावमिश्र ने इसे हृदय रोग की महौषधि स्वीकार किया है।
अर्जुन की छाल के गुण
- यह शीतल, हृदय को हितकारी, कसैला और क्षत, क्षय, विष, रुधिर विकार, मेद, प्रमेह, व्रण, कफ तथा पित्त को नष्ट करता है।अभी तक अर्जुन से प्राप्त विभिन्न घटकों के प्रायोगिक जीवों पर जो प्रभाव देखे गए हैं, उससे इसके वर्णित गुणों की पुष्टि ही होती है। विभिन्न प्रयोगों द्वारा पाया गया हे कि अर्जुन से हृदय की पेशियों को बल मिलता है,
- स्पन्दन ठीक व सबल होता है तथा उसकी प्रतिमिनट गति भी कम हो जाती है। स्ट्रोक वाल्यूम तथा कार्डियक आउटपुट बढ़तती है। हृदय सशक्त व उत्तजित होता है। इनमें रक्त स्तंभक व प्रतिरक्त स्तंभक दोनों ही गुण हैं।
- अधिक रक्तस्राव होने की स्थिति से या कोशिकाओं की रुक्षता के कारण टूटने का खतरा होने परयह स्तंभक की भूमिका निभाता है, लेकिन हृदय की रक्तवाही नलिकाओं (कोरोनरी धमनियों) में थक्का नहीं बनने देता तथा बड़ी धमनी से प्रति मिनट भेजे जाने वाले रक्त के आयतन में वृद्धि करता है।
- इस प्रभाव के कारण यह शरीर व्यापी तथा वायु कोषों में जमे पानी को मूत्र मार्ग से बाहर निकाल................... जिस किसी भी ईन्सान की धमनियों में खून के धक्के जमे हुए है..? या इनमे प्लाक जमा हुआ हैं।या किन्ही कारणवश डॉक्टर ने आपको ANGIOPLASTY के लिए कह दिया हैं।
- या कैसी भी गंभीर समस्या हैं।तो एक बार ये ज़रूर आज़माये।अर्जुन के पैड की छाल का काढा ”हृदय रोग का इलाज सिर्फ 10या 15 रुपैये में।
- अर्जुन छाल।हृदय की सभी समस्याओ के लिए एक वरदान।हृदय रोगियों के लिए वरदान।अर्जुन की छाल को 400 ग्राम ले कर 500 मिली पानी में पकाये 200 मिली रहने पर उतार ले और हर रोज़ सुबह शाम 10-10 मिली ले।इस से खून में बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रोल कम हो जायेगा, खून के धक्के साफ़ हो जायेंगे,और ANGIOPLASTY की नौबत नहीं आएगी। अर्जुन के सेवन से अलसर में भी आशातीत लाभ होता हैं। अर्जुन की चाय भी बना कर पी जा सकती हैं।
- साधारण चाय की जगह अर्जुन की कुटी हुई छाल डालिये। और चाय की तरह बना कर पीजिये। अगर आपको अर्जुन के पेड़ न मिले तो अर्जुन छाल आपको रामदेव आयुर्वेद कीदुकानो से मिल जाएगी ये 100 ग्राम 15 रुपैये की आएगी।
- अनेको हृदय रोगियों को इस से राहत मिली हैं। अर्जुन की छाल बाजार मे पंसारी की दुकान पर भी मिलती हैैं। अर्जुनकी छाल की काढा को पक्षा घात ( PARALYSIS ) के मरीजों को भी देते हैं जिस से उनको बहुत लाभ होता हैं। varicose veins में भी ये बहुत उपयोगी हैं, अलसर के रोगियों के लिए भी ये बहुत लाभदायक हैं। अर्जुन की छाल और जंगली प्याज के कंदों का चूर्ण समान मात्रा में तैयार कर प्रतिदिन आधा चम्मच दूध के साथ लेने से हृदय रोगों में लाभ मिलता है।
- यह धारियों युक्त फलों की वजह से आसानी से पहचाना जा सकता है। इसके फल कच्चेपन में हरे और पकने पर भूरे-लाल रंग के होते हैं। हृदय रोगियों के लिए पुनर्नवा का पांचांग (समस्त पौधा) का रस और अर्जुन छाल की समान मात्रा बहुत फायदेमंद होती है। अर्जुन की छाल का चूर्ण 3 से 6 ग्राम गुड़, शहद या दूध के साथ दिन में 2 या 3 बार लेने से दिल के मरीजों को काफी फायदा होता है।
- अर्जुन की छाल के चूर्ण को चाय के साथ उबालकर पीने से हृदय और उच्च रक्तचाप की समस्याओं में तेजी से आराम मिलता है। चाय बनाते समय एक चम्मच इस चूर्ण को डाल दें तो इससे उच्च रक्तचाप सामान्य हो जाता है।
- अर्जुन की चाय हॄदय विकारों से ग्रस्त रोगियों के लिए काफी फायदेमंद होती है। अर्जुन की छाल का चूर्ण (1 ग्राम) एक कप पानी में खौलाकर उसमें दूध व चीनी आवश्यकतानुसार मिलाकर पिएं तो फायदा होताहै। हृदय की सामान्य धड़कन जब 72 से बढ़कर 150 से ऊपर रहने लगे तो एक गिलास टमाटर के रस में एक चम्मच अर्जुन की छाल का चूर्ण मिलाकर नियमित सेवन करने से शीघ्र ही धड़कन सामान्य हो जाती है।
- यदि हृदयघात जैसा महसूस हो तो अर्जुन का चूर्ण जुबान पर रख लेने से तेजी से फ़ायदा होता है। इससे हृदयाघात के बुरे असर को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
- अर्जुन छाल का चूर्ण और देसी जामुन के बीजों के चूर्ण की समान मात्रा लेकर मिला लिया जाए और प्रतिदिन रोज रात सोने से पहले आधा चम्मच चूर्ण गुनगुने पानी में मिलाकर लें। यह नुस्खा डायबिटीज़ के रोगियो के लिए फायदेमंद होता है। अर्जुन के कच्चे ताजे हरे फलों को चबाया जाए तो यह मुख दुर्गन्धनाशक होता है।
- दिन में कम से कम 2 बार किया जाना चाहिए। अर्जुन छाल पीसकर शहद के साथ मिलाकर लगाने से झाइयां दूर होती है | हृदय रोगियों के लिए वरदान है अर्जुन की छाल
- हृदय रोग, रक्त विकार, कास, पयूमेह, प्रदर, जीर्णज्वर, सामान्य दौर्बल्य। मात्रा ५ से १० ग्राम छाल चूर्ण अर्जुन में चूने के अंश होने से रक्त स्तम्भक है। कैल्शियम तथा कषायीन होने से यह रक्त संग्राहक है। आँतों में यह प्रोटीन के साथ मिलकर एक घन आवरण बनाता है व विषों के प्रभाव से रक्षा करता है।
- अर्जुन में हृदय शैथिल्य और उत्तेजक दोनों गुण होने से हृदय रोगों की यह सर्वश्रेष्ठ औषधि है।
- वातज हृदय रोग में बलामूल चूर्ण एवं अर्जुन चूर्ण को पिप्पली एवं हरीति की क्वाथ से या मधु के साथ सेवन करने से लाभ होता है।पित्तज हृदय रोग में अर्जुन चूर्ण ३ ग्राम, शतावरी चूर्ण १ ग्राम, मक्खन मिश्री से सेवन करें।कपफज हृदय रोग में इसका चूर्ण पोहकर मूलचूर्ण के साथ सेवन करने से लाभ होता है।त्रिदोषज
- हृदय रोग में अर्जुन, मुलहठी, पुष्कर मूल, बलामूल चूर्ण को मधु के साथ सेवन करने से लाभ होता है।दूध के साथ इसकी जड का चूर्ण सेवन करने से टूटी हड्डी जल्दी जुडती है व चोट के कारण निशान, नीले पडे हो तो वह भी जल्दी ठीक होते है।इसकी छाल को दूध में पकाकर सेवन करने से हृदय रोग (समस्त) दूर होते हैं व खून की चर्बी कोलेस्ट्रोल का स्तर घटता है।
- इसकी छाल का क्वाथ पीने से मूत्रा को रोकने के कारण हुई उदावर्त्त (गैस का उपर की ओर चढना) मिटती है व मूत्राघात हो तो वह भी दूर होती है।विषैले कीटों के दंश पर इसकी छाल का लेप करने से जलन मिटती है।तिल के तेल में इसका चूर्ण मिलाकर कुल्ले करने से मुखपाक हटता है।इसके पत्तों का रस कान में डालने से कर्णशूल मिटता है।इसका क्वाथ पीने से ज्वर छूटता है।
- इसके चूर्ण को मधु में मिलाकर लेप करने से मुख की झाइयाँ मिटती है।जल से इसका चूर्ण लेने से पित्त विकार मिटते है।दूध से इसका चूर्ण लेने से रक्त पित्त मिटता है व हृदय को मजबूती मिलती है।उच्च रक्त दाब में इसका चूर्ण दूध से सेवन अत्यधिक लाभप्रद है।इसके एवं मुलहठी चूर्ण को दूध, जल के साथ सेवन करने से हृदय रोग मिटते है।
- इसके लिए यह उत्तम रसायन है।गेहूँ एवं अर्जुन चूर्ण को बकरी के दूध एवं गाय के घृत में पकाकर उसमें शहद मिश्री मिलाकर चाटने से अति उग्र हृदय रोग मिटता है।
- इसके एवं गंगेरण जड की छाल के चूर्ण को दूध से सेवन करने से वायु नाश होती है।अर्जुन चूर्ण एवं श्वेत चंदन चूर्ण का क्वाथ लेने से सभी प्रकार की प्रमेह दूर होती है।
- अर्जुन चूर्ण एवं श्वेत चंदन क्वाथ सभी प्रकार के प्रदर श्वेत या रक्त दूर होते है।अर्जुन छाल को दूध में पीसकर मधु मिलाकर सेवन करने से रक्तातिसार मिटता है।
- अर्जुन छाल एवं गंगेरण समभाग लेकर व आधा भाग एरण्ड बीज चूर्ण प्रतिदिन प्रातः सांयकाल बकरी के दूध में डालकर लगभग ५ ग्राम चूर्ण पकायें। ठण्डा होने पर विषम मात्रा १-३ या ३-१ में घृत मधु मिलाकर पिलाने से क्षय रोग मिटता है।त्वक चूर्ण, अर्जुनत्वक चूर्ण एवं चावलों का चूर्ण सेवन करने से कुष्ठ में लाभ होता है व समस्त प्रकार के त्वचागत रोग मिटते है।
- भृंगराज एवं अर्जुनक्षार दही के पानी के साथ सेवन करने से संग्रहणी में लाभ होता है।उडद के आटे में अर्जुन छाल चूर्ण मिलाकर घृत में सेंक कर भैंस के दूध् में पकाकर सेवन करने से भस्मक तीक्ष्णाग्नि मिटती है।
- २ ग्राम अर्जुन त्वक चूर्ण, २ ग्राम कडुवा इन्द्र जौ चूर्ण मिलाकर शीतल जल से सेवन करने से तीव्र अतिसार मिटता है।
- पाण्डु रोग में इसके चूर्ण के साथ स्वर्ण माक्षिक भस्म मिलाकर गोमूत्रा यकपफजन्य मेंद्ध या मिश्रीयुक्त दुग्ध् पित्तजन्य मेंद्ध से किंवा निम्बपत्रा स्वरस आमलकी स्वरस से सेवन अत्यध्कि हितकारी है।
- अर्जुन छाल ३ ग्राम, गुलाब जल १५ मिली, द्राक्षरिष्ट या मृ(कासव १५ मिली की मात्रा से प्रतिदिन भोजन के पश्चात यदि गर्भवती स्त्री सेवन करें तो उसे बहुत सुंदर सन्तान की प्राप्ति होती है ।धडकन बढने में
- अर्जुनत्वक, सफेद खैरेटी बला मूल, गोखरू, जटामासी एवं अश्वगन्ध समान मात्रा में मिलाकर सुबह-शाम २ बार २-२ ग्राम, दूध से सेवन करने पर उत्तम लाभ होता है।टमाटर का रस २५० ग्राम लेकर ३ ग्राम अर्जुन चूर्ण मिलाकर सेवन करने से हृदय की धडकन ठीक स्थिति में आ जाती है।
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