Sunday, January 17, 2016

गर्भावस्था की पहचान-Pregnancy Identify in Hindi

 

गर्भावस्था की पहचान-Pregnancy Identify in Hindi

गर्भावस्था की पहचान-Pregnancy Identify in Hindi

गर्भधारण हो जाने के बाद औरतों में कुछ खास लक्षण प्रकट होते हैं जिसके आधार पर आसानी से गर्भावस्था की पहचान हो जाती है।

गर्भावस्था के लक्षण

  • सर्वप्रथम यह लक्षण है कि नियमित रूप से आने वाला ऋतुस्राव बंद हो जाता है। यद्यपि यह पूर्ण भरोसे का लक्षण नहीं है क्योंकि गर्भाशय और डिम्बकोष सम्बन्धी अन्य दोषों के कारण भी कभी-कभी मासिक-धर्म का आना बंद हो जाता है।
  • मिचली (जी का मिचलाना) और वमन (उल्टी) के लक्षण प्रकट हो, साथ ही ऋतुस्राव भी बंद हो तो यह लक्षण गर्भ के स्थापित होने का लक्षण माना जा सकता है क्योंकि प्रथम, दूसरे और तीसरे महीने में मिचली आना एक प्रमुख लक्षण माना जाता है।
  • गर्भस्थापित होने पर मानसिक रूप से कुछ परिवर्तन प्रकट होते हैं। उत्तेजित स्वभाव की महिला थोड़ा मृदु (कोमल) स्वभाव की हो जाती है और मृदु (कोमल) स्वभाव की महिला थोड़ा उत्तेजित स्वभाव की हो जाती है चेहरे पर दिव्यपन और स्तन की घुण्डी तथा उसके चारों ओर त्वचा का रंग अपेक्षाकृत काला होने लगता है।गर्भ के स्थापित होने पर योनि और भगोष्ठ के रंग में अपेक्षाकृत गाढ़ापन प्रतीत होने लगता है। 
  • गर्भ के स्थापित होने पर पेट धीरे-धीरे बढ़ने लगता है जोकि चौथे महीने से स्पष्ट प्रतीत होने लगता है। गर्भ के स्थापित होने पर स्तनों के आकार में वृद्धि होने लगती है।
  • गर्भावस्था के पांचवे महीने से गर्भाशय में भू्रण का हिलना डुलना जच्चा को महसूस होने लगता है। इस महीने या इसके बाद से स्टेथोस्कोप के सहारे भू्रण के दृष्टिपिण्ड की गति की धड़कन महसूस की जा सकती है जोकि प्राय: 130 से 150 प्रति मिनट तक हो जाती है।

गर्भावस्था में भोजन और देखा भाल,pregnancy care

  • नारंगी: गर्भवती स्त्री को प्रतिदिन दो नारंगी दोपहर में पूरे गर्भकाल में खिलाते रहने से होने वाला शिशु बहुत सुन्दर होता है।
  • मौसमी: मौसमी के फल में कैल्शियम अधिक मात्रा में मिलता है। गर्भवती स्त्रियों और गर्भाशय के बच्चे को शक्ति प्रदान करने के लिए इसका रस पौष्टिक होता है।
  • नारियल: नारियल और मिश्री खाने से प्रसव में दर्द नहीं होता है तथा उत्पन्न संतान स्वस्थ होती है।
  • शहद: गर्भावस्था में महिलाओं के शरीर में रक्त की कमी आ जाती है। गर्भावस्था के समय रक्त बढ़ाने वाली चीजों का अधिक सेवन करना चाहिए। महिलाओं को दो चम्मच शहद प्रतिदिन सेवन करने से रक्त की कमी नहीं होती है। इससे शारीरिक शक्ति बढ़ती है और बच्चा मोटा और ताजा होता है। गर्भवती महिला को गर्भधारण के शुरू से ही या अन्तिम तीन महीनों में दूध और शहद पिलाने से बच्चा स्वस्थ और मोटा ताजा होता है।
  • गाजर: आधा गिलास गाजर का रस, आधा गिलास दूध व स्वादानुसार शहद मिलाकर प्रतिदिन पीने से गर्भावस्था की कमजोरी दूर होती है

प्रसव के लक्षण,pregnancy symptoms,

  • प्रसव से कुछ समय पहले ही स्तनों में दूध आना भी एक स्पष्ट लक्षण होता है।
  • गर्भावस्था में पेशाब की मात्रा भी अपेक्षाकृत बढ़ जाती है। आपेक्षिक गुरुत्व भी बढ़ जाता है।
  • गर्भधारण होने पर खून की मात्रा और रक्त के सफेद कणों की मात्रा बढ़ जाती है।
  • गर्भधारण होने पर स्तनों की घुण्डी अपेक्षाकृत काली हो जाती है, चेहरे में कुछ रौनक सी प्रतीत होने लगती है। 
  • स्तन और तालपेट की त्वचा कुछ फटी-फटी सी लगने लगती है जिसका कारण गर्भ के चलते गर्भ का प्रसारण होता है। भगोष्ठ काले हो जाते हैं तथा नाभि भी ऊपर की ओर चढ़ी होती है।
  • गर्भावस्था में जरायु (गर्भाशय) के आकार में वृद्धि होने से पेट भी बढ़ने लगता है। परन्तु यदि गर्भ के अन्य लक्षण प्रतीत न हो रहे हो तो मिथ्या गर्भ, फुंसी आदि के प्रति सावधान रहना चाहिए।
  • स्तनों का आकार बढ़ जाता है, शिराएं प्रतीत सी होने लगती हैं, स्तन के घुण्डी के चारों ओर काले रंग के दाग सा होना, दबाने से दूध जैसा पदार्थ निकल आना गर्भ के पूरक होने के लक्षण होते है

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