Sunday, January 22, 2023

बबूल के औषधीय गुण,Health Benefits Acacia Tree in Hindi,Arabic Gum,

 

इसका पेड़ बहुत ही पुराना है। इसकी छाल एवं गोंद प्रसिद्ध व्यवसायिक द्रव्य होता है। वास्तव में यह एक बबूल रेगिस्तानी प्रदेश का पेड़ है। इसकी पत्तियां बहुत छोटी होती है। इसका पेड़ कांटेदार होता है। यह पूरे भारतवर्ष में लगाए हुए तथा जंगली पाए जाते हैं। ग्रीष्म के मौसम में इस पर पीले रंग के फूल गोलाकार गुच्छों में आते हैं। सर्दियों के सीजन में फलियां लगती हैं। इसके बड़े आकार के घने होते हैं। इसकी लकड़ी बहुत मजबूत होती है। इसके पेड़ पानी के निकट तथा काली मिट्टी में ज्यादा पाये जाते हैं। इनमें सफेद कांटे पाए जाते हैं। कांटों की लम्बाई 2 सेमी से 4 सेमी तक होती है। इसके कांटे जोड़े के रूप में होते हैं।

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  • कचनार की छाल, बबूल की छाल, मौलश्री छाल, पियाबांसा की जड़ तथा झरबेरी के पंचांग का काढ़ा बनाकर इसके हल्के गर्म पानी से कुल्ला करने से लाभ मिलता है। इससे गले में छाले, मुंह का सूखापन, दांतों का हिलना, जीभ का फटना और तालु के विकार नष्ट हो जाते हैं। 
  • जामुन, बबूल और फूली हुई फिटकरी का काढ़ा बना लें। इस काढ़े से कुल्ला करने पर मुंह के सभी रोग नष्ट हो जाते हैं। बबूल की छाल लें, उसको बारीक पीस लें, इसे पानी में उबालकर कुल्ला करें। इससे मुंह के छाले खतम हो जाते हैं। बबूल की छाल के काढ़े से 2-3 बार कुल्ला करें। इससे लाभ मिलता है। 
  • बादाम के छिलके और बबूल की फली के छिलके की राख में नमक मिलाकर मंजन करें। इससे दांतों का दर्द दूर हो जाता है। इसकी कोमल टहनियों की दातून करें। इससे भी दांतों के कई रोग दूर होते हैं और दांत स्वस्थ और मजबूत हो जाते हैं। 
  • वीर्य की कमी -बबूल के पत्तों को चबाकर उसके ऊपर से गाय का दूध पीने से कुछ ही दिनों में वीर्य की कमी दूर होती है 
  • बबूल की छाल, मौलश्री छाल, कचनार की छाल, पियाबांसा की जड़ तथा झरबेरी के पंचांग का काढ़ा बनाकर इसके हल्के गर्म पानी से कुल्ला करें। इससे दांत का हिलना, जीभ का फटना, गले में छाले, मुंह का सूखापन और तालु के रोग दूर हो जाते हैं। 
  • बबूल, जामुन और फूली हुई फिटकरी का काढ़ा बनाकर उस काढ़े से कुल्ला करने पर मुंह के सभी रोग दूर हो जाते हैं। 
  • बबूल की छाल को बारीक पीसकर पानी में उबालकर कुल्ला करने से मुंह के छाले दूर हो जाते हैं। 
  • बबूल की छाल के काढ़े से 2-3 बार गरारे करने से लाभ मिलता है। गोंद के टुकड़े चूसते रहने से भी मुंह के छाले दूर हो जाते हैं। 
  • बबूल की छाल को सुखाकर और पीसकर चूर्ण बना लें। मुंह के छाले पर इस चूर्ण को लगाने से कुछ दिनों में ही छाले ठीक हो जाते हैं। 
  • बबूल की छाल का काढ़ा बनाकर दिन में 2 से 3 बार गरारे करें। इससे मुंह के छाले ठीक होते हैं। 
  • दांत का दर्द-बबूल की फली के छिलके और बादाम के छिलके की राख में नमक मिलाकर मंजन करने से दांत का दर्द दूर हो जाता है। 
  • बबूल की कोमल टहनियों की दातून करने से भी दांतों के रोग दूर होते हैं और दांत मजबूत हो जाते हैं। 
  • बबूल की छाल, पत्ते, फूल और फलियों को बराबर मात्रा में मिलाकर बनाये गये चूर्ण से मंजन करने से दांतों के रोग दूर हो जाते हैं। 
  • बबूल की छाल के काढ़े से कुल्ला करने से दांतों का सड़ना मिट जाता है। 
  • रोजाना सुबह नीम या बबूल की दातुन से मंजन करने से दांत साफ, मजबूत और मसूढे़ मजबूत हो जाते हैं। 
  • मसूढ़ों से खून आने व दांतों में कीड़े लग जाने पर बबूल की छाल का काढ़ा बनाकर रोजाना 2 से 3 बार कुल्ला करें। इससे कीड़े मर जाते हैं तथा मसूढ़ों से खून का आना बंद हो जाता है। 
  • वीर्य के रोग-बबूल की कच्ची फली सुखा लें और मिश्री मिलाकर खायें इससे वीर्य रोग में लाभ होता है। 10 ग्राम बबूल की मुलायम पत्तियों को 10 ग्राम मिश्री के साथ पीसकर पानी के साथ लेने से वीर्य-रोगों में लाभ होता है। अगर बबूल की हरी पत्तियां न हो तो 30 ग्राम सूखी पत्ती भी ले सकते हैं।कीकर (बबूल) की 100 ग्राम गोंद भून लें इसे पीसकर इसमें 50 ग्राम पिसी हुई असगंध मिला दें। इसे 5-5 ग्राम सुबह-शाम हल्के गर्म दूध से लेने से वीर्य के रोग में लाभ होता है। 
  • ग्राम कीकर के पत्तों को छाया में सुखाकर और पीसकर तथा छानकर इसमें 100 ग्राम चीनी मिलाकर 10-10 ग्राम सुबह-शाम दूध के साथ लेने से वीर्य के रोग में लाभ मिलता है। 
  • बबूल की फलियों को छाया में सुखा लें और इसमें बराबर की मात्रा मे मिश्री मिलाकर पीस लेते हैं। इसे एक चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम नियमित रूप से पानी के साथ सेवन से करने से वीर्य गाढ़ा होता है और सभी वीर्य के रोग दूर हो जाते हैं। 
  • बबूल के गोंद को घी में तलकर उसका पाक बनाकर खाने से पुरुषों का वीर्य बढ़ता है और प्रसूत काल स्त्रियों को खिलाने से उनकी शक्ति भी बढ़ती है। 
  • बबूल का पंचांग लेकर पीस लें और आधी मात्रा में मिश्री मिलाकर एक चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम नियमित सेवन करने से कुछ ही समय में वीर्य रोग में लाभ मिलता है। 
  • बलवीर्य की वृद्धि-बबूल के गोंद को घी में भूनकर उसका पकवान बनाकर सेवन करने से मनुष्य के सेक्स करने की ताकत बढ़ जाती है। 
  • बबूल की कच्ची फलियों का रस दूध और मिश्री में मिलाकर खाने से वीर्य की कमी दूर होती है। 
  • धातु पुष्टि के लिए-बबूल की कच्ची फलियों के रस में एक मीटर लंबे और एक मीटर चौडे़ कपड़े को भिगोकर सुखा लेते हैं। एक बार सूख जाने पर उसे दुबारा भिगोकर सुखा लेते है। इसी प्रकार इस प्रक्रिया को 14 बार करते हैं। इसके बाद उस कपड़े को 14 भागों में बांट लेते हैं, और रोजाना एक टुकड़े को 250 ग्राम दूध में उबालकर पीने से धातु की पुष्टि होती है। 
  • स्तन -बबूल की फलियों के चेंप (दूध) से किसी कपड़े को भिगोकर सुखा लें। इस कपड़े को स्तनों पर बांधने से ढीले स्तन कठोर हो जाते हैं। 
  • मासिक-धर्म संबन्धी विकार -4.5 ग्राम बबूल का भूना हुआ गोंद और 4.5 ग्राम गेरू को एकसाथ पीसकर रोजाना सुबह फंकी लेने से मासिक-धर्म में अधिक खून का आना बंद हो जाता है। 
  • 20 ग्राम बबूल की छाल को 400 मिलीलीटर पानी में उबालकर बचे हुए 100 मिलीलीटर काढ़े को दिन में तीन बार पिलाने से भी मासिक-धर्म में अधिक खून का आना बंद हो जाता है।लगभग 250 ग्राम बबूल की छाल को पीसकर 8 गुने पानी में पकाकर काढ़ा बना लेते हैं। जब यह काढ़ा आधा किलो की मात्रा में रह जाए तो इस काढ़े की योनि में पिचकारी देने से मासिक-धर्म जारी हो जाता है और उसका दर्द भी शान्त हो जाता है। 
  • 100 ग्राम बबूल का गोंद कड़ाही में भूनकर चूर्ण बनाकर रख लेते हैं। इसमें से 10 ग्राम की मात्रा में गोंद, मिश्री के साथ मिलाकर सेवन करने से मासिक धर्म की पीड़ा (दर्द) दूर हो जाती है और मासिक धर्म नियमित रूप से समय से आने लगता है। 
  • बांझपन दूर करना -कीकर (बबूल) के पेड़ के तने में एक फोड़ा सा निकलता है। जिसे कीकर का बांदा कहा जाता है। इसे लेकर पीसकर छाया में सुखाकर चूर्ण बना लेते हैं। इस चूर्ण को तीन ग्राम की मात्रा में माहवारी के खत्म होने के अगले दिन से तीन दिनों तक सेवन करें। फिर पति के साथ संभोग करे इससे गर्भ अवश्य ही धारण होगा।

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