Saturday, May 21, 2016

गेहूँ के ज्वारे का रस,Benefits of Wheatgrass Juice,Wheat Grass Juice

 

गेहूं के जवारों में रोग निरोधक व रोग निवारक शक्ति पाई जाती है। कई आहार शास्त्री इसे रक्त बनाने वाला प्राकृतिक परमाणु कहते हैं। गेहूं के जवारों की प्रकृति क्षारीय होती है, इसीलिए ये पाचन संस्थान व रक्त द्वारा आसानी से अधिशोषित हो जाते हैं। यदि कोई रोगी व्यक्ति वर्तमान में चल रही चिकित्सा के साथ-साथ गेहूं के जवारों का प्रयोग करता है तो उसे रोग से मुक्ति में मदद मिलती है और वह बरसों पुराने रोग से मुक्ति पा जाता है।  यदि किसी असाध्य रोग से पीड़ित व्यक्ति को गेहूं के जवारों का प्रयोग कराना है तो उसकी वर्तमान में चल रही चिकित्सा को बिना बंद किए भी गेहूं के जवारों का सेवन कराया जा सकता है। इस प्रकार हम देखते हैं कि कोई चिकित्सा पद्धति गेहूं के जवारों के प्रयोग में आड़े नहीं आती है, क्योंकि गेहूं के जवारे औषधि ही नहीं वरन श्रेष्ठ आहार भी है।
  • गेहूँ के जवारों में अनेक अनमोल पोषक तत्व व रोग निवारक गुण पाए जाते हैं. यही कारण है कि इसे अमृततुल्य आहार का दर्जा दिया गया है.
  • गेहूँ के जवारों में सबसे प्रमुख तत्व क्लोरोफिल पाया जाता है, जिसकी संरचना, हूबहू, मानव रक्तकण में पाए जाने वाले हीमोग्लोबिन के सदृश्य होती है.
  • गेहूँ के जवारे रक्त व रक्त-संचार संबंधी रोगों, रक्त की कमी, उच्च-रक्तचाप, सर्दी, अस्थमा, ब्रोंकाईटिस, स्थायी सर्दी, साईनस, पाचन संबंधी रोग, पेट में छाले, कैंसर, आँतों की सूजन, दांत संबंधी समस्यायें जैसे दांतों का हिलना, मसूड़ों से खून आना, एक्जिमा आदि चर्मरोग, किडनी संबंधी रोग, यौन-संबंधी रोग, कान के रोग, थायराइड ग्रंथि के रोग व अनेक ऐसे रोग जिनसे रोगी निराश हो गया हो, उनके लिए गेहूँ के जवारे अनमोल औषधि सिद्ध होते हैं. 
  • इसलिए कोई भी रोग हो तथा उस रोग का किसी भी चिकित्सा पद्धति से ही उपचार क्यों न चल रहा हो साथ ही साथ गेहूँ के जवारे के रस का सेवन करके तीव्रगति से लाभ प्राप्त किया जा सकता है.
  • हीमोग्लोबिन रक्त में पाया जाने वाला एक प्रमुख घटक है. हीमोग्लोबिन में हेमिन नामक तत्व पाया जाता है. रासायनिक रूप से गेहूँ के जवारे के क्लोरोफिल व हीमोग्लोबिन के हेमिन में काफी समानता होती है. क्लोरोफिल व हेमिन दोनों में ही कार्बन, ऑक्सीजन, हाइड्रोजन व नाइट्रोजन के अणुओं की संख्या व संरचना करीब-करीब एक जैसी होती है. 
  • क्लोरोफिल एवं हेमिन की संरचना में केवल एक ही अंतर होता है वो यह कि क्लोरोफिल के परमाणु केंद्र में मैग्नेशियम होता है जबकि हेमिन के परमाणु केंद्र में लोहतत्व स्थित होता है. 
  • इस प्रकार हम देखते हैं कि हिमोग्लोबिन व क्लोरोफिल में काफी समानता होती है और इसीलिए गेहूँ के जवारों को हरा रक्त कहना कहा जाता है.
  • यह वजन नियन्त्रण करता है व पसीने की दुर्गन्ध समाप्त करता है।
  • यह मधुमेह में बहुत उपयोगी है।
  • यह ब्लड में शुगर को नियंत्रित करता है।
  • गेहूँ के ज्वारे का रस शरीर को ऑकसीज़न उपलब्ध कराता है।
  • यह कैंसर कोशिकाओं का नाश करता है।
  • यह स्वस्थ कोशिकाओं की श्वसन क्रिया को बढ़ाता है।
  • कृषि अनुसंधानकर्ता फ़ाईफ़र के अनुसार सुखा कर रखे गये, गेहूँ के पौधें मे प्रोटीन की मात्रा 47.4% होती है।
  • गेहूँ के पौधें मे गोमांस से तीन गुना अधिक प्रोटीन होता है।
  • गेहूँ के ज्वारे का रस डायबिटीज़ के लिये और बुढ़ापे के लिये बहुत अच्छा है।
  • इसका लगातार सेवन करने से बिमारियाँ दूर भाग जाती है।
  • गेहूँ के ज्वारे का रस सेक्स हार्मोन्स पर महत्वपूर्ण असर करता है।
  • दाँत मे दर्द या गले मे खराश हो तो गेहूँ के ज्वारे के रस के गरारें करे
  • गेहूँ के जवारों में रोग निरोधक व रोग निवारक शक्ति पाई जाती है. गेहूं के जवारों की प्रकृति क्षारीय होती है, इसीलिए ये पाचन-संस्थान व रक्त द्वारा आसानी से अधिशोषित हो जाते हैं.
  • रोगग्रस्त लोग अगर गेहूँ के जवारे के रस का सेवन करते हैं तो वे शरीर के किसी एक रोग से ही मुक्ति नहीं पाते हैं वरन शरीर के अंदर मौजूद अन्य सभी रोगों से भी मुक्ति पाते हैं. साथ ही यदि कोई स्वस्थ व्यक्ति इसका सेवन करता है तो उसकी जीवनीशक्ति में भी अपार वृद्धि होने लग जाती है.
  • गेहूँ के जवारे से रोगी तो स्वस्थ होता ही है किंतु सामान्य स्वास्थ्य वाला व्यक्ति भी अपार-शक्ति को प्राप्त करता है. इसका नियमित सेवन करने वाले व्यक्ति को शरीर में थकान तो कभी आती ही नहीं है.
  • इस प्रकार हम देखते हैं कि कोई भी चिकित्सा पद्धति गेहूँ के जवारों के प्रयोग में आड़े नहीं आती है, क्योंकि 'गेहूँ के जवारे' औषधि ही नहीं वरन श्रेष्ठ आहार भी हैं
  • गेहूँ के ज्वारे का रस सेक्स हार्मोन्स पर महत्वपूर्ण असर करता है।
  • दाँत मे दर्द या गले मे खराश हो तो गेहूँ के ज्वारे के रस के गरारें करे।
  • गेहूँ के ज्वारे का रस उच्च रक्तचाप को कम करता है। गेहूँ के ज्वारे के रस से शरीर के विष घटते है। गेहूँ के ज्वारे के रस से रक्त मे लोहा तत्व प्राप्त होकर रक्त संचालन बढ़ता है। चर्म रोग, स्किन सम्स्या व किसी भी प्रकार की एलर्जी में, इसके उपयोग से अच्छा लाभ मिलता है। गेहूँ के ज्वारे का रस बिमारी से लड्ने वाले कीटाणुओं की संख्या को बढ़ाता है। शरीर में विषाक्त धातुओं, जैसे- सीसा, कैडमियम, पारा, एल्यूमीनियम और अत्याधिक ताँबा (कॉपर) की मात्रा को थोड़ा सा गेहूँ के ज्वारे का रस लेकर सफ़लता पूर्वक कम किया जा सकता है। रस की मात्रा में धीरे-धीरे वृद्धि की जानी चाहिए।
  • गेहूँ के ज्वारे लेइट्राइल का उम्दा स्त्रोत है जो कि कैंसर कोशिकाओं को छांटकर नष्ट करता है व सामान्य कोशिकाओं पर उसका असर नगण्य होता है। यह कैंसर की रोकथाम भी करता है। गेहूँ के ज्वारे का रस बालों को सफ़ेद होने से रोकता है।

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