Saturday, November 19, 2016

कैंसर क्या है ?, कैंसर के प्रकार -Types of cancer in Hindi,कैंसर कितने प्रकार का होता है,

 

कैंसर क्या है ?

कैंसर मानवीय सेलों की असामान्य बढ़त का परिणाम है। कैंसर के सेल सतत प्रक्रिया के अनुसार बढ़त करते रहते है। इन सेलों का आकार सामान्य सेलों से भिन्न होता है। ये ठीक से कार्य भी नहीं करते है। ये शरीर के विभिन्न अंगों में फैलने की प्रवृत रखते है।

जब कैंसर फैलता है तो उसे शरीर के उस भाग का नाम दिया जाता है जहां से वह प्रारंभ होता है उदाहरणार्थ यदि किडनी का कैंसर लंग्ज से फैलता है तो उसे किडनी कैंसर ही कहा जावेगा लंग्स कैंसर नहीं। सभी प्रकार के कैंसर शरीर में सेलों के द्वारा ही फैलाये जाते है। हर कैंसर में कैंसर सेलों की बढ़त की गति अनियंत्रित व तेज रफ्तार वाली होती है।

कैंसर एक ऐसा रोग है जो जवान बूढ़े व बच्चे सभी को अपनी गिरफ्त में ले लेता है। वह ना तो अमीरी देखता है न गरीबी, न आदमी देखता है न औरत। यह रोग मरीज पर और उसके परिवार पर मौत का साया लेकर आता है।

तम्बाकू का उपयोग विश्व स्तर पर कैंसर का एक बहुत बड़ा कारक है जिसके कारण विश्वभर में होने वाली मौतों में से 22% मौतें कैंसर से होती है

कैंसर के कारण:-

वैज्ञानिकों का मानना है कि कैंसर के लिये मात्र कोई एक कारण जिम्मेदार नहीं होता है। यह कई तत्वों के मिश्रण का परिणाम है जो कैंसर के रूप में उभरकर सामने आता है। इसके लिये जेनेटिक तत्व, वातावरणीय तत्व या संविधानात्मक विशेषताएँ या व्यक्तिगत कारण भी जिम्मेदार हो सकते है। यह रोग कई बीमारियों के समूह के रूप में होता है जिसके कई संभावित कारण हो सकते है जैसे लाईफ स्टाईल फेक्टर जैसे तम्बाकू का उपयोग, डाईट एवं फिजीकल क्रियाएँ कुछ प्रकार के इन्फेक्शन, विभिन्न प्रकार के रसायन और रेडिएशन भी इस रोग के महत्वपूर्ण कारणों में हो सकते है।
    • जेनेटिक्स एवं कैंसर:-कुछ प्रकार के कैंसर कुछ विशेष परिवारों में ही होते है किंतु कई कैंसर विरासत में माता-पिता या परिवार से नहीं मिलते है। 
    • तम्बाकू और कैंसर:-सिगरेट, सिगार या धुंआ रहित तम्बाकू का उपयोग जो विभिन्न समूहों के लोगों को प्रभावित करता है। 
    • डाईट एवं शारीरिक क्रियाएँ:-ये भी आपके शरीर में कैंसर को प्रश्रय प्रदान करती है। सूर्य की रोशनी:-अति सूर्य धूप का व उसकी किरणों का प्रभाव भी कैंसर का कारक हो सकता है। 
    • रेडिएशन के कारण कैंसर:-विभिन्न प्रकार के रेडिएशनों के कारण भी कैंसर का प्रार्दुभाव हमारे शरीर में हो सकता है जैसे बार-बार एक्सरे करवाना। 
    • पर्यावरणीय कारण:-जैसे प्रदूषण, मेडिकल टेस्ट व उपचार कई प्रकार के इन्फेक्शन व दुर्घटनाएँ भी कैंसर का कारण हो सकती है। 
    • भोजनगत कारण:-कैंसर के कारणों में हाॅट डाॅग्स, प्रोसेस्ड मीट, डाग हन्ट, फ्रेंच फ्राईज, चिप्स क्रेकर व कुकीज का अति सेवन भी कैंसर का कारण हो सकता है।
    विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि 70% कैंसर से बचाव का तरीका है अपने खानपान में परिवर्तन और जीवन शैली में परिवर्तन। रसायन, कास्मेटिक, दवाईयाँ आदि:-समय तो अच्छे लगते है किंतु दीर्घावधि तक उपयोग किये जाने के पश्चात ये कैंसर के रूप में अपना प्रभाव हम पर छोड़ जाते है। ये भी कैंसर के कारण हो सकते है।

    कैंसर के लक्षण 

    आवश्यक है कि हम अपने आप में आने वाले अवांछित बदलावों के प्रति जागरूक रहे। जैसे शरीर पर एकाएक किसी गठान का या फोड़े का होना, आपकी पेशाब में रक्त आना या आपकी आंतों की आदतों में परिवर्तन आदि। ये लक्षण बगैर कैंसर वाली बीमारियों के भी हो सकते है किंतु आवश्यक है कि आप अपने पारिवारिक डाॅक्टर को इन परिवर्तनों के बारे में बतलाएँ वे आपको सही जाँच के पश्चात सही राय व अपने विचार प्रदान कर सकेंगे।
    • आपकी छाती या स्तन भाग में आकृतिहीन पिण्ड का होना:-यदि आपने अपने वक्षस्थल पर ऐसी कोई आकृति देखी है या महसूस की है तो त्वरित रूप से बगैर शर्माये अपने पारिवारिक डाॅक्टर को दिखाएँ या आप अपने शरीर के किसी भाग में इस प्रकार की आकृति को शीघ्रता के साथ बढ़ते हुए महसूस कर रहे है तो अपने पारिवारिक डाॅक्टर को दिखाकर आवश्यक जाँचें करायें। यदि आवश्यक होगा या वे आप में कैंसर की संभावनाएँ देखते है तो विशेषज्ञों को दिखाने की राय देंगे।
    • कफ होना, सीने में दर्द होना और सांस लेने में कठिनाई होना:-यदि आप कफ जैसा लगभग तीन सप्ताह से महसूस कर रहे है या आपको ऐसे लक्षण प्रतीत हो रहे है जिससे आपको सांस लेने में कमी आ रही है या कठिनाई हो रही है या आपको सीने (छाती) में दर्द हो रहा है तो ये आपके लिये गंभीर स्थितियाँ पैदा कर सकती है। ऐसा होने पर सीधे अपने पारिवारिक डाॅक्टर के पास जाएँ, देर न कर
    • यदि कुछ दिनों या सप्ताह से आपकी आंतों की आदतों में परिवर्तन नजर आ रहा है 
    • जैसे:- आपके शौच के साथ रक्त का आना। 
    • डायरिया या कब्जियत जैसा अनुभव होना जो कि बिना किसी कारण के। 
    • या टायलेट जाने के बाद भी ऐसा महसूस होना कि आपको दस्त साफ नहीं हुआ है 
    • या पेट भरा-भरा सा है। आपके पेट में दर्द होना। गुदा में दर्द होना।
    तो आप तत्काल अपने पारिवारिक डाॅक्टर से संपर्क करें जो जाँच के पश्चात कैंसर होने की संभावना नजर आने पर विशेषज्ञों से जाँच की सलाह दे सकते है।

    रक्त का स्त्रावित होना:-

    यदि आपके शरीर से अचानक रक्त प्रवाह होना प्रारंभ हो जाए जैसे:-
    • आपकी पेशाब में रक्त आने लगे।
    • मासिक धर्म के दो पीरियड्स के मध्य में रक्त स्त्राव होेने लगे।
    • आपके पिछले गुदा द्वार से रक्त स्त्रावित होने लगे।
    • जब आप खांसते है तो कफ के साथ रक्त का आना।
    यदि आपको उल्टियाँ हो रही है व उसME  रक्त का आना आदि पर अपने निजी चिकित्सक को दिखाएँ व सलाह लें कि कहीं कैंसर तो नहीं यदि संभावना नजर आए तो विशेषज्ञ से जाँच कराएँ व उपचार लें।

    मस्से (Moles) यदि आपके शरीर पर अनियमित रूप से मस्से हो रहे है।

    • एक ही रंग के मस्सों का होना जैसे भूरे, काले, लाल, गुलाबी या सफेद हो सकते है। जो 7 mmसे बड़े हो (परिधि में)। उनमें खुजली चल रही हो या उनसे रक्त स्त्रावित हो रहा हो।
    • इनमें से यदि आप कोई भी परिवर्तन महसूस करते है तो निश्चय समझिये कि आपको मेलिगनेंट मेलानोमा या त्वचा कैंसर होने के आसार नजर आ रहे है। 
    • ऐसी दशा में तुरंत त्वचा संबंधी चिकित्सक से संपर्क कर मशविरा व उपचार लें।

    असंभावित रूप से वजन घटना:-

    यदि आप सप्ताह भर में अपना वजन कम होना महसूस करे या आपको कमजोरी जैसा अनुभव हो। यह वजन आपकी डाईट से कमी या तनाव के कारण कम नहीं होना चाहिये। ऐसी दशा में अपने चिकित्सक से तत्काल सलाह व उपचार लें। यह भी कैंसर का संकेत हो सकता है।

    कैंसर के प्रकार -Types of cancer in Hindi

    • ब्लड़ कैंसर –पेशाब में खून आना, पेशाब के बाद दर्द या जलन होना, बार-बार पेशाब आना या क्लाउज यूरिन होना आदि लक्षण यदि आप में है तो समझिये आपको ब्लड़र कैंसर की संभावना हो सकती है। विशेषज्ञ कुछ विशेष जाँचों के बाद आपको बता सकता है कि आपको उक्त कैंसर है या नहीं।
    • बोन कैंसर:-हड्डी में दर्द होना या प्रभावित साईड के आसपास सूजन होना, हड्डी में फ्रेक्चर या टूट-फूट, कमजोरी महसूस होना, मोटापा होना, वजन कम होना, बार-बार संक्रमणों का होना, कमजोरी उल्टी, कब्जियत, पेशाब की समस्या होना, कमजोरी या पैरों में दर्द या ऐंठन आदि लक्षण महसूस होने पर व्यक्ति को हड्डियों का (बोन कैंसर) होने की संभावना होती है।
    • ब्रेन कैंसर:-सुस्ती, आलस्य, असामान्य आँखों की गतिविधियाँ, दिखने में अंतर, कमजोरी महसूस होना, पैरों व हाथों के संचालन में कठिनाई, फिट्स आना, व्यक्तित्व में परिवर्तन, याददाश्त में परिवर्तन, सिरदर्द, नोसिया व उल्टी जैसा महसूस होना आदि लक्षण यदि मरीज महसूस करता है तो ये ब्रेन कैंसर के लक्षण हो सकते है।
    • ब्रेस्ट कैंसर:-छाती पर एक आकारहीन उभार, निप्पल के आकार में परिवर्तन, निप्पल से द्रव का रिसना, बे्रस्ट या स्तन की त्वचा में परिवर्तन गर्मी महसूस होना, बड़े हुए लिम्पथ नोड, भुजा के नीचे होना आदि लक्षणों के आधार पर कहा जा सकता है कि मरीज को ब्रेस्ट कैंसर की संभावना है।
    • कोलेरेक्टल कैंसर:-रेक्टल ब्लीडिंग दस्त में लाल खून आना या काले रंग के दस्त होना, पेट में दर्द होना, कब्जियत, अपच, डायरिया की दशाएँ बनना, वजन कम होना, भूख में कमी होना, काम्प्लेक्शन का होना आदि लक्षण आंत के कैंसर के हो सकते है जो विशेषज्ञों की जाँच के बाद स्पष्ट कर देगा कि कैंसर है अथवा नहीं।
    • किडनी कैंसर:-पेशाब में रक्त आना, साईड या पीछे की ओर दर्द या किडनी के क्षेत्र में गठान या फोड़ा या आकारहीन आकृतिहीन आकृति का बढ़ना, कभी-कभी उच्च रक्तचाप का होना या रेड ब्लड़ कार्पोसिल में असामान्यता आना है। इन लक्षणों के आधार पर जाँच के बाद कहा जा सकता है कि मरीज को किडनी कैंसर की संभावना हो सकती है।
    • ल्यूकेमिया:-कमजोरी, पीलापन, बुखार व फ्लू के समान लक्षण, रक्तस्त्राव, बड़े हुए लेम्प्थ नोड्स, लीवर व हड्डियों में दर्द, जोड़ों में दर्द, बार-बार संक्रमण का होना वेटलाॅस नाईट स्वेट्स आदि लक्षणों के आधार पर चिकित्सक ल्यूकेमिया होने की संभावना से इंकार नहीं कर सकता है।
    • लंग कैंसर:-महीनों से कफ रोग से पीडि़त होना, रक्त के रेशे वाला कफ निकलना, छाती या सीने में दर्द, लंग्स में काग्नेशन होना। गले में लिम्प्थ नोड्स का इलाज होना आदि लक्षण लंग कैंसर की संभावनाओं को दर्शाते है।
    • ओरल कैंसर:-मुँह में आकारहीन मांसल आकृति का उभरना, होंठ, जीभ या मुँह के अंदर के भाग में घाव का होना जो कई दिनों तक भरता नहीं, मुँह में दर्द, रक्तस्त्राव, सांस का गतिरोध, दाँतों का ढ़ीला होना या गिरना और बोलने में अंतर आना आदि लक्षण मुँह के या ओरल कैंसर के है। इनके होने पर ओरल कैंसर की संभावना हो सकती है।
    • आवेरियन कैंसर:-एव्डोमीनल स्वेलिग अर्थात पेट पर सूजन असामान्य रूप से योनि से स्त्राव, हाजमें में तकलीफ होना आदि लक्षणों से ओवेरियन कैंसर की संभावना हो सकती है।
    • पेनक्रिएटिक कैंसर:-एव्डोमिनल के ऊपरी भाग में दर्द, बेतहाशा भार में कमी, पीठ के मध्य में दर्द, फेटी फूड्स का मोह न छोड़ना, त्वचा का पीला होना, पेट में दर्द होना, लीवर का बढ़ना और तिल्ली का बढ़ना आदि लक्षण पेनक्रिएटिक कैंसर के है जिनके परिलक्षित होने पर इस कैंसर के होने की संभावना बढ़ जाती है।
    • प्रोस्टेट कैंसर:-पेशाब में तकलीफ जो कि यूरेथ्रा के छिद्र बन्द होने से होती है। ब्लड़र में पेशाब जमा होना, बार-बार पेशाब आने की अनुभूति होना, विशेषकर रात्रि में, ब्लड़र का पूर्णतः खाली न होना, पेशाब के समय जलन या दर्द। यूरिन के साथ रक्त आना, ब्लड़र पर सूजन होना पोल्वेस व पिछले भाग में धीमा-धीमा दर्द होना आदि लक्षणों के अवगत होने पर प्रोस्टेट कैंसर हो सकता है।
    • स्टमक कैंसर या पेट का कैंसर:-अपच, हृदय में जलन, पेट में दर्द, आरामहीन अवस्था या बैचेनी, घबराहट व उल्टी होना डायरिया या कब्जियत की शिकायत होना भोजन के पश्चात पेट में दर्द होना, भूख में कमी, कमजोरी, मोटापा, उल्टी जो खून के साथ होना, दस्त के साथ खून आना आदि लक्षणों के परिलक्षित होने पर पेट के कैंसर की संभावना बढ़ जाती है।
    • यूट्रायीन कैंसर:-असामान्य रूप से वेजायनल से रक्त स्त्राव होना, पानी मिले रक्त का बहना, यह लक्षण पोस्ट मेनोपाजुअल महिला में देखने को मिलता है, दर्द के साथ पेशाब का होना, संभोग के समय दर्द होना और पोल्वेक क्षेत्र में दर्द होना आदि लक्षण होने पर यूट्रायीन कैंसर की संभावना बढ़ जाती है।
    हर प्रकार का कैंसर अपने आप में अलग विशेषता लिये होता है जिसके कारण, लक्षण और उपचार के तरीके भी भिन्न होते है।

    B.D. Singh Cancer Advice Center
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