ये जिका वायरस दुनियां में तेजी से फ़ैल रहा है जीका वायरस एक ऐसा वायरस है.जो एडीज नामक मच्छर के काटने से फैलता है.ये वही मच्छर है,जिससे डेंगू और चिकनगुनियां भी होता है.यू तो अभी पूरी तरह साफ नही हो पाया कि जीका का शिकार कौन-कौन हो सकता है.
लेकिन शुरुवाती लक्षण गर्भवती महिलाएं में पाए गए है.और इस बीमारी की वजह से गर्भवती महिलाओं के बच्चों का जन्म अविकसित दिमाग के साथ होता है.और उनके सर का आकार छोटा होता है. इसके अलावा इससे ग्यूलेन-बैरे का भी खतरा होता है.
इसमें सिंड्रोम शरीर के तंत्रिका तंत्र पर हमला करता है जिससे लोग लकवा का शिकार हो जाते हैं. जीका वायरस मच्छर के काटने से फैलता है, जिससे मस्तिष्क को नुकसान पहुंचता है और गर्भस्थ शिशु की मौत भी हो सकती है. गर्भावस्था के दौरान शिशु इस वायरस की चपेट में आ सकता है, और उसकी आंखों में भी बीमारियां हो सकती हैं. इस समस्या में रेटिना के नुकसान से लेकर जन्म के बाद अंधापन शामिल है.
दरसल जीका का वायरस सबसे पहले 1947 में युगांडा के बंदरों में पाया गया था.और इंसान में यह सबसे पहले 1954 में नाइजीरिया में सामने आया. भारत से पहले यह वायरस ब्राजील,युगांडा,अफ्रीका,न्यू कैलिडोनिया और पूर्वी ऑस्ट्रेलिया में भी अपना प्रभाव दिखा चुका हैं। वैज्ञानिक तौर पर इस वायरस को रोकने में सफलता हासिल नहीं की है।
जीका के लक्षण
- शरीर में लगातार बुखार का होना,
- हाथ और पाँव में सूजन और जलन
- जोड़ो में दर्द का होना ,
- शरीर पर लाल चकत्ते, का होना
- थकान, सिर में दर्द का होना
- आंखों का लाल होना आदि शामिल है.
जीका वायरस से बचाव के उपाय
- विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार जीका वायरस के संक्रमण को रोकने का सबसे अच्छा उपाय है मच्छरों की रोकथाम. तो आसपास मच्छरों को पनपने से रोकें.
- घर के आसपास गमले, बाल्टी, कूलर आदि में भरा पानी निकाल दें.
- मच्छरों से बचने के लिए पूरे शरीर को ढककर रखें और हल्के रंग के कपड़े पहनें. इसलिए इसके लिए शरीर को मच्छरों से बचाना जरूरी है।
- मच्छरों से बचने वाली क्रीम का इस्तेमाल करें।
- आप मास्किटो रैपलेंट, मच्छरदानी और मास्किटो कोइल का प्रयोग कर सकते हो। इस वायरस से प्रभावित इंसान केवल 10 दिनों तक ही जिंदा रह पाता है। इसलिए जानकारी है जीका वायरस से बचने का एक मात्र तरीका है। अगर 2 हफ्तों से ज्यादा बुखार रहे तो एक बार टेस्ट जरूर करवाएं।
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