डीप वेन थ्रोमबोसिस (डीवीटी) बीमारी है शरीर की नसों में ख़ून जमने की. ये ब्लड क्लॉट आम तौर पर पैरों की नसों में पाए जाते हैं. हालांकि ये एक बहुत ही आम बीमारी है लेकिन अनदेखी करने पर थ्रोमबोसिस जानलेवा भी हो सकती है. रक्त वाहिकाओं में जब खून का थक्का जम जाता है तब उसे थ्रोम्बोसिस कहते हैं. अगर यह शरीर के भीतरी नसों में होता है, तो उसे ‘डीप वेन थ्रोम्बोसिस’ कहते हैं. यह अकसर पैर की नसों में होता है. यह बीमारी खतरनाक रूप तब लेती है जब यह खून का थक्का, पैर से निकल कर फेफड़ों तक पहुंच जाता है.
डीप वेन थ्रोम्बोसिस दो प्रकार के कारणों से हो सकता है.
1- खून का बहाव धीरे है या रुक गया है. जैसे...
- किसी बीमारी या गर्भ में बिस्तर पर लेटे रहने से
- अधिकतर खड़े होकर काम करते हैं, जैसे कि अध्यापक, नर्स, सर्जन या अन्य.
- लंबे समय तक पैर नहीं चलाते हैं, जैसे कि बहुत देर का विमान यात्रा
- दूसरा कि खून में जमने का प्रवृती बढ़ गई है
2- सामान्य स्थिती में यहाँ दोनों तरह के पदार्थ संतुलित मात्रा में रहते हैं. अगर किसी कारण से यह संतुलन बिगड़ता है, तो नसों के अंदर खून जम सकता है. जैसे...
- किसी भी प्रकार का सर्जरी, जो कि पैर, जांघ, कमर या पेल्विस पर की गई हो.
- कैंसर होने से डीप वेन थ्रोम्बोसिस का खतरा बढ़ जाता है.
- धूम्रपान करने से डीप वेन थ्रोम्बोसिस का खतरा बढ़ जाता है.
- दिल का बीमारी होने से, जिसमें दिल कमजोर हो जाता है. इसे कांजेसटिव हार्ट फैलिअर (congestive heart failure) कहते हैं. इस स्थिती में ह्रदय खून को पम्प करने में सक्षम नहीं होता और खून पैरों में जमा होने लगता है.
- पैर के नसों के कमजोरी से भी खून पैरों में जमा होने लगता है. सामान्य स्थिती में खून को पैर से दिल के तरफ लौटना चाहिए लेकिन इस अवस्था में पैर में खून जाने के लिए एक वाल्व होता है, जो खून के बहाव को ह्रदय की तरफ रखता है. अगर नसों के वाल्व में कमजोरी आ जाती है, तो खून के बहाव में भी रूकावट आ जाती है, और फिर पैर में खून जमा होने लगता है. महिलाओं में ये इन अवस्थाओं में अधिक होता है यदि...
- आप गर्भ निरोधक गोली (oral contraceptive pills) लेती हैं
- अगर आप मोटापे से पीड़ित हैं
- अगर आपका मेनोपौज़ (menopause) हो चुका है
डीप वेन थ्रोम्बोसिस ke लक्षण
पहली अवस्था में इसका कोई लक्षण नहीं होता. लेकिन जब खून के थक्के जमा होने लगते है, तब इसके लक्षण प्रकट हो जाते हैं. यह लक्षण पैरों में होते हैं यानी तलवे से लेकर जांघ तक कोई भी जगह
- पैर का फूलना
- पैर में दर्द होना
- पैर लहराना
- पैर में अत्यन्त खुजली होना
- पैर का रंग बदलना - लाल या नीला पड़ जाना
यूं करें जांच
- सोनोग्राम (sonogram) - मशीन द्वारा बाहर से नसों का फोटो खींचा जा सकता है.
- वेनोग्राफी (contrast venography) - नसों में सुई द्वारा रंग दिया जाता, और फिर उसका फोटो खीचा जाता है
- इम्पेडांस प्लेथिस्मोग्राफी (impedance plethysmography) - इसमें बिजली के तरंगों से इस रोग को जांचा जाता है
डीप वेन थ्रोम्बोसिस की रोकथाम
- पैर मांसपेशियों की गतिविधियों में बैठे की लंबी अवधि के दौरान वृद्धि पैरों में रक्त के प्रवाह को बेहतर बनाता है। इस चलने के आसपास केबिन या आपके कम पैर और जबकि बैठा टखने कसरत शामिल हो सकते हैं।
- पानी का खूब सेवन, और कुछ भी शराब या उसमें कैफीन के साथ शराब पीने से बचें।
- ढीले-ढाले कपड़े पहन लो।
- कुछ लंबे समय लोगों को लंबे समय तक निष्क्रियता से बचने के लिए, के बजाय कम naps लेने की सिफारिश।
- नियमित रूप से व्यायाम, एक स्वस्थ वजन को बनाए रखने, और सिगरेट नहीं पीता।
- यदि आप जोखिम वाले कारकों में से किसी के लिए DVT है, तो लंबे दौरों से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करें।
क्या है इसका इलाज
- डीप वेन थ्रोम्बोसिस’ में खून के थक्कों को गलाने के लिए दवा दी जाती है. इसके लिए हॉस्पिटल में एडमिट होना जरुर है क्योंकि इसकी दवा खून को पतला करती है जिसके लिए कई बार खून की जाँच की जाना जरुरी होता है.
- इस दवा को कम-से-कम 6 माह तक दिया जाना जरुरी होता है. इसके साथ ही उन कारणों को भी पहचान कर दूर करना होता है जिस वजह से ‘डीप वेन थ्रोम्बोसिस’ बीमारी होती है.
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