Sunday, January 22, 2023

अर्जुन की छाल के फायदे

अर्जुन की छाल के फायदे

अर्जुन की छाल के फायदे  

हृदय की सभी समस्याओ के लिए एक वरदान।हृदय रोगियों के लिए वरदान। 
अर्जुन वृक्ष भारत में होने वाला एक औषधीय वृक्ष है। इसे घवल, ककुभ तथा नदीसर्ज (नदी नालों के किनारे होने के कारण) भी कहते हैं। कहुआ तथा(सादड़ी नाम से बोलचाल की 

भाषा में प्रख्यात यह वृक्ष एक बड़ा सदाहरित पेड़ है। लगभग 60 से 80 फीट ऊँचा होता है तथा हिमालय की तराई, शुष्क पहाड़ी क्षेत्रों में नालों के किनारे तथा बिहार,मध्य प्रदेश में काफी पाया जाता है। इसकी छाल पेड़ से उतार लेने पर फिर उग आती है। छाल का ही प्रयोग होता हैआयुर्वेद :आयुर्वेद ने तो सदियों 

पहले इसे हृदय रोग की महान औषधि घोषित कर दिया था। आयुर्वेद के प्राचीन विद्वानों में वाग्भट, चक्रदत्त और भावमिश्र ने इसे हृदय रोग की महौषधि स्वीकार किया है। 

अर्जुन की छाल के गुण

  • यह शीतल, हृदय को हितकारी, कसैला और क्षत, क्षय, विष, रुधिर विकार, मेद, प्रमेह, व्रण, कफ तथा पित्त को नष्ट करता है।अभी तक अर्जुन से प्राप्त विभिन्न घटकों के प्रायोगिक जीवों पर जो प्रभाव देखे गए हैं, उससे इसके वर्णित गुणों की पुष्टि ही होती है। विभिन्न प्रयोगों द्वारा पाया गया हे कि अर्जुन से हृदय की पेशियों को बल मिलता है, 
  • स्पन्दन ठीक व सबल होता है तथा उसकी प्रतिमिनट गति भी कम हो जाती है। स्ट्रोक वाल्यूम तथा कार्डियक आउटपुट बढ़तती है। हृदय सशक्त व उत्तजित होता है। इनमें रक्त स्तंभक व प्रतिरक्त स्तंभक दोनों ही गुण हैं। 
  • अधिक रक्तस्राव होने की स्थिति से या कोशिकाओं की रुक्षता के कारण टूटने का खतरा होने परयह  स्तंभक की भूमिका निभाता है, लेकिन हृदय की रक्तवाही नलिकाओं (कोरोनरी धमनियों) में थक्का  नहीं बनने देता तथा बड़ी धमनी से प्रति मिनट भेजे जाने वाले रक्त के आयतन  में वृद्धि करता है। 
  • इस प्रभाव के कारण यह शरीर व्यापी तथा वायु कोषों में जमे पानी को मूत्र मार्ग से बाहर निकाल................... जिस किसी भी ईन्सान की धमनियों में खून के धक्के जमे हुए है..? या इनमे प्लाक जमा हुआ हैं।या किन्ही कारणवश डॉक्टर ने आपको ANGIOPLASTY के लिए कह दिया हैं।
  • या कैसी भी  गंभीर समस्या हैं।तो एक बार ये ज़रूर आज़माये।अर्जुन के पैड की छाल का काढा ”हृदय रोग का इलाज सिर्फ 10या 15 रुपैये में।
  • अर्जुन छाल।हृदय की सभी समस्याओ के लिए एक वरदान।हृदय रोगियों के लिए वरदान।अर्जुन की छाल को 400 ग्राम ले कर 500 मिली पानी में पकाये 200 मिली रहने  पर उतार ले और हर रोज़ सुबह शाम 10-10 मिली ले।इस से खून में बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रोल कम हो जायेगा, खून के धक्के साफ़ हो जायेंगे,और ANGIOPLASTY की नौबत नहीं आएगी। अर्जुन के सेवन से अलसर में भी आशातीत लाभ होता हैं। अर्जुन की चाय भी बना कर पी जा सकती हैं। 
  • साधारण चाय की जगह अर्जुन की कुटी हुई छाल डालिये। और चाय की तरह बना कर पीजिये। अगर आपको अर्जुन के पेड़ न मिले तो अर्जुन छाल आपको रामदेव आयुर्वेद कीदुकानो से मिल जाएगी ये 100 ग्राम 15 रुपैये की आएगी। 
  • अनेको हृदय रोगियों को इस से राहत मिली हैं। अर्जुन की छाल बाजार मे पंसारी की दुकान पर भी मिलती हैैं। अर्जुनकी छाल की काढा को पक्षा घात ( PARALYSIS ) के मरीजों को भी देते हैं जिस से उनको बहुत लाभ होता हैं। varicose veins में भी ये बहुत उपयोगी हैं, अलसर के रोगियों के लिए भी ये बहुत लाभदायक हैं। अर्जुन की छाल और जंगली प्याज के कंदों का चूर्ण समान मात्रा में तैयार कर प्रतिदिन आधा चम्मच दूध के साथ लेने से हृदय रोगों में लाभ मिलता है।
  • यह धारियों युक्त फलों की वजह से आसानी से पहचाना जा सकता है। इसके फल कच्चेपन में हरे और पकने पर भूरे-लाल रंग के होते हैं। हृदय रोगियों के लिए पुनर्नवा का पांचांग (समस्त पौधा) का रस और अर्जुन छाल की समान मात्रा बहुत फायदेमंद होती है। अर्जुन की छाल का चूर्ण 3 से 6 ग्राम गुड़, शहद या दूध के साथ दिन में 2 या 3 बार लेने से दिल के मरीजों को काफी फायदा होता है। 
  • अर्जुन की छाल के चूर्ण को चाय के साथ उबालकर पीने से हृदय और उच्च रक्तचाप की समस्याओं में तेजी से आराम मिलता है। चाय बनाते समय एक चम्मच इस चूर्ण को डाल दें तो इससे उच्च रक्तचाप सामान्य हो जाता है। 
  • अर्जुन की चाय हॄदय विकारों से ग्रस्त रोगियों के लिए काफी फायदेमंद होती है। अर्जुन की छाल का चूर्ण (1 ग्राम) एक कप पानी में खौलाकर उसमें दूध व चीनी आवश्यकतानुसार मिलाकर पिएं तो फायदा  होताहै। हृदय की सामान्य धड़कन जब 72 से बढ़कर 150 से ऊपर रहने लगे तो एक गिलास टमाटर के रस में एक चम्मच अर्जुन की छाल का चूर्ण मिलाकर नियमित सेवन करने से शीघ्र ही धड़कन सामान्य हो जाती है। 
  • यदि हृदयघात जैसा महसूस हो तो अर्जुन का चूर्ण जुबान पर रख लेने से तेजी से फ़ायदा होता है। इससे हृदयाघात के बुरे असर को काफी हद तक कम किया जा सकता है। 
  • अर्जुन छाल का चूर्ण और देसी जामुन के बीजों के चूर्ण की समान मात्रा लेकर मिला लिया जाए और प्रतिदिन रोज रात सोने से पहले आधा चम्मच चूर्ण गुनगुने पानी में मिलाकर लें। यह नुस्खा डायबिटीज़ के रोगियो के लिए फायदेमंद होता है। अर्जुन के कच्चे ताजे हरे फलों को चबाया जाए तो यह मुख दुर्गन्धनाशक होता है। 
  • दिन में कम से कम 2 बार किया जाना चाहिए। अर्जुन छाल पीसकर शहद के साथ मिलाकर लगाने से झाइयां दूर होती है | हृदय रोगियों के लिए वरदान है अर्जुन की छाल 
  • हृदय रोग, रक्त विकार, कास, पयूमेह, प्रदर, जीर्णज्वर, सामान्य दौर्बल्य। मात्रा ५ से १० ग्राम छाल चूर्ण अर्जुन में चूने के अंश होने से रक्त स्तम्भक है। कैल्शियम तथा कषायीन होने से यह रक्त संग्राहक है। आँतों में यह प्रोटीन के साथ मिलकर एक घन आवरण बनाता है व विषों के प्रभाव से रक्षा करता है। 
  • अर्जुन में हृदय शैथिल्य और उत्तेजक दोनों गुण होने से हृदय रोगों की यह सर्वश्रेष्ठ औषधि है। 
  • वातज हृदय रोग में बलामूल चूर्ण एवं अर्जुन चूर्ण को पिप्पली एवं हरीति की क्वाथ से या मधु के साथ सेवन करने से लाभ होता है।पित्तज हृदय रोग में अर्जुन चूर्ण ३ ग्राम, शतावरी चूर्ण १ ग्राम, मक्खन मिश्री से सेवन करें।कपफज हृदय रोग में इसका चूर्ण पोहकर मूलचूर्ण के साथ सेवन करने से लाभ होता है।त्रिदोषज 
  • हृदय रोग में अर्जुन, मुलहठी, पुष्कर मूल, बलामूल चूर्ण को मधु के साथ सेवन करने से लाभ होता है।दूध के साथ इसकी जड का चूर्ण सेवन करने से टूटी हड्डी जल्दी जुडती है व चोट के कारण निशान, नीले पडे हो तो वह भी जल्दी ठीक होते है।इसकी छाल को दूध में पकाकर सेवन करने से हृदय रोग (समस्त) दूर होते हैं व खून की चर्बी कोलेस्ट्रोल का स्तर घटता है। 
  • इसकी छाल का क्वाथ पीने से मूत्रा को रोकने के कारण हुई उदावर्त्त (गैस का उपर की ओर चढना) मिटती है व मूत्राघात हो तो वह भी दूर होती है।विषैले कीटों के दंश पर इसकी छाल का लेप करने से जलन मिटती है।तिल के तेल में इसका चूर्ण मिलाकर कुल्ले करने से मुखपाक हटता है।इसके पत्तों का रस कान में डालने से कर्णशूल मिटता है।इसका क्वाथ पीने से ज्वर छूटता है।
  • इसके चूर्ण को मधु में मिलाकर लेप करने से मुख की झाइयाँ मिटती है।जल से इसका चूर्ण लेने से पित्त विकार मिटते है।दूध से इसका चूर्ण लेने से रक्त पित्त मिटता है व हृदय को मजबूती मिलती है।उच्च रक्त दाब में इसका चूर्ण दूध से सेवन अत्यधिक लाभप्रद है।इसके एवं मुलहठी चूर्ण को दूध, जल के साथ सेवन करने से हृदय रोग मिटते है। 
  • इसके लिए यह उत्तम रसायन है।गेहूँ एवं अर्जुन चूर्ण को बकरी के दूध एवं गाय के घृत में पकाकर उसमें शहद मिश्री मिलाकर चाटने से अति उग्र हृदय रोग मिटता है।
  • इसके एवं गंगेरण जड की छाल के चूर्ण को दूध से सेवन करने से वायु नाश होती है।अर्जुन चूर्ण एवं श्वेत चंदन चूर्ण का क्वाथ लेने से सभी प्रकार की प्रमेह दूर होती है।
  • अर्जुन चूर्ण एवं श्वेत चंदन क्वाथ सभी प्रकार के प्रदर श्वेत या रक्त दूर होते है।अर्जुन छाल को दूध में पीसकर मधु मिलाकर सेवन करने से रक्तातिसार मिटता है। 
  • अर्जुन छाल एवं गंगेरण समभाग लेकर व आधा भाग एरण्ड बीज चूर्ण प्रतिदिन प्रातः सांयकाल बकरी के दूध में डालकर लगभग ५ ग्राम चूर्ण पकायें। ठण्डा होने पर विषम मात्रा १-३ या ३-१ में घृत मधु मिलाकर पिलाने से क्षय रोग मिटता है।त्वक चूर्ण, अर्जुनत्वक चूर्ण एवं चावलों का चूर्ण सेवन करने से कुष्ठ में लाभ होता है व समस्त प्रकार के त्वचागत रोग मिटते है।
  • भृंगराज एवं अर्जुनक्षार दही के पानी के साथ सेवन करने से संग्रहणी में लाभ होता है।उडद के आटे में अर्जुन छाल चूर्ण मिलाकर घृत में सेंक कर भैंस के दूध् में पकाकर सेवन करने से भस्मक तीक्ष्णाग्नि मिटती है। 
  • २ ग्राम अर्जुन त्वक चूर्ण, २ ग्राम कडुवा इन्द्र जौ चूर्ण मिलाकर शीतल जल से सेवन करने से तीव्र अतिसार मिटता है। 
  • पाण्डु रोग में इसके चूर्ण के साथ स्वर्ण माक्षिक भस्म मिलाकर गोमूत्रा यकपफजन्य मेंद्ध या मिश्रीयुक्त दुग्ध् पित्तजन्य मेंद्ध से किंवा निम्बपत्रा स्वरस आमलकी स्वरस से सेवन अत्यध्कि हितकारी है। 
  • अर्जुन छाल ३ ग्राम, गुलाब जल १५ मिली, द्राक्षरिष्ट या मृ(कासव १५ मिली की मात्रा से प्रतिदिन भोजन के पश्चात यदि गर्भवती स्त्री सेवन करें तो उसे बहुत सुंदर सन्तान की प्राप्ति होती है ।धडकन बढने में 
  • अर्जुनत्वक, सफेद खैरेटी बला मूल, गोखरू, जटामासी एवं अश्वगन्ध समान मात्रा में मिलाकर सुबह-शाम २ बार २-२ ग्राम, दूध से सेवन करने पर उत्तम लाभ होता है।टमाटर का रस २५० ग्राम लेकर ३ ग्राम अर्जुन चूर्ण मिलाकर सेवन करने से हृदय की धडकन ठीक स्थिति में आ जाती है।

जीरा के फायदे,Jeera Khane Ke Fayde in Hindi,Health Benefits of Cumin Seeds in Hindi,

जीरा (Jeera) एक ऐसा मसाला है जिसके छौंक से दाल और सब्जियों का स्वाद बहुत बढ़ जाता है। चाट का चटपटा स्वाद भी जीरे के बिना अधूरा सा लगता है। अंग्रेजी में इसे क्यूमिन कहा जाता है। इसका वानस्पतिक नाम क्यूमिनम सायमिनम है। यह पियेशी परिवार का एक पुष्पीय पौधा है। मुख्यत: पूर्वी भूमध्य सागर से लेकर भारत तक इसकी पैदावार अधिक होती है।दिखने में सौंफ के आकार का दिखाई देने वाला जीरा सिर्फ खाने का स्वाद ही नहीं बढ़ाता यह बहुत उपयोगी भी है। यही कारण है कि कई रोगों में दवा के रूप में भी जीरे का उपयोग किया जा सकता है। जीरा के फायदे

आइए देखते हैं घरेलू नुस्खे के रूप में किन रोगों के उपचार के लिए जीरा उपयोगी है

  • भुने हुए जीरे को सूंघने से जुकाम से छीकें आना बंद हो जाता है। 
  • एक गिलास ताजी छाछ में सेंधा नमक और भुना हुआ जीरा मिलाकर भोजन के साथ लें, इससे अजीर्ण और अपच से छुटकारा मिलेगा। जीरा के फायदे
  • बच्चों को दस्त होने पर बबूल की कोमल पत्ती, अनार की कली व जीरा मिलाकर दें, लाभ होगा। 
  • आंवले को भूनकर गुठली निकालकर पीसकर धीमे भूनें। फिर उसमें स्वादानुसार जीरा, अजवाइन, सेंधा नमक और थोड़ी सी भुनी हुई हींग मिलाकर गोलियां बना लें। इन्हें खाने से भूख बढ़ती है। इतना ही नहीं, इससे डकार, चक्कर और दस्त में लाभ होता है। जीरा के फायदे
  • पानी में जीरा डालकर उबालें और छानकर ठंडा करें। इस पानी से मुंह धोने से आपका चेहरा साफ और चमकदार होता है। जीरा के फायदे
  • जीरा और सेंधा नमक महीन पीसकर मंजन करने से दांतों तथा मसूड़ों के दर्द में आराम मिलेगा और मुंह की दरुगंध नष्ट होगी। 
  • हिस्टीरिया के रोगी को गर्म पानी में भुनी हींग, जीरा, पुदीना, नींबू और नमक मिलाकर पिलाने से रोगी को तत्काल लाभ होता है। 
  • थायराइड (गले की गांठ) में एक कप पालक के रस के साथ एक चम्मच शहद और 
  • जीरा (Jeera) आयरन का सबसे अच्छा स्रोत है। इसे नियमित रूप से खाने से खून की कमी दूर हो जाती है। गर्भवती महिलाओं के लिए जीरा अमृत का काम करता है। 
  • जीरा (Jeera) , अजवाइन, सौंठ, कालीमिर्च, और काला नमक अंदाज से लेकर इसमें घी में भूनी हींग कम मात्रा में मिलाकर खाने से पाचन शक्ति बढ़ती है। पेट का दर्द ठीक हो जाता है। 
  • जीरा (Jeera) , अजवाइन और काला नमक का चूर्ण बनाकर रोजाना एक चम्मच खाने से तेज भूख लगती है। जीरा के फायदे
  • 3 ग्राम जीरा (Jeera) और 125 मि.ग्रा. फिटकरी पोटली में बांधकर गुलाब जल में भिगो दें। आंख में दर्द होने पर या लाल होने पर इस रस को टपकाने से आराम मिलता है। 
  • दही में भुने जीरे का चूर्ण मिलाकर खाने से डायरिया में आराम मिलता है। 
  • जीरे को नींबू के रस में भिगोकर नमक मिलाकर खाने से जी मिचलाना बंद हो जाता है। 
  • जीरा में थोड़ा-सा सिरका डालकर खाने से हिचकी बंद हो जाती है। 
  • जीरे को गुड़ में मिलाकर गोलियां बनाकर खाने से मलेरिया में लाभ होता है। 
  • एक चुटकी कच्चा जीरा खाने से एसिडिटी में तुरंत राहत मिलती है। 
  • डायबिटीज को नियंत्रित करने के लिए एक छोटा चम्मच पिसा जीरा दिन में दो बार पानी के साथ लेने से लाभ होता है। जीरा के फायदे
  • कब्जियत की समस्या हो तो जीरा, काली मिर्च, सौंठ और करी पाउडर को बराबर मात्रा में लें और मिश्रण तैयार कर लें। इसमें स्वादानुसार नमक डालकर घी में मिलाएं और चावल के साथ खाएं।राहत मिलेगी। 
  • पके हुए केले को मैश करके उसमें थोड़ा-सा जीरा मिलाकर रोजाना रात के खाने के बाद लें। अनिद्रा की समस्या दूर हो जाएगी। जीरा के फायदे
  • इसमें एंटीसेप्टिक तत्व भी पाया जाता है। सीने में जमे हुए कफ को बाहर निकलने के लिए जीरे को पीसकर फांक लें। यह सर्दी-जुकाम से भी राहत दिलाता है। 
  • हींग को उबाल लें। इस पानी में जीरा, पुदीना, नींबू और नमक मिलाकर पिलाने से हिस्टीरिया के रोगी को तत्काल लाभ होता है। जीरा के फायदे
  • थायराइड (गले की गांठ) में एक कप पालक के रस के साथ एक चम्मच शहद और चौथाई चम्मच जीरा पाउडर मिलाकर सेवन करने से लाभ होता है। 
  • मेथी, अजवाइन, जीरा और सौंफ 50-50 ग्राम और स्वादानुसार काला नमक मिलाकर पीस लें। एक चम्मच रोज सुबह सेवन करें। इससे शुगर, जोड़ों के दर्द और पेट के विकारों से आराम मिलेगा। 
  • प्रसूति के पश्चात जीरे के सेवन से गर्भाशय की सफाई हो जाती है। 
  • खुजली की समस्या हो तो जीरे को पानी में उबालकर स्नान करें। राहत मिलेगी। 
  • एक गिलास ताजी छाछ में सेंधा नमक और भुना हुआ जीरा मिलाकर भोजन के साथ लें। इससे अजीर्ण और अपच से छुटकारा मिलेगा। जीरा के फायदे
  • आंवले की गुठली निकालकर पीसकर भून लें। फिर उसमें स्वादानुसार जीरा, अजवाइन, सेंधा नमक और थोड़ी-सी भुनी हुई हींग मिलाकर गोलियां बना लें। इन्हें खाने से भूख बढ़ती है। इतना ही नहीं, इससे डकार, चक्कर और दस्त में लाभ होता है। 
  • जीरा उबाल लें और छानकर ठंडा करें। इस पानी से मुंह धोने से आपका चेहरा साफ और चमकदार होगा। 
  • एक चम्मच जीरा भूनकर रोजाना चबाने से याददाश्त अच्छी रहती है। 
  • जिनको अस्थमा, ब्रोंकाइटिस या अन्य सांस संबंधी समस्या है, उन्हें जीरे का नियमित प्रयोग किसी भी रूप में करना चाहिए। जीरा के फायदे
  • दक्षिण भारत में लोग अक्सर जीरे का पानी पीते हैं। उनके अनुसार, इसके सेवन से मौसमी बीमारियां नहीं होतीं और पेट भी तंदुरुस्त रहता है। जीरा के फायदे
  • 50 ग्राम जीरे में 50 ग्राम मिश्री मिलाकर पीसकर पाउडर बना लें। इसे सुबह-शाम एक चम्मच सेवन करें। बवासीर में आराम मिलेगा।

बबूल के औषधीय गुण,Health Benefits Acacia Tree in Hindi,Arabic Gum,

इसका पेड़ बहुत ही पुराना है। इसकी छाल एवं गोंद प्रसिद्ध व्यवसायिक द्रव्य होता है। वास्तव में यह एक बबूल रेगिस्तानी प्रदेश का पेड़ है। इसकी पत्तियां बहुत छोटी होती है। इसका पेड़ कांटेदार होता है। यह पूरे भारतवर्ष में लगाए हुए तथा जंगली पाए जाते हैं। ग्रीष्म के मौसम में इस पर पीले रंग के फूल गोलाकार गुच्छों में आते हैं। सर्दियों के सीजन में फलियां लगती हैं। इसके बड़े आकार के घने होते हैं। इसकी लकड़ी बहुत मजबूत होती है। इसके पेड़ पानी के निकट तथा काली मिट्टी में ज्यादा पाये जाते हैं। इनमें सफेद कांटे पाए जाते हैं। कांटों की लम्बाई 2 सेमी से 4 सेमी तक होती है। इसके कांटे जोड़े के रूप में होते हैं।

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  • कचनार की छाल, बबूल की छाल, मौलश्री छाल, पियाबांसा की जड़ तथा झरबेरी के पंचांग का काढ़ा बनाकर इसके हल्के गर्म पानी से कुल्ला करने से लाभ मिलता है। इससे गले में छाले, मुंह का सूखापन, दांतों का हिलना, जीभ का फटना और तालु के विकार नष्ट हो जाते हैं। 
  • जामुन, बबूल और फूली हुई फिटकरी का काढ़ा बना लें। इस काढ़े से कुल्ला करने पर मुंह के सभी रोग नष्ट हो जाते हैं। बबूल की छाल लें, उसको बारीक पीस लें, इसे पानी में उबालकर कुल्ला करें। इससे मुंह के छाले खतम हो जाते हैं। बबूल की छाल के काढ़े से 2-3 बार कुल्ला करें। इससे लाभ मिलता है। 
  • बादाम के छिलके और बबूल की फली के छिलके की राख में नमक मिलाकर मंजन करें। इससे दांतों का दर्द दूर हो जाता है। इसकी कोमल टहनियों की दातून करें। इससे भी दांतों के कई रोग दूर होते हैं और दांत स्वस्थ और मजबूत हो जाते हैं। 
  • वीर्य की कमी -बबूल के पत्तों को चबाकर उसके ऊपर से गाय का दूध पीने से कुछ ही दिनों में वीर्य की कमी दूर होती है 
  • बबूल की छाल, मौलश्री छाल, कचनार की छाल, पियाबांसा की जड़ तथा झरबेरी के पंचांग का काढ़ा बनाकर इसके हल्के गर्म पानी से कुल्ला करें। इससे दांत का हिलना, जीभ का फटना, गले में छाले, मुंह का सूखापन और तालु के रोग दूर हो जाते हैं। 
  • बबूल, जामुन और फूली हुई फिटकरी का काढ़ा बनाकर उस काढ़े से कुल्ला करने पर मुंह के सभी रोग दूर हो जाते हैं। 
  • बबूल की छाल को बारीक पीसकर पानी में उबालकर कुल्ला करने से मुंह के छाले दूर हो जाते हैं। 
  • बबूल की छाल के काढ़े से 2-3 बार गरारे करने से लाभ मिलता है। गोंद के टुकड़े चूसते रहने से भी मुंह के छाले दूर हो जाते हैं। 
  • बबूल की छाल को सुखाकर और पीसकर चूर्ण बना लें। मुंह के छाले पर इस चूर्ण को लगाने से कुछ दिनों में ही छाले ठीक हो जाते हैं। 
  • बबूल की छाल का काढ़ा बनाकर दिन में 2 से 3 बार गरारे करें। इससे मुंह के छाले ठीक होते हैं। 
  • दांत का दर्द-बबूल की फली के छिलके और बादाम के छिलके की राख में नमक मिलाकर मंजन करने से दांत का दर्द दूर हो जाता है। 
  • बबूल की कोमल टहनियों की दातून करने से भी दांतों के रोग दूर होते हैं और दांत मजबूत हो जाते हैं। 
  • बबूल की छाल, पत्ते, फूल और फलियों को बराबर मात्रा में मिलाकर बनाये गये चूर्ण से मंजन करने से दांतों के रोग दूर हो जाते हैं। 
  • बबूल की छाल के काढ़े से कुल्ला करने से दांतों का सड़ना मिट जाता है। 
  • रोजाना सुबह नीम या बबूल की दातुन से मंजन करने से दांत साफ, मजबूत और मसूढे़ मजबूत हो जाते हैं। 
  • मसूढ़ों से खून आने व दांतों में कीड़े लग जाने पर बबूल की छाल का काढ़ा बनाकर रोजाना 2 से 3 बार कुल्ला करें। इससे कीड़े मर जाते हैं तथा मसूढ़ों से खून का आना बंद हो जाता है। 
  • वीर्य के रोग-बबूल की कच्ची फली सुखा लें और मिश्री मिलाकर खायें इससे वीर्य रोग में लाभ होता है। 10 ग्राम बबूल की मुलायम पत्तियों को 10 ग्राम मिश्री के साथ पीसकर पानी के साथ लेने से वीर्य-रोगों में लाभ होता है। अगर बबूल की हरी पत्तियां न हो तो 30 ग्राम सूखी पत्ती भी ले सकते हैं।कीकर (बबूल) की 100 ग्राम गोंद भून लें इसे पीसकर इसमें 50 ग्राम पिसी हुई असगंध मिला दें। इसे 5-5 ग्राम सुबह-शाम हल्के गर्म दूध से लेने से वीर्य के रोग में लाभ होता है। 
  • ग्राम कीकर के पत्तों को छाया में सुखाकर और पीसकर तथा छानकर इसमें 100 ग्राम चीनी मिलाकर 10-10 ग्राम सुबह-शाम दूध के साथ लेने से वीर्य के रोग में लाभ मिलता है। 
  • बबूल की फलियों को छाया में सुखा लें और इसमें बराबर की मात्रा मे मिश्री मिलाकर पीस लेते हैं। इसे एक चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम नियमित रूप से पानी के साथ सेवन से करने से वीर्य गाढ़ा होता है और सभी वीर्य के रोग दूर हो जाते हैं। 
  • बबूल के गोंद को घी में तलकर उसका पाक बनाकर खाने से पुरुषों का वीर्य बढ़ता है और प्रसूत काल स्त्रियों को खिलाने से उनकी शक्ति भी बढ़ती है। 
  • बबूल का पंचांग लेकर पीस लें और आधी मात्रा में मिश्री मिलाकर एक चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम नियमित सेवन करने से कुछ ही समय में वीर्य रोग में लाभ मिलता है। 
  • बलवीर्य की वृद्धि-बबूल के गोंद को घी में भूनकर उसका पकवान बनाकर सेवन करने से मनुष्य के सेक्स करने की ताकत बढ़ जाती है। 
  • बबूल की कच्ची फलियों का रस दूध और मिश्री में मिलाकर खाने से वीर्य की कमी दूर होती है। 
  • धातु पुष्टि के लिए-बबूल की कच्ची फलियों के रस में एक मीटर लंबे और एक मीटर चौडे़ कपड़े को भिगोकर सुखा लेते हैं। एक बार सूख जाने पर उसे दुबारा भिगोकर सुखा लेते है। इसी प्रकार इस प्रक्रिया को 14 बार करते हैं। इसके बाद उस कपड़े को 14 भागों में बांट लेते हैं, और रोजाना एक टुकड़े को 250 ग्राम दूध में उबालकर पीने से धातु की पुष्टि होती है। 
  • स्तन -बबूल की फलियों के चेंप (दूध) से किसी कपड़े को भिगोकर सुखा लें। इस कपड़े को स्तनों पर बांधने से ढीले स्तन कठोर हो जाते हैं। 
  • मासिक-धर्म संबन्धी विकार -4.5 ग्राम बबूल का भूना हुआ गोंद और 4.5 ग्राम गेरू को एकसाथ पीसकर रोजाना सुबह फंकी लेने से मासिक-धर्म में अधिक खून का आना बंद हो जाता है। 
  • 20 ग्राम बबूल की छाल को 400 मिलीलीटर पानी में उबालकर बचे हुए 100 मिलीलीटर काढ़े को दिन में तीन बार पिलाने से भी मासिक-धर्म में अधिक खून का आना बंद हो जाता है।लगभग 250 ग्राम बबूल की छाल को पीसकर 8 गुने पानी में पकाकर काढ़ा बना लेते हैं। जब यह काढ़ा आधा किलो की मात्रा में रह जाए तो इस काढ़े की योनि में पिचकारी देने से मासिक-धर्म जारी हो जाता है और उसका दर्द भी शान्त हो जाता है। 
  • 100 ग्राम बबूल का गोंद कड़ाही में भूनकर चूर्ण बनाकर रख लेते हैं। इसमें से 10 ग्राम की मात्रा में गोंद, मिश्री के साथ मिलाकर सेवन करने से मासिक धर्म की पीड़ा (दर्द) दूर हो जाती है और मासिक धर्म नियमित रूप से समय से आने लगता है। 
  • बांझपन दूर करना -कीकर (बबूल) के पेड़ के तने में एक फोड़ा सा निकलता है। जिसे कीकर का बांदा कहा जाता है। इसे लेकर पीसकर छाया में सुखाकर चूर्ण बना लेते हैं। इस चूर्ण को तीन ग्राम की मात्रा में माहवारी के खत्म होने के अगले दिन से तीन दिनों तक सेवन करें। फिर पति के साथ संभोग करे इससे गर्भ अवश्य ही धारण होगा।

राजमा खाने के फायदे,,Health Benefits of Red Kidney Beans in Hindi,

राजमा (Red Kidney Beans) खाने में स्वादिष्ट लगने के साथ ही यह सेहत का भी खजाना है। दिल और दिमाग की सेहत बनी रहने के अलावा राजमा (Red Kidney Beans) के सेवन से शरीर में ऊर्जा भी बनी रहती है। मस्तिष्क के लिए असरदार : राजमा खाने से दिमाग को बहुत फायदा होता है. इसमें पर्याप्त मात्रा में विटामिन ‘के’ पाया जाता है. जोकि नर्वस सिस्टम को बूस्ट करने का काम करता है. साथ ही ये विटामिन ‘बी’ का भी अच्छा स्त्रोत है, जोकि मस्तिष्क की कोशिकाओं के लिए बहुत जरूरी है. ये दिमाग को पोषित करने का काम करता है।

Red Kidney Beans Benefits in Hindi,

    • ताकत का स्रोत : राजमा में उच्च मात्रा में आयरन मौजूद होता है, जिस वजह से ये ताकत देने का काम करता है। शरीर के मेटाबॉलिज्म और ऊर्जा के लिए आयरन की जरूरत होती है, जो राजमा खाने से पूरी हो जाती है. साथ ही ये शरीर में ऑक्सीजन के सर्कुलेशन को भी बढ़ाता है।
    • मधुमेह के लिए लाभप्रद : बीन्स का ‘ग्लाइसेमिक इन्डेक्स’ कम होता है इसका अभिप्राय यह है कि जिस तरह से अन्य भोज्य पदार्थों से रक्त में शक्कर का स्तर बढ़ जाता है, बीन्स खाने के बाद ऐसा नहीं होता। बीन्स में मौजूद फाइबर रक्त में शक्कर का स्तर बनाए रखने में मदद करते हैं। और बीन्स की इस ख़ासियत की वजह से मधुमेह के रोगियों को बीन्स खाने की सलाह देते हैं।
    • ऐसे उदाहरण भी हैं कि बीन्स का ज़ूस शरीर में इन्सुलिन के उत्पादन को बढ़ावा देता है। इस वजह से जिन्हें मधुमेह है या मधुमेह का खतरा है उनके लिये बीन्स खाना बहुत लाभदायक है। बीन्स का ज़ूस उत्तेजक ( स्टिम्युलेंट) होता है इसकी इसी प्रकृति के कारण यह उन लोगों को बहुत फ़ायदा करता है जो लंबी बीमारी से जूझ रहे हैं या जो बीमारी पश्चात पूर्ण स्वास्थ्य लाभ चाहते हैं। बीन्स का 150 मिली ज़ूस हर रोज़ पीना आपके इस उद्देश्य को भली-भाँति पूरा कर देगा।
    • फ्रेंच बीन्स किडनी से संबंधित बीमारियों में भी काफी फ़ायदेमंद है। किडनी में पथरी की समस्या हो तब आप यह नुस्खा अपनाएँ। आप 60 ग्राम बीन्स की पौध लेकर इसे चार लीटर पानी में चार घंटे तक उबाल लें। फिर इसके पानी को कपड़े से छान लें और छने हुए पानी को करीब आठ घंटे तक ठंडा होने के लिए रख दें। अब इसे फिर से छान लें पर ध्यान रखें कि इस बार इस पानी को बिना हिलाए छानना है। इसे दिन में दो-दो घंटे से पीयें, यह नियम एक हफ्ते तक दोहराएँ। इसके परिणाम आशानुरूप मिलेंगे।
    • पाचन क्रिया में सहायक : राजमा में उच्च मात्रा में फाइबर होते हैं. जो पाचन क्रिया को सही बनाए रखते हैं। साथ ही ये ब्लड शुगर के स्तर को भी नियंत्रित रखने में मददगार होता है।
    • माइग्रेन की प्रॉब्लम खत्म करता है : इसमें मौजूद फोलेट की मात्रा दिमाग के काम करने की क्षमता को बढ़ाने के साथ ही उसे दुरुस्त भी रखती है। मैग्नीशियम की मात्रा माइग्रेन जैसी गंभीर समस्या में राहत दिलाती है। हफ्ते में एक बार इसका सेवन बहुत ही फायदेमंद होता है।
    • कैंसर से बचाव : राजमा में मौजूद मैंगनीज़, एंटी-ऑक्सीडेंट का काम करता है। यह फ्री रैडिकल्स को डैमेज होने से रोकता है। इसके साथ इसमें मौजूद विटामिन के की मात्रा सेल्स को बाहरी नुकसानदायक चीजों से बचाती है जो कैंसर का मुख्य कारण होते हैं।
    • कैलोरी की प्राप्ति : राजमा में जिस मात्रा में कैलोरी मौजूद होती है वो हर आयु वर्ग के लिए सही होती है। आप चाहें तो इसे करी के अलावा सलाद और सूप के रूप में भी ले सकते हैं। ऐसे लोग जो अपने वजन को नियंत्रित करना चाहते हैं उनके लिए लंच में राजमा का सलाद और सूप लेना फायदेमंद रहेगा।
    • नर्वस सिस्टम के लिए अच्छा : विटामिन के की पर्याप्त मात्रा ब्रेन के साथ ही नर्वस सिस्टम के लिए भी बहुत ही फायदेमंद होती है। राजमा में मौजूद थियामिन की मात्रा दिमाग की क्षमता बढ़ाती है। इससे अल्जाइमर जैसी बीमारी दूर रहती है और याददाश्त भी बढ़ती है।
    • शरीर की सफाई : राजमा खाने से शरीर के अंदर मौजूद गंदगी बाहर निकलती है, क्योंकि इसमें मॉलिबडेनम पाया जाता है जिसका काम बॉडी को डिटॉक्सीफाई करना है। साथ ही कई प्रकार की एलर्जी को दूर करने के साथ ही सिरदर्द जैसी समस्या को भी कम करता है।
    • फाइबर की उचित मात्रा : राजमा में उच्च मात्रा में फाइबर होते हैं। जो पाचन क्रिया को सही बनाए रखते हैं। साथ ही ये ब्लड शुगर के स्तर को भी नियंत्रित रखने में मददगार होता है।
    • इम्यून सिस्टम मज़बूत बनाएं : राजमा में सिर्फ फाइबर और प्रोटीन ही नहीं होता बल्कि काफी मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स भी पाए जाते हैं। ये एंटीऑक्सीडेंट्स इम्यून सिस्टम को बढ़ाते हैं और फ्री रेडिकल्स से इसे मुक्त रखते हैं। ऐसा माना जाता है कि एंटीऑक्सीडेंट्स में एंटी-एजिंग तत्व भी पाए जाते हैं।
    • ब्लड शुगर में कण्ट्रोल : राजमा में घुलनशील फाइबर पाए जाते हैं, जो शरीर में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा को कम करते हैं। राजमा प्रोटीन का भी बहुत अच्छा स्रोत होता है। ये दोनों ही मिलकर ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करते हैं।
    • कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण : राजमा में उच्च मात्रा में मैग्नीशियम पाया जाता है। साथ ही ये कोलेस्ट्रॉल के स्तर को भी नियंत्रित करने का काम करता है। मैग्नीशियम की मात्रा दिल से जुड़ी बीमारियों से लड़ने में भी सहायक होती है।
    • हाइपरटेंशन कम करने में सहायक : राजमा पोटाशियम और मैग्नीशियम का अच्छा स्रोत है। साथ ही इसमें फाइबर और प्रोटीन भी पाया जाता है। ये सभी दिल की सेहत के लिए बहुत जरूरी पोषक तत्व माने जाते हैं। पोटाशियम और मैग्नीशियम रक्त वाहिकाओं में घुल जाते हैं जिससे कि ब्लड फ्लो आसान हो जाता है।
    • एनर्जी : आयरन की भरपूर मात्रा लिए राजमा बॉडी को एनर्जी भी प्रदान करती है। इसके अलावा मैंगनीज़ की मौजूदगी भी मेटाबॉलिज्म को कंट्रोल करके एनर्जी बढ़ाने का काम करती है।
    • हड्डियों की मजबूती के लिए : कमजोर हड्डियां ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारी का कारण होती हैं। मजबूत हड्डियों के लिए कैल्शियम और मैंगनीज़ की सबसे ज्यादा आवश्यकता होती है जिसे राजमा खाकर पूरा किया जा सकता है। इसके साथ ही राजमा में फोलेट की मौजूदगी होमोसिस्टीन लेवल को कंट्रोल करती है, जो हड्डियों के टूटने की मुख्य वजह है।
    • वजन घटाने में सहायक : वजन घटाने के तमाम प्रयासों से हार मान चुके हैं, तो हरी सब्जी बीन्स का सहारा लें। बीन्स से बने उत्पादों का सेवन करके आप अपना मोटापा घटा सकते हैं। बीन्स का इस्तेमाल आप किसी भी तरह कर सकते हैं। वजन नियंत्रित करना-बीन्स में प्रोटीन प्रचुर मात्रा में होता है, प्रति कप में 10 ग्राम। मोटे या आवश्यकता से अधिक वजन वाले लोग जो कम कैलोरी, उच्च प्रोटीन, उच्च फाइबर युक्त आहार लेते हैं, उनका वजन उन लोगों की तुलना में कम होता है जो नियमित तौर पर नियंत्रित मात्रा में कैलोरी, उच्च कार्बोहाइड्रेट और कम फैट वाला आहार लेते हैं।पोषक तत्त्वों से भरपूर-फल तथा सब्जियों की तरह बीन्स भी पोषक तत्त्वों से भरपूर खाद्य पदार्थ है इसका अर्थ यह है कि इसमें शरीर की प्रक्रिया के लिए आवश्यक सभी पोषक तत्त्व उपस्थित होते हैं तथा साथ ही साथ इसमें कैलोरी भी कम होती है। साथ ही साथ कॉपर आयरन के साथ मिलकर लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में मदद करता है। इसके अलावा कॉपर रक्तप्रवाह, प्रतिरक्षा प्रणाली, तथा हड्डियों को स्वस्थ तथा संतुलित रखता है।
    • फास्फोरस तथा मैग्नीशियम शक्तिशाली हड्डियों के लिए आवश्यक हैं तथा मैग्नीशियम के साथ पौटेशियम रक्त के दबाव के स्तर को नियंत्रित रखता है।आपके पेट को भरा रखता है-इसमें प्रोटीन प्रचुर मात्रा में होता है, जिसके कारण यह एक ऐसा स्नैक है जो आपके पेट को भरा रखता है जिससे आप खाने की और आकर्षित नहीं होते।

      चक्कर आने पर घरेलू उपचार,Home Remedies for Vertigo,(Chakkar Aana).



      अगर आपको कभी भी चक्कर आने लगते हैं, सिर घूमने लगता है, या किसी किसी काम में मन नहीं लगता, कमजोरी महसूस होती है और नींद भी नहीं आती तो जरा सावधान हो जाईए.चक्कर आना या सिर घूमना या आंखों के सामने गोल गोल घूमती हुई दिखाई देने वाली स्थिती को चक्कर आना या(vertigo )कहते है ।
      कुछ देर बैठे रहने के बाद जब उठते हैं तो चक्कर आने लगते हैं और आंखों के आगे अंधेरा छा जाता है। रोगी को लगता है कि उसके चारों तरफ़ की चीजें बडी तेजी से घूम रही हैं।चक्कर का एक कारण दिमाग में खून की पूर्ति कम हो जाना है। चक्कर आने के विस्तृत कारण हो सकते हैं 
      जैसे--कान में संक्रमण होना,कान में मैल अधिक होने से डाट लग जाना,माईग्रेन, आंखों की समस्या,सिर की ताजा चोट,हृदय के रोग,अर्बुद,रक्ताल्पता, खून में कैल्शियम का स्तर बिगड जाना आदि।

      चक्कर आना-तीन प्रकार का होता है

      • ऑब्जेक्टिव'-इसमें व्यक्ति को यह महसूस होता है कि सभी वस्तुएं घूम रही हैं।
      • सब्जेक्टिव'-इसमें व्यक्ति को यह आभास होता है कि वह स्वयं घूम रहा है।
      • स्यूडो वर्टाइगो'-इसमें व्यक्ति को सिर के अंदर घूमने का आभास होता है।

      चक्कर आने का -लक्षण 

      • चक्कर आने की परेशानी यदि वास्तविक है तो भ्रम की स्थिति पैदा हो जाती है।
      • इसके अलावा निम्नलिखित लक्षणों में से कुछ अथवा सभी लक्षण महसूस हो सकते हैं-
      • मिचलाहट अथवा उल्टी
      • पसीना आना
      • आंखों में असामान्य गतिविधि
      • इन लक्षणों की अवधि मिनटों से घंटों तक हो सकती है। यह लक्षण स्थायी अथवा अस्थायी भी हो सकते हैं।
      • कान के अंदरूनी भाग में कोई इंफैक्शन या कान की कोई और बीमारी
      • थकावट, तनाव या बुखार के चलते भी अकसर चक्कर आ जाता है
      • ब्लड-शुगर कम होना भी चक्कर आने के कारणों में शामिल है
      • खून की कमी अथवा एनीमिया में भी चक्कर आ सकते हैं.
      • डीहाइड्रेशन--- जब कभी हमें दस्त एवं उलटियां परेशान करती हैं,तो शरीर में पानी की कमी को ही डीहाइड्रेशन कहते हैं.
      • सिर के ऊपर कोई चोट लगने से भी सिर घूमने लगता है
      • दिल की अथवा सरकुलेटरी सिस्टम की कोई बीमारी 
      • दिमाग में स्ट्रोक हो जाना

      चक्कर आने पर घरेलू उपचार

      • तुलसी के २० पत्ते पीसकर शहद मिलाकर चाटने से चक्कर आने की समस्या काफ़ी हद तक नियंत्रण में आ जाती है। 
      • १० ग्राम गेहूं,५ ग्राम पोस्तदाना,७ नग बादाम,७नग कद्दू के बीज लेकर थोडे से पानी के साथ पीसकर इनका पेस्ट बनालें। अब कढाई में थोडा सा गाय का घी गरम करें और इसमें २-३ नग लोंग पीसकर डाल दें। अब बनाया हुआ पेस्ट इसमें डालकर एक मिनट आंच दें। इस मिश्रण को एक गिलास दूध में घोलकर पियें। चक्कर आने में असरदार स्वादिष्ट नुस्खा है।
      • चाय,काफ़ी और तली गली मसालेदार चीजों से परहेज करना आवश्यक है। इनके उपयोग से चक्कर आने की तकलीफ़ में इजाफ़ा होता है।
      • कभी-कभी नमक की मात्रा शरीर में कम होने पर भी चक्कर आने लगते हैं। आलू की नमकीन चिप्स खाने से लाभ होता देखा गया है।
      • जब चक्कर आने का हमला हुआ हो , बर्फ़ के समान ठंडा पानी ३ गिलास पीने से भी तुरंत राहत मिलती है।
      • चक्कर आने की तकलीफ़ में रोगी को आहिस्ता घूमना चाहिये। तेज चलने से गिरकर चोंट लगने की संभावना रहती है।आहिस्ता चलने से वर्टिगो का प्रभाव कम हो जाता है।
      • अचानक चक्कर आने पर सबसे बढिया बात यह है कि लेट जाएं। चित्त लेटना उचित नहीं है। साइड से लेटें और सिर के नीचे तकिया अवश्य लगाएं।
      • अनुलोम विलोम प्राणायाम से चक्कर आने की व्याधि से हमेशा के लिये छुटकारा मिल जाता है।
      • खरबूजे के बीज की गिरी गाय के घी में भुन लें। इसे पीसकर रख लें। ५ ग्राम की मात्रा में सुबह शाम लेने से चक्कर आने की समस्या से मुक्ति मिल जाती है।
      • १५ ग्राम मुनक्का देशी घी में भुनकर उस पर सैंधा नमक बुरककर सोते समय खाने से चक्कर आने का रोग मिट जाता है।
      • प्याज का रस और शुद्ध शहद बराबर मात्रा में मिलाकर रोज करीब दस ग्राम की मात्रा में लेने से उच्च रक्तचाप में लाभ मिलता है.
      • तरबूज के बीज की गिरि और खसखस इन दोनों को बराबर मात्रा में मिलाकर पीस लें. रोज सुबह-शाम एक चम्मच खाली पेट पानी के साथ सेवन करें. यह प्रयोग करीब एक महीने तक नियमित रूप से जारी रखें.
      • एक चम्मच मैथीदाना-चूर्ण रोजाना सुबह खाली पेट लेने से हाई ब्लडप्रेशर से बचा जा सकता है.
      •  खाना खाने के बाद दो कच्चे लहसुन की छिली हुई कलियां तीन-चार बीज निकले हुए मुनक्कों के साथ चबाएं, ऐसा करने से हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत दूर होने के साथ पेट में रुकी हुई गैस भी पास होने लग जाती है.
      • सूखा आंवला पीस लें। दस ग्राम आंवला चूर्ण और १० ग्राम धनिया का पावडर एक गिलास पानी में डालकर रात को रख दें। सुबह अच्छी तरह मिलाकर छानकर पी जाएं। चक्कर आने में आशातीत लाभ होगा।
      • अदरक लगभग 20 ग्राम की मात्रा में बारीक काटकर पानी में उबालें आधा रह जाने पर छानकर पीयें। अदरक का रस भी इतना ही उपकारी है।सब्जी बनाने में भी अदरक का भरपूर उपयोग करें। चाय बनाने में अदरक का प्रयोग करें।अदरक किसी भी तरह खाएं चक्कर आने के रोग में आशातीत लाभकारी है।

      दाद और खुजली का घरेलु उपचार,Fungal Infection In Hindi

      Fungal Infection In Hindi,Ayurvedic Treatment for Fungal infection of skin in hindi

      अगर आपको शरीर पर लाल धब्बे दीखते हैं और खुजली होती है तो सावधान हो जाइए ये दाद है अगर ये आपके नाख़ून पर हुआ तो आपका नाख़ून जड़ से निकल सकता है बालों की जड़ो मे हुआ तो आपके बाल उस जगह से झड़ सकते हैं।
        • टमाटर खट्टा होता है। इसकी खटाई खून को साफ करती है। नींबू में इसी तरह के गुण होते हैं। रक्तशोधन (खून साफ करना) के लिए टमाटर को अकेले ही खाना चाहिए। रक्तदोष (खून की खराबी) से त्वचा पर जब लाल चकत्ते उठे हों, मुंह की हडि्डयां सूज गई हो, दांतों से खून निकल रहा हो, दाद या बेरी-बेरी रोग हो तो टमाटर का रस दिन में 3-4 बार पीने से लाभ होता है। कुछ सप्ताह तक रोजाना टमाटर का रस पीने से चर्मरोग (त्वचा के रोग) ठीक हो जाते हैं।
        • अंजीर का दूध लगाने से दाद मिट जाते हैं। पके केले के गूदे में नींबू का रस मिलाकर लगाने से दाद, खाज, खुजली और छाजन आदि रोगों में लाभ होता है। इन्फेक्शन हुआ हो तो ये एक बहुत बेहतरीन तरीका है। छोटे छोटे राई के दाने दाद को ठीक करने में सहायक है। राई को 30 मिनट तक पानी में भिगो कर रख दें। फिर उसका पेस्ट बनाकर दाद की जगह पर लगा लें।
        • एलो वेरा का अर्क हर तरह के फंगल इन्फेक्शन को ठीक कर देता हैं । इसे तोड़कर सीधे दाद पर लगा लीजिये ठंडक मिलेगी। हो सके तो रात भर लगा कर रखें । एलो वेरा का नियमित सेवन करने और प्रभावित स्थान पर लगाने से दाद और खुजली में बहुत आराम मिलता हैं।
            • नीम के पत्तों को पानी में उबालकर स्नान करना चाहिये। काले चनों को पानी में पीस कर दाद पर लगायें। दाद में आराम आएगा। शरीर के जिन स्थानों पर दाद हों, वहां बड़ी हरड़ को सिरके में घिसकर लगाएं। छिलकेवाली मूंग की दाल को पीसकर इसका लेप दाद पर लगाएं।
            • दाद होने पर हींग को पानी में घिस कर नियमित प्रभावित स्थान पर लगाये। इस से दाद में आशातीत आराम मिलता हैं। नौसादर को नींबू के रस में पीसकर दाद में कुछ दिनों तक लगाने से दाद दूर हो जाता है। नाइलान व सिंथेटिक वस्त्रों की जगह सूती वस्त्रों का प्रयोग करें तथा अधोवस्त्र को हमेशा साफ सुथरा रखें।
            • खुजली एक विशेष प्रकार के सूक्ष्म परजीवी के त्वचा पर चिपक कर खून चूसने से उस जगह पर छाले व फुंसियां निकल आती है। इससे अत्यधिक खुजली पैदा होती है। खुजली एक ऐसा चर्म रोग है जो आनंद देता है खुजाने में। जब तब त्वचा जलने न लगे तब तक खुजलाहट शांत नहीं होती। इस रोग में सबसे अधिक शरीर की सफाई पर ध्यान देना चाहिये। चूंकि यह रोग एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक शीघ्र पहुंचाता है इसलिय संक्रमित के कपड़े अलग रखकर उनकी गरम पानी से धुलाई करनी चाहिये। इसके उपचार हैं
            • आंवले की गुठली जलाकर उसकी भस्म में नारियल का तेल मिलाकर मलहम बनायें और खुजली वाले स्थान पर लगाने से खुजली दूर होती है। नीम की पत्तियों को गरम पानी में उबालकर खुजली वाले स्थान पर लगायें। काली मिर्च एवं गंधक को घी में मिलाकर शरीर पर लगाने से खुजली दूर होती है।
            • टमाटर का रस एक चम्मच, नारियल का तेल दो चम्मच मिलाकर मालिश करें और उसके आधे घंटे बाद स्नान करें। खुजली में राहत मिलेगी। स्वमूत्र चिकित्सा से भी इसका लाभप्रद इलाज होता है। छ: दिन का पुराना स्वमूत्र दाद खुजली पर लगाने से और स्वमूत्र की पट्टी रखने से चमत्कारी लाभ मिलता है।
            • उपरोक्त दाद वाले इलाज खुजली में भी उतनी ही उपयोगी हैं जितने दाद में। बच्चो को पहनाये जाने वाले डाइपर बहुत हानिकारक होते हैं, जहाँ तक हो सके उन से परहेज करे। दाद खाज-त्वचा के ऐसे रोग हैं कि लापरवाही बरतने से हमेशा के मेहमान बन जाते हैं। दाद, खाज और खुजली में मूंगफली का असली तेल लगाने से आराम आता है।
            • 1 कप गाजर का रस रोजाना पीने से त्वचा के रोग ठीक हो जाते हैं। त्वचा के किसी भी तरह के रोगों में मूली के पत्तों का रस लगाने से लाभ होता है। नीम्बू के रस में इमली के बीज पीसकर लगाने से दाद में लाभ होता हैं।
            • शरीर की त्वचा पर कहीं भी चकत्ते हो तो उस पर नींबू के टुकड़े काटकर फिटकरी भरकर रगड़ने से चकत्ते हल्के पड़ जाते हैं और त्वचा निखर उठती है। लहसुन में प्राकृतिक रूप से एंटी फंगल तत्व होते हैं। जो की कई तरीके के फंगल इन्फेक्शन को ठीक करने में सहायक है। जिसमे से दाद भी एक है। लहसुन को छिल कर उसके छोटे छोटे टुकड़े कर दाद पर रख दीजिये जल्दी आराम मिलेगा। नारियल का तेल दाद को ठीक करने में बहुत उपयोगी है। ख़ास कर जब आपके सर की जड़ो में शरीर की त्वचा पर कहीं भी चकत्ते हो तो उस पर नींबू के टुकड़े काटकर फिटकरी भरकर रगड़ने से चकत्ते हल्के पड़ जाते हैं और त्वचा निखर उठती है।
                • नींबू के टुकड़े को काटकर दाद पर मलने से दाद की खुजली कम हो जाती है और थोड़े ही दिनों में दाद बिल्कुल मिट जाता है। इसको शुरूआत में दाद पर लगाने से कुछ जलन सी महसूस होती है। टमाटर खट्टा होता है। इसकी खटाई खून को साफ करती है। नींबू में इसी तरह के गुण होते हैं। रक्तशोधन (खून साफ करना) के लिए टमाटर को अकेले ही खाना चाहिए। रक्तदोष (खून की खराबी) से त्वचा पर जब
                • लाल चकत्ते उठे हों, मुंह की हडि्डयां सूज गई हो, दांतों से खून निकल रहा हो, दाद या बेरी-बेरी रोग हो तो टमाटर का रस दिन में 3-4 बार पीने से लाभ होता है। कुछ सप्ताह तक रोजाना टमाटर का रस पीने से चर्मरोग (त्वचा के रोग) ठीक हो जाते हैं।
                • अंजीर का दूध लगाने से दाद मिट जाते हैं। पके केले के गूदे में नींबू का रस मिलाकर लगाने से दाद, खाज, खुजली और छाजन आदि रोगों में लाभ होता है।
                • दाद, खाज और खुजली में मूंगफली का असली तेल लगाने से आराम आता है। सुपारी को पानी के साथ घिसकर लेप करने से उकवत, और चकत्ते आदि रोग दूर हो जाते हैं। त्वचा के किसी भी तरह के रोगों में मूली के पत्तों का रस लगाने से लाभ होता है।

                  Friday, June 04, 2021

                  चुकंदर के औषधीय गुण-Health Benefits of Beetroot in Hindi,Beet juice Benefits

                  चुकंदर के औषधीय गुण-Health Benefits of Beetroot in Hindi,beetroot juice,beet juice benefits
                  गुणों से भरपूर- सोडियम पोटेशियम, फॉस्फोरस, क्लोरीन, आयोडीन, आयरन और अन्य महत्वपूर्ण विटामिन पाए जाते है इसे खाने से हिमोग्लोबिन बढ़ता है। हर्बल जानकार चुंकदर को कैंसर जैसे भयावह रोग से ग्रसित रोगी को खिलाने की सलाह देते हैं। इनका मानना है कि चुकंदर कैंसर नियंत्रण में काफी मददगार होता है, चुकंदर का सेवन अधिक उम्र वालों में भी ऊर्जा का संचार करता है। इसमें एंटीआक्सीडेंट पाए जाते हैं। जो हमेशा जवान बनाएं रखते हैं। 
                  Health Benefits of Beetroot आदिवासी हर्बल जानकार चुकंदर सेवन की सलाह गर्भवती महिलाओं को देते हैं। इनके अनुसार चुकंदर का सेवन महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान भी करना चाहिए। यह महिलाओं को ताकत प्रदान करता है और शरीर में रक्त की मात्रा तैयार करने में मददगार साबित होता है। चुकंदर में भरपूर मात्रा में लौह तत्व और फ़ोलिक एसिड पाए जाते हैं जो रक्त निर्माण के लिए मददगार होते हैं।

                  चुकंदर के औषधीय गुण

                  • एनीमिया में चुकंदर का जूस मानव शरीर में खून बनाने की प्रक्रिया में उपयोगी होता है। आयरन की प्रचुरता के कारण यह लाल रक्त कोशिकाओं को सक्रिय और उनकी पुर्नरचना करता है। यह एनीमिया के उपचार में विशेष रूप से उपयोगी होता है। इसके सेवन से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
                  • त्वचा के लिए फायदेमंद- यदि आपको आलस महसूस हो रही हो या फिर थकान लगे तो चुकंदर का खा लीजिये। इसमें कार्बोहाइड्रेट होता है जो शरीर की एनर्जी बढाता है।सफेद चुकंदर को पानी में उबाल कर छान लें। यह पानी फोड़े, जलन और मुहांसों के लिए काफी उपयोगी होता है। खसरा और बुखार में भी त्वचा को साफ करने में इसका उपयोग किया जा सकता है। 
                  • चुकन्दर में ’बिटिन‘ नामक तत्व पाया जाता है, जो शरीर में कैंसर तथा ट्यूमर बनने की संभावनाओं को नष्ट कर देता है तथा यह शरीर में रोगों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता का विकास करता है।
                  • चुकन्दर के नियमित सेवन से दूध पिलानेवाली स्त्रियों के दूध में वृद्धि होती है। चुकन्दर का
                  • नियमित सलाद खाते रहने से पेशाब की जलन में फायदा होता है। पेशाब के साथ कैल्शियम का शरीर से निकलना बन्द हो जाता है।
                  • कब्ज तथा बवासीर में चुकन्दर गुणकारी है। रोज इसके सेवन से कब्ज तथा बवासीर की तकलीफ नहीं रहती। एनीमिया (रक्ताल्पता) में एक कप चुकन्दर का रस दिन में ३ बार लें। सुबह शाम रोज १ कप चुकन्दर का रस सेवन करने से स्मरणशक्ति बढ़ती है। इससे दिमाग की गर्मी तथा मानसिक कमजोरी दूर होती है।
                  • एक कप चुकन्दर के रस में एक चम्मच नीबू का रस मिलाकर पीने से पाचन क्रिया की अनियमितताएँ दूर होती हैं तथा उल्टी, दस्त, पेचिश, पीलिया में लाभ होता है। रोजाना सोने से पहले एक कप चुकन्दर का रस पीने से बवासीर में लाभ होता है। चुकन्दर के रस में एक चम्मच शहद मिलाकर प्रतिदिन सुबह खाली पेट पीने से गेस्ट्रिक अल्सर में फायदा होता है।
                  • चुकन्दर के रस में गाजर तथा खीरे का रस मिलाकर सेवन करने से गुर्दे तथा गाल ब्लेडर की सफाई होती है। चुकन्दर का रस एक कप दिन में दो बार पीने से या १०० ग्राम चुकन्दर का नियमित सेवन करने से गुर्दे सम्बन्धी रोगों में फायदा होता है। Health Benefits of Beetroot
                  • चुकन्दर के रस में गाजर का रस तथा पपीता या संतरे का रस मिलाकर दिन में २ बार सेवन करने से उच्च रक्तचाप में लाभ होता है। स्त्रियों के गर्भाशय सम्बन्धी रोगों में चुकन्दर विशेष लाभकारी है। बार-बार गर्भपात होता है या कम मासिक आने में बी यह लाभदायक होता है। इसके लिये एक प्याला चुकन्दर का रस सुबह खाली पेट पीना चाहिए।
                  • गर्भवती स्त्रियों को चुकन्दर, गाजर, टमाटर तथा सेव का रस मिलाकर पिलाने से उनके शरीर में विटामिन ए.सी.डी तथा लोहे की कमी नहीं हो पाती। यह रक्तशोधन करके शरीर को लाल सुर्ख बनाने में सहायता करता है।
                  • दिल की बीमारियां- चुकंदर में नाइट्रेट नामक रसायन होता है जो रक्त के दबाव को काफी कम कर देता है और दिल की बीमारी के जोखिम को भी कम करता है। चुकंदर एनीमिया के उपचार में बहुत उपयोगी माना जाता है। 
                  • यह शरीर में रक्त बनाने की प्रक्रिया में सहायक होता है। आयरन की प्रचुरता के कारण यह लाल रक्त कोशिकाओं को सक्रिय रखने की क्षमता को बढ़ा देता है। इसके सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता और घाव भरने की क्षमता भी बढ़ जाती है।
                  • हाई ब्लड प्रेशर में- लंदन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने रोज चुकंदर का जूस पीने वाले मरीजों को अध्ययन में शामिल किया। उन्होंने रोज चुकंदर का मिक्स जूस [गाजर या सेब के साथ] पीने वाले मरीजों के हाई ब्लड प्रेशर में कमी पाई। अध्ययन के मुताबिक रोजाना केवल दो कप चुकंदर का मिक्स जूस पीने से ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है। हालांकि इसका ज्यादा सेवन घातक साबित हो सकता है।
                  • कब्ज और बवासीर-चुकंदर का नियमित सेवन करेंगे, तो कब्ज की शिकायत नहीं होगी। बवासीर के रोगियों के लिए भी यह काफी फायदेमंद होता है। रात में सोने से पहले एक गिलास या आधा गिलास जूस दवा का काम करता है।
                  • लोग जिम में जी तोड़ कर वर्कआउट करते हैं उन्हें खाने के साथ चुकंदर खाना चाहिए। इससे शरीर में एनर्जी बढती है और थकान दूर होती है। साथ ही अगर हाई बीपी हो गया हो तो इसे पीने से केवल 1 घंटे में शरीर नार्मल हो जाता है Health Benefits of Beetroot
                  • आदिवासी एसिडिटी होने पर चुकंदर के जूस के सेवन की सलाह देते हैं। चुकंदर न सिर्फ किडनी की सफाई में मदद करता है बल्कि यकृत को स्वस्थ बनाने में भी मदद करता है।
                  • चुकंदर को एंटी एजिंग के लिए एक महत्वपूर्ण और कारगर फार्मुला माना गया है। यह शारीरिक कोशिकाओं को तरोताजा रखने में सहायक तो होता ही है इसके अलावा रक्त संचार को सुचार रखने में बेहतर साबित होता है।

                  कौन से रोग में कौन सा कैसा जूस पिया जाए Health Benefits of Juices in Hindi

                  जूस का सेवन सेहत के लिहाज से बहुत फायेदमंद होता है, लेकिन क्‍या आपको पता है कौन सा जूस कब पीना चाहिए, अगर नही तो यह लेख आपके लिए बहुत उपयोगी साबित होगा रोगो के हिसाब से जूस का सेवन कब और कैसे करना चाहिए जूस में भरपूर मात्रा में विटामिन, कैल्सियम, मिनरल और फाइबर होता है जो शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है साथ ही कई रोगों से भी बचाता है। आइये जानते है कौन  से रोग में कौन सा कैसा जूस पिया जाए जो सेहत के लिए लाभ दायक होगा

                  1-►गठियावात रोग के लिए जूस-

                  नीबू, खीरा, गाजर, पालक, चुकंदर का रस उपयोगी है

                  2-►मधुमेहरोग के लिए जूस-

                  गाजर, संतरा, पालक, मुसम्बी, अन्नानास, नीबू, का रस उपयोगी है 

                  3-►उच्च रक्तचापरोग के लिए जूस-

                  संतरा, अंगूर, गाजर चुकंदर, खीरा का रस उपयोगी है.

                  4-►सर्दी-जुकाम रोग के लिए जूस-

                  नीबू,संतरा,अनन्नास, गाजर,प्याज, पालक का रस उपयोगी है

                  4-►आँखों के लिए-

                  टमाटर, गाजर, पालक, खुबानी का रस उपयोगी है 

                  5-►मोटापे के लिए-

                  नीबू, संतरा, अनन्नास, टमाटर, पपीता, चुकंदर, गाजर, पालक, पत्तागोभी का रस उपयोगी है.

                  6-►अल्सर के लिए-

                  गाजर, पत्तागोभी, अंगूर, खुबानी का रस उपयोगी है

                  7-►टांसिल के लिए-

                  नीबू, संतरा, अनन्नास, गाजर, पालक, मूली, खुबानी का रस उपयोगी है

                  8-►सिरदर्द के लिए-

                  अंगूर, नीबू, गाजर, पालक का रस उपयोगी है

                  9-►अनिद्राके लिए-

                  सेव, गाजर, अंगूर, नीबू कर रस उपयोगी है.

                  10-►रक्ताल्पता के लिए-

                  गाजर, पालक, काले अंगूर, चुकंदर, खुबानी का रस उपयोगी है.

                  11-►कब्जके लिए-

                  अंगूर, गाजर, चुकंदर, पपीता का रस उपयोगी है.

                  12-►बुखार के लिए-

                  संतरा, नीबू, मुसम्बी, गाजर, अनन्नास, प्याज, पालक, खुबानी का रस उपयोगी है

                  13-►पीलिया के लिए-

                  गन्ना, नीबू, गाजर,अंगूर,चुकंदर, खीर, मुली, पालक, नाशपाती का रस उपयोगी है 

                  हीमोग्लोबिन बढाने के घरेलु उपाय How to Increase Your Haemoglobin Level in Hindi,

                  How to Increase Blood in Body in Hindi

                    जब हमारे शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या या हीमोग्लोबिन की संख्या सामान्य से कम होती है तो यह रक्त की कमी या एनीमिया कहलाता है। चूंकि यह अपने आप में कोई बीमारी तो नहीं है परंतु यह दूसरे गंभीर बीमारियों का एक लक्षण हो सकता है।

                    खून में स्थित लाल रक्त कोशिकाएँ शरीर में ऑक्सीज़न का वाहन करती है और शरीर के विभिन्न भागों तक ऑक्सीज़न पहुँचती है। यदि खून में लाल रक्त कोशिकाओं की कमी हो जाय तो हमारे शरीर के विभिन्न भागों तक पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीज़न नहीं पहुँच पाएगा और हमे थकान महसूस होने लगेगा। इस ऑक्सीज़न को पूरा करने के लिए हमे ज़ोर-ज़ोर से श्वास लेने की जरूरत महसूस होगी। इस तरह हमे श्वास लेने में तकलीफ होने लगेगी। हमे चक्कर आने लगेगा और व्याकुलता महसूस होगी।

                    शरीर में खून की कमी के लक्षण

                    • शरीर में खून की कमी हो जाने पर रोगी कमजोरी, थकावट, शक्तिहीनता और चक्कर आना 
                    • चमडी पर समय पूर्व  झुर्रियां पड जाना ,याददाश्त की कमी,  
                    • मामूली काम करने या चलने पर सांस फ़ूल जाना, 
                    • घाव हो जाने पर उसके ठीक होने या भरने में जरूरत से ज्यादा वक्त लगना,सिर दर्द होना 
                    • दिल की धडकन  बढ जाना ये लक्षण भी रक्त की कमी के रोगी में अक्सर देखने को मिलते हैं। 

                    खून की कमी के कारण

                    • पोषक तत्वों की कमी
                    •  लाल रक्त कणिकाएं नष्ट होना
                    •  रक्त संबंधी आनुवांशिक बीमारियाँ
                    • आयरन और विटामिन B12 की कमी आदि

                    हीमोग्लोबिन बढ़ाने के लिए के घरेलू उपाय

                    • एक गिलास चुकंदर (बीटरूट) के रस में शहद मिला कर अथवा आनार का रस सुबह-शाम प्रतिदिन सेवन करें। इससे हीमोग्लोबिन तेजी से बढ़ती है। 
                    • दो घंटे के लिए 2 चम्मच तिलों को पानी में भिगों लें और बाद में पानी से छानकर इसका पेस्ट बना लें अब इसमें 1 चम्मच शहद मिलाएं और दिन में दो बार सेवन करें।
                    • काफी और चाय का सेवन कम कर दें। एैसा इसलिए क्योंकि ये चीजें शरीर को आयरन लेने से रोकते हैं
                    • आप अपने भोजन में गेहूं, मोठ,मूंग और चने को अंकुरित करकेउसमें नींबू मिलाकर सुबह का नाश्ता लें
                    • पके आम के गुदे को मीठे दूध के साथ सेवन करें। एैसा करने से खून तेजी से बढ़ता है।
                    • शरीर में खून की कमी को दूर करने के लिए मूंगफली के दानोंको गुड़ के साथ चबा-चबा कर सेवन करें।
                    • सिंघाड़ा शरीर में खून और ताकत दोनो को बढ़ाता है। कच्चे सिंघाड़े को खाने से शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर तेजी से बढ़ता है।
                    • मुनक्का, अनाज, किशमिश, दालें और गाजर का नियमित सेवन करें और रात को सोने से पहले दूध में खजूर डालकर उसको पीएं।
                    • अमरूद, पपीता, चीकू, सेब और नींबू आदि फलो का अधिक से अधिक सेवन करें।
                    • आंवले का रस और जामुन का रस बराबर मात्रा में मिलाकर सेवन करने से हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ता है।
                    • एक गिलास टमाटर का रस रोज पीने से भी खून की कमी दूर होती है। इसलिए टमाटर का सूप भी बनाकर आप ले सकते हो।
                    • बथुआ, मटर, सरसों, पालक, हरा धनिया और पुदीना को अपने भोजन में जरूर शामिल करें।
                    • फालसे का शर्बत या फालसे का सेवन सुबह शाम करने से शरीर में खून की मात्रा जल्दी बढ़ती है।
                    • शरीर में खून को बढ़ाने के लिए नियमित रूप से लहसुन और नमक की चटनी का सेवन करे। यह हीमोग्लोबिन की कमी को दूर करता है।
                    • सेब का जूस रोज पीएं। चुकंदर के एक गिलास रस में अपने स्वाद के अनुसार शहद मिलाकर इसे रोज पीएं। इस जूस में लौह तत्व ज्यादा होता है।शरीर में खून की कमी से बहुत बीमारियां लग सकती हैं।जिस वजह से इंसान कमजोर हो जाता है और उसका शरीर बीमारियों से लड़ नहीं पाता है। इसलिए महिलाओं और पुरूषों को शरीर में खूनकी मात्रा बढ़ाने के लिए इन आयुवेर्दिक उपायों को अपनाना चाहिए।
                    • शरीर में लोह तत्व बढाने के लिये सबसे अच्छा तरीका यह है भोजन से इसकी पूर्ति करें। चाय,काफ़ी और अम्ल विरोधि (एन्टासिड) दवाएं उपयोग में न लाएं। ये चीजें शरीर द्वारा लोह तत्व ग्रहण करने की प्रक्रिया को बाधित करते हैं।
                    • लोह तत्व की वृद्धि के लिये हरे मटर,हरे चने(छोले),अंडे,मछली, कलेजी दूध का प्रचुर उपयोग करना उत्तम है। जो लोग शाकाहारी हैं वे अपने भोजन में पालक,सभी तरह की हरी सब्जियां, दालें अंजीर,अखरोट बदाम काजू, किशमिश,खजूर, आदि रक्त वर्धक पदार्थो का भरपूर उपयोग करना चाहिये।
                    • सेवफ़ल,टमाटर भोजन में शामिल करें। एक कप सेवफ़ल के रस में दो चम्मच शहद मिलाकर नित्य पीने से खून की कमी दूर होती है।
                    • टमाटर और सेवफ़ल का रस प्रत्येक २०० मिलिलिटर मिश्रण करके रोज सुबह लेने से रक्ताल्पता में आशातीत लाभ होता है।
                    • ताजा सलाद खाने और शहद से शरीर में हेमोग्लोबिन बढकर एनिमिया का निवारण होता है।विटामिन बी१२, फ़ोलिक एसिड,और विटामिन सी ग्रहण करने से हेमोग्लोबिन की वृद्धि होती है
                    • दूध,मांस,गुर्दे और कलेजी में प्रचुर विटामिन बी१२ पाया जाता है।मैथी की सब्जी कच्ची खाने से लोह तत्व मिलता है।
                    • किशोरावस्था की लडकियों में होने वाली खून की कमी में मैथी की पत्तियां उबालकर उपयोग करने से बहुत फ़ायदा होता है। मैथी के बीज अंकुरित कर नियमित खाने से रक्ताल्पता का निवारण होता है।सभी पत्तेदार सब्जीयां और खासकर पालक में प्रचुर मात्रा मे लोह तत्व पाया जाता है। इनसे मिलने वाला आयरन श्रेष्ठ दर्जे का होता है। यह लोह तत्व शरीर में ग्रहण होने के बाद बडी तेजी से रक्त कण बनते हैं और रक्ताल्पता शीघ्र ही दूर हो जाती है।
                    • खून की कमी दूर करने में सोयाबीन का महत्वपूर्ण स्थान है। इसमे आयरन होता है और श्रेष्ठ दर्जे का प्रोटीन भी होता है। लेकिन एनिमिया रोगी की पाचन शक्ति कमजोर होती है इसलिये सोयाबीन का दूध बनाकर पीना उचित रहता है।
                    • 7 नग बादाम दो घन्टे पानी में गला दें। फ़िर छिलका उतारकर खरल में पेस्ट बनाकर रोज खाने से नया खून बनता है और रक्ताल्पता लाभ होता है।
                    •  मुनक्का को रात में लोहे की कड़ाही में पानी में 6 घंटे भिगोने के बाद प्रयोग करें, ऐसा करने से तेजी से खून में आयरन की मात्रा बढ़ेगी। साथ ही रोजाना 15 मिनट वरूण मुद्रा करें तो जल्द ही खून की कमी पूरी हो जाएगी।

                      Friday, August 16, 2019

                      बॉडी बनाने के घरेलू उपाय-Home Remedies for Healthy body in Hindi,


                      बॉडी बनाने के घरेलू उपाय-Home Remedies for Healthy body in Hindi,


                      पर्सनालिटी तभी आकर्षक लगती है। जब उनका शरीर गठीला और मसल्स मजबूत हो। जिन लोगों की मसल्स मजबूत होती हैं उनका शरीर अपने आप शेप में दिखाई देता है। इसके लिए सिर्फ घंटों जिम में गुजरना ही काफी नहीं है, बल्कि सही डाइट प्लान भी जरूरी होता है।

                      खानपान पर यदि पूरी तरह से ध्यान दिया जाए तो मसल्स मजबूत होती हैं और शरीर आंतरिक रूप सेताकतवर बन जाता है। आइए आज जानते हैं हम कुछ ऐसी ही  चीजों के बारे में जिनके नियमित सेवन से मसल्स मजबूत हो जाती हैं।

                      मसल्स को मजबूत बनाने के लिए फल और सब्जियों का भरपूर मात्रा में सेवन करना चाहिए। इनमें विटामिन, मिनरल्स और कई पोषक तत्व व प्रोटीन पाए जाते हैं, जो कि मसल्स को मजबूत बनाते हैं।

                      2. लो फैट डेयरी उत्पाद

                      कम फैट वाले डेयरी उत्पादों जैसे दूध, दही, छाछ आदि में प्रोटीन अधिक मात्रा में होता है। इसीलिए पुरुषों को इनका नियमित सेवन करना चाहिए। एक कप दूध से लगभग 8 मि.ग्रा. कार्निटिन मिलता है। दूध से बनी चीजों में कैल्शियम, विटामिन-ए जैसे आवश्यक पोषक तत्व भी मौजूद होते हैं। इसके अलावा इनमें कार्बोहाइड्रेट और विटामिन डी भी अच्छी मात्रा में मौजूद होते हैं, जिससे मांसपेशियों को मजबूती मिलती है।

                      3. ड्राय फ्रूट्स

                      ड्राय फ्रूट्स और नट्स दोनों में ही भरपूर मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है। पुरुषों को ड्रायफ्रूट्स का सेवन नियमित रूप से करना चाहिए। फिर चाहें तो इन्हें कच्चा खाएं या फिर भूनकर खाएं। इनमें फैट्स रेशे, विटामिन और एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं, जिनसे मसल्स मजबूत होती हैं।

                      4. अंकुरित अनाज

                      अंकुरित अनाज पुरुषों की सेहत के लिए बहुत अच्छे होते हैं। यह पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। साथ ही, यह जिंक जैसे पोषक तत्वों का स्रोत हैं, जो पुरुषों में कमजोरी और नपुंसकता की समस्या कम करने में सहायक होते हैं व मसल्स को मजबूत बनाते हैं।

                      5. मूंगफली

                      मूंगफली में जिंक के साथ ही भरपूर मात्रा में वसीय अम्ल पाए जाते हैं। ये वसीय अम्ल पुरुषों के लिए फायदेमंद होते हैं। इसके सेवन से पुरुषों में कमजोरी की समस्या दूर हो जाती है।

                      6. लहसुन

                      लहसुन का सेवन भी पुरुषों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद होता है। लहसुन में एंटी-बैक्टीरियल और एंटीवायरल तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं। साथ ही, इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण भी मौजूद होते हैं। यह परिसंचरण तंत्र को भी स्वस्थ बनाता है।

                      7. ब्रॉकली

                      ब्रॉकली खाने के भी चमत्कारिक लाभ हैं। इसमें पाया जाने वाला आइसोथायोसाइनेट्स यकृत को उत्तेजित करता है। यह उन एन्जाइम्स के निर्माण में सहायता करता है, जो कैंसर उत्पन्न करने वाली कोशिकाओं के प्रभाव को कम करते हैं। इसमें विटामिन-सी भी मौजूद होता है। इसीलिए इसे पुरुषों की सेहत के लिए बेहतरीन औषधि माना गया है। 

                      8. तुलसी टी

                      तुलसी टी का सेवन भी पुरुषों के लिए बहुत अच्छा होता है।तुलसी पत्ते में ओसियाम प्रचूर मात्रा में पाया जाता है। यह कैंसर होने से रोकता है।तुलसी टी रोजाना पीने से पेट, फेफड़ों व आंतों की बीमारियां दूर होती हैं।

                      9. आम और पपीता

                      आम और पपीता, दोनों में ही भरपूर मात्रा में विटामिन ए पाया जाता है। आम में अमीनों अम्ल, विटामिन ए, सी और ई, नियासिन, बिटाकेरोटिन, आयरन, कैल्शियम और पोटैशियम पाया जाता है। वहीं, पपीता में पर्याप्त मात्रा में विटामिन बी व सी के साथ ही एंटीआक्सीडेंट भी मौजूद होते हैं। इन दोनों फलों के छिलकों में बायोफ्लैवेनॉइड्स पाया जाता है। इसीलिए यह फल पुरुषों को अपनी डाइट में जरूर शामिल करना चाहिए।

                      10. शिमला मिर्च

                      शिमला मिर्च भी पुरुषों के लिए फायदेमंद होती है। कुछ शोधों के अनुसार लाल शिमला मिर्च में संतरे के रस के मुकाबले तीन गुना ज्यादा विटामिन सी पाया जाता है। वैज्ञानिकों की मानें तो फ्लैवोनॉइड्स के लिए लाल शिमला मिर्च प्रभावी विकल्प है। फ्लैवोनॉइड्स पुरुषों को सेहतमंद बनाता है।

                      11. टमाटर

                      टमाटर में लाइकोपीन की मात्रा बहुत ज्यादा होती है। लाइकोपीन पौधों में पाया जाने वाला एक प्राकृतिक रासायनिक पदार्थ है। यह रासायनिक पदार्थ अपने एंटीऑक्सीडेंट गुणों के लिए जाना जाता है। यह प्रॉस्ट्रेट, फेफड़े और पेट के कैंसर को खत्म करता है। साथ ही, चेहरे की लालिमा और चमक भी बढ़ाता है

                      12.अनार

                      पुरुषों को अनार का जूस अपनी डाइट में जरूर शामिल करना चाहिए। रोजाना एक गिलास अनार का जूस पीने से पुरुषों को प्रोस्टेट की समस्या नहीं होती है।

                      13. रागी

                      रागी कैल्शियम का सबसे बढिय़ा स्रोत है। यह पुरुषों को ऑस्टियोपोरेसिस से बचाता है। साथ ही, यह जिंक तथा रेशे का भी अच्छा स्रोत है। इसके नियमित सेवन से डिसलिपिडीमिया, डायबिटीज और मोटापे से बचा जा
                      सकता है।

                      कद्दू भी पुरुषों के लिए लाभदायक होता है। इसमें रेशे, विटामिन, खनिज और कई स्वास्थ्यवर्धक एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं। इसके इन्ही गुणों के कारण इसके नियमित सेवन से ताउम्र स्किन जवां बनी रहती है।

                      15. सोया

                      सोया में मौजूद आइसोफ्लैवोन्स प्रॉस्ट्रेट की रक्षा करते हैं। यह प्रॉस्ट्रेट कैंसर के खतरे को कम करते हैं। रोजाना 25 ग्राम सोया प्रोटीन के सेवन से कोलेस्ट्रॉल स्तर को भी कम किया जा सकता है।


                      व्यायाम : आप यौगिक व्यायाम कीजिये. यौगिक व्यायाम का मतलब उस व्यायाम से है जिनमे आपकी एक से अधिक मांसपेशियाँ और एक से अधिक जोड़ उपयोग में आते हो. यौगिक व्यायाम को मांसपेशियों के लिए बहुत ही उपयुक्त माना गया है. साथ ही आपको सुबह सुबह जल्दी उठ कर खाली पेट भी व्यायाम करना चाहिए.

                      एंजाइम : ये आपके खाने को पचाने का कार्य करते है. शरीर का वजन बढ़ाने के लिए आप अधिक कैलरी लेने के लिए अच्छा आहार खाओगे और अधिक आहार लोगे ताकि आपकी मांसपेशियों में अधिक वृद्धि हो. ऐसी स्थिति में आपका पाचनतंत्र उस गति से काम नही कर पाता कि इतने सारे आहार को आप ग्रहण कर पाओ, किन्तु अगर आप एंजाइम को ले रहे हो तो ये आपके पाचनतंत्र की शक्ति को बढ़ाता है और आप जी भर कर आहार ग्रहण कर पाते हो.

                      Monday, August 12, 2019

                      सफ़ेद दाग का लक्षण और उपचार -White Spot on Skin Treatment in Hindi,


                      सफ़ेद दाग रोग ऐसा हैं कि जिसको एक बार हो जाए तो वो व्यक्ति हीनभावना से तो ग्रसित हो जाता हैं परंतु इलाज के नाम से बहुत ठगा जाता हैं। लोग बढ़ चढ़ कर सही करने का दावा तो करते हैं। परंतु हासिल कुछ नहीं होता। सफ़ेद दाग का उपचार कुछ सालो पहले आयुर्वेद में बहुत आसान था, जब कुछ भस्मों से इसका उपचार योग्य वैद कर दिया करते थे, आज कल भस्मो का सही मिश्रण, सही अनुपात व जानकारी ना होने के कारण इस रोग का सही उपचार नहीं हो पाता। आयुर्वेद में जो उपचार हैं वह थोड़े लम्बे हैं । इसलिए मरीज को धैर्यपूर्वक इसको लगातार जारी रखना पड़ता हैं। हम यहाँ आपको कुछ विशेष उपचार बता रहे हैं, जो बहुत से रोगियों पर सफलता से प्रयोग किया गए हैं।

                      सफ़ेद दाग  का उपचार Spots On The Skin,vitiligo cure,vitiligo causes,what causes vitiligo,

                      • बावची का तेल और नीम का तेल सामान मात्रा में मिला कर रोग वाली जगह दिन में २ बार लगाना चाहिए और इसके साथ बावची का चूर्ण, तुलसी के पत्तों को सुखा कर बनाया गया चूर्ण और चोपचीनी का चूर्ण समान मात्रा में मिला कर हर रोज़ 3 ग्राम सुबह शाम सादा पानी के साथ ले। और ये चूर्ण लेने के दो घंटे पहले और बाद में कुछ ना खाए। साथ में रात को सोते समय एक चम्मच त्रिफला गुनगुने पाने के साथ ले।
                      • सुबह खाली पेट गेंहू के जवारे का रस ज़रूर पिए। आपका ये चर्म रोग कुछ दिनों में गायब हो जायेगा। इसके साथ लौकी का जूस भी सुबह खाली पेट पिए, और इस जूस को बनाते समय इसमें 5-5 पत्ते तुलसी और पुदीने के भी डाल ले।
                      • बावची एक ऐसी औषधि है, जिस से आजकल की आधुनिक सफ़ेद दाग की औषधियां भी बनायीं जाती हैं।
                      • आठ लीटर पानी में आधा किलो हल्दी का पावडर मिलाकर तेज आंच पर उबालें। जब 4 लीटर के करीब रह जाय तब उतारकर ठंडा करलें । फ़िर इसमें आधा किलो सरसों का तेल मिलाकर पुन: आंच पर रखें। जब केवल तैलीय मिश्रण ही बचा रहे, इसको आंच से उतारकर बडी शीशी में भरले। यह दवा सफ़ेद दाग पर दिन में दो बार लगावें। 4-5 माह तक ईलाज चलाने पर आश्चर्यजनक अनुकूल परिणाम प्राप्त होते हैं।
                      • बावची के बीज इस बीमारी की प्रभावी औषधि मानी गई है। 50 ग्राम बीज पानी में 3 दिन तक भिगोवें। पानी रोज बदलते रहें। बीजों को मसलकर छिलका उतारकर छाया में सूखा कर पीस कर पावडर बनालें। यह दवा डेढ ग्राम प्रतिदिन पाव भर दूध के साथ पियें। इसी चूर्ण को पानी में मिलकर पेस्ट बना लें। यह पेस्ट सफ़ेद दाग पर दिन में दो बार लगावें। अवश्य लाभ होगा। दो माह तक ईलाज चलावें।
                      • बावची के बीज और ईमली के बीज बराबर मात्रा में लेकर चार दिन तक पानी में भिगोवें। बाद में बीजों को मसलकर छिलका उतारकर सूखा लें। पीसकर महीन पावडर बनावें। इस पावडर की थोडी सी मात्रा लेकर पानी के साथ पेस्ट बनावें। यह पेस्ट सफ़ेद दाग पर एक सप्ताह तक लगाते रहें। बहुत ही कारगर उपचार है।लेकिन यदि इस पेस्ट के इस्तेमाल करने से सफ़ेद दाग की जगह लाल हो जाय और उसमें से तरल द्रव निकलने लगे तो ईलाज कुछ रोज के लिये रोक देना उचित रहेगा।
                      • लाल मिट्टी बरडे- ठरडे और पहाडियों के ढलान पर अक्सर मिल जाती है। लाल मिट्टी और अदरख का रस बराबर मात्रा में लेकर घोटकर पेस्ट बनालें। यह दवा प्रतिदिन सफ़ेद दाग के पेचेज पर लगावें। लाल मिट्टी में तांबे का अंश होता है जो चमडी के स्वाभाविक रंग को लौटाने में सहायता करता है और अदरख का रस सफ़ेद दाग की चमडी में खून का प्रवाह बढा देता है।
                      • श्वेत कुष्ठ रोगी के लिये रात भर तांबे के पात्र में रखा पानी प्रात:काल पीना भी काफी फ़ायदेमंद होता है।
                      • मूली के बीज करीब 30 ग्राम सिरके में घोटकर पेस्ट बनावें और दाग पर लगाते रहने से लाभ होता है।
                      • एक मुट्ठी काले चने, 125 मिली पानी में डाल दे सुबह, उसमे 10 गरम त्रिफला चूर्ण डाल दे, 24 घंटे वो पड़ा रहे …ढक के रह दे … 24 घंटे बाद वो चने जितना खा सके चबाकर के खाये…. सफ़ेद दाग जल्दी मिटते है |
                      • रोज बथुये की सब्जी खायें। बथुआ उबाल कर उसके पानी से सफेद दाग को धोयें। कच्चे बथुआ का रस दो कप निकाल कर आधा कप तिल का तेल मिलाकर धीमी आंच पर पकायें । जब सिर्फ तेल रह जाये तब उतार कर शीशी में भर लें। इसे लगातार लगाते रहें। ठीक होगा परंतु धैर्य की जरूरत है।
                      • अखरोट खूब खायें। इसके खाने से शरीर के विषैले तत्वों का नाश होता है। अखरोट का पेड़ अपने आसपास की जमीन को काली कर देती है ये तो त्वचा है। अखरोट खाते रहिये लाभ होगा।
                      • लहसुन के रस में हरड घिसकर लेप करें तथा लहसुन का सेवन भी करते रहने से दाग मिट जाता है।
                      • तुलसी का तेल सफेद दाग पर लगायें।
                      • नीम की पत्ती, फूल, निंबोली सबको सुखाकर पीस लें । प्रतिदिन एक चम्मच ताजा पानी के साथ लें। कोई भी कुष्ठ रोग का इलाज नीम से सर्व सुलभ है। सफेद दाग वाला व्यक्ति नीम तले जितना रहेगा उतना ही फायदा होगा नीम खायें, नीम लगायें ,नीम के नीचे सोये ,नीम को बिछाकर सोयें, पत्ते सूखने पर बदल दें।
                      • पत्ते,निम्बोली, छाल किसी का भी रस लगायें व एक चम्मच पियें। इसकी पत्तियों को जलाकर पीस कर उसकी राख इसी नीम के तेल में मिलाकर घाव पर लेप करते रहें। नीम की पत्ती, निम्बोली ,फूल पीसकर चालीस दिन तक शरबत पियें तो सफेद दाग से मुक्ति मिल जायेगी। नीम की गोंद को नीम के ही रस में पीस कर मिलाकर पियें तो गलने वाला कुष्ठ रोग भी ठीक हो सकता है।
                      • चेहरे के सफ़ेद दाग जल्दी ठीक हो जाते हैं। हाथ और पैरो के सफ़ेद दाग ठीक होने में ज्यादा समय लेते है। ईलाज की अवधि 6 माह से 2 वर्ष तक की हो सकती है।
                      • मांस, मछ्ली अंडा, डालडा घी या वनस्पति तेल, लाल मिर्च, शराब, नशीली चीजे, अचार, खटाई, अरबी-भिन्डी, चावल आदि का परहेज करे। नमक कम खाएं।

                      एवोकाडो के फायदे,Avocado Health Benefits in Hindi,

                      एवोकैडो मूल रूप से अमेरिकी महाद्वीप से आया यह फल भारत में मखनफल के नाम से मिलता है । इस फल में विटामिन ई भरपूर मात्रा में होता है । एवोकैडो में एंटी-आॅक्सीडेंटस भी होते हैं जो त्वचा की सुरक्षा करती है । एवोकैडो आपकी स्किन की कोशिकाओं को दोबारा बनने में मदद करता है और इससे आपकी त्वचा को जवां और ताजा लुक मिलता है । एवोकैडो देवभूमि उत्तराखंड में बटरफ्रूट नाम से जाना जाता है । वास्तव में ये ऐसे वृक्ष हैं जिनके फल का गूदा मक्खन की तरह डबलरोटी में लगा कर खाया जाता है । यह पौधा वर्ष 1950 में मैक्सिको से लाया गया था जो कि बागेश्वर और जौलीकोट (नैनीताल) में लगाए गए । यह पौधा 3 से 6 हजार फीट की ऊंचाई पर लगता है और इसमें फल 5 से 6 साल में आते हैं । 

                      आइए जानते है ऐवकाडो से होने वाले कुछ स्वास्थ्य लाभ के बारे में, Health Benefits of Avocados

                      • मखनफल (एवोकैडो) मूल रूप से अमेरिकी महाद्वीप से आया यह फल भारत में मखनफल के नाम से मिलता है । इस फल में विटामिन ई भरपूर मात्रा में होता है एवोकैडो में एंटी-आॅक्सीडेंटस भी होते हैं जो त्वचा की सुरक्षा करती है । एवोकैडो आपकी त्वचा की कोशिकाओं को दोबारा बनने में मदद करता है और इससे आपकी त्वचा को जंवा और ताजा लुक मिलता है ।
                      • बेजोड़ है एवोकैडो - इसमें कुदरती एंटी इन्लैमटरी तत्व होते हैं, जो जलन कम करते हैं । इसमें विटामिंस और पोषक तत्व भी होते है। 1-2 एवोकैडो को काटकर बीच वाला हिस्सा (गूदा) मसल लें । इसमें थोड़ा आॅलिव आॅयल और ऐलोवेरा जेल मिलाकर लगाएं । तब तक लगा रहने दें जब तक कि इसका रंग बदल न जाए । फिर त्वचा को गीला करके गीली रूई से हलके से साफ करें । अब ठंडे पानी से धो लें ।
                      • एवोकैडो यानि रूचिरा नामक पहाड़ी फल के सेवन से कामेच्छा बढ़ाने में मदद मिलती है । 
                      • इसमें फोलिक एसिड, प्रोटीन, विटामिन बी 6 और पोटैशियम अच्छी मात्रा में है जो सेक्स पावन बढ़ाने और ऊर्जा देने में मददगार है । इसका नियमित सेवन महिलाओं में फर्टिलिटी बढ़ाने के लिए भी फायदेमंद है ।
                      • एवोकैडो यानि रूचिरा नामक पहाड़ी फल के सेवन से कामेच्छा बढ़ाने में मदद मिलती है इसमें फोलिक एसिड, प्रोटीन, विटामिन बी 6 और पोटैशियम अच्छी मात्रा में है जो सेक्स पावर बढ़ाने और ऊर्जा देने में मददगार है । इसका नियमित सेवन महिलाओं में फर्टिलिटी बढ़ाने के लिए भी फायदेमंद है 
                      • डायबिटीज और रक्तचाप से पीड़ित मरीजों के लिए भी यह बेहद लाभदायक है 
                      • रूचिरा या मक्खन फल या एवोकैडो कैरिबियाई क्षेत्र से संबंधित एक फल है । अगर स्त्री हते में एक बार एक एवोकैडो खाती है तो उसके हार्मोंस संतुलित रहते हैं, गर्भपात नहीं होता और सर्विक्स कैंसर का भी खतरा नहीं होता है । 
                      • एक एवोकैडो में 14000 से भी अधिक फोटोलिटिक केमिकल होेते हैं । इतने पौष्टिक तत्वों से पूर्ण होने के कारण यह शरीर की रोग प्रतिरोध क्षमता को भी बढ़ाने में मदद करता है । एवोकैडो 10 या 12 मीटर के रूप में उच्च तक पहुँच जाता है जो एक बारहमासी पौधा है । 
                      • एवोकैडो फल, अंडाकार गोलाकार या अंडाकार लम्बी एक डूररूप् मांसल, नाशपाती के आकार है इसका रंग हल्के या गहरे हरे , बैंगनी या काला हो सकता है । एवोकैडो विटामिन ई, ए, बी1, बी3, डी और जैसे लोहा, फास्फोरस और मैग्नीशियम के साथ ही फोलिक एसिड, नियासिन और बायोटिन के रूप में एक हद तक कम सी, खनिज के लिए होता है । 

                      • एवोकैडो का औषधीय मूल्य है इसका तेल निष्कर्णण, शैम्पू, और सौंदर्य प्रसाधन, क्रीम और त्वचा कलीन्जर के कच्चे माल में उपयोग किया जाता है । एवोकैडो पेड़ ठंड के प्रति संवेदनशील होता है । पेड़ों में फूल दिसम्बर से मार्च और सबसे ज्यादा फूल अगस्त से अक्टूबर में लगते हैं । फल नियमित रूप से गोल या नाशपाती के आकार रहे हैं । 
                      • घरेलू उपाय जो गंजेपन को दूर भगाये - एवोकैडो और नारियल के दूध के इस्तेमाल से बालों का झड़ना बंद होता है और नए बाल आने लगते हैं । इसके लिए एवोकैडो, नारियल के दूध और नीबू के रस को मिलाकर मिश्रण तैयार कर लें । अब इस मिश्रण को बालों की जड़ों में मालिश करंे और लगभग आधे घंटे के लिए छोड़ दें । एक हल्के शैम्पू का उपयोग कर अपने बालों को धो लें । फायदा होगा ।
                      • नाशपाती के समान दिखने वाले रूचिरा या एवोकाडो को पहले सब्जी की प्रजाति का मानते थे पर यह एवोकाडो फल की श्रेणी में आता है और स्वास्थ्य की दृष्टि से काफी फायदेमंद है । 
                      • इस फल में प्रोटीन, रेशे, नियासिन, थाइमिन, राइबोफलेविन, फोलिक एसिड और जिंक जैसे तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं । ऐवोकाडो में कोलेस्टोल की मात्रा बिलकुल नहीं पाई जाती है इसलिए कहावत ‘‘ एवोकाडो ए डे ’’ कहें तो अतिश्योक्ति नहीं होगी । 
                      • एवोकाडो को लम्बाई में काट कर बीच का गूदा चम्मच से निकाल कर उसे टमाटर, प्याज और लहसुन के साथ मिलाकर सेंडविच बनाकर खा सकते हैं । एवोकाडो में ऐसी वसा होती है जो शरीर के लिए आवश्यक होता है । 
                      • इसका जूस पीने से आपका पेट पूरे दिन भरा रहेगा और आप ओवर ईटिंग नहीं करेंगें । एवोकाडो में काफी मात्रा में कैलोरी पाई जाती है, जो हृदय के रोगों से हमें बचाती है । इसमें कोलेस्टोल की मात्रा बिल्कुल नहीं पाई जाती । एवोकाडो इसमें अच्छी मात्रा में फैट पाया जाता है दिमाग तक ब्लड फ्लो को तेज करता है ।

                      साईटिका का उपचार-Home Remedies for Sciatica in Hindi


                      How to Cure Sciatica


                      साईटिका में होने वाला दर्द, स्याटिक नर्व के कारण होता है। यह दर्द सामान्यत: पैर के निचले हिस्से की तरफ फैलता है। ऐसा दर्द स्याटिक नर्व में किसी प्रकार के दबाव, सूजन या क्षति के कारण उत्पन्न होता है। इसमें चलने-उठने-बैठने तक में बहुत तकलीफ होती है। यह दर्द अकसर लोगों में 30 से 50 वर्ष की उम्र में होता है

                      साईटिका रोग होने का कारण:-

                      • जब किसी व्यक्ति की रीढ़ की हड्डी में चोट लग जाती है तो उसे यह रोग हो जाता है।
                      • यदि साईटिका नाड़ी के पास विजातीय द्रव (दूषित द्रव) जमा हो जाता है तो नाड़ी दब जाती है जिसके कारण साईटिका रोग हो जाता है। 
                      • रीढ़ की हड्डी के निचले भाग में आर्थराइटिस रोग हो जाने के कारण भी यह रोग हो सकता है।
                      • असंतुलित भोजन का सेवन करने तथा गलत तरीके के खान-पान से भी यह रोग हो जाता है।
                      • रात के समय में अधिक जागने के कारण भी यह रोग हो सकता है।
                      • अधिक समय तक एक ही अवस्था में बैठने या खड़े रहने के कारण भी यह रोग हो सकता है।
                      • अपनी कार्य करने की क्षमता से अधिक परिश्रम करने के कारण या अधिक सहवास करने के कारण भी यह रोग हो सकता है। 

                      साईटिका का लक्षण

                      कमर के निचले हिस्से मेँ दर्द के साथ जाँघ व टांग के पिछले हिस्से मेँ दर्द। पैरोँ मेँ सुन्नपन के साथ मांसपेशियोँ मेँ कमजोरी का अनुभव। पंजोँ मेँ सुन्नपन व झनझनाहट। पैदल चलने में परेशानी।
                      सर्जरी या वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति से हो सकती है। साईटिका नर्व (नाड़ी) शरीर की सबसे लंबी नर्व होती है। यह नर्व कमर की हड्डी से गुजरकर जांघ के पिछले भाग से होती हुई पैरोँ के पिछले हिस्से मेँ जाती है। जब दर्द इसके रास्ते से होकर गुजरता है, तब ही यह साईटिका का दर्द कहलाता है।

                      साईटिका का उपचार-Best Treatment for Sciatica at home,How to Cure Sciatica

                      • आलू का रस 300 ग्राम नित्य २ माह तक पीने से साईटिका रोग नियंत्रित होता है। इस उपचार का प्रभाव बढाने के लिये आलू के रस मे गाजर का रस भी मिश्रित करना चाहिये।
                      • लहसुन की खीर इस रोग के निवारण में महत्वपूर्ण है। 100 ग्राम दूध में 4-5 लहसुन की कली चाकू से बारीक काटकर डालें। इसे उबालकर ठंडी करके पीलें। यह विधान 2-3 माह तक जारी रखने से साईटिका रोग को उखाड फ़ैंकने में भरपूर मदद मिलती है। 
                      • लहसुन में एन्टी ओक्सीडेन्ट तत्व होते हैं जो शरीर को स्वस्थ रखने हेतु मददगार होते है । हरे पत्तेदार सब्जियों का भरपूर उपयोग करना चाहिये। कच्चे लहसुन का उपयोग साईटिका रोग में अत्यंत गुणकारी है। सुबह शाम 2-3 लहसुन की कली पानी के साथ निगलने से भी फायदा होता है। हरी मटर, पालक, कलौंजी, केला, सूखे मेवे ज्यादा इस्तेमाल करें। 
                      • साईटिका रोग को ठीक करने में नींबू का अपना महत्व है। रोजाना नींबू के रस में दो चम्मच शहद मिलाकर पीने से आशातीत लाभ होता है। 
                      • सरसों के तेल में लहसुन पकालें। दर्द की जगह इस तेल की मालिश करने से तुरंत आराम लग जाता है।
                      • लौह भस्म 20 ग्राम+विष्तिंदुक वटी 10 ग्राम+रस सिंदूर 20 ग्राम+त्रिकटु चूर्ण 20 ग्राम इन सबको अदरक के रस के साथ घोंटकर 250 गोलियां बनालें। दो-दो गोली पानी के साथ दिन में तीन बार लेते रहने से साईटिका रोग जड़ से समाप्त हो जाता है। 
                      • प्रतिदिन सामान्य व्यायाम करेँ। वजन नियंत्रण मेँ रखेँ। पौष्टिक आहार ग्रहण करेँ। रीढ़ की हड्डी को चलने-फिरने और उठते-बैठते समय सीधा रखेँ। भारी वजन न उठाएं।
                      •  रोगी को प्रतिदिन अपने पैरों पर सरसों के तेल से नीचे से ऊपर की ओर मालिश करनी चाहिए। इससे यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है। 
                      • 5 कालीमिर्चों को तवे पर सेंककर कर सुबह के समय में खाली पेट मक्खन के साथ सेवन करना चाहिए। इस प्रयोग को प्रतिदिन करने से यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
                      • करेला, लौकी, टिण्डे, पालक, बथुआ तथा हरी मेथी का अधिक सेवन करने से साईटिका रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है। 
                      • इस रोग से पीड़ित रोगी को पपीते तथा अंगूर का अधिक सेवन करना चाहिए। इससे यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
                      • सूखे मेवों में किशमिश, अखरोट, अंजीर, मुनक्का का सेवन करने से भी यह रोग कुछ दिनों में ठीक हो जाता है। 
                      • फलों का रस दिन में 3 बार तथा आंवला का रस शहद के साथ मिलाकर पीने से साईटिका रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है। 
                      • इस रोग को ठीक करने के लिए रोगी व्यक्ति को सबसे पहले एनिमा क्रिया करके अपने पेट को साफ करना चाहिए। इसके बाद रोगी को अपने पैरों पर मिट्टी की पट्टी का लेप करना चाहिए। इसके बाद रोगी को कटिस्नान करना चाहिए और फिर इसके बाद मेहनस्नान करना चाहिए। इसके बाद कुछ समय के लिए पैरों पर गर्म सिंकाई करनी चाहिए और गर्म पाद स्नान करना चाहिए। इस प्रकार से उपचार करने से साईटिका रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है। 
                      • सुबह के समय में सूर्यस्नान करने तथा इसके बाद पैरों पर तेल से मालिश करने और कुछ समय के बाद रीढ़ स्नान करने तथा शरीर पर गीली चादर लपेटने से साईटिका रोग ठीक हो जाता है।
                        सूर्यतप्त लाल रंग की बोतल के तेल की मालिश करने से तथा नारंगी रंग की बोतल का पानी कुछ दिनों तक पीने से साईटिका रोग ठीक हो जाता है। 
                      • तुलसी के पत्तों को पीसकर पानी में मिलाकर प्रतिदिन सेवन करने से यह रोग ठीक हो जाता है।
                        हार-सिंगार के पत्तों का काढ़ा सुबह के समय में प्रतिदिन खाली पेट पीने से साईटिका रोग ठीक हो जाता है 

                      Monday, August 05, 2019

                      गर्भवती महिला को क्या नहीं खाना चाहिए,What to not eat in Pregnancy in Hindi

                      गर्भवती महिला को क्या नहीं खाना चाहिए।,WHAT TO NOT EAT IN PREGNANCY IN HINDI !

                      किसी महिला को मां के दर्जे तक पहुंचाने वाले नौ महीने बेशकीमती होते हैं। इन नौ महीनों में वह क्या सोचती है, क्या खाती है, क्या करती है, क्या पढ़ती है, ये तमाम चीजें मिलकर आनेवाले बच्चे की सेहत और पर्सनैलिटी तय करती हैं। इन नौ महीनों को अच्छी तरह प्लान करके कैसे मां एक सेहतमंद जिंदगी को जीवन दे सकती है

                      गर्भावस्‍था में क्‍या खाए जाए से जरूरी यह जानना है कि क्‍या न खाया जाए। घर-परिवार की बुजुर्ग महिलाएं अपने अनुभव के आधार पर यह राय देती रहती हैं। चलिए जानते हैं कि गर्भावस्‍था में कौन सी सब्‍जियों और फलों से परहेज करना चाहिए। आइये जानें, गर्भवस्‍था के दौरान कौन-कौन से फल और सब्जियां ना खाएं।
                      • गर्भावस्था के दौरान इन चीजों के सेवन बचें :-बिना धुले हुए फल और सब्जियां ना खाये :- गर्भावस्था के दौरान पके हुए खाद्य पदार्थ खाएं। कच्चे और बिना पके खाद्य पदार्थ न खाएं। फल और सब्जियां तथा ऐसे खाद्य पदार्थ जिन्हें खाने से पहले धोने की आवश्यकता होती है, उन्हें बिना धोएं न खाएं।
                      • कॉफ़ी, चाय और शराब से दूर रहे :- प्रसव के दौरान जटिलताओं से तथा भ्रूण में जन्म दोष से बचने के लिए गर्भावस्था के दौरान चाय, कॉफ़ी और शराब के सेवन से बचें। इन तीन पेय पदार्थों के अत्याधिक सेवन से गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है।
                      • पपीता ना खाये :- कोशिश करें कि गर्भावस्था के दौरान पपीता ना खाए। पपीता खाने से प्रसव जल्दी होने की संभावना बनती है। पपीता, विशेष रूप से अपरिपक्व और अर्द्ध परिपक्व लेटेक्स जो गर्भाशय के संकुचन को ट्रिगर करने के लिए जाना जाता है को बढ़ावा देता है। गर्भावस्था के तीसरे और अंतिम तिमाही के दौरान पका हुआ पपीता खाना अच्छा होता हैं। पके हुए पपीते में विटामिन सी और अन्य पौष्टिक तत्वों की प्रचुरता होती है, जो गर्भावस्था के शुरूआती लक्षणों जैसे कब्ज को रोकने में मदद करता है। शहद और दूध के साथ मिश्रित पपीता गर्भवती महिलाओं के लिए और विशेष रूप से स्तनपान करा रही महिलाओं के लिए एक उत्कृष्ट टॉनिक होता है।
                      • अनानास ना खाये :- गर्भावस्था के दौरान अनानस खाना गर्भवती महिला के स्‍वास्‍थ्‍ा के लिए हानिकारक हो सकता है। अनानास में प्रचुर मात्रा में ब्रोमेलिन पाया जाता है, जो गर्भाशय ग्रीवा की नरमी का कारण बन सकती हैं, जिसके कारण जल्‍दी प्रसव होने की सभांवना बढ़ जाती है। हालांकि, एक गर्भवती महिला अगर दस्त होने पर थोड़ी मात्रा में अनानास का रस पीती है तो इससे उसे किसी प्रकार का नुकसान नहीं होगा। वैसे पहली तिमाही के दौरान इसका सेवन ना करना ही सही रहेगा, इससे किसी भी प्रकार के गर्भाशय के अप्रत्याशित घटना से बचा जा सकता है।
                      • अंगूर का सेवन ना करे :- डॉक्‍टर गर्भवती महिलाओं को उसके गर्भवस्‍था के अंतिम तिमाही में अंगूर खाने से मना करते है। क्‍योंकि इसकी तासिर गरम होती है। इसलिए बहुत ज्‍यादा अंगूर खाने से असमय प्रसव हो सकता हैं। कोशिश करें कि गर्भावस्था के दौरान अंगूर ना खाए।
                      • पारा यानी कि मरक्युरी बच्चे के मस्तिष्क के विकास में विलंब पैदा करता है। इसलिए गर्भावस्था के दौरान पारा युक्त मछली के सेवन से बचना चाहिए।
                      • गर्भावस्था के दौरान भारतीय महिलाओं को पपीता का सेवन करने से मना किया जाता है, खासकर के अगर पपीता कच्चा या अधपका हो।
                      • बैंगन, मिर्ची, प्याज, लहसुन, हिंग, बाजरा, गुड़ का सेवन कम से कम मात्रा में करना चाहिए, खासकर के उनको जिनका किसी न किसी कारण से पहले गर्भपात हो चुका है।
                      • पिसे हुए मसालेदार मांस का सेवन करने से भी बचना चाहिए, क्योंकि उसमे हानिकारक जीवाणुओं का समावेश हो सकमीट
                      • कच्‍चा या अधपका मीट खाने से गर्भावस्‍था के शुरूआती दिनों में बचना चाहिये। बेहतर होगा कि गर्भावस्‍था के दिनों में आप मीट को अच्‍छी तरह पकाकर खाएं। गर्भावस्‍था में प्रॉन मीट खाने से बचना चाहिये।
                      • डिब्बा बंद भोजन और अचार के रूप में, लंबी अवधि के भंडारण के लिए करना है कि खाना नहीं खाते।डिब्बाबंद।स्टू, मछली और सब्जी के विभिन्न प्रकार इसकी संरचना में बरकरार रखता सिरका या अन्य परिरक्षकों है।भ्रूण के विकास पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है गर्भवस्था के समय हर महिला को अपने खानपान से लेकर हर छोटी सी बड़ी चीजों का बड़ा ध्यान रखना होता है इसके लिए जरूरी होता है कि क्या खाएं और क्या न खाएं इसका भी बहुत ही खास ध्यान रखना होता है।
                      • जी हां एक शोध के अनुसार पता चला है कि जो महिलाएं प्रेग्नेंसी के दौरान आलू का सेवन ज्यादा करती है उनको मधुमेह होने की संभावना बढ़ जाती है। तो ऐसे समय आप आलू की जगह और दूसरी सब्जियों का सेवन करना शुरू कर दें।