आंवला में फल और औषधि दोनों के गुण उपस्थित होते हैं। आयुर्वेद ने इसे 'अमृतफल' कहा है। आयुर्वेंद में इसका बहुत ही महत्व है। खाने में आंवला कड़वा, मधुर, एवं शीतल है। यह अपने कड़वेपन के कारण कफ एवं गैस को खत्म करता है और मधुरता व शीतलता के कारण पित्तनाशक है अत: यह त्रिदोषनाशक है।
आंवले का फल हो या इसका जूस, सेहत के लिए कितना फायदेमंद है, इसका जिक्र आयुर्वेद से लेकर एलोपैथ तक विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों में आपको मिलेगा ही। न्यूट्रिशन एक्सपर्ट की मानें तो एक आंवले में दो संतरे जितनी मात्रा में विटामिन सी मौजूद है। इसके अलावा, आंवले पोलीफेनॉल्स, आयरन, जिंक, कैरोटीन, फाइबर, विटामिन बी कांप्लेक्स, कैल्शियम, एंटीऑक्सीडेंट्स आदि अच्छी मात्रा में मौजूद हैं।
आंवला खाने के फायदे,
- उल्टी हिचकी में उपयोगी-उल्टी हिचकी तथा उल्टी में आंवले का 10-20 मिलीलीटर रस, 5-10 ग्राम मिश्री मिलाकर देने से आराम होता है। इसे दिन में 2-3 बार लेना चाहिए। केवल इसका चूर्ण 10-50 ग्राम की मात्रा में पानी के साथ भी दिया जा सकता है।
- कोलेस्ट्रॉल-रोज सुबह खाली पेट एक चम्मच आँवले का पावडर पानी में घोलकर पी लें। इससे रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर स्थिर रहता है।
- वात, पित्त, कफ में उपयोगी-त्रिदोष (वात, पित्त, कफ) से पैदा होने वाली उल्टी में आंवला तथा अंगूर को पीसकर 40 ग्राम खांड, 40 ग्राम शहद और 150 ग्राम जल मिलाकर कपड़े से छानकर पीना चाहिए।
- (उल्टी)-आंवले के 20 ग्राम रस में एक चम्मच मधु और 10 ग्राम सफेद चंदन का चूर्ण मिलाकर पिलाने से वमन (उल्टी) बंद होती है। आंवले के रस में पिप्पली का बारीक चूर्ण और थोड़ा सा शहद मिलाकर चाटने से उल्टी आने के रोग में लाभ होता है।
- संग्रहणी मेथी दाना के साथ इसके पत्तों का काढ़ा बनाकर 10 से 20 ग्राम की मात्रा में दिन में 2 बार पिलाने से संग्रहणी मिट जाती है।
- पेशाब में कष्ट या जलन होने पर उपयोगी-मूत्रकृच्छ (पेशाब में कष्ट या जलन होने पर) आंवले की ताजी छाल के 10-20 ग्राम रस में दो ग्राम हल्दी और दस ग्राम शहद मिलाकर सुबह-शाम पिलाने से मूत्रकृच्छ मिटता है।
- दिल के मरीज-आंवला खाने से दिल मजबूत होता है। दिल के मरीज हर रोज कम से कम तीन आंवले का सेवन करें। इससे दिल की बीमारी दूर होगी। दिल के मरीज मुरब्बा भी खा सकते हैं।
- आंवले के 20 ग्राम रस में इलायची का चूर्ण डालकर दिन में 2-3 बार पीने से मूत्रकृच्छ मिटता है।
- विरेचन (दस्त कराना) रक्त पित्त रोग में, विशेषकर जिन रोगियों को विरेचन कराना हो, उनके लिए आंवले के 20-40 मिलीलीटर रस में पर्याप्त मात्रा में शहद और चीनी को मिलाकर सेवन कराना चाहिए।
- अर्श (बवासीर-आंवलों को अच्छी तरह से पीसकर एक मिट्टी के बरतन में लेप कर देना चाहिए। फिर उस बरर्तन में छाछ भरकर उस छाछ को रोगी को पिलाने से बवासीर में लाभ होता है।
- बवासीर में उपयोगी-बवासीर के मस्सों से अधिक खून के बहने में 3 से 8 ग्राम आंवले के चूर्ण का सेवन दही की मलाई के साथ दिन में 2-3 बार करना चाहिए।
- सूखे आंवलों का चूर्ण 20 ग्राम लेकर 250 ग्राम पानी में मिलाकर मिट्टी के बर्तन में रात भर भिगोकर रखें। दूसरे दिन सुबह उसे हाथों से मलकर छान लें तथा छने हुए पानी में 5 ग्राम चिरचिटा की जड़ का चूर्ण और 50 ग्राम मिश्री मिलाकर पीयें। इसको पीने से बवासीर कुछ दिनों में ही ठीक हो जाती है और मस्से सूखकर गिर जाते हैं।
- सूखे आंवले को बारीक पीसकर प्रतिदिन सुबह-शाम 1 चम्मच दूध या छाछ में मिलाकर पीने से खूनी बवासीर ठीक होती है।आंवले का बारीक चूर्ण 1 चम्मच, 1 कप मट्ठे के साथ 3 बार लें।आंवले का चूर्ण एक चम्मच दही या मलाई के साथ दिन में तीन बार खायें।
- शुक्रमेह में उपयोगी-शुक्रमेह : -धूप में सुखाए हुए गुठली रहित आंवले के 10 ग्राम चूर्ण में दुगनी मात्रा में मिश्री मिला लें। इसे 250 ग्राम तक ताजे जल के साथ 15 दिन तक लगातार सेवन करने से स्वप्नदोष (नाइटफॉल), शुक्रमेह आदि रोगों में निश्चित रूप से लाभ होता है।
- खूनी अतिसार (रक्तातिसार) यदि दस्त के साथ अधिक खून निकलता हो तो आंवले के 10-20 ग्राम रस में 10 ग्राम शहद और 5 ग्राम घी मिलाकर रोगी को पिलायें और ऊपर से बकरी का दूध 100 ग्राम तक दिन में 3 बार पिलाएं।
- प्रमेह (वीर्य विकार) में उपयोगी-आंवला, हरड़, बहेड़ा, नागर-मोथा, दारू-हल्दी, देवदारू इन सबको समान मात्रा में लेकर इनका काढ़ा बनाकर 10-20 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम प्रमेह के रोगी को पिला दें।
- आंवला, गिलोय, नीम की छाल, परवल की पत्ती को बराबर-बराबर 50 ग्राम की मात्रा में लेकर आधा किलो पानी में रातभर भिगो दें। इसे सुबह उबालें, उबलते-उबलते जब यह चौथाई मात्रा में शेष बचे तो इसमें 2 चम्मच शहद मिलाकर दिन में 3 बार सेवन करने से पित्तज प्रमेह नष्ट होती है।
- आंवले का रस, शहद, गाय का घी इन सभी को बराबर मात्रा में लेकर आपस में घोटकर लेने से पित्त दोष तथा रक्त विकार के कारण नेत्र रोग ठीक होते हैं|
- आंवले के अन्दर विटामिन `सी´ भरपूर मात्रा में पायी जाता है। इसकी खास बात यह है कि इसके विटामिन गर्म करने और सुखाने से भी खत्म नहीं होते।
- आंवला युवको को जवान बनाए रखता है और बूढ़ों को युवाशक्ति प्रदान करता है। इसी का प्रयोग करके च्वयन´ ऋषि ने दुबारा अपने यौवन को प्राप्त किया था। आंवले में जितने रोग से लड़ने की शक्ति, खून को साफ और बल-वीर्य बढ़ाने वाले तत्व हैं। उतने संसार की किसी वस्तु या औषधि में नहीं हैं। इसलिए स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिए अपने भोजन में आवले को मुख्य रूप से शामिल करें।
- दांतों में उपयोगी-आंवला हमारे दांतों और मसूढ़ों को स्वस्थ और मजबूत बनाता है एवं तन-मन को फुर्तीला बनाता है। नर्वस सिस्टम (स्नायु रोग), हृदय की बेचैनी, धड़कन, मोटापा, जिगर, ब्लडप्रेशर, दाद, प्रदर, गर्भाशय दुर्बलता, नपुसंकता, चर्म रोग, मूत्ररोग एवं हडिड्यों आदि के रोगों में आंवला बहुत उपयोगी होता है।
- जिगर की दुर्बलता, पीलिया को खत्म करने में आंवला को शहद के साथ मिलाकर खाने से लाभ मिलता है और यह टॉनिक का काम करता है।
- आंवला को रस के रूप में, चटनी के रूप में या इसके चूर्ण को पानी के साथ ले सकते हैं।
- कोलेस्ट्रॉल- रोज सुबह खाली पेट एक चम्मच आँवले का पावडर पानी में घोलकर पी लें। इससे रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर स्थिर रहता है।
- मधुमेह (डायबिटीज) में उपयोगी-मधुमेह तब होती है जब पैंक्रियाज ग्रंथि रक्त शर्करा के स्तर को नियमित रखने में असफल हो जाती है। यदि आपको मधुमेह ने घेर रखा है तो आप आँवले के गुणकारी एंटीऑक्सीडेंट्स पर भरोसा रख सकते हैं।
- नेत्र रोग में उपयोगी
- प्रतिदिन एक बड़ा चम्मच आँवले का रस शहद के साथ मिलाकर चाटने से मोतियाबिन्द में लाभ होता है।आँवले का रस पीने से नेत्र ज्योति बढ़ती है।
- आँवला, जामुन और करेले का पावडर एक चम्मच प्रतिदिन दोनों समय लें। इससे मधुमेह को निंयत्रित करने में मदद मिलेगी।
- एसिडिटी में उपयोगी-आधुनिक जीवनशैली की एक और देन है एसिडिटी। हममें से सभी कभी न कभी इसके शिकार हुए हैं। तीव्र या असाध्य एसिडिटी हो तो एक ग्राम आँवले का पावडर दूध या पानी में शक्कर के साथ मिलाकर दोनों समय पिएँ।
- आंवला चूर्ण और हल्दी चूर्ण समान मात्र में लेकर भोजन के पश्चात ग्रहण करने से मधुमेह में लाभ प्राप्त होता है।
- हिचकी तथा उल्टी में आंवला रस, मिश्री के साथ दिन में दो-तीन बार सेवन करें।
- पीलिया से परेशान हैं तो आंवले को शहद के साथ चटनी बनाकर सुबह-शाम सेवन करें।
- आंवला, रीठा व शिकाकाई के चूर्ण से बाल धोने पर बाल स्वस्थ व चमकदार होते हैं।
- आंवले का मुरब्बा शक्तिदायक व शीतलता प्रदान करने वाला होता है।
- स्मरण शक्ति कमजोर पड़ गई हो तो सुबह उठकर गाय के दूध के साथ दो आंवले का मुरब्बा खाना चाहिए।
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