Saturday, December 17, 2016

ईसबगोल के फायदे,Health Benefits of Plantago Ovata in Hindi,

 

ईसबगोल प्रायः उष्ण कटिबन्धीय स्थानो में पाया जाता है । यह भारत में पंजाब , मैसूर , बंगाल एवं भारत के उत्तर - पश्चिम क्षेत्र में बहुतायत मात्र में पाया जाता है । इसे संस्कृत में अश्वकर्णबीज , वश्वगल ।बंगाली में इसबगुल , गुजराती में - ऊधमी जीरु । हिंदी में - ईसबगोल एवं लैटिन में प्लैन्टेगो ओवेटा कहते है 

इसका पौधा डंठल रहित , छोटा रोमयुक्त तथा 2 से 3 फुट लम्बा होता है ।इसकी पत्तियां लगभग आधा इंच चौड़ा एवं 4 से 6 इंच तक लम्बा होता है । इसकी टहनियों से गेहूं के बाल की बाली जैसी फूलो की लम्बी फर निकलते है ।इसके फलो की मंजरियाँ गुच्छेदार होती है और इसमें झिल्लियुक्त , चिकने , पिलाभ भूरे बिज होते है । इन बीजो को कूटकर इसके ऊपर के झिल्ली से अलग कर ईसबगोल की भूसी तैयार की जाती है

ईसबगोल की भूसी के अनेको फायदे है ।यह ग्राही , मूत्रल , शीतलता , वायु - कारक , कब्ज नाशक , मधुर एवं पौष्टिक होता है ।यह दाह , कब्ज , आंत रोगों तथा घाव आदि रोगों का नाशक होता है ।आमाशय और आंतो को बल देता है । शरीर में शीतलता प्रदान करता है । पर इसका ज्यादा दिनों तक सेवन से शरीर में दर्द मासपेशियों में दुर्बलता आदि विकार पैदा होती है । इसलिये इसका ज्यादा दिनों तक सेवन नही करनी चाहिए ।

इसबगोल अनेका अनेक बीमारियो की एक औषिधि यह कब्ज, दस्त, इरिटेबल बाउल सिंड्रोम, बवासीर, गाल ब्लैडर की पत्थरी, अल्सर, एल. डी. एल. कोलेस्ट्रोल, वजन नियंत्रण में, डाईवेर्टिकुलर डिसीज़ के लिए रामबाण औषिधि हैं

ईसबगोल के फायदे,Health Benefits of Plantago Ovata in Hindi,

  • इसबगोल एक स्वादिष्ट एवं महक रहित आयुर्वेदीय औषिधि हैं। प्लेनटेगो आवेटा तथा प्लेंटेगो सिलियम नामक पौधे के लाल भूरे एवं काले बीजो से इसबगोल प्राप्त होता हैं। इसबगोल का बीज तथा बीज का छिलका (भूसी या हस्क) औषिधीय कार्यो में बेहद उपयोगी हैं
  • इसबगोल पाचन संस्थानों के विकारो के लिए महान औषिधि हैं। यह बवासीर में होने वाले दर्द को कम करती हैं। इसकी तासीर ठंडी होने के कारण यह शरीर में होने वाली जलन को भी शांत कर देती हैं। यह कब्ज को दूर करती हैं, 
  • गाल ब्लैडर की पत्थरी बनने से रोकती हैं। इसबगोल में जो चिकनाई पायी जाती हैं, उसके कारण ये अन्न नलिका की रुक्षता दूर करती हैं। 
  • इसमें पाये जाने वाले लुआब के कारण यह आंतो की गति को बढाकर, मल को बाहर निकालने में सहायक होती हैं। इसके अलावा यह जीवाणुओ की वृद्धि को रोकती हैं, जीवाणुओ से पैदा हुए विषो का अवशोषण करती हैं
  • अल्सर में लाभदायक आंतो में जब अल्सर पैदा हो जाते हैं तो उस अवस्था में जब इसका सेवन किया जाता हैं तो यह अल्सर के ऊपर एक आवरण बना देती हैं, जिसके कारण अल्सर पर सेवन किये गए मिर्च मसालों का बुरा असर नहीं पड़ पाता। इसबगोल का भुना बीज दस्तो को रोकता हैं।
  • इसबगोल फाइबर का सस्ता स्त्रोत हैं। इसके नियमित सेवन से कोलेस्ट्रोल कम हो जाता हैं। इसबगोल पाचन संस्थान में कोलेस्ट्रोल बहुल बाइल अर्थात पित्त को काफी हद तक सोखने की क्षमता रखता हैं। अर्थात एल डी एल कोलेस्ट्रोल को भी कंट्रोल करता हैं।
  • वजन नियंत्रण में  यह वजन नियंत्रण करने का भी कार्य करता हैं। जब यह पेट में पहुँचता हैं तो जल का अवशोषण करते हुए पेट को भर देती हैं, 
  • जिससे व्यक्ति को भूख ना लगने का सुखद अहसास होता हैं। एक ब्रिटिश अनुसंधान के अनुसार भोजन के तीन घंटो पूर्व जिन महिलाओ ने इसबगोल का सेवन किया उनके शरीर ने आहार से वसा का कम अवशोषण किया।
  • डाईवेर्टिकुलर डिसीज़, कब्ज, दस्त, इरिटेबल बाउल सिंड्रोम, पाइल्स। डाईवेर्टिकुलर डिसीज़, जिसमे आंतो में बनी हुयी छोटी छोटी पॉकेट्स में मल इकट्ठा होता रहता हैं, फल स्वरुप संक्रमण होने की आशंकाए पैदा हो जाती हैं, ऐसी विकट परिस्थिति में इसबगोल आंतो से मल को बाहर कर देता हैं। विविध मल त्याग सम्बन्धी विकार जैसे कब्ज, दस्त, इरिटेबल बाउल सिंड्रोम, पाइल्स के लिए तो यह रामबाण औषिधि हैं। 
  • इन परिस्थितियों में तो सबसे पहले यह जल का अवशोषण करती हैं। मल को बांधती हैं तथा सुगमता पूर्वक मल त्याग कराती हैं। ढीले मल से जलीयांश को अवशोषित करने की विशिष्ट क्षमता के कारण ही ये दस्तो के उपचार में प्रभावी हैं।
  • ईसबगोल के इस्तेमाल का तरीका - ईसबगोल की भूसी का असर होने में 10-12 घंटे लग जाते हैं, इसलिए शाम को छह बजे के करीब लेंगे तो सुबह समय से मोशन हो सकेगा। जब कब्ज ठीक हो जाए, तो यह प्रयोग बंद कर दें। 
  • आधे ग्लास पानी में एक चम्मच 5 मिनट तक भिगो कर पी लें और इस के बाद एक ग्लास पानी और पी लें। इसे खाने के 1 घंटे बाद लेना बेहतर है। वजन घटाने के लिए दिन में 3 बार खाने से आधा घंटा पहले लेना उचित है। दमा की शिकायत में सुबह-शाम दो-दो चम्मच ईसबगोल की भूसी गर्म पानी के साथ लेने से यह शिकायत दूर हो जाती है। 
  • ईसबगोल के बीजों को लेना हो तो इन्हें पीसना नहीं चाहिए। ईसबगोल के बीज शांतिदायक और शीतल होते हैं। इनसे पेट की अनावश्यक गर्मी दूर होती है।
  • अनैच्छिक वीर्यपात :- दिन में दो बार दो चम्मच ईसबगोल की भूसी शिंदे पानी से ले इसे अनैच्छिक वीर्यपतन की शिकायत दूर हो जाती है । 
  • स्त्रियों में रक्तस्राव :- मट्ठे के या ठंडा पानी के साथ दो चम्मच ईसबगोल की भूसी से स्त्रियों में रक्त प्रदर मूत्राशय से खून आना धीरे धीरे समाप्त हो जाता है । इसे प्रतिदिन सुबह शाम ले 

No comments:
Write comments