Sunday, October 08, 2017

रेबीज का उपचार,Rabies Treatment in Hindi,

 

रेबीज का उपचार,Rabies Treatment in Hindi,

रेबीज का उपचार,Rabies Treatment in Hindi,

रेबीज नामक रोग प्राचीन रोगों में से एक है। एक बार इस रोग के लक्षण उत्पन्न हो जाएं तो मृत्यु होने की संभावना बड़ जाती है। इस बीमारी के बारे में लोगों को ज्यादा जानकारी नहीं होती। 

विश्व रेबीज दिवस की शुरुआत इंग्लैण्ड की एक संस्था ग्लोबल अलायंस फॉर रेबीज कंट्रोल द्वारा वर्ष 2007 में की गई थी। तभी से हर वर्ष रेबीज़ के टीके के जन्मदाता लुईस पाश्चर के निधन दिवस 28 सितंबर के ही दिन इसे मनाया जाता है।

रेबीज एक विषाणुओं द्वारा होने वाला संक्रमक रोग है। इसका यह विषाणु ज्यादातर जानवरों जैसे कुत्ते, बिल्ली, चूहे अन्य आदि में पाया जाता है। इस रोग के विषाणु 0.0008 मि.मी लंबे और 0.00007 मि.ली व्यास वाले होत है। जानवरों द्वारा यह रोग इंसानों में फैलता है।

रेबीज को हाइड्रोफोबिया भी कहा जाता है। यह पशुओं से फैलने वाला वायरल जूनोटिक इन्फेक्शन है। इससे इनकेफोलाइटिस जैसा उपद्रव होता है, जो निश्चित रूप से चिकित्सा न किए जाने पर घातक होता है। इसका प्रमुख कारण किसी पागल कुत्ते का काटना होता है।

रोग के प्रारंभिक लक्षण 

  • सिर दर्द, बुखार, मितली आना, भूख न लगना, असहाय पीड़ा और प्रभावित क्षेत्र में जलन आदि। 
  • इसी के साथ व्यक्ति में तनाव, भय और उत्तेजना की वृद्धि होती है। 
  • मांसपेशियों में जकड़न, पीया पानी बाहर आना। 
  • इसलिए इस रोग का नाम जल आतंक अर्थात् हाइड्रोफोबिया रखा गया है। 
  • इसलिए व्यक्ति को ऐसे लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए क्योंकि इसके चलते मौत भी हो सकती है। 

रेबीज का इलाज - क्या करें काटने के बाद

कुत्ते के काटने के बाद उस हिस्से को सबसे पहले पानी से खूब अच्छी तरह धोएं। फिर साबुन लगा कर धोएं। वहां पट्टी कतई न बांधें। पहला ऐंटि-रेबीज इंजेक्शन 24 घंटे के भीतर जरूर लगवा लें। 
  • कुत्ते, बिल्ली या बंदर के काटने को हल्के में लेना बड़ी भूल है। इससे जानलेवा रेबीज हो सकता है।
  • कुत्ते के काटने के बाद अब भी कई लोगों को यह लगता है कि पेट में 14 इंजेक्शन लगेंगे। यह गलत है। वैक्सिनेशन के तरीके और टाइम पीरियड अब बदल चुके हैं। यह भी जान लेना जरूरी है कि कुत्ते, बिल्ली या बंदर के काटने पर आपके काम का डॉक्टर जनरल फिजिशन (फैमिली डॉक्टर) ही है।
  • रेबीज को रोकने के लिए प्रॉपर वैक्सिनेशन (ऐंटि-रेबीज वैक्सिनेशन) की जाती है।
  • ऐंटि-रेबीज वैक्सीन सेंट्रल नर्वस सिस्टम (जहां रेबीज के वायरस अटैक करते हैं) पर रक्षात्मक परत बना कर उस वायरस के असर को खत्म कर देती है।
  • वैक्सिनेशन दो तरह से की जाती है: ऐक्टिव और पैसिव।अगर जख्म गहरा हो तो ऐक्टिव वैक्सिनेशन के तहतदो इंजेक्शन फौरन लगते हैं। इसमें ऐंटि-रेबीज सीरम कोपहले मसल्स (बाजू या हिप्स) में और फिर ठीक उस जगह पर जहां कुत्ते, बिल्ली या बंदर ने काटा हो, इंजेक्शन के जरिए डाला जाता है।
  • इसके बाद बारी आती है पैसिव वैक्सिनेशन की। इसमें पांच इंजेक्शन एक खास टाइम पीरियड में लेने पड़ते हैं।
  • पहला इंजेक्शन-काटने के पहले दिन
    दूसरा इंजेक्शन-काटने के तीसरे दिन
    तीसरा इंजेक्शन-काटने के सातवें दिन
    चौथा इंजेक्शन-काटने के 14वें दिन
    पांचवां-काटने के 28वें दिन

  • आमतौर पर पैसिव वैक्सिनेशन ही किया जाता है। लेकिन ज्यादा जख्म होने पर ऐक्टिव और पैसिव, दोनों तरह का वैक्सिनेशन किया जाता है। वैक्सिनेशन को बीच में छोड़ना या समय से न लेना खतरे को बढ़ावा देना है। चूंकि हमारा देश जानवरों के काटने से फैलने वाली बीमारियों के असर में है, इसलिए डॉक्टर सलाह देते हैं कि लोगों को प्री-एक्सपोजर वैक्सिनेशन (काटने के पहले) जरूर लेना चाहिए। इसके तहत तीन इंजेक्शन लगाए जाते हैं। तीनों इंजेक्शन का कोर्स जरूरी है।
  • प्री-एक्सपोजर वैक्सिनेशन का असर दो साल तक रहता है। इस दरम्यान अगर कुत्ता, बिल्ली या बंदर काटता है तो रेबीज की आशंका नहीं रहती। फिर भी अगर जख्म गहरा हो तो आप डॉक्टर से दिखाकर उसकी राय जरूर लें और अगर वह कहे कि ऐक्टिव या पैसिव वैक्सिनेशन की दरकार है तो उसके लिए जरूर जाएं।
  • पालतू कुत्ते के साथ भी सावधानी बरतनी चाहिए। आप उसका पूरा वैक्सिनेशन कराएं, ताकि उसके शरीर में रेबीज का वायरस न पनपे। अगर आप दूसरे से बड़ा कुत्ता ले रहे हैं तो भी उसके वैक्सिनेशन के बारे में जरूर पूछें।
  • वैक्सिनेशन कराने पर प्राइवेट हॉस्पिटल में करीब 2 हजार रुपए का खर्च बैठता है। ऐसे करें बचाव
  • कुत्ते, बिल्ली या बंदर अमूमन किसी को काटने नहीं दौड़ते, लेकिन रेबीज इन्फ़ेक्टेड जानवर आपको परेशान कर सकते हैं।
  • सामान्य कुत्ते भी आपकी परेशानी का सबब बनते रहते हैं। ऐसे में आपको अपना बचाव खुद करना पड़ता है

No comments:
Write comments